“सुधा, बेटा माॅ॑ को दूसरा अटैक आया है…” सुबह-सुबह फोन का रिसीवर उठाते ही कानों में पापा की आवाज़ पड़ी तो अश्रुधारा अनायास ही कब नेत्रों से बहकर आंचल भिगोने लगी, पता ही नहीं चला।
पास में सोए अमर की नींद भी मुंह अंधेरे बजती फोन की घंटी से टूट चुकी थी, लपककर फोन सुधा के हाथ से लेकर उसने सुना तो एक बार को वो भी सन्न रह गया फिर स्वयं को संभाल कर बोला, “चिंता न करिए पापाजी, हम पहली फ्लाइट से पहुंच रहे हैं, आप अपना और माॅ॑ का ध्यान रखिए।”
सुधा को पानी का गिलास लेकर चुप कराया। अलमारी के ऊपर रखी अटैची उतारकर सुधा को अपने और उसके कपड़े पैक करने के लिए कहकर वह रूम से बाहर आ गया। अपने माता-पिता के रूम में जाकर उसने वस्तुस्थिति से उनको अवगत कराया। पलक झपकते ही अमर के माता-पिता अमर के रूम में सुधा के पास थे।
अमर की माताजी ने सुधा से कहा,”तुम जल्दी से तैयार हो कर निकलो।” सुधा बोली,”मम्मी जी, बिट्टू की परीक्षा चल रही है…” “वो सब छोड़ो, हम दोनों देख लेंगे।” मम्मी जी ने कहा। इतने में ही अमर ने रूम में आकर बोला, “चार घंटे बाद की फ्लाइट में टिकट हो गए हैं।”
“सुधा बेटा, तुम घर और बिट्टू की चिंता छोड़कर समधन जी का ख्याल रखना। तुम्हारी मम्मी नाश्ता बना रहीं हैं, तुम लोग जल्दी से तैयार हो जाओ।” शांताराम जी ने सुधा से कहा। बिट्टू 9वीं कक्षा में पढ़ता है, अमर ने स्थिति की गंभीरता उसे बताई तो उसने अपनी मम्मी को नानी का ख्याल रखने को कहा। यह भी कहा कि वह पीछे से बाबा-दादी का ध्यान रखेगा। उसी दिन सुधा और अमर फ्लाइट पकड़कर सुधा के मायके पहुंच गए।
सुधा की माॅ॑ को पंद्रह वर्ष पहले कार्डियक अरेस्ट (हार्ट अटैक) आया था। तब सुधा कुंवारी थी, भाई बाहर नौकरी करता था, बहन छोटी थी। सभी भागदौड़ उसने व पापा ने की। माॅ॑ ठीक हो गई थी, दवाइयों की मदद से अभी तक सब अच्छा चल रहा था। समय-समय पर पापा और भाई सभी जरूरी टेस्ट करवाते रहते हैं। सुधा व अमर घर पहुंचकर सीधे ही अस्पताल पहुंचे, पापा और भाई वहीं थे। उन्होंने बताया कि हार्ट की दो मेज़र रुधिर धमनियों मे ब्लॉकेज की वज़ह से दूसरा हार्ट अटैक आया।
भाई ने बताया, “माॅ॑ की कंडीशन स्टेबल (हालत स्थिर) है, अभी आईसीयू में हैं। डॉक्टर ने बाइपास सर्जरी सजेस्ट की है, जिससे कम्फर्टेबल सर्वाइवल और हेल्दी लिविंग के चांसेज बढ़ जाएंगे।” शाम को डॉक्टर के साथ पापा, भाई, भाभी, अमर व सुधा ने मीटिंग कर बाइपास सर्जरी के लाभ-हानि जानें। माॅ॑ की कंडीशन देखते हुए बाइपास सर्जरी की सहमति बनी।
सातवें दिन माॅ॑ की बाइपास सर्जरी हो गई। डॉक्टर के हिसाब से सफल आपरेशन था, संतोषजनक सुधार बताते थे पर बहुत कुछ ऐसा समझ में आ रहा था जो सही नहीं था। आईसीयू में माँ ने बताया कि नर्सिंग स्टाफ व डॉक्टर बात करते हैं कि केस बिगड़ गया है। सुनकर पापा, भाई, अमर सभी के होश उड़ गए। वे तुरंत ही कार्डियक सर्जन, जिन्होंने बाइपास सर्जरी की थी, से जाकर मिले और जो माॅ॑ कह रही थी वो सब बताया। कार्डियक सर्जन ने कहा कि ऑपरेशन सफल हुआ है, चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।
डॉक्टर आगे बोले,” मस्तिष्क भ्रम है यानि हैलुसिनेशन है और कुछ नहीं।” माँ हर दिन ऐसा ही बताती पर डॉक्टर यह सब ऑपरेशन के बाद होने वाले हैलुसिनेशन एफेक्ट कहकर टाल देते और कहते कि माॅ॑ ठीक हो रही है। फिर एक दिन माॅ॑ नहीं रही, बाईपास सर्जरी के छठे दिन माॅ॑ चली गई।
डॉक्टर ने मल्टीपल ऑर्गन फेलियर बताया। सुधा समेत किसी को भी समझ में नहीं आया कि डॉक्टर तो कह रहे थे कि माॅ॑ रिकवर कर रही हैं फिर मल्टीपल ऑर्गन फेलियर कैसे हो गया। डॉक्टर ने कहा,”ऐसा कुछ केस में हो जाता है जब मरीज़ ठीक होते-होते किसी अनजान कारण की वजह से तबीयत यकायक खराब होने से चल बसता है।” छोटी बहन रोती-बिलखती विदेश से आई पर माॅ॑ उसे जिंदा देखने नहीं मिली।
माॅ॑ को हमेशा के लिए खोकर सुधा, पापा, भाई, भाभी व अमर सभी सोच रहे हैं कि काश माॅ॑ की बात पर विश्वास कर लेते। काश माँ को अन्य डॉक्टर को दिखाकर दूसरी राय ले लेते। तब शायद माॅ॑ को न खोना पड़ता….माॅ॑ को खोने का दर्द कलेजा चाक कर देता है…
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धन्यवाद।
-प्रियंका सक्सेना
(मौलिक व स्वरचित)
#विश्व_हृदय_दिवस
Aisa hi mere papa ke saath hua tha mere papa ki bhi last year July mei bypass surgery krvayi 1mahina bilkul sahi rahei achanak silent attack se mere papa hum sabko chorkr chale gaye aisa laga sab kuch dobara se aankho ke saamne ho raha hai