वुमन इन डेंजर’ – प्रियंका सक्सेना

सेमेस्टर ब्रेक होते ही सभी छात्र-छात्राएं घर जाने के लिए बसों से निकल पड़े। आस्था के साथ उसके दो सहपाठी भी थे।  डेढ़ घंटे बाद उन दोनों का गंतव्य आ गया।  वे बस से  उतर गए।

आस्था‌ के लिए आगे का तीन  घंटे का सफर काटना कोई  मुश्किल नहीं था । सिर सीट से टिकाकार मैगज़ीन पढ़ने लगी।  पढ़ते-पढ़ते थक गई तो आस्था की नज़र पूरी  बस में फिरने लगी।

बस में कोई सो रहा था तो कोई ऊंघ रहा था। एकाध जन मोबाइल पर व्यस्त थे। उसने देखा,दूसरी पंक्ति  की आगे वाली सीट पर एक युवती सिमटी सी बैठी है, उसके साथ में एक अधेड़ व्यक्ति है। वो जिस तरह से दबी सिकुड़ी बैठी थी देखकर आस्था को आभास हुआ कि कहीं ना कहीं कुछ तो गड़बड़ है। युवती निगाहें झुककर बैठी थी तो पता नहीं चल रहा था कि क्या बात है। वो अधेड़ व्यक्ति बहुत तनकर बैठा था।

खैर आस्था खिड़की से बाहर देखने लगी।उसका मन नहीं मान  रहा था तो उसने दोबारा देखा। उसकी नज़र युवती की नज़र से  टकरा गयी, आस्था  को देख युवती ने अपनी खुली हथेली को उसकी तरफ कर पहले अँगूठे को अंदर की ओर मोड़ा फिर चारों उंगुलियों से अँगूठे  को ढक  दिया।

ओह! आस्था की आशंका गलत नहीं थी।  वह युवती वास्तव में किसी खतरे में थी। युवती ने माला को ‘वुमन इन डेंजर’  का सिग्नल दिया था।

 

आस्था  ने तुरंत अपने मोबाइल से  १०० नंबर डायल किया, ऑफिसर -इंचार्ज को वस्तुस्थिति से अवगत कराया।  उन्होंने बस नंबर ओर रूट पूछा आस्था ने रूट और बस किस रोडवेज की है, बता दिया परन्तु नंबर नहीं बता पाई।  पुलिस ने आस्था को कहा कि नज़र रखे और बाकी सब उन पर छोड़ दे।  आस्था का काम हो चुका था, उसकी पैनी नज़र उन दोनों पर ही थी।



 

आधे घंटे बाद बस एक ढाबे पर चाय-नाश्ते के लिए बस रुकी,अधेड़ के उतरते ही वहाँ मौज़ूद  पुलिस ने तत्काल  दबोच लिया।

 

युवती ने बताया कि वह शहर में काम करती है, ये अधेड़ व्यक्ति उसके गाँव का पहचान वाला है। उसे यह बोलकर कि उसके पिता मरणासन्न अवस्था में है ,उस शहर से दुसरे शहर ले जा रहा है।  बीच में युवती ने इसकी बात सुन ली थी किसी को बता रहा था कि माल लेकर पहुँच रहा है,  अच्छी दाम मिलेंगे। जब युवती ने पूछा तो धमकी दी कि गाँव में माता-पिता को मरवा देगा, उसके आदमी गाँव में उसके घर पर पहरा दे रहे हैं।  वह चुपचाप बैठ तो गई क्योंकि अधेड़ कोई मौका नहीं दे रहा था। आस्था को देखकर उसे अपनी मालकिन आरती मेमसाब की याद आ गई जहां वो काम करती है जिन्होंने उसे औरतों-लड़कियों की मदद  के इस संकेत के बारे में बताया था तो उसने आस्था को उस अधेड़ व्यक्ति की नज़र बचाकर कर संकेत दिया।

अधेड़ व्यक्ति को तो पुलिस गिरफ्तार कर ही चुकी थी, पुलिस ने युवती के गाँव तत्काल  कार्यवाही करते हुए अधेड़ व्यक्ति के  सभी साथियों को भी  ह्यूमन ट्रैफिकिंग ( मानव तस्करी) में अरेस्ट कर लिया।

पुलिस ने ‘वुमन इन डेंजर’ संकेत को प्रयोग करने के लिए युवती और उसे देखकर त्वरित  एक्शन लेने  के लिए आस्था, दोनों की सराहना की। बस में मौजूद महिलाओं ने भी उस संकेत को सीखा, समझा और दूसरी महिलाओं को सिखाने का प्रण लिया।

 

इधर‌ पुलिस की टीम युवती को सुरक्षित उसके गाँव पहुँचाने निकल पड़ी , उधर आस्था की बस भी अपने गंतव्य की ओर चल पड़ी।

 

दोस्तों, मेरी इस कहानी में ‘वुमन इन डेंजर’ का प्रयोग कर एक युवती की ज़िंदगी बच गई। सभी महिलाओं से अनुरोध है कि इस संकेत को जाने, सीखें और सिखाएं, क्या मालूम कब जरूरत पड़ जाए या किसी और की आप मदद कर‌ जाए।

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धन्यवाद।

-प्रियंका सक्सेना

(मौलिक व स्वरचित)

 

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