ससुराल वाले बड़ी बहु को इंसान क्यों नहीं समझते -सुदर्शन सचदेवा :

 Moral Stories in Hindi परिवार में जब बड़ी बहु आती है तो सबकी निगाहें उसी पर टिक जाती हैं , उससे उम्मीद की जाती है कि वो ही सारे घर को संभाले और छोटे बड़े का ध्यान रखे | हर परिस्थितियों में मुस्कराती रहे, वो इंसान की तरह नहीं बल्कि जिम्मेदारियों के बोझ तले दबे … Read more

शांति – प्रतिभा भारद्वाज ‘प्रभा’ :

 Moral Stories in Hindi “तुम्हें नींद आती भी है या नहीं सुबह से ही खटर-पटर शुरू कर देती हो…कम से कम अपना नहीं तो बाकी घरवालों का तो ध्यान रखा करो…” विजय अपनी पत्नी तारा को गुस्से में सुनाता जा रहा था। “सभी का ध्यान रखती हूं इसीलिए इतना सुबह जल्दी उठती हूं और सबके … Read more

ससुराल वाले बड़ी बहू को इंसान क्यों नहीं समझते – विधि जैन :

Moral Stories in Hindi बड़ी बड़ी बहू सुमन की शादी को लगभग 10 साल हो गए थे घर का सारा काम ससुराल में आकर सिखा सुमन बहुत समझदार पढ़ी लिखी थी लेकिन उसे जॉब करने नहीं मिला था जब भी वह अपनी इच्छा जाहिर करती कि मुझे भी घर से बाहर निकलना है तब सांस … Read more

काली रात – उमा वर्मा :

Moral Stories in Hindi मेरे जीवन की वह रात  “काली रात “बन गई थी मेरे लिए ।स्मृति के पन्ने बिखरने लगे थे।क्या क्या याद करूँ? उसदिन रात से ही विनय की तबियत बहुत खराब हो गई थी ।रात भर सो नहीं पा रहे थे ।बेचैनी और उल्टियाँ हो रही थी ।मैंने दिलासा दिया “अस्पताल चलते … Read more

बड़े घर की बेटी – ऋतु गुप्ता :

Moral Stories in Hindi हां बड़े संभ्रांत घर की बेटी ही तो थी वो…जिसकी आज ये हालत अपनी  ही वजह से हो गई है। ये सोच सोच कर आज हर्षिता अपने आप को कोस रही थी कि कैसी काली रात थी वो जो उसने कुछ न सोचा ना समझा और ऐसा गलत कदम उठा लिया … Read more

बड़ी बहू हूं, पर इंसान हूं – अर्चना खण्डेलवाल 

योगिता की नींद खुल गई और शरीर भी आज दर्द से टूट रहा था, उठने की जरा भी हिम्मत नहीं थी, उसकी आदत है वो सुबह जल्दी उठ जाती है, और धीरे-धीरे अपना काम करती है  ताकि भावेश की नींद खराब ना हो जायें, दिनभर व्यापार संभालते, भागादौड़ी करते-करते वो भी थक जाते थे, घर … Read more

चूड़ियों की खनक – गीतू महाजन :  Moral Stories in Hindi

उसके जाते ही सब कुछ खामोश हो गया था.. पूरे घर- परिवार के साथ साथ ऐसे लग रहा था जैसे पूरा कस्बा ही चुप्पी साध गया हो।घर की दीवारें भी मूक हो चुकी थी।हवा भी बहुत धीमी गति से चल रही थी जैसे उसकी आवाज़ से कहीं शोर उत्पन्न ना हो जाए।आज मालिनी को गए … Read more

एक मुंह दो बात – सीमा सिंघी :  Moral Stories in Hindi 

 अचानक पोता बहू सुनीति की कर्कश आवाज मेरे कानों में पड़ी ! वो शायद अपनी जेठानी अनीता से कुछ कह रही थी,जबकि बड़ी पोता बहू अनीता की आवाज मेरे कानों तक नहीं पहुंच रही थी। मैं मन ही मन सोचने लगी। वह भी तो जरूर सुनीति से कुछ तो कह रही होगी लेकिन अनीता की … Read more

एक मुंह दो बात – शुभ्रा बैनर्जी  :  Moral Stories in Hindi

“भाभी,एक खुशखबरी है।सबसे पहले तुम्हें ही दे रहीं हूं।तुम्हारी लाड़ली रिम्पा (भांजी)की शादी तय हो गई है।अभी लड़के के माता-पिता गएं हैं बात पक्की कर।लड़का यहीं पुणे में ही नौकरी करता है।तारीख अभी तय तो नहीं हुई,पर फाल्गुन में ही होगा।तुम तैयारी करके रखना।बच्चों को भी बता देना।”छोटी ननद थी फोन पर।यह हमारे परिवार के … Read more

जीने की राह – अर्चना सिंह :  Moral Stories in Hindi

चार दिन से रूबी काम पर नहीं आयी थी । गमले में पानी डालकर शिप्रा ऑफिस के लिए ही निकलने वाली थी कि दरवाजे पर घण्टी बजी । खोलकर देखा तो रूबी ही थी, हरदम खिलखिलाने वाला चेहरा, बकबक मशीन आज जैसे थकी सी लग रही थी । “अंदर आ जा ! बोलते हुए शिप्रा … Read more

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