सुरजीत के लिए लड़का देखना चालू कर दो अब तो उसका कॉलेज भी पूरा हो गया है और उसका बेकिंग का काम भी किन्ना सोणा चल रहा है । मंजीत ने अपने पति से जब ये कहा तो मिस्टर कुकरेजा सोच मैं पड़ गए ,इकलौती कुड़ी है सुरजीत उनकी कितने नाजों से पालपोस के बढ़ा किया है उन्होंने सुरजीत को , हर वो काम जो वो करना चाहती थी पूरा सपोर्ट किया उसे , हौंसला दिया उसे ,साथ खड़े रहे उसके , पर कुड़ी ने तो एक न एक दिन जाना ही है इसी सोच मैं डूबे हुए थे की दुकान से फोन आ गया और वो काम पर निकल गए ।
दुकान पर पहुंचे तो एक सज्जन उनका इंतजार कर रहे थे , उन्हे देखते ही मिस्टर कुकरेजा खुश हो गए और गले लग गए सालों बाद आज उनकी मुलाकात अपने बचपन के दोस्त बलबीर से हो रही थी , दोनो की बातें खत्म ही नही हो रही थी , बातों से ही पता चला की बलबीर अपनी पत्नी और बेटे के साथ कनाडा से कुछ दिनों के वास्ते इंडिया आया है चाहता है की हिंदुस्तानी लड़की से अपने बेटे की शादी करे , मिस्टर कुकरेजा बलबीर और उसकी फैमिली को घर पर डिनर पर इनवाइट कर लेते है ।
शाम को बलबीर उनकी पत्नी और बेटा राजवीर घर आते है , मिस्टर कुकरेजा अपनी पत्नी मंजीत और बेटी सुरजीत से सभी को मिलवाते है और खाने खाते हुए शाम व्यतीत करते है ।
उनके जाने के बाद मंजीत मिस्टर कुकरेजा से कहती है कि सुरजीत के लिए राजवीर की बात चला कर देखे । मिस्टर कुकरेजा कुछ कहते तो नही पर सोच मैं पड़ जाते है , की इतने सालों बाद आज ही तो मिले है ,जानते भी नहीं ठीक से की इतने साल कहां थे, कैसे रहे, कैसा है सबकुछ … इसी सोच मैं गहरी नींद मैं सो जाते है ।
अगले दिन जब वो दुकान पहुंचते है तो देखते है की बलबीर आज भी वहां उपस्थित था , सामाजिक औपचारिकता के बाद बलबीर रात के खाने के लिए शुक्रिया अदा करता है और अगर मिस्टर कुकरेजा को आपत्ती न हो तो राजवीर के लिए सुरजीत का हाथ मांगने की बात करता है । इतनी जल्दी हुए इस तरह की बात से मिस्टर कुकरेजा कुछ समझ नही पाते है पर मना भी नही करते है ओर घर मैं बात करेंगे ऐसा कह कर अभी बात को टाल देते है ।
घर पहुंच कर मिस्टर कुकरेजा अपनी बेटी सुरजीत से राजवीर के साथ हुई बातचीत के बारें मैं पूछते है तो सुरजीत बता देती है की हां फोन आया था राजवीर का , मिस्टर कुकरेजा फिर उससे पूछते है की तुम्हे पसंद हो तो बात आगे करे , सुरजीत सिर्फ आंखों से ही हां कर देती है । फिर भी पता नहीं क्यों मिस्टर कुकरेजा का मन बहुत शंकित महसूस कर रहा होता है।
बलबीर का इंडिया मैं तो कोई घर बार था नही , बहुत पहले ही सबकुछ बेच कर उनका परिवार कनाडा जा बसा था , यहां तो वो होटल मैं ही रुके हुए थे , आखिर मिस्टर कुकरेजा किस से क्या पूछे और पता करे । बलबीर जी के अनुसार तो कनाडा मैं सबकुछ बहुत बढ़िया था , उनका खुद का होटल था और बेटे ने भी फास्ट फूड चेन शुरू की हुई थी ।
घर मैं सभी की रजामंदी से सुरजीत और राजवीर के फेरे पड़वा दिए जाते है सभी बहुत खुश है सुरजीत , मंजीत और राजवीर का परिवार भी ।
एक सप्ताह बाद बलबीर जी और उनका पूरा परिवार मिस्टर कुकरेजा जी के यहां आता है और वापिस कनाडा जाने की बात कहते है , सुरजीत के पासपोर्ट और वीजा मैं अभी समय है तो सुरजीत को बाद मैं आने का कह कर अगले दिन ही सभी लोग कनाडा चले जाते है ।
राजवीर का फोन एक महीने तक तो नियमित आता रहता है , पर उसके कुछ दिनो बाद से उसके फोन आने कम होने लगते है , सुरजीत जब भी कनाडा आने को कहती तो राजवीर काम मैं व्यस्तता बता कर हर बार अगले महीने आने को कहता ।इधर मिस्टर कुकरेजा भी बलबीर का फोन लगाते पर वो नंबर कभी लगता ही नहीं था , राजवीर से जब कहते की पिता जी से बात करवाओ तो वो उनके न होने का बहाना बना देता । इसी तरह करते करते साल बीत गया अब तो राजवीर के फोन भी आने बंद हो गए थे । सुरजीत सोचती क्या गलती हुई उससे या कमी थी उसमे जो ऐसा बैरी पिया उसे मिला ।