आर्यन की नौकरी लगने के बाद कई जगह से रिश्तों की लाईन लग गई, लेकिन अम्मा ने रंजना भाभी को देखा और देखते ही कह दिया यह लड़की ही हमारे घर की बहू बनेगी। पता नहीं अम्मा की पारखी नजर ने ऐसा क्या देखा??
रंजना भाभी सुंदर रंग रूप, गुणवान एवं बहुत व्यवहार कुशल थी। जब वह इस घर में व्याह कर आई थी तब छोटे-छोटे देवर, ननदों को पाकर बहुत खुश हुई और देवर, ननद भी सब भाभी के आसपास डोलते
रहते ।
रंजना भरे पूरे परिवार से आई थी इसलिए ससुराल में ननद, देवर पाकर बहुत खुश हुई। उसे कभी महसूस नहीं हुआ कि वह ससुराल में है। सासू मां भी अपने सभी बच्चों की तरह रंजना से भी सामान व्यवहार करती थी। रसोई अम्मा ही बनाती थी… हाँ, रंजना भाभी उनकी मदद जरूर करती थी। अम्मा ने कभी भी रसोई घर का भार रंजना के ऊपर नहीं डाला।
“अम्मा हमें बताइए .. हम खाना बनाएंगे अब आप परेशान न हुआ करें”
अम्मा तुरंत बोलती तू ज्यादा खाती है क्या???
जैसे मैं सबके लिए खाना बनाती हूंँ वैसे तुम्हारे लिए भी बनाऊँगी। तुम भी तो इसी परिवार का हिस्सा हो।
एक दिन अम्मा ने रंजना भाभी को समझाते हुए कहा कि देखो बेटा, जैसे मैं अपने बच्चों से बहुत प्यार करती हूं और उनको डांट भी देती हूं लेकिन बच्चे कभी मन से बुरा नहीं मानते हैं।
वैसे ही तुम भी मेरी बच्ची हो, अगर कभी मेरी कोई बात बुरी लगे जरूर बताना… लेकिन अपना दुख मायके में नहीं बताना क्योंकि तुम्हारी मां को बहुत दुख होगा।
“मैं भी एक मां हूं इस बात को मैं अच्छी तरह समझ सकती हूंँ।”
रंजना अम्मा के गले लगते हुए बोली नहीं अम्मा!! आप तो मेरी बहुत प्यारी मांँ हो।
हां मुझसे कभी कुछ भूल हो जाए तो मुझे जरूर बताना और डांटना भी…. मुस्कुराते हुए रंजना बोली।
अम्मा मैं कभी भी किसी का दिल नहीं दुखाऊंगी। मैं जिस दिन से इस घर में आई हूं उसी दिन से मुझे अंजुल, सोमिल, रानू और मीनू में अपने भाई बहन की छवि दिखने लगी।
समय मानो पंख लगाकर चल रहा हो। वक्त के साथ-साथ भाई-बहन बड़े हो गए, लेकिन रंजना की गोद खाली थी। रंजना ज्यादा चिंता नहीं करती थी हमेशा कहती….. देवर ननद मेरे बच्चों के समान है….बच्चे हो या न हो क्या फर्क पड़ता है!!
अम्मा ने कई जगह डॉक्टर को दिखाया लेकिन कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला!!
अम्मा की उम्र होने के कारण अब रंजना भाभी ने उनकी समस्त जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली।
रानू और मीनू का विवाह हो गया वह अपने ससुराल में बहुत ही खुश एवं सुखी थी।
जैसे ही कुछ दिन बीतते रंजना आर्यन से कहती जाओ!! रानू और मीनू को ससुराल से ले आओ। अम्मा मना करती…. अभी कुछ दिन पहले गयी है??
रंजना: अम्मा बहुत दिन हो गए हैं उनको देखे हुए… उनके बिना जी नहीं लगता!!
रंजना का निश्छल प्रेम देखकर अम्मा भाव विभोर हो जाती।
कुछ दिन के पश्चात अंशुल का विवाह भावना के साथ हो गया। भावना समझदार लड़की थी जो जल्दी ही परिवार मे हिल- मिल गई।
रंजना उसे छोटी बहन से भी ज्यादा प्यार करती थी। इसी कारण भावना को ससुराल में कभी कोई दिक्कत नहीं हुई।
कुछ दिनों के पश्चात रानू गर्भवती हुई तो उसने सबसे पहले यह खुशखबरी रंजना भाभी को बतायी। रंजना खुशी से नाचने लगी उसकी चहचाहट सुनकर अम्मा एवं घर के अन्य लोग भी आ गए। जब सभी को इस खुशखबरी के बारे में बता चला तो घर वाले फूले नहीं समा रहे थे। बहुत सालों के बाद घर में एक नन्हा मेहमान आने वाला था।
घर की ऐसी परंपरा थी की प्रथम संतान मायके में ही होती है। रंजना रानू के नन्हें मेहमान के लिए सपने सजाने
लगी । अम्मा से बोलती हम लोग जल्दी ही रानू को घर बुला लेंगे।
“अम्मा भी रंजना की उत्सुकता देखकर कहती… हांँ बहू।”
एक दिन सुबह भावना उल्टी कर रही थी। सभी ने सोचा शायद कुछ उल्टा सीधा खा लिया होगा इस कारण बीमार हो गई। रंजना भावना को डॉक्टर के पास लेकर गई, जहां टेस्ट के साथ-साथ प्रेगनेंसी टेस्ट भी कराया गया ।
रंजना की प्रेगनेंसी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। पूरे घर में खुशियों की लहर छा गई। रंजना भगवान के सामने हाथ जोड़कर कहने लगी हमारे घर में इतनी बड़ी खुशी आई है ईश्वर मेरी ननद और देवरानी को हमेशा ठीक-ठाक रखना।
अब तो भावना को रंजना जरा भी काम नहीं छूने देती। उसे पलंग से उतरने की एकदम मनाही थी। रंजना कहती हमारे घर में नन्हा मेहमान आने वाला है यह हम सबके लिए सबसे बड़ी खुशी की बात है।
भावना- दीदी कुछ काम तो करने दीजिए, लेकिन रंजना उसकी एक नहीं सुनती थी। इतनी अच्छी देखभाल शायद उसके मायके में भी नहीं होती।
जब भावना की यह खुशखबरी उसके मायकेवालों ने सुनी तो तुरंत लेने के लिए आ गए। रंजना बोली अभी कुछ दिन रहने दीजिए। कम से कम 5 माह होने के बाद हम लोग छोड़ आएंगे…, लेकिन भावना के मायके वालों ने बिल्कुल नहीं सुनी और भावना को लेकर चले गए।
भावना अपनी मम्मी से बोली मेरी देखभाल रंजना दीदी बहुत अच्छे से कर रही थी फिर इतनी जल्दी तुमने मुझे क्यों बुला लिया??
सुबह शाम तुम रंजना का मुख देखोगी यह ठीक नहीं है क्योंकि उसके कोई बच्चा नहीं है। इसलिए तुम्हें जल्दी बुला लिया।
कैसी बातें कर रही हो मम्मी??
रंजना दीदी मेरा बहुत ख्याल रखती हैं एक बहन से भी ज्यादा मुझे प्यार करती हैं और मेरी प्रेगनेंसी की खबर सुनकर सबसे ज्यादा तो वह बहुत खुश थी।
तुम यह सब कैसे बोल सकती हो मम्मी??
तुम्हें कुछ पता नहीं है बेटी!! हम अपनी बेटी के लिए कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं जो मुझे उचित लगा वह हमने किया।
भावना मम्मी की बात सुनकर चिढ़ गई और सोचने लगी रंजना दीदी सभी का कितना ख्याल रखती हैं??
हम सबको अपने बच्चों जैसा प्यार करती हैं जब से मेरी प्रेगनेंसी के बारे में सुना उन्होंने मुझे एक गिलास पानी तक लेकर नहीं पीने दिया।
मम्मी भी न….पता नहीं क्या आलतू फालतू उनके बारे में बोल रही हैं। अगर दीदी को पता चल जाए तो उन्हें कितना दुख होगा।
रानू का पांचवा महीना शुरू हो गया था रंजना ने रानू के ससुराल में खबर भिजवाई कि- आर्यन अपनी बहन को लेने आ रहे हैं।
रानू की सास तपाक से बोली…अभी नहीं!! ऐसा बोलकर वह कई बार रानू को भेजने के लिए टाल चुकी थी।
अम्मा ने भी कहा समधन जी रानू के लिए कुछ दिन बाद सफर करना मुश्किल हो जाएगा, आप अभी भेज दीजिए लेकिन रानू की सास टस से मस नहीं हुई।
सातवें महीने में रानू की गोद भराई हो गई लेकिन रानू के मायके वालों को खबर नहीं दी गई। इस खुशी के मौके पर रानू अपने मायके वाले खासकर अपनी रंजना भाभी को बहुत याद कर रही थी। उसकी आंखों में झर-झरकर आंसू बहने लगे, लेकिन ससुराल वालों के सामने कुछ नहीं बोल पाई।
रंजना ने रानू को फोन किया जैसे ही रानू ने रंजना की आवाज सुनी वह रोने लगी और बोली भाभी यह लोग मुझे नहीं भेजेंगे और मेरी गोद भराई की रस्म भी कर दी है।
रंजना अवाक!!
क्या…??
गोद भराई की रस्म बिना मायके वालों के कैसे कर दी?? हम तुम्हारी सास से बात करते हैं।
रंजना ने रानू की सास को फोन किया और कहा आंटी जी हम लोगों से क्या गलती हुई है जो रानू की इतनी बड़ी खुशी में हम लोगों को शामिल नहीं किया। बिना मायके वालों के आपने यह रस्म कैसे कर ली??
हम लोग रानू को लेने आ रहे हैं।
यह सुनते ही रानू की सास तपाक से बोली!! आप लोगों को आने की जरूरत नहीं है, क्योंकि जब तक बच्चा नहीं हो जाएगा तब तक हम रानू को हम कहीं नहीं भेजेंगे!!
लेकिन आंटी जी… पहला बच्चा तो मायके में ही होता है??
तुम यह कैसे कह सकती हो, तुम्हारी कोई औलाद है क्या??
अब जब इतनी बात हो गई है तो मेरी बात सुनो!!
“मैं नहीं चाहती कि मेरी बहू सुबह शाम एक बांझ का मुख देखे।”
“रानू की सास की बात सुनकर रंजना सन्न रह गई… फोन उसके हाथ से गिर गया।” यह बात सुनकर घर वाले सभी बहुत परेशान हो गये।
इतनी खुशमिजाज रंजना अब एकदम से शांत और चुपचाप हो गई थी अंदर ही अंदर उसे कुछ खाए जा रहा था हमेशा कुछ सोचती रहती।
धीरे-धीरे उसका स्वास्थ्य गिरने लगा…
अंशुल ने जब यह बात भावना को बताई तो भावना को बहुत दु:ख हुआ। भावना ने अंशुल को बताया कि उसके घर में भी ऐसी धारणा है इसीलिए मुझे जल्दी बुलवा लिया।
भावना! अब भाभी का क्या करें वह सूख कर कांटा हो गई हैं,अब वह पहले वाली रंजना भाभी नहीं रही। हंसी- खुशी से उनका नाता जैसे टूट ही गया है
कुछ दिनों के पश्चात रानू ने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया और भावना ने एक बेटे को!!
घर में एक बार फिर खुशी की लहर छा गई लेकिन रंजना के ऊपर किसी प्रकार का कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
सवा महीने के बाद भावना ससुराल आ गई और अपने बेटे को रंजना की गोद में डाल दिया कहा दीदी आज और अभी से यह बच्चा आपका बेटा है और मैं इसकी चाची।
रंजना बोली- नहीं! नहीं! ऐसा नहीं हो सकता….
भगवान ने नहीं चाहा इसलिए मेरे संतान नहीं हुई। मैं तुम्हारे साथ ऐसा अनर्थ नहीं कर सकती भावना!
लेकिन दीदी यह आपका ही बेटा है जो भगवान ने मुझे दिया है आपके लिए।
अंशुल सभी कानूनी कार्रवाई पूरी करके भाभी के हाथ में सब कागजात थमा दिए आर्यन मुस्कुराते हुए रंजना से बोले हाँ… यह हमारा ही बेटा है।
रंजना ने बच्चे को सीने से लगाकर अपनी समस्त ममता उस पर उड़ेल दी।
हांँ- हांँ मैं इसकी मां हूंँ!! रंजना को सारे जहां की खुशियां मिल गई।
आर्यन ने भावना और अंशुल की तरफ कृतज्ञतापूर्ण नजर डालते हुए कहा… तुमने हमारी पुरानी रंजना को लौटा दिया।
पूरे परिवार में दोबारा से खुशियां ही खुशियां छा गई।
– सुनीता मुखर्जी “श्रुति”
हल्दिया, मेदिनीपुर पश्चिम बंगाल