मैं अपने आप से नाराज नहीं हूं। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

शीला सुबह से काम में लगी हुई थी, बच्चों के स्कूल जाने के समय घर में भगदड़ सी मची हुई थी, तभी बस के आने का समय हो गया, निशू के मौजे नहीं मिल रहे थे, और बबलू अपनी टाई ढूंढ रहा था, तभी बीना जी की तेज आवाज गूंजती है, “आखिर करती क्या हो? जब देखो रोज सुबह घर का यही हाल होता है, अपने से कोई काम ढंग से होता नहीं है, ऐसी बहू किसी को ना मिलें, जिससे घर-परिवार ही संभाला नहीं जा रहा है।’

अब शीला को ये रोज सुनने की आदत हो गई थी, अपनी सासू मां की बातों को अनसुनी करके वो मौजे ढूंढने लगी जो उसे सोफे के नीचे पड़े हुए मिले, और सोफे पर से कुशन हटाया तो टाई भी मिल गई, वो झट से बच्चों को लेकर दौड़ी तो देखा बस स्टॉप पर सभी अपने बच्चों को छोड़ने आई थी, सब अच्छे से आई थी,

और एक वो ही थी जो जिस हाल में होती है, वैसे ही चली आती है, उसने सबको देखा, फिर अपने आप पर नजर डाली, और घर वापस आ गई।

दोपहर को सब काम से निपटकर गौर से आइने में देखा, ‘अभी शादी को पन्द्रह साल ही हुए है, और उसने अपना क्या हाल बना लिया है? उसके चेहरे की रंगत ही उड़ गई है, और बाल भी रूखे हो गए हैं, आंखों के नीचे काले गड्ढे भी उसे चिढ़ा रहे थे, अपने कपड़े देखकर भी वो हैरान थी, शीला क्या थी और क्या हो गई? 

तभी आइने में से उसे जैसे आवाज सुनाई दी, ‘ ये क्या हाल बना रखा है, अपने आप से नाराज हो क्या? जो अपना बिल्कुल भी ख्याल नहीं रखती हो, पन्द्रह सालों में ये हालत हो गई है तो आगे क्या हाल होगा? घर-परिवार जरूरी है, पर अपनी भी तो एक पहचान है, सलीके और तरीके से रहना चाहिए, वजन भी बढ़ गया है, पेट भी निकल गया है, सेहत भी तो जरूरी है।

 शीला पहले तो चौंकी फिर उसे समझ आया कि ये उसके ही अंतर्मन की आवाज है, उस दिन जब वो बेटी के साथ स्कूल की पीटीएम में गई थी, तो निशू थोड़ी सी खफा थी, अब वो भी बारह साल की हो गई है, सब समझने लगी है। मनीष भी उससे चिड़चिड़े रहते हैं, ढंग से बात नहीं करते हैं।

‘मम्मी आप ढंग से क्यों नहीं रहती हो? मेरी बाकी सहेलियों की मम्मी को देखो, कितने अच्छे तरीके से आती है, और आप बस सूट पहना और जूड़ा बांधकर चली आती हो, थोड़ा तो अच्छे से रहा करो, आप कितनी मोटी हो गई हो, पहली बार उसके मन को चोट पहुंची, और उसने अपने आप को देखा तो पाया,

सच में वो बहुत बदल चुकी है, पर क्या करें? तीन समय के खाने और चौके बर्तन से फुर्सत ही नहीं मिलती है, और थोड़ा बहुत समय मिलता है तो घर को संभालने और बच्चों को पढ़ाने में निकल जाता है, अन्य गतिविधियों के लिए भी वो बच्चों को खुद ही भाग-दौड़ कर छोड़कर आती है, कभी सब्जियां तो कभी राशन का सामान लेने निकल जाती है, उसके अलावा भी गृहस्थी के कामों में उलझी रहती है, तो कभी खुद पर ध्यान नहीं दिया।

घर में सास-ससुर, पति और दो बच्चे पर काम तो सबका रहता है, बुजुर्गों और बच्चों का काम कभी पूरा ही नहीं होता है, सास-ससुर की दवाई, चाय नाश्ता, खाना, मालिश से ही उसे समय नहीं मिलता, उस पर बच्चों के टिफिन, स्कूल के लिए  तैयार करना, होमवर्क, अन्य स्कूल की और बाहर की गतिविधियां, फिर घर गृहस्थी, सुबह पांच से रात को दस बजे तक वो थककर चूर हो जाती है, उसे अपने लिए समय ही नहीं मिलता है।

मनीष और घर में किसी की कोई मदद नहीं मिलती, सिर्फ झाडू-पौंछे के लिए बाई लगा रखी है, तो वो भी बीना जी को फालतू का खर्चा लगता है।

‘नहीं, मै खुद से नाराज नहीं हूं, मै भी अपने आप से बहुत प्यार करती हूं, ये कहकर वो वापस घर के काम में लग गई, रात को मन में कुछ सोचकर वो सो गई।

सुबह पांच बजे उठकर रसोई की जगह वो सीधे नीचे घूमने चली गई, दो चक्कर लगाकर आई तो बहुत अच्छा लगा।

घर में आई तो बीना जी चिल्लाने लगी, ‘ये क्या तरीका है?

मुझे गर्म पानी पीना है, तुमने गर्म पानी ही नहीं किया, आधे घंटे से इंतजार कर रही हूं।’

मम्मी जी, मै अपने साथ चूल्हा और पानी तो लेकर नहीं गई थी, आप खुद गर्म करके पी सकती थी, अब मै रोज सुबह सैर पर जाया करूंगी, तभी तो फिट रहूंगी, आप मुझसे भी पहले उठ जाती है तो आप गर्म पानी करके पी सकती थी और इसमें ज्यादा मेहनत भी नहीं लगती।

शीला की बात सुनकर सास का चेहरा उतर गया, उन्होंने चुप रहने में ही भलाई समझी।

अच्छा, ठीक है, खाने की तैयारी कर लें, मै अंदर जाकर टीवी पर भजन सुनकर आती हूं।

तभी शीला फ्रिज से भिंडी निकालकर देती है, मम्मी जी भजन तो कानों से सुनेंगी तो भिंडी हाथों से काट दीजिएगा।

मम्मी जी, आप नाराज मत होइये, नहीं तो मै अपने आप से नाराज हो जाऊंगी, मुझे खुद को मनाना है, खुश रखना है, बहू के बदले व्यवहार से बीना जी अचंभित थी।

आज सब्जी कटी- कटाई मिल गई तो  शीला का समय बच गया, और बच्चों ने जब कोई चीज ढूंढने को बोला तो उसने कह दिया, अब तुम बड़े हो गये हो, अपनी जिम्मेदारी खुद समझो, अपना सामान ठिकाने पर रखो ताकि समय पर मिल सकें, बच्चों ने‌ वैसा किया और उसने बच्चों को तैयार करके भेज दिया, मनीष के ऑफिस जाते ही वो तैयार हो गई।

बहू, अब इस समय कहां जा रही हो? तुम्हारे पापाजी और मुझे दवाईयां कौन देगा? 

मम्मी जी मै योगा क्लास में जा रही हूं, आपका और पापाजी का नाश्ता कैसरोल में रख दिया है, साथ में दूध आप बना लीजिएगा, और दवाईयां मैंने सुबह ही अलग निकालकर डाइनिंग टेबल पर रख दी है, वो आप ले लीजिएगा। बाकी के काम मै आकर निपटा लूंगी।

शीला ने मन में ठान लिया था, वो अपने आपको फिट कर लेगी, आपकी फिटनेस से आपका स्वास्थ्य जुड़ा रहता है, और आत्मविश्वास भी बढ़ता है। कुछ ही महीनों में शीला ने अपने आप पर ध्यान दिया, व्यस्त गृहस्थी में से स्वयं के लिए समय निकाला, अब वो फिट हो गई थी, और अपने चेहरे और बालों के स्वास्थ्य पर भी ध्यान देने लगी थी,

कुछ ही महीनों में शीला की कायापलट हो गई, बच्चे जो नाराज थे वो भी अब  खुश थे, मनीष का भी प्यार बढ़ गया था, बीना जी पहले उससे नाराज़ रहती थी, पर अब वो भी बहू को मन से सहयोग देने लगी थी।

आज वो जब निशू की स्कूल की पीटीएम के लिए तैयार हो रही थी, तो उसने तैयार होते हुए आईने से कहा, ‘मै अपने आप से नाराज नहीं हूं, मैंने अपने आपको बदल लिया है, मै अब खुश रहती हूं।’

पाठकों, अपने आप से नाराज नहीं रहना चाहिए, थोड़ा समय अपने स्वास्थ्य और अपने आपको देना चाहिए,  शुरू में घरवाले आपसे नाराज रहेंगे, लेकिन बाद में सब सहयोग देने लगेंगे, क्योंकि अपने आपको नाराज करके जो दुनिया को खुश करने में लगे रहते है, वो कभी स्वयं खुश नहीं रह पाते, घर में हर सदस्य को अपना सहयोग करना चाहिए,  अपना काम खुद करना चाहिए, ताकि गृहणियों को स्वयं के लिए समय मिल सकें।

धन्यवाद 

लेखिका 

अर्चना खंडेलवाल

मौलिक अप्रकाशित रचना 

सर्वाधिकार सुरक्षित

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