अब तक आपने पढ़ा…
मनु को उसके अतुल दादा का फोन आता है और वो उसे वापस आने को कहते है….. दूसरी तरफ अनिरुद्ध को डॉ.बिजॉय घोष सम्मानित करते है …
अब आगे…..
पार्टी में अनिरुद्ध और विधि बातें कर ही रहे थे कि…… किसी ने उनके पास आते हुए कहा……” क्या बात है आज तो दिल और दिमाग दोनों की जुगलबंदी हो रही है “
“आइये आप भी शामिल हो जाइए क्योंकि आपके बिना तो हम कहाँ रहेंगे “
( दिमाग इसलिए कहा क्योंकि विधि न्यूरो सर्जन थी और अभी जो आया वो और्थोपैडिक सर्जन था)
अनिरुद्ध ने हँसते हुए कहा और खड़ा हो गया
“मेरे यार बहुत बहुत बधाई हो…. “डॉ.अजय ने अनिरुद्ध को गले से लगाते हुए कहा अनिरुद्ध ने मुस्कुरा कर थैंक्स कहा
डॉ. विधि कैसी हैं आप?
मैं बढ़िया हूँ….
वो आगे कुछ बोलते तभी डॉ. घोष वहाँ आ गए अनिरुद्ध से बोले…. अनिरुद्ध मीट माय डियर फ्रेंड डॉ.अनिकेत
अनिरुद्ध ने उन्हें अभिवादन किया… और उनसे बातें करने लगा
ग्यारह बज चुके थे धीरे – धीरे सब जाने लगे थे…. सबके जाने के बाद डॉ. घोष ने अनिरुद्ध और अजय को भी जाने के लिए बोला … दोनों एक ही बिल्डिंग में रहते थे… तो साथ ही आ गए अजय गाड़ी पार्क करने चला गया
अनिरुद्ध वहीं अपार्टमेंट के गार्डन में रखी हुयी बेंच पर बैठ गया और आसमान की तरफ देखने लगा…. उसके कानों में एक आवाज़ आयी
” अनी जब तुम सर्जन बन जाओगे तब क्या करोगे? “
“क्या करोगे के से क्या मतलब है? सर्जरी करूँगा और क्या?
“तुम तो हार्ट सर्जन बनना चाहते हो ना? “
“हाँ और पहला एक्सपेरिमेंट मैं तुम पर करूँगा “
क्यों??
“क्योंकि मैं देखना चाहता हूँ कि तुम्हारे दिल में क्या है? “
मनु ने तारो भरे आसमान की तरफ देखते हुए कहा ” मुट्ठी भर का दिल है जाने क्या – क्या समेटे हुए है “
“ओहो….शायरी ये भी करती हो तुम “
“नहीं बस ऐसे ही बोल दिया “
“अब चलो ” कहते हुए मनु उठी उसने अपनी चप्पल हाथ में उठाई और छत से नीचे आ गयी
अनी उसे जाते हुए देख रहा था….. मनु ने एक बार पीछे मुड़ कर देखा मुस्कुरायी और चली गयी “
चले…… तभी अजय ने अनिरुद्ध को पुकारा
हम्म अनिरुद्ध ने कहा और उसके साथ चल दिया
*************
मनु फ्लाइट में में बैठ चुकी थी उसने अपना फोन निकाला और अतुल का नंबर मिला दिया….
एक ही रिंग में अतुल ने फोन उठा लिया और बोला
“हाँ मनु बैठ गयी फ्लाइट में? “
” हाँ मैं बैठ गयी…..पापा ठीक हैं ना? “
” हाँ ठीक हैं वो … शायद एक दो दिन में उनको घर आने के लिए बोल भी देंगे “
” हम्म….. आपने सबको बता दिया कि मैं आ रही हूँ?? “
“हाँ…. अतुल ने थोड़ा रुक कर कहा…मनु , अम्मा बहुत नाराज़ है तुमसे.. कुछ कहे तो उनकी बात का बुरा मत
मानना “
” बुरा क्या मानना दादा…सभी नाराज़ होंगे अभी मैं फोन रखती हूँ बाक़ी बातें आ कर करूँगी “
“ठीक है … यात्रा शुभ हो तुम्हारी “
“थैंक यूं दादा “
मनु ने स्टेला को मेसेज किया अपने फोन को पर्स में रखा और दोनों आँखों को बंद करके सीट पर सिर टिका लिया….
मनु सात साल बाद अपने घर जा रही थी…अट्ठारह घंटे का लम्बा सफ़र था……उसने इतने सालों में जो बीत गया उसे कभी याद नहीं किया या कहे कि याद करने की कोशिश नहीं की …. यादें उसे कमज़ोर कर देती शायद यही सोच कर उसने ऐसा किया ……कितना कुछ छोड़ आयी वो….. अपना बचपन…अम्मा, पापा, माँ, भाभी ,भाई और ,…अनी
फ्लैश बैक……
सुबह वक़्त था….माँ माँ….. चिल्लाते हुए मनु घर के अंदर आयी ….
“आ गयी तूफान मेल ” अम्मा ने मन में ही कहा जो पूजा की थाली हाथ में लिए वो कुछ भगवान् की स्तुति किए जा रही थी….
मनु ने घर के अंदर जैसे ही कदम रखा अम्मा ने कहा -” खबरदार जो तू मेरे पास आयी तो मैं पूजा कर लूँ फिर आना “
मनु आँखों को मटकाते हुए धीरे – धीरे अम्मा के पास जाने लगी….. “देख मनु वहीं खड़ी रह बिलकुल पास में मत आना मेरे…. “
” अम्मा सुने तो… “
“”कुछ नहीं सुनना मुझे ….और वो ज़ोर से बोली बहुरिया रोको इसे “
“”मनु “तभी पीछे से उसकी माँ मालती ने पुकारा
मनु ने अम्मा को देख कर बुरा सा मूहॅ बनाया और पीछे मालती की तरफ देखा
माँ ,….
मनु चलो हटो वहाँ से पूजा कर रहीं है अम्मा….
मनु ने अपने कदम पीछे किए फिर थोड़ा आगे बढ़ कर उसने अम्मा को छू दिया….और भागते हुए सीढ़ियों की तरफ चली गयी…
मालती और अम्मा दोनों उसे मूहॅ खोल कर देख रहीं थी अम्मा का ध्यान टूटा और वो चिल्लाने लगी …. ” हाय सत्यानाश हो जाए अभी तो मैं नहा कर आयी थी अब फिर से नहाना
पड़ेगा.. “
“ओहो अम्मा क्या है ज़रा सा छुआ ही तो है.. उसी जगह पानी डाल लो हो गया … ये रामेश्वर जी थे मनु के पिता जो चेयर पर बैठे हुए सब देख रहे थे और हँसे जा रहे थे…. “
“हँस लो…अरे तुम सब ना….. जाने दो.”. कहते हुए अम्मा अपने कपड़े लेकर बाथरूम में चली गयी
मालती ने कहा “-क्या आप भी जब देखो तब अम्मा को चिढ़ाने में लगे रहते है एक तो ये मनु है और दूसरे आप क्यों आप अम्मा को परेशान करते है?? “
“ओहो हमारी धर्मपत्नी जी शांत हो जाए अच्छा सॉरी..”..कहते हुए रामेश्वर जी ने अपने कानों पर हाथ रख लिया ये देख कर मालती कुछ झेंप गयी ….
तभी मनु आ गयी उसके हाथ में एक कार्ड जैसा था और वो उसे पंखे की तरह हिला रही थी …
रामेश्वर जी ने कहा – “और रिज़ल्ट कैसा रहा? “
“क्या पूछना पापा हमेशा वाला ही होगा….” कमरे में से अतुल ने आते हुए कहा
“पापा वो ऐसा है कि मेहनत तो मैंने बहुत की थी तो….. “
तो..?? रामेश्वर जी ने कहा
मनु ने, सांस भरते हुए कहा…. तो हमने टॉप किया है “
एक पल को रामेश्वर जी ने उसकी तरफ देखा और बोले क्या… टॉप किया है तुमने ??
हाँ.. हमेशा की तरह मनु ने अपने टॉप का कॉलर उठाते हुए बोला
“शब्बाश….. इधर आओ मनु के पास जाने पर उन्होंने उसे गले से लगा लिया….congratulatios
“थैंक यू पापा….. “
अतुल ने कहा – “कौन सी नयी बात है अभी तक तो हर क्लास का ये ही रिज़ल्ट रहा है इसका “
मनु ने कहा – “हाँ तो मैं आपके जैसी हूँ…. टॉपर” और वो खिलखिला कर हँस दी…
“खुशखबरी सुना दीअच्छा मैं चली…..कहते हुए मनु सीढ़ियों की तरफ दौड़ गयी….
“कुछ खा तो लो “- मालती ने बोला
“खा लूँगी….. अभी आती हूँ थोड़ी देर में “
मालती, रामेश्वर जी और अतुल उसकी इस बात पर मुस्कुरा दिए….
रामेश्वर जी बोले – “ये कभी पढ़ती हुयी दिखायी तो देती नही हमेशा तो इधर – उधर शरारत करती घूमती है.. टॉप कैसे कर लिया इसने…और कहाँ गयी ये? “
“कहाँ जायेगी…..मुल्ला की दौड़ मस्ज़िद तक “मालती ने कहा
रामेश्वर जी मुस्कुरा दिए …. और बोले अच्छा हमें दे नाश्ता हमें भी निकालना है..
मालती किचन में चली गयी ..
मनु ऊपर छत से होती हुयी दूसरी छत पर उतर गयी और सीढ़ियों से ऊपर वाले कमरे में गयी….. उसने दरवाज़ा खोला और अपना रिपोर्ट कार्ड वहाँ चेयर पर बैठे हुए एक लड़के के सामने हिलाने लगी…..
उस लड़के ने उसका हाथ पकड़ा और रिपोर्ट कार्ड उसके हाथ से लिया और उसे देखने लगा……. मनु उसे देख रही थी और मुस्कुरा रही थी… उस लड़के ने मुस्कुरा कर कहा – वाह बधाई हो….
मनु ने मुस्कुराते हुए थैंक्स कहा और अपना एक हाथ उसकी तरफ बढ़ा दिया
“क्या”?? उस लड़के ने पूछा
“चाबी ” मनु ने कहा
“लेकिन बात तो पूरे मार्क्स की हुयी थी ना मैथ्स में आधा नंबर कम है पूरे पचास नहीं हैं “
“आधा भी पूरा गिना जाता है चलो चाबी निकालो फटाफट… मैंने अपना प्रॉमिस पूरा किया ” मनु ने कहा
उस लड़के ने चेयर पर, से उठते हुए कहा “नहीं…. पचास पूरे नहीं है तो चाबी नहीं मिलेगी “
मनु मुस्कुरायी उसने एक बार उसकी तरफ देखा और बोली अच्छा नहीं मिलेगी?? उसने टेबल पर रखा हुआ मोबाइल उठाया और नीचे भागते हुए बोली” तो ये मोबाइल तुम्हें नहीं मिलेगा…. “
“मनु…. दे मेरा मोबाइल “
मनु भागते हुए ही बोली “चाबी दो तब मिलेगा मोबाइल.”.. और भागते -भागते नीचे आ गयी…..
“नहीं देगी रुक तुझे अभी बताता हूँ कहते हुए वो लड़का भी नीचे उतर रहा था
मनु नीचे पहुँची तो दीनदयाल जी बाहर जा रहे थे मनु ने उन्हें पकड़ा और उनके पीछे छुप गयी..
“मनु दे मेरा मोबाइल..”. उस लड़के ने फिर कहा और दीनदयाला के आगे पीछे दोनों चक्कर काटने लगे
“अरे अरे क्या हुआ ये क्या कर रहे हो तुम दोनों.”.. दीनदयाल जी ने कहा
काका… “ये मुझे चाबी नहीं दे रहा…. “
“हाँ तो क्यों दूँ… बात तो पूरे पचास नंबर की हुयी थी…”.. कहते हुए उसने एक हाथ मनु की तरफ बढ़ाया… मनु पीछे हो गयी और भाग कर किचन में चली गयी जहाँ सुमित्रा दीनदयाल जी की पत्नी खाना बना रही थी…..
मनु ने कहा ” काकी अपने बेटे से मुझे बचाए …
सुमित्रा जो तवे पर पराठा सेक रही थी हाथ में पकड़ी हुए पलटे को लेकर उस लड़के से बोली…” अनी क्या है? क्यों परेशान कर रहा है इसको”??
“मम्मी मोबाइल नहीं दे रही मेरा ” उसने कहा
“नहीं दूँगी… काकी इसने मुझसे कहा था जब अच्छे नंबर आयेंगे तो ये मुझे स्कूटी चलाना सिखायेगा…… और मैंने टॉप किया है पूरे स्कूल में लेकिन ये है की मैथ्स में आधे नंबर को लेकर बैठ गया है और चाबी नहीं दे रहा “”
“नहीं दूँगा चाबी”
“तो नहीं मिलेगा मोबाइल भी “
“अरे….. सुन रहे है देखिए ज़रा इन दोनों को मुझे बाउजी और अम्मा को नाश्ता देना है और ये दोनों मुझे परेशान कर रहे है…. “
दीनदयाल जी ने किचन में जा ही रहे थे कि किसी ने कहा – “ये क्या शोर मचा रखा है कोई मुझे पूजा करने देगा?? “
ये थी दीनदयाल जी की माताजी कल्याणी… उन्होंने एक नज़र दीनदयाल को देखा और फिर आंगन में लगे हुए तुलसी के पौधे को जल चढ़ाने बढ़ गयी….
बरामदे में एक आराम कुर्सी पर दीनदयाल जी की पिताजी विषम्भर जी हँस रहे थे …कल्याणी उन्हें हँसते हुए देख कर गुस्से में ज़ोर -ज़ोर से घंटी बजा रहीं थी… और आरती करे जा रहीं थी… उनकी आरती ख़तम हुयी तो उन्होंने तुलसी के हाथ जोड़े और कमर पर हाथ रख कर उनकी तरफ जा ही रही थी की मनु किचन में से बाहर आयी और विषम्भर जी की कुर्सी के पीछे चली गयी….
” मनु देती है कि नहीं मेरा मोबाइल “
“नहीं… “
“अच्छा ठीक है ये ले चाबी और मोबाइल दे मेरा अनी ने हाथ बढ़ाते हुए कहा “
“पहले चाबी “मनु ने कहा
“एक हाथ दे एक हाथ ले “अनी ने अपनी आइब्रो ऊँची करते हुए कहा
मनु विषम्भर जी के पीछे से निकल कर आयी और अनी को मोबाइल देने के लिए हाथ आगे किया और दूसरा हाथ उसके सामने बढ़ा दिया… अनी ने भी वैसा ही किया
मनु ने उसका मोबाइल दिया और अनी ने उसे चाबी
“तो हो गया झगडा शांत???मनु पराठा खायेगी??तेरी पसंद का बनाया है तीखा वाला .. “
“हाँ काकी बिलकुल खाऊँगी “मनु ने सुमित्रा के हाथ से प्लेट ले ली और वही रखी हुयी कुर्सी पर बैठ गयी….
“अरे भाई मनु ने टॉप किया है सिर्फ पराठे से उसको बधाई दोगी क्या मूहॅ मीठा कराओ इसका “… दीनदयाल जी ने कहा
“जी बिलकुल क्यों नहीं कहते हुए खीर की कटोरी सुमित्रा ने मनु को दी और उसमे से एक चम्मच उसको खिलाते हुए बोली – बधाई हो मनु”
“थैंक यू काकी … “
नाश्ता कर के मनु सीढ़ियों की तरफ जाने लगी तो कल्याणी ने कहा “ऊपर कहाँ जा रही हो ?? “
“घर जा रही हूँ ..”. मनु ने कहा
“अरे कभी तो दरवाज़े से आया जाया करो…. “
“अम्मा इतना घूम कर क्यों दरवाज़े से आऊँ जब शॉर्टकट रास्ता है…. ” और हँसते हुए वो चली गयी
विषम्बर जी बोले “कुछ भी कहो मनु के आने से रौनक आ जाती है पूरे घर में “
उनको तीखी नज़रों से देखते हुए कल्याणी ने कहा ” काहे की रौनक सारा घर सिर पर उठा लेती है ये लड़की और पहनावा देखा है इसका… हमेशा जीन्स टॉप पहने रहती है और सारे काम इसको लड़कों वाले करने है …..पूरे दिन इधर उधर कूदती रहती है….. ऐसा ही रहा ना तो कोई ब्याह नहीं करेगा इस से यहीं रहेगी ये “
“कोई करे ना करे ब्याह अम्मा ये अनी है ना मैं इसी से कर लूँगी शादी…” वो मैं अपनी चप्पल भूल गयी थी तो मैंने आपकी बात सुन ली …. कहते हुए वो अपनी चप्पल हाथ में उठा कर सीढ़ियों की तरफ दौड़ गयी
देख लो कोई लाज शर्म है इसको पागल लड़की… कल्याणी ने मूहॅ बनाते हुए कहा
कल्याणी बोले जा रही थी लेकिन अनी को आज मनु की बात से कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था
“मैम…. व्हाट विल यू लाइक टू हैव??” एयर होस्ट्रेस् की आवाज़ से मनु की आँख खुल गयी
उसने फिर पूछा -” मैम व्हाट विल यू लाइक टू हैव ? “
“वन कॉफी विद लेस शुगर “
ओके मैम.. एयर होस्ट्रेस् ने मनु को कॉफी दी और चली गयी !!
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धन्यवाद
स्वरचित
काल्पनिक कहानी
अनु माथुर
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