मनमुटाव – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

जयराम सुबह बैठक में बैठकर पेपर पढ़ रहे थे और सुवर्णा के हाथों की बनी चाय का इंतज़ार भी कर रहे थे । उसी समय उनकी छोटी बेटी मीरा धड़धड़ाते हुए अंदर घुस कर मम्मी मम्मी की रट लगाते हुए रसोई में घुस गई

अंदर से दोनों माँ बेटी के बातें करने की आवाज़ें सुनाई दे रही थी ।

जयप्रकाश जी को लगा अब तो चाय मिलने से रही इसलिए चप्पल पहनकर सीधे गली के अंत में जो छोटी सी चाय की दुकान है वहाँ जाकर चाय पीते हुए मीरा के बारे में सोचने लगे ।

उनकी दो लड़कियाँ हैं बड़ी लड़की माला और दूसरी लड़की मीरा । दोनों को उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करवाई थी । वे खुद एल आई सी में नौकरी करके पिछले साल ही रिटायर हुए थे । उन्होंने रिटायर होने के पहले बड़ी बेटी की शादी करवा दी थी । मीरा की शादी को हुए अभी छह महीने ही हुए हैं ।

बड़ी बेटी अपने पति के साथ बैंगलोर में रहती है । उनका छोटा परिवार सुखी परिवार है । दो बच्चों के साथ दोनों नौकरी करते हुए अपने आप में संतुष्ट हैं ।

मीरा शहर में ही रहती है अपनी माँ की लाड़ली है इसलिए आए दिन पति के साथ मनमुटाव होने के कारण मायके आकर माँ से पति की शिकायत करती रहती है । उसका पति विशाल सीधा सादा अपने माता-पिता का अकेला पुत्र है । माता-पिता गाँव में रहते हैं । उसकी सरकारी नौकरी होने के कारण वह हैदराबाद में ही रहता है।

इसका ही फ़ायदा उठाकर मीरा आए दिन विशाल से लड़ झगड़कर माँ के पास आ जाती है।

उनका यह मनमुटाव शादी के बाद हनीमून पर ही शुरू हो गया था । मीरा हनीमून के लिए अमेरिका जाना चाहती थी । विशाल ने कहा कि हमारे इंडिया में भी बहुत सारे जगह देखने के लिए हैं पहले वहाँ चलते हैं लेकिन उसने विशाल की बात को अनसुना करके माँ से अमेरिका के लिए टिकट खरीदवा लिया ।

विशाल ने कहा कि अभी हमने ठीक से डिसाइड भी नहीं किया है कि हम कहाँ जाएँगे तुमने माँ से कहकर अमेरिका के टिकट खरीदवा लिया है । उन्हें पैसे वापस कर दो मुझे अच्छा नहीं लगता है ।

मीरा ने उसकी बातों को सुनकर कहा कि कोई बात नहीं है उन्हें पैसे देने की ज़रूरत नहीं है । मैं माँ से कहकर टिकट नहीं करवाती तो तुम मुझे आसपास कहीं ले जाकर निपटा लेते थे।

हनीमून से जैसे ही हैदराबाद पहुँचे सुवर्णा कार लेकर एयरपोर्ट पहुँच गई थी ।

विशाल ने कहा कि माँ हम अपने घर चले जाते हैं। मेरे माता-पिता घर पर ही हैं । हमारे साथ थोड़े दिन बिताकर वे गाँव वापस चले जाएँगे । 

सुवर्णा ने कहा कि मैंने आप लोगों के लिए खाना बनवाया है साथ ही मीरा थक गई होगी थोड़ी सी रेस्ट कर लेगी । विशाल ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और अपने घर चला गया था ।

सुवर्णा बेटी को लेकर घर के अंदर आई तो मैंने कहा कि मीरा तुम्हें तुम्हारे ससुराल जाना चाहिए था यहाँ क्यों आ गई हो ? उसका जवाब सुवर्णा ने दिया था कि वह थक गई है रेस्ट करके शाम को जाएगी ।

मेरी बात का मान रखकर शाम को वह वहाँ चली गई थी । वहाँ भी वह काम नहीं करती थी रोज देर से उठना सहेलियों के साथ शापिंग पर जाना माँ से घंटों फोन पर बात करना यही काम था । सास ससुर दो चार दिन रहकर गाँव चले गए थे ।

हम सोच ही नहीं सकते हैं कि इनके घर में शांति का निवास होगा । आज फिर से यहाँ आ धमकी है क्या हुआ होगा कि बेचारा विशाल उस पर दया आती है ।

मैंने कितनी ही बार सुवर्णा को समझाया है कि माला के समान संस्कार मीरा को दे तुम्हारे लाड़ प्यार से उसकी ज़िंदगी बर्बाद हो जाएगी पर उसके कान पर जूं तक नहीं रेंगती है । अब जाकर देखना है घर का क्या माहौल है सोचते हुए घर की तरफ़ बढ़ते हैं ।

उनके घर पहुँचते ही उन्होंने सुना सुवर्णा मीरा से कह रही थी कि कोई बात नहीं है मीरा आज हम डिनर बाहर कर लेते हैं ।

तेरे पति को फ़ुरसत नहीं है तो क्या हुआ मैं हूँ ना।

जयप्रकाश को उनकी बातों से यह पता चला कि सास ससुर के जाने के बाद मीरा घर में बोर हो रही थी तो उसने विशाल से कहा था कि हम मूवी देखकर बाहर डिनर करके आएँगे ।

लेकिन उसने काम का बहाना बना दिया है । इसी बात पर मेरी बिटिया घर आ गई है । माँ तो उसे शह दे ही रही थी ।

उधर विशाल ने सोचा कि मूवी नहीं देख पाए तो क्या हुआ डिनर पर मीरा को ले जाता हूँ और वह घर पहुँच गया देखा तो घर में मीरा नहीं दिखी । उसे फ़ोन किया तो मीरा ने बहुत ही आराम से कह दिया था कि जब मैंने आपसे बाहर ले जाने की बात कही तो आपने काम का बहाना बना दिया था।

मेरी माँ ही है जो मेरी कोई भी बात नहीं टालती है । इसलिए मैं और माँ डिनर के लिए बाहर आए हुए हैं । आप सुबह का दाल चावल बचा है गरम करके खा लीजिए ।  माँ मुझे घर पर छोड़ देगी ।

विशाल को बहुत ग़ुस्सा आता है और वह बिना खाना खाए सो जाता है ।

मीरा रात को डिनर के बाद घर पहुँच कर सो जाती है । विशाल सुबह ऑफिस के लिए तैयार हो गया और जैसे ही जाने के लिए निकलने वाला ही था कि मीरा ने कहा कि विशाल रुक जाओ मेरी तबियत ठीक नहीं है  मुझे वामटिंग हो रही है सिर घूम रहा है ।

 विशाल ऑफिस में फ़ोन कर देता है कि वह देर से आएगा और मीरा को लेकर अस्पताल पहुँच जाता है ।

वह घबरा गया था कि कल बाहर खाकर आई है उसका साइड इफ़ेक्ट तो नहीं है । डाक्टर ने बताया कि घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है खुशी की बात ही है आप पिता बनने वाले हैं । विशाल यह सुनकर बहुत खुश हो गया । मीरा उदास थी पता नहीं क्यों । घर पहुँचते ही मीरा ने विशाल से कहा कि मुझे अभी से बच्चा नहीं चाहिए है । मैं इसे गिरा देना चाहती हूँ ।

विशाल ने कहा कि ऐसे कैसे हो सकता है । मीरा मैं तुम्हारी मदद करूँगा तुम्हें बिल्कुल तकलीफ़ नहीं होने दूँगा। उसने विशाल की एक नहीं सुनी और कहा कि मैं अस्पताल जा रही हूँ तुम मेरे साथ आओगे तो ठीक है वरना मैं जा रही हूँ । उसने माँ को फोन करके सारी बातें बताईं । माँ ने कहा कि मैं तुम्हारे साथ हूँ तुम्हें डरने की ज़रूरत नहीं है । तुम अस्पताल पहुँचो मैं भी वहीं पहुँचती हूँ ।

विशाल को समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूँ । उसने जयप्रकाश जी को फोन किया और सारी बातें बताईं । पापा मैंने सोचा था कि हमारे बीच के जो छोटे मोटे मनमुटाव  हैं वे धीरे-धीरे ख़त्म हो जाएँगी परंतु अब तो हद हो गई है मैंने तो कभी नहीं सोचा था कि वह अपने ही बच्चे को जन्म से पहले ही मार देगी ।

जयप्रकाश जी ने सारी बातें सुनकर कहा कि विशाल को सांत्वना दी ।

मीरा अस्पताल से घर पहुँच गई थी । वह विशाल के फोन का इंतज़ार कर रही थी । विशाल का फोन तो नहीं आया परंतु उसके कमरे में जयप्रकाश जी पहुँच गए और मीरा के सर पर हाथ रखकर कहा कि मुझे मालूम है कि तुम विशाल से बहुत प्यार करती हो और उसे छोड़ना नहीं चाहती हो जाओ उससे माफ़ी माँग लो

और अपने रिश्ते को बचा लो वरना वह ऐसा वैसा कदम उठाता है तो बाद में पछताना पड़ेगा । सुवर्णा कुछ कहती उसके पहले उन्होंने उसका मुँह बंद कर दिया। मीरा ने भी माँ की एक नहीं सुनी और भागते हुए अपने घर पहुँच कर देखती है कि विशाल ऑफिस चला गया है ।

वह सीधे ऑफिस चली जाती है उससे मिलने के लिए वह मिलता तो है परंतु कह देता है कि अब मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकता हूँ प्लीज़ कल तलाक के पेपर भेज देता हूँ हस्ताक्षर कर देना अभी मुझे अर्जेंट मीटिंग है मैं जा रहा हूँ ।

मीरा उसके कमरे में ही बैठकर रोते हुए कहती है कि मैं बहुत बुरी हूँ विशाल मैंने तुम्हारे साथ गलत किया है । मुझे माफ कर दो ।

विशाल बाहर जाकर जयप्रकाश जी को फोन पर कहता है कि मीरा बहुत रो रही है । मुझे उसे रोते देख कर अच्छा नहीं लग रहा है । आपने कहा था कि उसे जल्दी से माफी नहीं देना इसलिए मैं मीटिंग का बहाना करके बाहर आया हूँ ।

जयप्रकाश जी ने समझाया कि देखो विशाल मीरा को कोई भी वस्तु आसानी से मिल जाती है तो उसकी कद्र नहीं करती है । इसलिए दो दिन थोड़ा सा उसे सताओ फिर देखना तुम्हें छोड़कर जाने की बात सपने में भी नहीं सोचेगी ।

विशाल सीधे घर आ गया था । उसने बाहर से खाना भी मँगवा दिया था और मीरा का इंतज़ार कर रहा था । मीरा ने देखा कि ऑफिस खाली हो रहा है।  विशाल की कोई ख़बर नहीं मिली तो वह घर पर पहुँच गई । विशाल को घर में देखा और उससे बात करने पहुँची तो विशाल नींद का बहाना बनाकर वहाँ से चला गया ।

दो दिन बाद मीरा ने उसे ऑफिस जाने नहीं दिया और उसके सामने बैठकर अपनी सारी ग़लतियों के लिए माफी माँग कर फिर ना करने की कसम खाई ।

विशाल ने उसे माफ कर दिया था । उसने पहले से ही प्लान बनाकर रखा था तो दो दिन के लिए वे बाहर जाकर घूम फिर कर आए । इस तरह पिता ने अपने दामाद और बेटी की बिखरती हुई ज़िंदगी को सँवार दिया था ।

के कामेश्वरी

#मनमुटाव

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