रिया ने चटाक एक जोरदार थप्पड़ आशु को लगा दिया। आशु जोर से रोने लगा। तभी नीलू वहां आई और बच्चे को गोद में उठा चुप कराने लगी और प्रश्न भरी निगाहों से ननद रिया की ओर देखा।
गुस्से में रिया चिल्लाकर बोली देखो भाभी आशु कितना शैतान हो गया है इसने मेरे चिन्टु को धक्का देकर गिरा दिया।
नीलू कुछ नहीं बोली केवल आँखो में आंसू लिए बच्चे के गाल को सहलाती रही उसे चुप कराती।
तभी बच्चे की रोने की आवाज और रिया का चिल्लाना सुनकर आकाश भी वहाँ पहुंच गया और रिया से पूछा क्या हुआ है रिया तुम इतना चिल्ला क्यों रही हो। और आशु को क्या हुआ।
रिया फिर गुस्से में बोली देखो भैया आशु कितना बिगड़ गया है उसने मेरे चिन्टु को धक्का देकर गिरा दिया।
तो रिया इसमें इतना चिल्लाने कि क्या बात है।
बच्चे हैं लड झगड़ कर शांत हो जायेंगे ये मेरा चिन्टु कहाँ से आगया। क्या चिन्टु सेहमारा कुछ नहीं है या आशु तुम्हारा कुछ नहीं है जो तुम आज तेरा- मेरा कर रही हो। तभी उसने आशु को देखा उसके गाल पर रिया की उंगलियों के निशान छपे थे। रिया तुमने आशु को इतने जोर का थप्पड़ मारा।
रिया का गुस्सा अभी भी शान्त नहीं हुआ जोर से बोली हाँ भैया इतना भी नहीं मारा है आप तो उसकी ही तरफदारी करेंगे ना।
आकाश बोला रिया आज तुन्हें क्या हो गया है ये क्या मेरा तुम्हारा, तरफदारी लगा रखा है ।
आवाजें सुनकर, मम्मी-पापा भी वहाँ आ गए उनकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि क्या हो गया है। मम्मी ने रिया से पूछा क्या हो रहा है। कोई कुछ नहीं बोला।आखिर कोई कुछ बोलेगा कि क्या हुआ है पापा बोले।
रिया तुम बोलती क्यों नहीं क्या हुआ है, मम्मी बोलीं।
मम्मी आशु ने चिन्टु को धक्का देकर गिरा दिया तो मैंने उसे थप्पड लगा दिया बस इसी बात पर भैया नाराज हो रहे हैं।
पर बच्चे को थप्पड लगाने कि जरूरत क्या थी उसे समझा भी तो सकती थी इतने छोटे बच्चे को पापा ने कहा।
रिया बोली मुझे मालूम था यहां मेरी बात कोई नहीं सुनेगा ,सब भैया – भाभी की ही तरफदारी करेंगें। मैं तो पराई हूँ न ।
भैया बोले रिया तुम बात को कहाँ से कहाँ ले जा रही हो ।इसमें अपने पराये की बात कहां से आ गई तू गलत करेगी तो क्या हम तुझे टोक भी नहीं सकते, पराया तो तू हमें समझ रही है। इतनी सब वार्ता के बीच नीलू चुपचाप बैठे आंसू बहाती रही एक शब्द नहीं बोली।
मम्मी-पापा भी चुप हो गए क्या करें किससे बोलें ।एक तरफ बेटे-बहू हैं तो दूसरी तरफ व्याहता बेटी। जिसको भी समझाने की कोशिश करेंगें वहीं दूसरा समझेगा कि हम उसी को प्यार करते हैं, जबकि हमारे लिए दोनों बच्चे बराबर हैं
पापा बोले नीलू बेटा तुम आशु को लेकर अपने कमरे में जाओ और उसे कुछ खिलाओ ,बहलाओ।
रिया तुम चिन्टु को लेकर जाओ और उसे ठीक से सम्हालो। बच्चे हैं, छोटे हैं, वे अभी कुछ नहीं समझते लड पड़े तो क्या हुआ अभी थोड़ी देर में सब भूल कर एक हो जायेंगे और फिर साथ खेलने लगेंगे । हम बड़ों को बच्चों के बीच नहीं बोलना चाहिए । बच्चों को समझा कर अलग कर देना चाहिए न कि ऐसा कदम उठाना चाहिए जो आज रिया ने उठाया। रिया बेटा मैं तुमसे उम्मीद करता हूं कि भविष्य में तुम ऐसा दुबारा नहीं करोगी।
रिया गुस्से से बोली हां पापा में अच्छी तरह समझ गई कि इस घर में अब मुझे बोलने का कोई अधिकार नहीं है। अब ये घर तो भैया-भाभी का है आप तो उन्हीं की तरफ बोलोगे क्योंकि आपको उनके साथ रहना जो है।
आकाश बस करो रिया तुम पापा से कैसे बात कर रही हो तुम्हे हो क्या गया है आज छोटे- बड़े का लिहाज भी भूल गई। तुम्हें हमने कब पराया समझा है आज तुम्हारी शादी को आठ साल हो गए कभी घर में किसी बात पर रोक-टोक की गई है। बच्चे आते हैं क्या कभी आपत्ति की गई है। सब साथ खेलते है खाते हैं किसी ने कुछ कहा ।नीलू और तुम ननद भाभी कम बहनों की तरह प्यार से रहती हो हम सब इस बात से कितने खुश थे, किन्तु आज तुम्हें हो क्या गया है। गुस्से में अंधी हो यही भूल गई कि बड़ों से कैसे बात करनी है।
मम्मी बोली रिया अब चुप भी हो जा बात खत्म कर जितना बढायेगी बढती जाएगी बेटा अब शांत हो जा चल कमरे में चल। नहीं मम्मी आज में अब सब समझ गई हूं यहाँ अब मेरा कोई नहीं है न अब ये मेरा घर है ।रहो आप सब चैन से में जा रही हूं अब कभी नहीं आऊंगी कह कर उसने चिन्टु एवं विनी का हाथ पकड़ा और अपने कमरे में ले गई। अपने कपडे बैग में डाले और जाने लगी।
आकाश रिया ये तू अच्छा नहीं कर रही है मेरी बहन ऐसा कुछ भी नहीं है जैसा तू सोच रही है, शांत होकर बैठ सब तेरी समझ में आ जाएगा ऐसे कहीं नहीं जाएगी।
तभी नीलू सबके लिए पानी एवं चाय ले कर आई। रिया पानी पीकर शांत हो जाओ चाय पिओ अब जो हो गया सो हो गया भूल जाओ।
नहीं भाभी में कभी नहीं भूल सकती । अब में इस घर का पानी भी नहीं पियूंगी ।
मम्मी रिया आज तू पागल हो गई है क्या कैसी बातें कर रही है। परिवार में तो आपस में ये सब चलता रहता है। तुम और नीलू तो कितने प्यार से रहती हो फिर आज ऐसा क्या हो गया जा तू इस तरह घर छोड कर जा रही है।
पर आज रिया पर ग़ुस्सा इतना हावी था कि उसने किसी की भी बात नहीं सुनी और बच्चों को लेकर चली गई। उस बात को लेकर आज दो वर्ष हो गए। आज अतीत में घटीत घटना चलचिल की भाँति उसकी आंखों के सामने घूम रही थी। आज उसे अपनी गल्ती नजरआ रही थी । सबका समझाना भी याद आ रहा था, किन्तु उसे अपनी जिद भी याद आ रही थी। कितनी बार मम्मी-पापा, भैया -भाभी ने बुलाया उसे समझाया पर वहअपनी ज़िद पर अड़ी रही और नहीं गई । बच्चे भी सबको कितना मिस करते चलने को कहते किन्तु उन्हें डॉट कर चुप करा देती। उसके पति करण ने भी समझाया ऐसे छोटी सी बात पर रिश्ता खत्म नहीं करते किन्तु वह नहीं मानी ।
आज उसे बहुत याद आ रहे थे वे प्यार भरे दिन नीलू भाभी के साथ बिताये वे सुखद पल ।करण की नौकरी इसी शहर में होने के कारण वह चाहे जब मायके आ जाती। बच्चों को मम्मी-पापा के पास छोड दोनों शॉपिग, बाजार के अन्य काम कर आती कोई चिन्ता नहीं रहती थी। दोनों में कैसा बहनों सा प्यार था। बाहर भी घूमने फिरने दोनों परिवार साथ जाते थे । बच्चों के बीच कोई तेरा मेरा का भाव नहीं था । फिर उस दिन उसने दो पल के गुस्से में आशु को कैसे थप्पड़ मार दिया। कैसे पूरे परिवार को गलत ठहराकर वहां से चली आई। कैसे प्यार भरा रिश्ता बिखर गया। दो साल कैसे बिताए हैं उन लोंगों के बिना किन्तु मेरा अहम हमेशा आडे आ गया और मैं उन लोगो से मिलने नहीं गई। ऐसी भी क्या ज़िद जो अपनों से ही दूर दे। अब में और नहीं रुक सकती जाकर सबसे अपनी गल्ती की माफी मांग कर अपने बिखरे रिश्ते को संवार लूंगी।
शिव कुमारी शुक्ला
#दो पल के गुस्से से प्यार भरा रिश्ता बिखर जाता है