hindi stories with moral :
थोड़ी देर बाद कैलाश जी और सरला जी भी अस्पताल आये उन्हे ये उम्मीद थी की अब तक तो मीनाक्षी को होश आ गया होगा पर उन्हे निराशा ही हाथ लगी।
तभी केशव अनिता जी के पास से उठा और मीनाक्षी के कमरे के बाहर पहुंचा।
” मीनू तुम मेरी गलती की सजा इस तरह दोगी मुझे , पर ये बताओ तुम्हारे मम्मी पापा और भाई की क्या गलती है । देखो तुम्हारा परिवार तुम बिन कितना अधूरा है , मेरे लिए ना सही उनके लिए आँखे खोलो । मुझे जैसे इंसान के लिए मत सबको दर्द दो । मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ मीनू । तुम्हे याद है जब उस दिन अपने दोस्तों से साथ हमने पार्टी की थी तब मुझे एहसास हुआ कि शायद तुमने मुझसे शादी करके गलती की है । बस वही एक पल था मैं खुद को तुमसे हीन समझने लगा । ये हीनता मुझपर इस कदर हावी हुई कि मैं जिससे सबसे ज्यादा प्यार करता था उसे ही दर्द देने लगा । और वो दर्द इस कदर बढ़ गया कि आज तुम इस हाल मे पहुंच गई। पर मेरा यकीन करो मीनू मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ माना मैं बहुत बुरा हूँ पर फिर भी मेरे प्यार के लिए ठीक हो जाओ , अपने घर वालों के लिए ठीक जाओ । अगर तुम्हे कुछ हो गया तो मैं जिंदगी भर खुद की माफ़ नही कर पाऊंगा ना ही तुम्हारे और मेरे घर वाले मुझे माफ़ करेंगे ।” केशव रोता हुआ बोला । हालाँकि वो जानता था मीनू तक उसकी आवाज़ नही जा रही पर फिर भी वो खुद को रोक नही पा रहा था ।
इधर मीनाक्षी वैसे तो बेहोश थी पर बेहोशी मे भी मानो उसे सबकी पुकार सुनाई दे रही थी । माता पिता का तड़पना , माधव का बिलखना सब महसूस कर रही थी वो ।
” मीनाक्षी तू इतनी स्वार्थी कैसे हो सकती है कि एक इंसान के लिए अपने परिवार से भी मोह नही रहा तुझे । देख वो लोग कैसे तड़प रहे है तेरे बिन । क्या हुआ जो तेरा प्यार का रिश्ता टूट गया इसका मतलब ये तो नही कि तू अपने माता पिता के प्यार को भूल जाये। केशव से तेरा रिश्ता टूटा है पर अपने घर वालों से तो रिश्ता अटूट है तेरा उसे कैसे तोड़ सकती है तू तूने सोचा है तेरे बिना तेरे माँ बाप क्या जी पाएंगे नही मर जाएंगे वो भी !” मीनाक्षी के दिल की आवाज़ उसको सुनाई दी ।
” नही …पापा मम्मी !” अचानक कराहती हुई मीनाक्षी के मुंह से धीरे से निकला ।
” डॉक्टर पेशेंट को होश आ रहा है !” नर्स ने पास खड़े डॉक्टर से कहा। डॉक्टर ने मीनाक्षी की जाँच की।
” गुड ! लगता है सबकी कोशिशे रंग लाई । मीनाक्षी कैसा लग रहा है अब आपको ?” डॉक्टर ने पूछा।
” मैं ठीक हूँ । पर मेरे मम्मी पापा ?” धीरे धीरे मीनाक्षी ने पूछा ।
” सब यही है आप सबसे मिल पाएंगी पर अभी आपको आराम की जरूरत है !” ये बोल डॉक्टर कुछ जरूरी हिदायते नर्स को दे बाहर आये।
” डॉक्टर अब कैसी है वो !” सुरेंद्र जी ने पूछा।
” आपकी दुआएं और हमारी कोशिश रंग लाई। उसे होश आ रहा है अब चिंता की कोई बात नही हालाँकि अभी भी उन्हे icu मे ही रहना पड़ेगा ।” डॉक्टर ने कहा।
“क्या हम उससे मिल सकते है !” अनिता जी ने पूछा ।
” जी अभी नही अभी इन्फेक्शन का डर है इसलिए आप सिर्फ उसे देख सकती है दूर से बस !” डॉक्टर ये बोल चला गया । नर्स ने सिर्फ अनिता जी को उन्हे अंदर आ देखने की इजाजत दी । बाकी सब बाहर से ही मीनाक्षी को देख सकते थे। मीनाक्षी को होश मे देख सबकी जान मे जान आई। थोड़ी देर बाद इंजेक्शन के असर से मीनाक्षी सो गई। अब डॉक्टर ने ज्यादा लोगो को अस्पताल मे रुकने को मना कर दिया वैसे भी अभी वो लोग मीनाक्षी से मिल नही सकते थे इसलिए सुरेंद्र जी ने कैलाश जी और सरला जी से केशव के साथ घर जाने को बोला किन्तु केशव तैयार नही हुआ ।
अब अस्पताल मे सुरेंद्र जी अनिता जी और केशव था।
” नर्स मैं अपने घर वालों से कब मिल पाउंगी !” दवाई का असर खत्म होते ही मीनाक्षी जागी और कराहते हुए उसने पूछा।
” बस दो दिन और वैसे देखो उस खिड़की से आप अपने सभी घर वालों को देख सकती हो !” नर्स ने इशारा किया तो मीनाक्षी की निगाह वहाँ गई । वहाँ उसे केशव खड़ा दिखाई दिया ।
” केशव यहां !” मीनाक्षी धीरे से बोली ।
” हाँ वो आपके पति है ना । बहुत प्यार करते है आपको । जबसे आप यहां आई हो तबसे बेचारे हिले तक नही जब तक होश नही आया आपको तब तक बिना हिले ईश्वर से प्रार्थना करते रहे पूरे बीस घंटे एक जगह खड़े रहना आसान नही !” नर्स मुस्कुरा कर बोली।
मीनाक्षी ये सुनकर केशव को गौर से देखने लगी। अदालत मे जिस केशव से वो मिली थी आज उसे इस केशव मे उसकी परछाई तक नज़र नही आई। मीनाक्षी को अपनी तरफ देखते देख केशव वहाँ से हट गया क्योकि वो नही चाहता था मीनाक्षी की अब उसके कारण कोई भी दुख हो।
” केशव क्या है ये सब और क्यो जब तुम मुझसे प्यार नही करते मेरे साथ रहना नही चाहते तो ये परवाह क्यो ? ये कैसा इश्क है तुम्हारा जो साथ रहना नही चाहता दूर होना नही चाहता !” मीनाक्षी मन ही मन बोली लेकिन कही ना कही उसे भी ये परवाह अच्छी लग रही थी । केशव के वहाँ से हटते ही सुरेंद्र जी आ गये अपनी बेटी को देखने । शीशे के उस पार से भी मीनाक्षी अपने पिता का दुख समझ पा रही थी उसने चेहरे पर मुस्कान लाते हुए उनकी तरफ देखा। सुरेंद्र जी को तसल्ली सी हुई बेटी को देख कर । केशव ने थोड़ी देर बाद उनको बैठा दिया क्योकि वैसे भी दो दिन से उन्होंने आराम भी नही किया था ठीक से । इधर अनिता जी को भी थोड़ी देर बाद बाहर भेज दिया गया।
दो दिन बाद मीनाक्षी को कमरे मे ले आया गया । जब तक मीनाक्षी कमरे मे नही आई थी केशव दूर से उसे देखता रहता था किन्तु अब उसके कमरे मे जाने की हिम्मत नही थी उसमे । अब रात को वहाँ बस अनिता जी को रुकने की इजाजत थी तो मजबूरी मे केशव को घर जाना पड़ा किन्तु सुबह होते ही वो वापिस आ जाता और मीनाक्षी की तबियत की हर जानकारी रखता , मीनाक्षी के आगे उसे अपनी नौकरी की भी परवाह नही थी । वो रोज उसके कमरे मे उसके पसंद का फूल नर्स के हाथ भेजता । उसकी दवाई का ध्यान दिलाता रहता ग्लूकोस की बोतल खत्म होने का पता उसे नर्स से पहले रहता। किन्तु खुद नही जाता कमरे मे । मीनाक्षी सब देख समझ रही थी पर बोल कुछ नही रही थी।
” एक बात बताइये मेम आपके पति आपको इतना प्यार करते है फिर भी उन्हे कभी आपके कमरे मे आता नही देखा बस बाहर से वो हर खबर रखते है ऐसा क्यो ?” नर्स जब उसकी पट्टिया बदलने आई तो अकेले मे उसने पूछा ।
” सिस्टर कभी कभी हालात दूरी पैदा कर देते है !” ठंडी आह भरते मीनाक्षी बोली।
” हालत कितनी भी दूरी पैदा कर दे पर प्यार नही मिटा सकते दिल से । और आपके पति की आँखों मे आपके लिए बेइंतहा प्यार छलकता है ।” नर्स बोली।
“हम्म !” मीनाक्षी केवल इतना बोली । चाहती तो वो भी थी केशव उसके पास आये उससे बात करे लेकिन ये सोच चुप थी कि ये नजदीकी तब तक की होगी जब तक वो ठीक नही होती फिर तो उनका तलाक ही होना है । तलाक …ये शब्द जेहन मे आते ही उसके आँसू छलक आये।
” दर्द ज्यादा है क्या इंजेक्शन लगाऊं? ” नर्स ने उसे रोते देख पूछा।
” कुछ दर्द ऐसे होते है सिस्टर जो किसी इंजेक्शन से नही मिटते !” ये बोल मीनाक्षी ने सिर घुमा लिया। नर्स समझ रही थी दोनो के बीच कोई तो बात है ऐसी जो इन्हे दूर रखे है एक दूसरे से।
” सर आप अंदर जाइये मीनाक्षी जी को इस वक़्त आपकी जरूरत है !” बाहर आ उसने केशव से कहा।
” सिस्टर ये हक मैं शायद खो चुका हूँ !” केशव ये बोल वहाँ से हट गया।
” पता नही ये कैसा इश्क है जो इन दोनो के बीच है !” नर्स कंधे उचका कर बोली और चली गई।
” बेटा चलो अंदर आज तो तुम्हे मीनाक्षी से मिलना पड़ेगा । उसके सही होने मे तुम्हारी दुआओ का भी हाथ है !” सुरेंद्र जी उसका हाथ पकड़ते हुए बोले।
” नही पापा मुझमे हिम्मत नही उसके पास जाने की !” केशव सिर झुका कर बोला।
” बेटा पिछले छह दिनों मे जो तुम मीनाक्षी के लिए तड़पे हो वो हम सबने देखा है । उधर मीनाक्षी की आंखे भी तुम्हे खोजती है। एक बार तुम्हे उससे बात करनी ही चाहिए ।” सुरेंद्र जी बोले।
” अभी मीनू के दिल के और शरीर के जख्म ताजा है मेरी किसी बात से उसे जरा भी दुख हुआ तो मुझसे बर्दाश्त नही होगा इसलिए अभी मेरा उससे दूर रहना ही ठीक है !” केशव बोला। हालाँकि सरला जी और कैलाश जी मीनाक्षी से मिलने जाते थे । काशवी भी आई थी बस केशव ही अपनी गलतियों के कारण हिम्मत नही कर पा रहा था।
दोस्तों मीनाक्षी को होश तो आ गया और उसके शरीर के जख्म भी भर जाएंगे वक्त के साथ पर दिल के जख्मो का क्या । केशव ने ईश्वर से वादा किया है मीनाक्षी के सही होते ही वो उससे दूर चला जायेगा हमेशा को । इधर मीनाक्षी के मन मे भी यही है की उसके ठीक होते ही उन दोनो का तलाक हो जायेगा।
जाने कैसा ये इश्क है दोनो के बीच जो तड़पा दोनो को रहा पर मिलन नही करवा रहा।
क्रमश: अगले भाग मे
कैसा ये इश्क है सीरीज पोस्ट – ( भाग -16)
कैसा ये इश्क है ( भाग – 17) – संगीता अग्रवाल : hindi stories with moral
कैसा ये इश्क है सीरीज पोस्ट – ( भाग -15)
कैसा ये इश्क है ( भाग – 15) – संगीता अग्रवाल : hindi stories with moral