ससुरजी का श्राद्ध – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : दो दिन पहले मेरी सासू माँ का फ़ोन आया… बेटा 29 तारीख को आ जाना…. वो थोड़ा भावुक थी.. हमने ज्यादा पूछा नहीं… पर समझ गए कि पापा को दुनिया से गए तीन वर्ष होने को आयें.. उनका पहला श्राद्ध था आज… बोली तेरी छुट्टी नहीं होगी… मैने कहा मैं ले लूँगी … सासू माँ पापा के पुश्तैनी मकान में रहती हैं… हम नौकरी की वजह से घर से तीस किलोमीटर दूर रहते हैं…

आना जाना बना हुआ हैं… वो स्थायी रुप से अपना घर ज़िसमें पापा के संग ना जाने कितने वर्ष बिताये हैं, उसे छोड़ना नहीं चाहती… खैर कोई पत्नी ऐसा नहीं चाहती… हमने भी ज्यादा जोर नहीं दिया… जैसे वो जीना चाहे… हम आज भोर में ही घर पहुँच गए…. सासू माँ पोंछा लगा रही थी.. मैने उनके पैर छुये .. बोली खुश रह बेटा… जा मैने आलू चढ़ा दिये हैं….

एक तरफ तीन किलो दूध रख दिया हैं खीर के लिए.. कम पड़े तो और डाल लेना… मैने कहा लाओ मैं पोछा लगा दे रही… बोली.. तू नहा धोकर आयी हैं… साबुन से अच्छे पानी से हाथ धोकर रसोई में खाने में लग जा… मैने कहा क्या क्या बनेगा मम्मी… बोली… वो सब कुछ जो पापा को पसंद था… फिर मैने पूछा कितने लोगों का…. बोली.. पंडित जी 11 बजे आयेंगे…

बाकी सारे चाचा चाची बच्चे उस से पहले ही आ जायें शायद….अर्बी की सुखी सब्जी , आलू टमाटर की रसे की सब्जी बूंदी का रायता, खीर , दाल की कचौरी , दही बुरा,, और सबसे ज़रूरी ईमरती… दाल की कचौरी का सुन मेरे आँखों से आंसू छल्ल से निकल आयें… पापा की सबसे पसंदीदी चीजों में थी दाल काचौरी और खीर… बहुत मन से खाते थे…

उनके भाई बंधु आ ज़ाते थे जब बाबा अम्मा के श्राद्ध पर घर तो फूले नहीं समाते थे… हेड मास्टर के पद से रिटायर थे मेरे पापा… खैर आंसू पोंछ मैं लग गयी काम पर … पतिदेव भी मेरे माथे पर आयें पसीने को देख थोड़ा मदद कराने आ गए… मैने कहा मम्मी … अब आप नहा लो… वो गुसलखाने से बोलती जा रही… मेवें अच्छे से डाल देना… पापा बोलते ही रहते थे… मेवे कम नहीं पड़ने चाहिए खीर में… मैने मम्मी की आवाज सुन और मेवे डाल दिये….

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तब तक घर के बाकी चाचा चाची बच्चे आ गए… दोनों सब्जी , रायता, खीर , दाल की कचौरी की भूनी हुई दाल , कचौरी का ढीला आटा, पूरी का सख्त आटा तैयार था… मैने पतीले में चाय चढ़ायी .. सभी को पानी दिया .. सभी के पैर छू आयी…. तब तक पंडित जी और उनके बेटे को भी ये ले आयें… उन्हे जल पान कराया… पापा के सब भाईयों को देख पंडित जी भी भावुक हो गए.. आज ठाकुर साब बहुत खुश होंगे….

उनके सब भाई , नाती पोंते , बच्चे घर में हैं…. चार दिन पहले से ही ठाकुर साब न्यौत आतें थे कि पंडित जी हमाये यहां ही आना… कहीं और मत जाना… सुबह ही ले आतें थे… आज उन्ही के श्राद्ध का प्रसाद ग्रहण करने आया हूँ… मन बहुत भारी हो रहा हैं… उन्होने ज्यादा तो नहीं खाया… पर मान रखने के लिए थोड़ा थोड़ा प्रसाद ग्रहण कर लिया…. उनके बेटे ने ठीक से भोजन खाया… दक्षिणा दी…

उनके जाने के बाद घर के छोटे छोटे बच्चे ज़िनके पेट में चूहे कूद रहे थे.. उन्हे खाना लगाया…. सब बड़े मन से खा रहे थे… पापा की बच्चों के सामने लगी तस्वीर देखकर मुझे ऐसा लगा मानो वो मुस्कुरा रहे हो… देखो मेरे बच्चे मेरे घर में कैसे चहक रहे हैं…

पाठकों… हमारे बड़े बुजूर्ग तो अपने नाती पोतों की किलकारियों से ही खुश हो ज़ाते हैं… उन्हे कुछ नहीं चाहिए… ये श्राद्ध तो मात्र एक बहाना है बस इसी बहाने हम अपनी रोजमर्रा की ज़िन्दगी में कभी उन्हे याद करना भूल जायें तो इसी बहाने याद कर ले…इसलिये ये सोशल मीडिया की दकियानूसी बातों में ना आयें… अपने पित्रों को याद करें … श्राद्ध को पूरे दिल से मनायें …. आज बहुत थकान हो गयी हैं… इसलिये दूसरा भाग नहीं लिख पायी अपनी धारावाहिक कहानी का…. मन भारी भी हैं… आखिर हमारा वजूद , हमारा मान सम्मान हमारे बड़े बुजूर्गों से ही तो हैं ज़िसे हमें संभालकर रखना हैं और उसमें और बढ़ोतरी करनी हैं…

मीनाक्षी सिंह की कलम से

आगरा

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