बहू ने कोई दर्द नहीं झेला है! – प्रियंका सक्सेना

बहू ने कोई दर्द नहीं झेला है! – प्रियंका सक्सेना

“मम्मी जी, पापा जी को तकलीफ़ हो रही होगी, अब मैं थोड़ा बहुत सम्भाल लूंगी आप पापा जी के पास हो आइए।” आस्था ने अपनी सास कल्याणी देवी से कहा

“आस्था बहू! अभी तो  दो महीने ही हुए हैं। तुम सच में सबकुछ सम्भाल पाओगी। सच में,तुम्हारे पापाजी के पास चली जाऊं, क्या तुम पूरा काम कर सकोगी? तुम्हारे पापाजी ने कहा है कि उन्हें कोई परेशानी नहीं है। अभी नहीं जाऊंगी बहू, मुझे लगता है अभी तुम पूरी तरह जिम्मेदारी नहीं उठा पाओगी।” कल्याणी देवी ने आस्था से पूछा

दरअसल आस्था के ससुर रामशरण जी अपनी जाॅब के चलते दूसरे शहर में पोस्टेड हैं और बेटा विनीत की जाॅब उसके पैतृक शहर में ही है तो पुश्तैनी मकान में ही विनीत, आस्था रहते हैं। रामशरण जी और कल्याणी जी की एक बेटी है जो विनीत से बड़ी है और विवाह उपरांत दूसरे शहर में रहती है। घर के दूसरे हिस्से में जेठ कीर्तिशरण जी, उनकी पत्नी इंदु देवी और उनके दो बेटे व बहुएं रहते हैं। 

आस्था कुछ कहती से पहले ही साथ बैठी कल्याणी देवी जी की जेठानी इंदु देवी ने जो साथ ही बैठी चाय पी रही थीं, ने कहा,” अरे इसे क्या हुआ है? भली चंगी तो है ना, बच्चा होने में दर्द हुआ ना कोई तकलीफ हुई! पेट कटवा के बच्चा लेकर चली आई है हॉस्पिटल से। इसे क्या प्रॉब्लम होगी कल्याणी तुम तो जाओ देवरजी के पास आराम से, अपना काम धंधा देखो।”

” भाभी, आस्था का सिजेरियन ऑपरेशन हुआ है, इसी वजह से मैं पूछ रही हूॅ॑।” कल्याणी देवी ने अपनी जेठानी से कहा

“यह सब नए जमाने के चोंचले हैं, हम तो सवा महीने के बाद पूरा काम करने लग जाते थे। वैसे भी आस्था बहू को नॉर्मल डिलीवरी वाला दर्द भी नहीं हुआ, इसने बच्चा जनने में कोई दर्द नहीं झेला। इसको क्या प्रॉब्लम है सीधा सीधा कहूं तो इसने अपनी सहूलियत देखी और ऑपरेशन करवा दिया ताकि दर्द न सहना पड़े। अभी तक अपना काम नहीं कर पा रही है क्योंकि तुम यहां हो और सभी काम कर देती हों। हम तो अपना बच्चा भी खुद संभालते थे और घर का भी पूरा काम करते थे।” इंदु देवी ने आस्था पर कटाक्ष करते हुए कहा 

इंदु जी की टीका टिप्पणी उसी दिन से जारी है जब से आस्था का सिजेरियन ऑपरेशन हुआ है उनके अनुसार सिजेरियन अपनी सहूलियत के लिए आस्था ने करवाया है तो गाहेबगाहे ताना कसती रहती हैं।

आस्था चुपचाप बैठी थी लेकिन कल्याणी देवी से आज रहा नहीं गया, वह बोलीं,” भाभी, नार्मल डिलीवरी में उसी वक्त दर्द होता है और तीन दिन में घर भी भेज देते हैं। कभी कभी तो नार्मल डिलीवरी में भी टांके आए जाते हैं। तब नार्मल डिलीवरी में भी पूरा ध्यान रखना होता है।

 सिजेरियन ऑपरेशन में पेट काटा जाता है, टांके(स्टिचेज़) लगते हैं। कई दिन हाॅस्पिटल में लग जाते हैं। भारी सामान उठाना मना होता है, टांके खिंचने का डर रहता है। महीनों तक टांके दर्द करते हैं कभी-कभी टांके पक भी जाते हैं। नीचे पड़ा सामान उठाने में आह निकल जाती है।

और भाभी, आप जो यह समझ रहीं हैं कि आस्था दर्द ना सहना पड़े इसलिए सिजेरियन करवा कर आई है तो आपको याद दिला दूं कि बच्चे के गले में गर्भनाल का फंदा बना गया था , नार्मल डिलीवरी करवाने में जोर लगाने से बच्चे के गले में फंदा कसने पर जान जाने का खतरा था इसलिए सिजेरियन करवाना पड़ा। 

भाभी, आपने भी तो एक बच्चा नार्मल डिलीवरी के कारण खोया था फिर भी आस्था को कोस रही हैं? कम से कम आजकल सिजेरियन करवाने से डिलीवरी के समय जो काॅम्पलीकेशंस हो जाएं तो बच्चे को बचाया जा सकता है। मैं तो इसमें कोई बुराई नहीं देखती हूॅ॑ भाभी।

और हां, इसके लिए भी जिगरा चाहिए भाभी, ऑपरेशन के बाद के इन स्टिचेज़ के साथ आत्मविश्वास से जीने के लिए।” कहते-कहते कल्याणी देवी हांफ गई परंतु आस्था के पास जाकर उन्होंने उसकी साड़ी का पल्लू हटाकर टांके दिखाएं

हकीकत सुनकर इंदु देवी शर्मिंदा हो ही चुकी थी अब रहा-सहा आस्था के टांके देखकर उनको अपनी सोच पर बेहद अफसोस हुआ। झट से हाथ जोड़कर आस्था से कहने लगी,” बहू, मुझे माफ‌ कर दे, मैं बिना जाने इतने दिनों से तुझे सुनाए जा रही थी।”

आस्था ने उनके हाथ अपने सिर पर रख दिए, बोली” ताईजी, हमारे बड़े आशीर्वाद देते अच्छे लगते हैं हाथ जोड़ते नहीं।”

कल्याणी देवी बोली,”बहू मैं तभी जाऊंगी जब तुम कहोगी। तुम जब पूरी तरह ठीक हो जाओगी और अपना और हमारी पोती का ख्याल रखने लायक हो जाओगी तब तक मुझे यहीं रहकर तुम्हारी देखभाल करनी है।”

आस्था उनके गले लग गई…नई और पुरानी सोच का पुनर्मिलन हो चुका है!

आस्था को अपने पति विनीत पर इस समय प्यार उमड़ आया, क्यों? अरे भाई राज की बात है! चलो बता ही देते हैं, भेद आज खोल ही देते हैं, अपनी मम्मी यानि कल्याणी देवी को विनीत ने ही सिजेरियन डिलीवरी के बारे में विस्तार से जानकारी दी थी, आस्था को यह कहते हुए कि शादी का मतलब साझेदारी है, मेरी प्रिय पत्नी साहिबा, तुम्हारे दुख दर्दों को बांटना है मुझे हमेशा!

दोस्तों, आशा है आपको मेरी कहानी में निहित संदेश पसंद आया होगा। आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा।

यह कहानी दिल से लिखी है मैंने और यदि इस रचना ने मेरी ,आपके दिल के तारों को झंकृत किया है तो कमेंट सेक्शन में अपनी राय साझा कीजियेगा।पसंद आने पर कृपया लाइक और शेयर करें।

कुछ दिल के करीब कहानियां पढ़िएगा⬇️

सोने का मंगलसूत्र 

चिर स्वाभिमानी बेटी – प्रियंका सक्सेना – https://betiyan.in/chir-swabhimani-beti/

भरोसा माॅ॑ का! – प्रियंका सक्सेना – https://betiyan.in/bhrosa-maa-ka/

पहली रसोई!

अनकहा रिश्ता!

भाई के होने से ही मायका होता है?

इंसानियत जिंदा है अभी!

सूनी गोद

आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा।ऐसी ही खूबसूरत रचनाओं के लिए आप मुझे फॉलो कर सकते हैं।⬇️

https://betiyan.in/category/kahani/samajik-kahaniya/priyanka-saxena/

धन्यवाद।

-प्रियंका सक्सेना

#दर्द

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!