विरोध बना पुष्पहार – लतिका श्रीवास्तव

….मीटिंग बहुत लंबी और उबाऊ होती जा रही थी…इतने शानदार होटल में सारी व्यवस्था की गई है ….अधिकांश तो पल पल में परोसे जा रहे शीतल और गरम पेय पदार्थों का आनंद उठाने में तल्लीन थे ….सुस्वादु भोजन का काल्पनिक स्वाद रह रह कर सभी को मीटिंग के शीघ्र खत्म होने का शिद्दत से एहसास करवा रहा था…

अविनाश  इस शानो शौकत से आयोजित मीटिंग का कारण ढूंढने की पुरजोर कोशिश में तल्लीन था…आखिर कम्पनी का ही तो धन है जो  यूं उड़ाया जा रहा था पहली बार….!

कंपनी के नए चेयरमैन मिस्टर सान्याल के स्वागत में आयोजित इस मीटिंग का असली एजेंडा तब सामने आया जब मिस्टर सान्याल दो शब्द बोलने के लिए खड़े हुए और उनके दो शब्दों में सिर्फ उनका अहंकार ही बोलता सुनाई दिया …..अविनाश को महज इतनी जानकारी थी कि मिस्टर सान्याल की पहुंच बहुत ऊपर तक है और इस प्रतिष्ठित कम्पनी का चेयरमैन पद हथियाने के लिए उन्होंने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था ….लेकिन वो इस बात से बिलकुल अनभिज्ञ था कि इस कम्पनी के पिछले चेयरमैन मिस्टर दत्ता के प्रति इनके दिल में इतनी नफ़रत है!!




अपने दो शब्दों में उन्होंने मिस्टर दत्ता जो अपने दमदार व्यक्तित्व और कृतित्व के लिए विख्यात थे कम्पनी और कम्पनी के सभी छोटे बड़े कर्मचारी जिनकी स्पष्ट पारदर्शी उदार और सफल नीतियों के साक्षी ही नहीं रहे बल्कि हर क्षण लाभान्वित हुए …ऐसे व्यक्तित्व को दागदार बताना शुरू कर दिया ….उनकी सफल नीतियां जिनसे कम्पनी ने नवीन बुलंदियों को छुआ वो सब आज मिस्टर सान्याल की दोधारी जुबान से घोर असफल और कम्पनी की साख को हाशिए पर घसीटने वाली प्रमाणित की जा रहीं थीं….मिस्टर दत्ता जो कल तक सभी कर्मचारियों के लिए ईश्वर तुल्य थे आज संकीर्ण घटिया विचारों  वाले एक निहायत स्वार्थी आदमी प्रमाणित किए जा रहे थे….

अविनाश के लिए ये सब सुनना और सुनते ही जाना आश्चर्य जनक ही नहीं असहनीय होता जा रहा था…एक प्रमाणित सच्चे इंसान का  सार्वजनिक  झूठा पोस्टमार्टम …!जिस पर स्वीकृति की मुहर लगाती सार्वजनिक खामोशी उसका दम घोंट रही थी….! यहां तक की मिस्टर दत्ता के बेहद करीबी और एहसान मंद श्रीधरन जी कंपनी के जनरल मैनेजर भी चुप बैठे थे….अविनाश ने विरोध व्यक्त करने के लिए उनका समर्थन चाहा था लेकिन वो अपना पद बचाने में मिस्टर दत्ता को नाकाबिल बनाने में लगे थे…! व्यक्तिगत रूप से सबके दिलों से जुड़े एक देवतुल्य शख्स को बेवजह इस तड़क भड़क वाली मीटिंग के माध्यम से पैरों तले रौंदने की साजिश और भी खुल गई जब मिस्टर सान्याल ने मिस्टर दत्ता द्वारा सफल संचालित अब तक की समस्त नीतियों को सिरे से खारिज करते हुए अपनी नवीन नीतियां प्रस्तुत ही नहीं की…. थोपने की भी पूरी तैयारी कर ली शायद उनका अहंकार और उपस्थित समुदाय से निर्विरोध सहमति की प्रबल संभावना ने उन्हें ऐसा करने की हिम्मत दे दी थी… और अब सबकी मंशा जानने की औपचारिकता की जा रही थी……




उपस्थित समुदाय ने जो कुर्सी बदलने के साथ ही कुर्सी पर बैठने वाले का अंधा अनुयायी हो गया था करतल ध्वनि से उनकी नीतियों को समर्थन और प्रोत्साहन देना आरंभ कर दिया था…स्वार्थपरता और चाटुकारिता का सागर हिलोरे लेने लगा था….नए बॉस की झूठी खुशामदों की बाढ़ में अविनाश के सब्र का बांध टूट गया …कर्णभेदी तालियों के मध्य ही में वो अपने स्थान पर खड़ा हो गया और उस सुसज्जित सभागार से बाहर जाने को उद्धत ही हुआ था कि मिस्टर सान्याल ने सरेआम अपने  उद्बोधन के बीच  उसके जाने का कारण पूछ लिया……

मैं आपकी बातों से असहमत हूं और मिस्टर दत्ता पर लगाए जा रहे बेबुनियाद आरोपों का विरोध करता हूं …इसलिए यहां से जाना ही मेरे लिए सर्वथा उचित है…..अविनाश के आक्रोश से भरे ये चंद वाक्य मानो मिस्टर सान्याल की खड़ी की गई झूठी कांच की दीवार पर बड़ा सा पत्थर मारने जैसे थे…।

सन्नाटा था चारो तरफ़…. मेरी तो खैर नहीं अब…शायद इस कम्पनी में मेरा आखिरी दिन था….अविनाश के दिमाग में आंधियां सी चल रहीं थीं…..दस वर्षो से इस कम्पनी ने मुझको और मैने इस कंपनी का साथ निभाया बाखूबी निभाया ..पर अब नहीं..अपनी इस कम्पनी का अधोपतन अपनी ही आंखों के समक्ष असहाय होकर देखना मुझे गवारा नहीं होगा….आखिर मैं भी इस कम्पनी का एक कर्मचारी हूं….अन्य सभी की भांति गिरगिट की तरह रंग बदलना मुझे नहीं आता है…!.गलत को गलत कहने की हिम्मत नहीं है जहां लोगों में वहां मैं क्यों रुकूं..!




अविनाश ने अब वहां एक पल भी और रुकना उचित नहीं समझा और मुख्य द्वार की ओर बढ़ा ही था कि….मिस्टर अविनाश क्या आप यहां डायस पर आयेंगे..!!सुनकर ठिठक सा गया फिर खामोशी से डायस की ओर बढ़ गया….आज मुझे अपनी इस कम्पनी का सर्वोत्तम सलाहकार और चीफ मैनेजर मिल गया है …..मिस्टर अविनाश ….आप जैसे सच्चे वफादार और निडरता से झूठी बातों का विरोध करने वाले व्यक्ति की मुझे ही नहीं आपकी इस कम्पनी को भी महती जरूरत है …आइए आपका स्वागत है…आज का आयोजन सफल हुआ…मिस्टर दत्ता के विरुद्ध कहे गए अपने शब्दों के लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूं वो सब अविनाश जैसे हीरे की तलाश में किया गया एक प्रयोग था ….कहते हुए मिस्टर सान्याल ने पुष्पहार पहना कर अविनाश को ही नहीं उपस्थित सभी खुशामदियों को आश्चर्य चकित कर दिया था।

#विरोध 

लतिका श्रीवास्तव 

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