उस जमाने की लड़कियां – रवीन्द्र कान्त त्यागी

सर्दियों का मौसम और गुनगुनी धूंप में बैठकर मूंफली कुड्कूड़ाने का मजा एक फोन ने खराब कर दिया था। शहर के एक बड़े ट्रांसपोर्टर मेरे एक अनन्य मित्र थे। उनका फोन आया कि गुड़गांव (तब यही नाम था) से उनका ट्रक चोरी हो गया है। लछमन यादव नाम का ड्राइवर अभी जॉब पर रखा था। … Read more

तिरस्कार अब और नही – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

” तुम होती कौन हो मुझे रोकने वाली मुझे जो करना है वही करूंगा !” पांच साल के आदित्य के मुंह से ये शब्द सुन सकते मे आ गई निशा। ” क्या बोल रहे हो ये मम्मा से ऐसे बात करते है क्या ? कहाँ से सीखे हो ये सब ?” निशा बेटे को डांटते … Read more

दूर के ढ़ोल सुहावने – विभा गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

  ” चल भाग यहाँ से…।” डाँटते हुए रुक्मिणी जी अपनी चार वर्षीय पोती वंशिका के हाथ से खिलौना छीनकर अपने पोते मनु को देते हुए बोलीं,” ले खेल मेरे लाल…अपनी दादी के बाल-गोपाल..।वंशिका रोने लगी।तभी उसकी अंजू बुआ आ गई और उसके हाथ में चाॅकलेट देकर उसे पुचकारती हुई बोली,” कल मैं अपनी लाडो के … Read more

घूंघट के पट खोल – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

जब से नए पड़ोसी आए थे लोगों की जिंदगी में झांकने की मेरी दिलचस्पी को जैसे नए पंख लग गए थे।वैसे तो कुल पांच जने थे उनके घर में लेकिन चार कहना ज्यादा उचित होगा क्योंकि घर की लक्ष्मी  मतलब उनके घर की बहू लक्ष्मी अदिति  हमेशा अदृश्य अवस्था में ही रहती थी।नहीं नहीं नई … Read more

निर्णय – निभा राजीव”निर्वी” : Moral Stories in Hindi

श्रद्धा दृष्टि झुकाए मेज पर पड़े प्लेट में खाने से चम्मच से जैसे खेल भर रही थी। वह ऊपर से शांत थी परंतु अंतस में जैसे कोलाहल मचा हुआ था। झुकी दृष्टि से भी सम्मुख बैठे अजय की गहरी दृष्टि जैसे उसे अंतर को भेदती हुई प्रतीत हो रही थी।  अजय ने फिर एक-एक शब्द … Read more

हाय राम, मेरी तो तकदीर ही फूट गई जो ऐसी बहू आई। – मधु वशिष्ठ : Moral Stories in Hindi

पाखी बेटा, परसों जमाई जी तुझे लेने आ रहे हैं। बेटा बिट्टू के और अपने जो कपड़े सिलवाए थे वह ले आना। तेरे भाई को कहकर थोड़े लड्डू भी मंगवा दूंगी जाने के बाद ससुराल में सबको बांटने जो होंगे। अपनी बहन रानी और मालती के साथ आराम से मूंगफली खाती हुई पाखी का मूंह … Read more

“तिरस्कार कब तक”? – प्रीती श्रीवास्तवा : Moral Stories in Hindi

समीरा का जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। वह अपने माता-पिता की पहली संतान थी, लेकिन बेटी होने के कारण उसका स्वागत खुशी से नहीं हुआ। जब वो पैदा हुई, दादी ने कहा, “लड़की हुई है? हाय राम! बेटा होता तो वंश चलता।” माँ की आँखों में भी एक अजीब सा खालीपन था, जैसे … Read more

करवा चौथ के बहाने – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

सुनिए देखिए जरा मानसी ने पति रमेश को अपने गले में पहना हार दिखाते हुए बोला कैसा लग रहा। अच्छा है, पति ने उत्तर दिया मगर तुम इसे कहां से उठा लाई, अरेऽऽ चोर उचक्का समझा क्या मुझे ? उठाकर नहीं लाई सुनार से किश्तों में खरीदा है बस दस हजार रुपए महीने की किश्त … Read more

कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगीं – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

आज फिर पीहू रोते रोते बड़ी मुशकिल से सोई। मानसी भी सोना चाहती थी, लेकिन नींद भी तो आए। करवटें बदलते बदलते जब बदन दुखने लग गया तो उठ खड़ी हुई। रसोई में जाकर पानी पिया। समय देखा तो रात का एक बज चुका था। हर तरफ़ सन्नाटा पसरा हुआ था, लेकिन मानसी के अंदर … Read more

“एक निर्णय – नई दिशा” – सुरेश कुमार गौरव : Moral Stories in Hindi

प्रस्तावना: वो जून की दोपहर थी। सीमित साधनों में जी रही सीमा अपनी माँ की पुरानी साड़ी में बैठी थी — चुपचाप। आँखों में कोई सपना नहीं, बस चिंता, तनाव और टूटन। उसका विवाह तय हो चुका था — एक नौकरीपेशा लड़के से। पर उसकी माँ आज रो रही थी। “लड़के के पिता ने आज … Read more

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