सोच बदल भी सकती है – विमला गुगलानी

    रिया मां बाप की इकलौती बेटी थी, बहुत लाड प्यार से पली , पढ़ाई में खूब होशियार। सब गुण थे उसमें लेकिन उसे घर में लोगों की भीड़ बिल्कुल पंसद नहीं थी। दरअसल जब से उसने होश संभाला घर में उससे चार साल बड़ा उसका भाई अमन और उसकी माँ सुनयना ही थे। उसके पिताजी … Read more

बहू ही घर की असली लक्ष्मी है – विमला गुगलानी

       सुजाता के घर किट्टी प्रार्टी चल रही थी। पद्रहं- बीस औरतें सज धज कर बैठी तबोला खेल रही थी। फिर खाना पीना, गाना – बजाना, साड़ियों , जेवरों की बातें और सबसे जरूरी बहुपुराण या फिर बिना मतलब की यहां वहां की बातें, रसोई की , कामवालियों की यानि कि हर घरेलू मुद्दे पर बातें … Read more

बद्दुआ लेने वाले काम ही न करो – विमला गुगलानी

“ नई ममी आ गई, नई ममी आ गई” चार साल की रूही खुशी में चिल्लाते हुए बोली।बाहर बाजा बजने की आवाज आ रही थी। कैलाशवती ने आरती की थाली तैयार कर रखी थी। दुल्हा , दुल्हन का पूरे रीति रिवाज से स्वागत किया गया।       जब सब हो गया तो कैलाशवती ने बेटी स्नेहा को … Read more

बेटी, बेटा एक समान – विमला गुगलानी

सुशीला रसोई में जल्दी जल्दी हाथ चला रही थी और कामवाली रेशमा को भी मन ही मन कोसे जा रही थी।जब भी घर में मेहमान आने हो, ये महारानी छुट्टी करके बैठ जाती है, और ये भी नहीं कि एक दिन पहले बता दे, सुबह ही फोन करेगी।     तभी कौशल जी रसोई में आए और … Read more

रिश्ते बनते नहीं, बनाने पड़ते है – विमला गुगलानी

    आराधना और करिश्मा एक ही स्कूल में लगभग पिछले दस सालों से इकट्ठी नौकरी कर रही थी। दोनों में खूब पटती थी। आराधना करिशमा से थोड़ी सीनियर थी और उम्र में सात आठ साल बड़ी थी।आराधना उसी शहर की रहने वाली थी, शादीशुदा , दो बच्चों की मां थी। करिश्मा इस शहर में शादी के … Read more

क्या करे पूर्वी ? – विमला गुगलनी

रोहित अभी थोड़ी देर पहले ही घर आया था। फ़्रेश होकर दो कप चाय बनाई और ट्रे में कुछ बिस्कुट और नमकीन रख कर पत्नी रोमा के पास आकर मेज़ पर चाय रखी। तकिये का सहारा देकर पहले रोमा को अच्छे से बिठाया और फिर चाय का कप उसके हाथ में पकड़ाया। रोमा ने चुपचाप … Read more

जस्सी और प्रीति – विमला गुगलनी

ट्रिगं- ट्रिगं की तीन बार आवाज़ सुनकर भी जब जस्सी बाहर नहीं आई तो प्रीती का मन हुआ कि वो आज अकेली ही स्कूल के लिए चल दे। जस्सी के कारण रोज ही देर हो जाती है, और फिर साईकल कितनी तेज़ चलानी पड़ती है। कल तो खेतों की मुँडेर पर साईकल चलाते समय दोनों … Read more

दुनिया दो धारी तलवार – विमला गुगलानी

   “ बेटा , अब तुम कर ही लो शादी, कब तक मेरी बनाई कच्ची पक्की रोटी खाते रहोगे, दाल, सब्जी में भी कोई कीड़ा पक जाएगा, तो फिर न कहना, बहुत कम दिखता है मुझे, तेरी छोटी बहन मिष्ठी एक बच्ची की माँ भी बन गई और तूं अभी तक कुवाँरा, अब तो मुहल्ले वाले … Read more

सेवा को मेवा – विमला गुगलानी

   विनायक और राजवंत दो भाई और एक बहन दंमयंती।शहर के पास बसा एक  गांव जो कि अब बड़े कस्बे में परिवर्तित हो चुका था जहां पर इस परिवार का बसेरा था। हरिप्रसाद जी की यहां पर बहुत पुरानी बर्तनों की दुकान जहां पर किसी जमानें में पीतल, कांसे, लोहे , भरत के बर्तन मिलते थे, … Read more

अपना नुक्सान करना – विमला गुगलानी

 घंटी बजते ही मनीषा मैडम ने पर्स और रजिस्टर उठाया और क्लास रूम से बाहर निकल गई। दसवीं क्लास का साईंस का पीरियड खत्म होते ही आधी छुट्टी की घंटी भी बज जाती है। तीस मिंट की छुट्टी में अध्यापक, बच्चे सब खाना वगैरह खाते है, कुछ बच्चे खेलते हैं तो कुछ उस समय अपना … Read more

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