खरी दोस्ती! – प्रियंका सक्सेना

काॅलेज में सभी के लिए सुधा और मीनल की दोस्ती मिसाल है। आर्थिक स्तर समान ना होते हुए भी दोनों ऐसे घुल मिल कर रहती मानों शक्कर पानी में घुली हों जैसे! सुधा मीनल में दांत-काटी दोस्ती है, पक्की वाली सहेली हैं दोनों बचपन से ही साथ पढ़ी-खेली हैं।

 

मीनल का सपना है प्रतियोगी परीक्षाओं में अपनी काबिलियत साबित करना। साथ ही वह अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती थी, इसके लिए उसने अपनी सहेली सुधा को अपने पापा को मनाने के मिशन‌ पर लगाया।

 

एक ही सरकारी ऑफिस में दोनों के पिता काम करते थे। बचपन से ही वे लोग एक ही काॅलोनी में रहते हैं। बस सुधा के पापा सीनियर मैनेजर हैं और मीनल के क्लर्क तो मकान के टाइप अलग है, सुधा के पापा को ऑफिसर्स बंगला मिला है और मीनल के पापा टाइप चार के फ्लैट में रहते हैं लेकिन आर्थिक असमानता सुधा और मीनल की दोस्ती में नहीं झलकती है और इसका कारण सुधा के माता-पिता का सज्जन होना और दूसरों को कमतर नहीं समझना है।

 

इसी वर्ष सुधा और मीनल ने एमए इतिहास विषय से उत्तीर्ण किया है, यूनिवर्सिटी में प्रथम स्थान मीनल ने और सुधा ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया है।

 

आगे दोनों ही सिविल सर्विसेज की तैयारी करना चाहती हैं परंतु मीनल की मम्मी ने उसके दोनों छोटे भाई-बहन का वास्ता देकर मीनल के पापा से उसके लिए जल्द ही लड़का ढूंढ़ कर हाथ पीले करने की जिद पकड़ ली। बहुत समझाया मीनल ने कि मुझे बस दो साल और दे दो मैं आपको कुछ बनकर दिखाना चाहती हूॅ॑ लेकिन उसकी मम्मी टस से मस नहीं हो रही हैं।

 

जब सुधा ने यह सब बातें अपने घर बताई तो  सुधा के पापा ने कहा,” चिंता न करो सुधा! मीनल मेहनती और बुद्धिमान लड़की है। मैं चलता हूॅ॑ तुम्हारे साथ शाम को और शंकर को समझाने की कोशिश करता हूॅ॑।”

 

शाम को सीनियर मैनेजर साहब को घर आया देखकर मीनल के पापा हैरान रह गए।

सुधा के पापा एवं मम्मी का मीनल के माता-पिता बहुत सम्मान करते हैं क्योंकि उन्होंने कभी पद का अहंकार नहीं दिखाया और मीनल को सुधा के समान ही हमेशा अपनापन और प्यार दिया।


 

सुधा के पापा ने इतने अच्छे तरह से मीनल के माता-पिता को समझाया कि उन्हें मानना ही पड़ा।

 

सुधा के पापा बोले,” शंकर और भाभी आपको मीनल पर गर्व होना चाहिए और आगे काॅम्प्टीशन की तैयारी के लिए समय देना चाहिए। सुधा और मीनल दोनों बच्चियां मिलकर तैयारी करेंगी और देखना एक दिन हम सबका नाम रोशन करेंगी।”

 

“साहब हम सोच रहे थे लड़की जात है शादी समय से कर दें आगे उसके छोटे भाई बहन भी हैं।” मीनल की मम्मी ने संकोच से ही सही पर अपनी मन की बात कही

 

“भाभी, मीनल की शादी के लिए लड़के खुद आएंगे उसका हाथ मांगने, इतनी काबिलियत है उसमें बस आपको उस पर‌ विश्वास रखना होगा!’

 

“ठीक है बिटिया, हम तुम पर विश्वास कर समय देते हैं, हमारे भरोसे को कायम रखना। साहब आपकी और सुधा बिटिया की बात हम मान लेते हैं।” मम्मी ने सिर पर हाथ रखकर मीनल को आज्ञा दे दी।

मम्मी का वो स्पर्श मानो मीनल में आत्मविश्वास की ज्वाला को प्रज्वलित कर गया और एहसास उसमें कि मम्मी का भरोसा बनाए रखना है, लक्ष्य प्राप्ति में माॅ॑ का वो स्पर्श जादू सा काम कर गया।

 

अनुमति मिलते ही दोनों सहेलियों ने ना दिन देखा ना रात , बस पढ़ाई में अपने को झोंक दिया।

एक साल की निरंतर तैयारी के बाद सिविल सर्विसेज की प्रारंभिक ( प्रिलिम्स ) परीक्षा उत्तीर्ण कर दोनों ने मुख्य ( मेन्स) परीक्षा भी पास कर ली। कुछ समय बाद साक्षात्कार ( इंटरव्यू) हुआ और आज उसका रिजल्ट आने वाला है …

 

सुधा के घर सभी मौजूद हैं- सुधा, मीनल, दोनों के माता-पिता और भाई बहन सभी को बेसब्री से इंतजार है…

रिजल्ट घोषित हुआ और परिणाम आते ही सभी के मुख खिल उठे।

सुधा ने ऑल इंडिया पंद्रहवां रैंक एवम् मीनल ने पांचवां रैंक हासिल किया…. वास्तव में दोनों बेटियों ने माता-पिता का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया।  अब खुला आसमां है दोनों के सामने और मनमुताबिक उड़ान भरने के लिए वे स्वतंत्र हैं।

मीनल की मम्मी ने कहा,” साहब , आपका और सुधा बिटिया का बहुत-बहुत आभार! उस दिन आपने हमारी बेटी का भविष्य मेरे हाथ बिगड़ने से बचा लिया। हमारी बिटिया भी अफसर‌ बनेगी, भर‌ लो उड़ान बिटिया तुम! हम मानते हैं गलत थे उस वक्त हम जब तुम्हें रोककर , तुम्हारे हौसला तोड़कर शादी करवाना चाह रहे थे। बेटा हो या बेटी दोनों को अपने पैरों पर खड़े होने का हक है।”


सुधा के पापा बोले,” भाभी, ये तो मीनल बेटी की मेहनत और कड़ी लगन का फल है और उसकी चाहत कि वह अपने पैरों पर खड़ी हों। देखिए, हमारी बच्चियां बहुत सी लड़कियों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई है।”

सभी ने सहमति में सिर हिलाया और दोनों बेटियों को सीने से लगा लिया। 

ज़िन्दगी ने सफलता के सुनहरे रंग से परिचित करा कर मीनल की मम्मी की ऑ॑खें खोल दी, पता चल‌ गया उनको कि कुछ धैर्य, थोड़ा विश्वास और पूरा साथ देकर बच्चों की प्रतिभा को निखारा जा सकता है बस बच्चे में वो जज्बा होना चाहिए…

मीनल का साथ उसकी दोस्त सुधा ने भी हर कदम पर दिया फिर वो चाहें मीनल की मम्मी को समझाने का हों या प्रतियोगी परीक्षाओं की साथ मिलकर तैयारी करने का हों जहां तक हों सका पैसे की कमी सुधा ने मीनल को महसूस नहीं होने दी पुस्तक, स्टडी मैटीरियल सभी कुछ साझा किया…हर कसौटी पर खरी उतरी उनकी दोस्ती!

 

मीनल की ऑ॑खों में खुशी के आ॑सू आ गए। छलछलाती नज़रों और भावनाओं में पगी कंपकंपाती आवाज़ ने सभी का ध्यान आकर्षित किया।

मीनल सुधा का हाथ पकड़कर बोली,” सुधा,वास्तव में तुम ना होती तो मैं ये नहीं कर पाती!”

सुधा ने उसका हाथ कसकर थामा फिर कहा,” मीनल, मैंने कुछ नहीं किया है, मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती!”

फिर माहौल को थोड़ा हल्का और मीनल के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए हाथों में हाथ लिए सुधा ने कहा,” यारों! दोस्ती बड़े काम की चीज़ है!”

 

मीनल नम ऑ॑खों‌‌ से खिलखिला उठी, सभी बड़ों ने एकसाथ कहा,” बेटा, तुम दोनों की दोस्ती को कभी किसी की नज़र ना लगे! दोनों हमेशा ऐसे ही हंसते मुस्कुराते रहो!”

 

दोस्तों, मुश्किलें बहुत आती हैं पर जीत उसी की होती है जिसके इरादों में दम होता है। मीनल अपनी बुद्धि, लगन और मेहनत से अपने लक्ष्य को हासिल करके ही मानी और कहते हैं ना जब दिल में कुछ करने की चाहत हों तो भला कौन रोक सकता है! सुधा, मीनल की सच्ची दोस्त उसका सम्बल और हौसला बनी। दोस्ती ऐसे ही नि:स्वार्थ की जाती है जहां स्वार्थ आ जाता है ऐसा साथ बस मतलब का होता है। आशा है, आपको हौसलों की उड़ान भरती दोस्तों की मेरी ये कहानी आपको अच्छी लगी होगी। रचना पसंद आई हों तो कृपया लाइक कमेंट और शेयर कीजिएगा। आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा।

 

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धन्यवाद।

-प्रियंका सक्सेना

(मौलिक व स्वरचित)

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