मेरा बच्चा खाता ही नहीं – जया शर्मा : Moral Stories in Hindi

मिश्री, आओ सेव खा लो, मैंने अपनी दो साल की बेटी को आवाज़ लगाई. मेरी नटखट तूफान जैसी बेटी दौड़ते हुए आई और सेव देखते ही अपो अपो (Apple बोलने की कोशिश) कहकर मेरे हाथों से प्लेट ले कर सामने ही सोफ़े पर बैठ कर सेव खाने लगी. मेरी पड़ोसन शिल्पा भी वहां बैठी थी। … Read more

रिश्ता सफर का – प्रतिभा परांजपे : Moral Stories in Hindi

रमा जी ने अपना पर्स और बैग सीट पर रखा और एक चादर फैला कर बर्थ पर बैठ गई । ‘वाराणासी से पुणे’, साप्ताहिक एक्सप्रेस ट्रेन धीरे-धीरे प्लेटफॉर्म छोड़ रही थी। सफर करने वाले यात्रियों के रिश्तेदार हाथ हिलाकर उन्हें रुखसत कर रहे थे। कई माताएं अपने आंसू पोंछ रही थी, शायद अपनों से बिछड़ने … Read more

अनमोल तोहफा – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

आज सुबह से ही वेदांत का दफ़्तर में मन नहीं लग रहा था।न जाने क्यों मूड उखड़ा सा है। जब आदमी का मन ठीक न हो तो न चाहते हुए भी किसी न किसी से बिना बात के ही लड़ाई झगड़ा, मन मुटाव सा हो जाता है। दफ़्तर के माहौल में चुप रहना पड़ता है … Read more

घर वापसी – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू : Moral Stories in Hindi

कई दिनों से अम्मा को तैयारी करते देख रेखा बोली अब बस भी करो और कितनी तैयारियां करोगी अरे! हम सालों के लिए नही कुछ महीनों के लिए जा रहे हैं।फिर तुम्हें तो पता है ज्यादा सामान लेके फ्लाइट पर नही चढ़ सकते। कहते हुए अचार की बर्नी,जरूरत से ज्यादा कपड़े खाने का बहुत सारा … Read more

रिश्तों की नई समझ – ‎उमा कुमारी : Moral Stories in Hindi

‎सुरंजिता बहुत ही खूबसूरत लड़की अपने माता पिता की इकलौती संतान। पढ़ने में अव्वल ,हर प्रतियोगिता में वह भाग लेती। नृत्य करती तो लगता अप्सरा ही उतर आई गाने में सरस्वती सी । वादविवाद प्रतियोगिता में जब तर्क रखती तो निरुत्तर कर जाती। मेडिकल कॉलेज की छात्रा थी मगर कला में भी पारंगत थी। ‎अनुज … Read more

हक की परिभाषा – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

माही ने नजर उठा कर घड़ी की और देखा तो उसे कुछ घबराहट सी हो आई। सिरफ एक घंटा ही बचा है, मेहमानों के आने में, और अभी कितने काम पड़े है। मेड भी बेचारी कितनी तेज़ी से हाथ चला रही है। चाय भी पड़ी पड़ी ठंडी हो गई तो वो उठा कर एक घूँट … Read more

तंग करने का तोसे नाता है – डॉ० मनीषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

स्कूल की घंटी बजते ही अंशु अपने क्लासरूम से बाहर निकला। उसके चेहरे पर थकान थी, पर आँखों में वह चमक थी जो बच्चों को कॉग्निटिव डेवलपमेंट पर पियाजे के सिद्धांत समझाते समय आती थी। बैग में किताबों का बोझ था – वाइगोत्स्की, ब्रूनर, और उसका पसंदीदा पियाजे का संग्रह। वह सीधे घर पहुँचा और … Read more

दूरदृष्टा पिता – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi 

“सुनो नीरा,अपने लाड़ले से कह देना।अब घर खर्च थोड़ा बढ़ा दे,पत्नी आ गई है घर में।मुझसे उम्मीद ना रखे कि मैं उसका भी खर्च उठाऊंगा।और हां,बिजली का बिल,गैस सिलेंडर,और साप्ताहिक बाजार की जो जिम्मेदारी सौंपी है मैंने उसे,वो वैसी ही रहेंगी।” निरंजन जी की कर्कश आवाज सुनकर नीरा को बहुत बुरा लगा आज।अभी -अभी तो … Read more

पहला स्कूल – एम. पी. सिंह : Moral Stories in Hindi

पिता जी की तेरवी के बाद, सुमित ने अपनी मॉ कमल देवी से कहा, मॉ, अब आप भी हमारे साथ शहर चलो, यहाँ गावँ में अकेली रहेगी तो पिताजी की याद आएगी ओर आप परेशान होती रहेंगी। बेटे का दिल रखने के लिए मॉ ने कहा, अभी थोड़े दिन यहीं रहने दे, अगली बार जब … Read more

रसोई किसकी– बहू या सासूमाँ की – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

 सीजन के पहले दिन कटहल की सब्जी बड़े उत्साह और मेहनत से सौम्या ने बनाया था….। वाह क्या सब्जी बनी है कटहल की… सच में बहुत स्वादिष्ट लग रही है डाइनिंग टेबल पर बैठकर सभी कटहल की सब्जी की तारीफ कर – कर के चटकारे ले-ले कर खाये जा रहे थे….। रसोई से सौम्या ये … Read more

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