ये बंधन सिर्फ कच्चे धागों का नहीं है – लक्ष्मी त्यागी

कल्पिता मन ही मन खुश हो रही है ,’श्रावण मास’ जो चल रहा है ,इन दिनों’ शिवपूजन’ के साथ -साथ’ हरियाली तीज ‘ उसके पश्चात’ रक्षाबंधन’ भी आती है। कल्पिता मन ही मन गुनगुनाने लगती है -”अब के बरस भेजो ,भैया को बाबुल सावन में लीजो बुलाए !” जब से विवाह करके अपनी ससुराल आई … Read more

अतिथि,अब तुम जाओगे – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

बचपन में हमें टीचर ने सिखाया था कि अतिथि देवो भवः और सयाने होने पर दादी ने भी यही सिखाया था।जब भी चाचा, बुआ-फूफाजी अथवा पिताजी के मित्र हमारे घर आतें तो माँ हम सभी भाई-बहनों को एक कमरे में समेट देतीं थीं।अब रात को एक ही बिस्तर पर हम पाँचों भाई-बहन एक-दूसरे पर लातें … Read more

 दूसरी बेटी – गीतू महाजन, : Moral Stories in Hindi

मैंने अपने माता-पिता के घर दूसरी बेटी के रूप में जन्म लिया..उनके लिए तो मैं उनकी दूसरी संतान थी पर बाकी घर वालों और रिश्तेदारों के लिए मैं दूसरी बेटी थी।मेरे जन्म पर माता-पिता के अलावा कोई भी खुश नहीं था..ना ही घर वाले और ना ही रिश्तेदार बल्कि आस पड़ोस वालों का भी मन … Read more

” साड़ी से छुट्टी ” – कमलेश माथुर : Moral Stories in Hindi

अरे निशा कहाँ हो तुम!!! जी !अभी आई।…सुनो- जल्दी से एक कप चाय पिला दो। क्या बात है राजेश!!बहुत खुश नजर आ रहे हो। हाँ एक अच्छी खबर है, मुझे आफिस से छुट्टी मिल गई है और हमारे यूरोप टूर के टिकट आ गई है।  अरे वाह!! यह तो सच में बहुत अच्छी खबर है, … Read more

मनमुटाव – कंचन श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

ट्रिक ट्रिक ……..के घंटी की आवाज़ के साथ रेखा दरवाज़ा खुलने की प्रतिक्षा करने लगी।इतने में भीतर से कौन की आवाज के साथ दरवाज़ा खुला। खुलते ही रेखा को सामने देख भतीजा राहुल बोल उठा अरे! बुआ आप नमस्ते आइये आइये। मां देखो बुआ आईं हैं।कहता हुआ भीतर चला गया और वो जवाब देकर वही … Read more

तोहफा – डॉ० मनीषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

उस शाम का सूरज भी थक कर लाल हो रहा था, जैसे अविनाश के दिन भर के काम के बोझ से। कार से उतरते हुए उसने जेब में पड़े छोटे से मखमली डिब्बे को दबाया। सालगिरह का तोहफा था – प्रगति के लिए। एक सोने की नाजुक चेन, उसकी कई महीनों की गोपनीय बचत का … Read more

स्मृतियों की माला – डॉ० मनीषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

पुरानी संदूकची की धूल चाटती कुंडी खुली। अंदर, समय के क्षय से बचे कागज़ों की सुगंध थी – पुरानी मासूमियत और स्याही की मद्धिम खुशबू। रितिका ने हाथ बढ़ाया। उंगलियां एक मोटे फाइल के ऊपर ठहरीं, जिस पर उसकी बचपन की टेढ़ी-मेढ़ी लिखावट में लिखा था – “मेरी जीतें”। इसे खोलना… स्मृतियों की एक माला … Read more

अधपकी सब्जी – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

मम्मी….. मम्मी….आज टिफिन में सब्जी काहे का दी थीं…..?  क्यों… क्या हुआ…?     आरंभ के प्रश्न पर स्वरा ने भी आश्चर्य से प्रश्न ही कर डाला….!       बहुत तारीफ हुई सबको बहुत पसंद आया…. वैसे तो मेरे टिफिन की हर रोज ही तारीफ होती है पर आज सब्जी तो वाकई कमाल का बना था….। बेटा मिक्स वेज … Read more

हम फिर मिलेंगे कभी – वीणा राज :

Moral Stories in Hindi ठंड के मौसम में चाय की भाप मन को आत्मिक तुष्टि का एहसास करा रही थी. जगजीत सिंह की ग़ज़ल, कप से उठता भाप और पेड़ों से छनकर आती धूप ने बालकनी में बैठी तृषा को स्वर्गिक आनन्द दे रखा था. साथ में मूंगफली के गुलाबी दानों को एक एक कर … Read more

मां चरण स्पर्श –  विनती झुनझुनवाला :Moral Stories in Hindi

बहुत समय से आपको ये पत्र लिखना चाहता था परन्तु हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था लेकिन आज जब ईनू ने वही प्रश्न मुझ से किया जो हमेशा मैं आपसे पूछना चाहता था तो मैं खुद को रोक नहीं पाया, हुआऐसा कि ईनू पार्क में खेलते हुए गिर गया और उसके घुटनों पर चोट लग … Read more

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