दिल का रिश्ता – बेला पुनीवाला

बात उन दिनों की है, जब निधि १८ साल की उम्र की हुआ करती थी, निधि के घर के सामने वाले घर में अभी कुछ दिन पहले ही दो लड़के भाड़े पे रहने आए थे। दोनों दिखने में हैंडसम और खानदानी घर के लगते थे, दोनों  मुंबई इंजिनयरिंग की पढाई के लिए आए थे । उन में से एक लड़के का नाम रितेश और दूसरे का नाम समीर था। रितेश पढाई करने अपनी खिड़की के पास ही रोज़ बैठता था और निधि के कमरे की खिड़की के सामने ही उसकी खिड़की थी, तो कभी-कभी निधि उसे  देखा करती थी। ये बात रितेश ने कुछ दिनों बाद महसूस की, कि निधि उसे यूँ चुपके से रोज़ देखा करती। 

      एक दिन रितेश अपनी खिड़की पे पूरा दिन नहीं दिखा, तब निधि का जी मचलने  लगा, उसे रोज़ देखने की अब उसकी आदत जो हो गई थी। उस दिन निधि के  मम्मी-पापा और भैया तीनों शादी में गए हुए थे, निधि की एग्जाम शुरू होने वाली थी, तो निधि ने जाने से इंकार कर दिया, कि उसे आज रात पढ़ना है। तो ये मौका अच्छा है मिलने का, ये सोच निधि सीधे उसके घर चली गई, 

     निधि ने बेल बजाया। पहले तो समीर ने दरवाज़ा खोला, निधि ने घर के अंदर इधर-उधर झाकने की कोशिश की, मगर कहीं भी रितेश दिखाई नहीं दिया। तब निधि से रहा नहीं गया, निधि ने समीर से सीधे ही पूछ लिया, कि ” तुम्हारा दोस्त कहाँ है ? आज कहीं वो दिख नहीं रहा ? ” समीरने कहा, ” वह अंदर ही है, उसकी तबियत कुछ ठीक नहीं है, इसलिए वह सो रहा है, डॉक्टरने उसे आराम करने को कहा है।

“निधि ने कहा,  ” ओह्ह, तो ये बात है, क्या मैं  उस से एकबार मिल सकती हूँ ? ” समीर ने कहा, ” हाँ, हाँ क्यों नहीं ? आइऐ ना। ” कहते हुए समीर निधि को रितेश के कमरें  में ले गए, रितेश सच में अपने बिस्तर पे लेटा हुआ था, रितेश को बुखार था और ठण्ड के मारे उसका बदन काँप भी रहा था। निधि ने समीर से कहा, ” इसे तो बहुत तेज़ बुखार है। ” समीर कहा, ” हाँ,  दवाई तो पिलाई है, मगर बुखार कम नहीं हो रहा। ” 


    निधि ने समीर के पास एक बाउल मैं ठन्डे बर्फ का पानी और रुमाल माँगा, निधि कुछ देर तक रितेश के सिर पे ठन्डे पानी की पट्टी लगाती रही, इस से उसका बुखार कम हो गया, रितेश के पास कोई कम्बल भी नहीं था, तो अपने घर से कम्बल लाकर निधि ने उसे ओढ़ाया, ताकि उसे ज़्यादा ठण्ड न लगे और वह आराम से सो सके, बिना किसी बात का सोच-विचार किए निधि पूरी रात उसकी सेवा करती रही, तब जाके सुबह को उसका बुखार कम हुआ और उसे थोड़ा अच्छा लगा,

रितेश ने निधि का शुक्रिया भी किया, फ़िर निधि अपने घर जाने लगी, तभी सामने से  निधि के मम्मी-पापा की कार भी आई, निधि के मम्मी-पापा ने उसे रितेश के घर से इतनी सुबह-सुबह बाहर निकलते हुए देख लिया, तो पापा का गुस्सा आसमान पे था, उन्होंने निधि से बिना कुछ बात किए, उसे गलत समझकर कुछ दिन उसके कमरे में बंद कर दिया, मगर पापा को कहाँ पता था, कि वह दोनों आमने-सामने खिड़की में से एक-दूजे को देखा करते है। रितेशने इशारे से खिड़की में से फ़िर से निधि को कल रात के लिए THANK YOU कहा।

निधि उसे मन ही मन चाहने लगी थी, मगर कभी बता ना सकी। बस खिड़की में से कभी-कभी एक दूजे से बातें कर लेते और मुस्कुराया करते। निधि का उसके साथ एक दिल का रिश्ता बन गया था। निधि के पापा उसूलों के बहुत पक्के थे, उन्होंने  निधि की  शादी कहीं ओर तै कर दी। इस बात को कुछ महीने गुज़र गए। 

          एक दिन किसी कॉफ़ी शॉप में निधि  बैठ के अपनी दोस्त  के इंतज़ार में थी, वही इत्फ़ाक से रितेश भी आया हुआ था, दोनों ने एकदूसरे को देखा, पहले तो दोनों के बीच चुप्पी छाई रही। कुछ देर बाद रितेश ने निधि से पूछा, ”  तुम कैसी हो ? यहाँ  कैसे ? ” निधि ने कहाँ, ” मैं अपनी दोस्त के इंतज़ार में हूँ, वह आज मुझ से यहाँ मिलने आनेवाली है, मगर पता नहीं, अब तक आई क्यों नहीं ? ओह्ह, same here, मेरा भी एक दोस्त मुझ से मिलने आनेवाला है, अब तक आया नहीं। अच्छा, तो हम दोनों ही बात कर लेते है। निधि ने कहा, ” हाँ, ज़रूर ! क्यों नहीं ? ” 

    रितेशने कहा, ” अच्छा चलो बताओ, तुम्हारे पति,  तुम्हारे घरवाले सब कैसे है ? तुम ख़ुश तो होना ? “

    निधि रितेश की बात सुनकर चौंकी। निधि ने कहा, ” शादी और मेरी ? “

    रितेश ने कहा, ” हां, उस रोज़ तुम्हारी शादी थी ना ?” निधि ने कहा,  ” हां,  बारात भी आई थी, मगर उसी रोज़ बारात आने से पहले मैं घर छोड़कर वहां से भाग गई थी, क्योंकि  मेरे पापा ने पैसो की ख़ातिर मेरी शादी मुझ से १० साल बड़े लड़के से तै की थी, जिसका एक छोटा बच्चा भी था, मगर ये बात मुझे मंज़ूर नहीं थी। इसलिए मैंने घर छोड़ दिया। मेरी सहेलीने मुझे अपने घर चंडीगढ़ में कुछ महीने के लिए आसरा दिया। फ़िर मैंने जॉब शुरू कर दी और खुद का घर ले लिया, मगर तुम ?


    रितेश ने कहा, बस मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ, मेरी शादी पापा ने ज़बरदस्ती करवा दी, मगर सुहाग रात में लड़की ने कहा, कि मैं किसी और को चाहती हूँ, उस से मैं बहुत प्यार करती हूँ और उसी से शादी भी करना चाहती हूँ। तब मैंने अपनी पत्नी शीला के बॉय फ्रेंड के  बारे में पता किया, वह  लड़का सच में बहुत अच्छा था, शीला से प्यार भी बहुत करता था, इसलिए मैंने शीला को उसके बॉय फ्रेंड राघव से मिला दिया, दोनों की शादी करवा दी और जॉब के लिए यहाँ आ गया,

वैसे भी मैं उस से प्रेम नहीं करता था, तो ऐसे रिश्तों के साथ जीने से तो बेहतर अकेले रहना मुझे ठीक लगा। क्योंकि मैंने जब से तुझे देखा मैनें सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम से ही प्यार किया, फ़र्क सिर्फ़ इतना है, कि ये बात कभी मैं अपनी ज़ुबान पे ला ना सका। मुझे लगा तुम्हारे पापा ने तुम्हारी शादी कहीं ओर करवा दी, तो तुम्हारी डोली उठने से पहले ही मैं वहां से चला गया, मैं तुझे किसी ओर की होते हुए नहीं देख सकता था और उस वक़्त मुझ में इतनी हिम्मत नहीं थी, कि मैं तुम्हारे पापा से अपने प्यार के बारे में बात कर सकूँ।

उस वक़्त मेरे मन की बात मन में ही रह गई, मगर दिल का रिश्ता तो तुम से बन ही गया था, मैंने तो तुम्हारी शादी के बाद तुम से मिलने की उम्मीद ही छोड़ दी थी, मगर आज तुम्हारा सच जानने के बाद, आज मैं तुम से कहना चाहता हूँ, कि मैं आज भी तुम से उतना ही प्रेम करता हूँ, जितना पहले करता था, क्या तुम मेरे साथ अपनी बाकि की ज़िंदगी बिताना चाहोगी ? ” 

     निधि तो उस वक़्त ख़ुशी के मारे आसमान में उड़ने लगी, मैंने भी तुम से कभी मिलने की उम्मीद छोड़ ही दी थी, मगर जहाँ दिल का रिश्ता इतना गहरा हो, तब दो दिल चाहे जितने भी दूर हो, मगर एक ना एक दिन तो मिल ही जाते है। ये दिलों का रिश्ता ही ऐसा है। इसी तरह तक़दीर ने निधि और रितेश को मिला दिया। 

     मगर उसी वक़्त निधि की सहेली यानी मैं और रितेश का दोस्त यानी समीर, हम दोनों तालियाँ बजाते हुए उनके सामने आए क्योंकि हम दोनों ने मिल के निधि और रितेश को मिलाने का ये प्लान किया था, क्योंकि हम दोनों ये बात जानते थे, कि निधि और रितेश एक दूसरे से बहुत प्यार करते है। अब वह दोनों साथ में रहते है, दोनों ने शादी भी कर ली, जॉब भी दोनों साथ में करते है, उनका  एक बच्चा भी है और वह दोनों आज बहुत खुश भी है।  

        तो दोस्तों, रिश्ता अगर दिल से दिल का हो तो बिछड़े प्रेमी एक ना एक दिन, किसी ना किसी तरह, किसी ना किसी रास्ते मिल ही जाते है। 

                                                           Bela… 

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