आज चार दिन बाद मानसी को होश आया तो समीर के चेहरे पर इत्मीनान की मुसकान तैर गई।
जबसे मानसी को अस्पताल लाया गया था, तबसे एक पल के भी उसे चैन नहीं आया था। मानसी के ठीक होकर अस्पताल से छुट्टी मिलने तक उसने वहीं अपना डेरा जमाने का निश्चय कर लिया था।
मानसी के परिवार और अपने घरवालो के लाख कहने पर भी वह अस्पताल से एक पल के भी घर जाने को तैयार नहीं हुआ था। भोजन भी किसी के आने पर जल्दी से नीचे जाकर कर आता था, क्योंकि बाहर से खाना लाने की अनुमति नहीं थी। मानसी के बिना तो वह अपने जीने की कल्पना ही नहीं कर सकता था।
मानसी, समीर की जीवनसंगिनी, उसके जीवन की धड़कन उसका प्यार। उससे मिलकर कुछ बातें करके समीर बाहर आ गया, अभी उसे आराम की ज़रूरत थी।
अपने घर और मानसी के घर उसके होश में आने की खबर सुनाकर वह कॉफी लेने चल पड़ा। आज बहुत दिनों बाद कॉफी पीने की इच्छा हुई थी। कॉफी पीकर वह अतीत की यादों में खो गया।
मानसी से उसकी पहली मुलाकात अनामिका होटल में हुई थी, जहाँ उसकी निगुक्ति असिस्टेंट मैनेजर के पद पर हुई थी और मैं डायरेक्टर पद पर नियुक्त था।
मानसी बहुत ही कार्यकुशल थी साथ ही उसका ड्रेसिंग सेंस भी गज़ब का था। उसका प्रभावशाली व्यक्तित्व, लंबे बाल, प्यारी हँसी मुझे अपनी और खींचने के लिए काफी थी।
एक साथ काम करने, विचारों में समानता और समान वय की होने से प्यार परवान चढ़ने लगा।
हम दोनों ने इस बारे में घर में बात की। परिवार में की रजामंदी होने पर पहले रोका, फिर सगाई और पाणिग्रहण हुआ। तत्पश्चात मानसी मेरे घर में मेरी जीवनसाथी बनकर आ गई।
विवाह के बाद उसका स्थानांतरण दूसरे होटल में हो गया, क्योंकि पति-पत्नी का एक ही जगह कार्य न करने का नियम है। विवाह के बाद उसे तोहफ़े में मिली, मैनेजर की पोस्ट। हमारी खुशियाँ दुगुनी हो गई।
कुछ ही दिनों में मानसी ने ससुराल में भी सबका मन मोह लिया। वह सबकी चहेती बन गई। सब कुछ सही चल रहा था कि एक दिन अचानक
विवाह की दूसरी वर्षगांठ के कुछ दिन बाद हुई दुर्घटना से मेरी जिंदगी जैसे रुक-सी गई।
इन दस दिनों में मानसी के परिवार को भी संभालना बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी थी। मानसी के बिना उसका क्या हाल था, केवल ईश और मेरा मन ही जानता है। सच में, माता-पिता, भाई-बहन के अलावा पति-पत्नी का रिश्ता भी दिल का रिश्ता होता है, जो लाख संकट के बादल छाने पर भी हिम्मत नहीं छोड़ता। सदैव दिल से जुड़ा रहता है। एक को तकलीफ़ होती है, पर उसकी चुभन का अहसास दूसरे को भी होता है।
अचानक, पीठ पर किसी के स्पर्श का अहसास हुआ। मेरी तंद्रा टूट गई। माँ थी। साथ में था मेरा और मानसी का पूरा परिवार। उनकी खुशी से भरी आँखों के साथ एक जोड़ी आँखें और अश्रुपूरित हो उठीं।
#दिल_का_रिश्ता
अर्चना कोहली ‘अर्चि’
नोएडा (उत्तर प्रदेश)
मौलिक और स्वरचित