जादुई दुनिया का जादुई स्कूल,,नौ साल,नौ कहर,, – सुषमा यादव

#जादुई_दुनिया  

,,,ये एक ग्रामीण बहुत ही पुरानी जर्जर हालत में हो चुके स्कूल की

डरावनी कहानी है ,,, लेकिन हकीकत बयां करती सच्ची कहानी है,,

,,,मैं छिंदवाड़ा से ट्रान्सफर होकर इस नए शहर में आई,,जिस स्कूल में मेरी नियुक्ति हुई, वो बहुत ही पुराना स्कूल था,, यहां तक कि जो शिक्षक वहां पढे थे, कक्षा एक से,, वो वहीं शिक्षक हो गये थे और सेवा निवृत्त भी हो गये थे,,टूटी बांस बल्ली, टूटे खपरैल से सुसज्जित वो बहुत ही डरावना सा स्कूल लगता था,, वैसे बहुत बड़ा था, बड़े, बड़े कमरे थे,, बरसात में तो बारिश का पानी कमरों के अंदर,,,

इतने पुराने स्कूल में ना जाने किसके साथ क्या हुआ था,,ना जाने किसकी आत्मा भटक रही थी,, वो आत्मघाती स्कूल बन गया था,, एक से बढ़कर एक भयानक हादसे हो रहे थे,, और हम‌ सब कुछ नहीं समझ पा रहे थे,,,, चलिए, आपको भी उस दिल को दहलाने वाली सच्ची घटनाओं के बारे में बताती हूं,,आप भी बताइएगा कि ऐसा क्यों होता था,,,

,,, मुझे आये हुए उस स्कूल में कुछ महीने ही बीते होंगे,, कि एक दिन एक शिक्षिका ने आकर घबराते हुए कहा,, मैडम,, अमुक मैडम के पति का रात में बहुत भयानक एक्सीडेंट हो गया है,,शोक सभा करके छुट्टी कर दीजिए,, मैं यह सुनकर हैरान रह गई,,हे भगवान,अभी उनकी उम्र ही कितनी है,,

तीन छोटे, छोटे बच्चे हैं,, मैंने तो उनके पति को अपने घर के सामने उनके एक दोस्त के साथ देखा था,, बहुत ही बुरा हुआ,, मैं चुंकि प्रभारी थी, इसलिए अश्रुपूरित नेत्रों से श्रध्दांजली देते हुए अवकाश कर दिया,,,इस दुर्घटना को हम सब ने

एक हादसा मान लिया और सब कुछ यथावत चलने लगा,,

,,अगले साल हमारे स्कूल के चपरासी की पत्नी ने आग लगा कर आत्महत्या कर ली,,

इसको भी हमने भगवान की मर्जी


या गृहक्लेश मान लिया,,

पर जब तीसरे साल उसके बेटे की भी एक्सीडेंट में मृत्यु हो गई, तो हम सब घबराने लगे,, और एक दूसरे से पूछने लगे,, ये क्या हो रहा है,,,

अभी हम इस घटना को भूल नहीं पाए थे कि, हमारे बीच के एक शिक्षक हमारे साथ बैठे ही थे कि उनके घर से उनके बेटे का फोन आया कि पापा,, भैया ने फांसी लगा लिया है, जल्दी आइए,,वो बेचारे बदहवास घर को भागे और हम सब डर के मारे एक साथ ही छुट्टी तक बैठे रहे,,

,,, धीरे धीरे किसी एक कक्षा की लड़की हाथ पैर पटकते हुए बेहोश हो जाती,, तो कभी दूसरी लड़की,

,, हमें आये दिन उनके घर वालों को बुला कर उन्हें घर भेजना पड़ता,, लेकिन ये कोने वाले कमरे में ज्यादा होता था,, मैं वैसे इन सब में बहुत विश्वास नहीं करती थी,,पर आये दिन ये सब देख कर 

कुछ सोचने को मजबूर हो रही थी,,

,,, अगले साल एक बहुत ही दर्दनाक हादसा घटित हुआ,, हमारी एक शिक्षिका अपने गांव कुछ पारिवारिक समारोह में शामिल होने गईं थीं,,घर में गाना बजाना हो रहा था,,शाम को बच्चे

दौड़ते हुए आए,, चाची,, भैया तालाब में डूब गए,,सब पर कहर टूट पड़ा,, रोते, बिलखते भागे,उनका होनहार बारहवीं कक्षा का छात्र प्यारे बेटे का शव तालाब में तैर रहा था,,

हमारे स्कूल में हाहाकार मच गया,,,सब इतने‌ डर गये थे,कि बस लगता था,अब किसकी चीखें

सुनाई देगी, करुण क्रन्दन से स्कूल की दीवारें भी लगता था,रो देंगी,,


एक दिन मैं कक्षा में पढ़ाते, पढ़ाते ही बेहोश हो गई,, बच्चों ने जाकर

सबको बताया तो मुझे उठा कर घर भिजवाया, ऐसा कई बार हुआ,पर मैं समझ नहीं पाई कि इसका क्या कारण था, अच्छा खासा पढ़ा रहीं हूं और बेहोश हो कर कुर्सी से लुढ़क पड़ती,,

अब हम अगले साल का डरते, डरते इंतजार करते कि अब किसके साथ क्या होगा,,किसके ऊपर बिजली गिरेगी,,तो अगली बिजली मेरे ही ऊपर गिरी,

,, अचानक ही इंदौर में फोन पर बात करते करते ये शांत हो गये,, महज़ मामूली सी बात पर हम सबको अनाथ कर गए,

अभी हम सब एक दूसरे के दर्द से उबर नहीं पाए थे कि हमारी एक शिक्षिका की बहुत ही बेदर्दी से हत्या कर दी गई,,

,, मैंने घबरा कर रोते हुए स्कूल स्टाफ में कहा,,, अबकी साल किसकी बारी,,

,, और अभी हम सब अपने अपने आंसू ठीक से सुखा भी नहीं पाये थे,, कि दिल को दहला देने वाला एक मार्मिक ह्रदय विदारक मां का‌ कलेजा चीर देने वाली वो मनहूस दिन हम आज़ तक नहीं भूल पाएं हैं,, हमारी बहुत ही खास दोस्त हमारी शिक्षिका के सामने ही कुछ पलों में ही उसकी इकलौती बेटी ने फांसी लगा लिया,,हम बता नहीं सकते कि हमारे पूरे स्टाफ का रोत रोते कितना बुरा हाल हो रहा था,, सभी शिक्षकों ने कहा,, यादव मैडम सही कहती थीं,अब किसकी बारी,, ये स्कूल तो खूनी स्कूल बनता जा रहा है,,

, अब हम अकेले रहने में डरने लगे थे,,अगर कोई संयोग से अकेले ही बैठता तो यदि अचानक 

कोई चुपचाप आ जाता तो वो भय से चिल्ला देता,,

अभी रुकिए,,अभी और भयानक साल बाकी है,,अभी शाय़द इंतकाम खतम नहीं हुआ,,अभी मौत का साया रुका नहीं,,

हमारी एक और प्रिय शिक्षिका के गृह प्रवेश में हम सब पूरे स्कूल वाले गये थे,, बहुत शानदार पार्टी हुई थी,, उनके दोनों बेटे भी आये थे , बड़ा बेटा बहुत ही होनहार , हंसमुख और जिंदादिल, सैनिक स्कूल का पढ़ा हुआ दिल्ली में एक अधिकारी की‌ पोस्ट पर था,, पता नहीं क्या बात हुई,, गृह प्रवेश के बाद दिल्ली चला गया और अभी महीना भी नहीं बीता कि फांसी पर झूल गया,,इतने सालों बाद भी वो मैडम इस हादसे से नहीं उबर पाईं,,, वो डिप्रेशन में चली गई हैं,,


इसके बाद एक और दुर्घटना घटी,एक कार एक्सीडेंट में पति तो बच गए पर उनकी पत्नी तत्काल खतम हो गई,,

इस तरह काल चुपके चुपके से आता,,उसकी निगाहें किसी को खोजती,, अगले ही साल वो निर्दयता और निर्ममता से उसका शिकार बन जाता,,

मेरे आने के पहले वहां क्या क्या हुआ था, हमें नहीं पता,, अधिकतर सब एकाध को छोड़कर सब स्टाफ नया था,,

,,हम सब आज़ तक इस पहेली को नहीं सुलझा पाए कि ऐसा क्यों हो रहा था,,

,,वो हर‌ साल‌ एक अकाल‌ मौत और स्कूल में ह्रदय फट जाने वाला चित्कार और रुदन आज़ भी

याद आता है, तो हाहाकार मच जाता है,, आंखों से आंसूओं की बरसात होने लगती है,, मैं लिख रहीं हूं, और अब भी थरथरा कर कांप रहीं हूं,,

उसके अगले साल स्कूल पूरी तरह से गिरा कर बहुत बड़ी बिल्डिंग बना दी गई और विशेष पूजा पाठ,हवन यज्ञ वगैरह किया गया,, और इसके साथ ही वो जानलेवा मंज़र को भी विराम मिल गया,, उसके बाद एक भी छोटा मोटा हादसा नहीं हुआ,,

,,,अब ये सब क्या था,, इसे हम मात्र संयोग तो नहीं कह सकते हैं,, आप बताइए कि ये सब डरावने और ह्रदय विदारक घटनाएं होने का क्या कारण रहा होगा,,

****तो इस जादू भरी दुनिया के जादुई स्कूल का कभी ना भूलने वाला एक खौफनाक मंजर,***

सुषमा यादव, प्रतापगढ़, उ प्र

, स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित,,

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