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अच्छे संस्कार और मन में सेवा भाव होना तो अच्छी बात है लेकिन कठपुतली की तरह केवल इशारों पर चलने से मन को तकलीफ तो होती ही होगी ना? हालांकि बातों ही बातों में माधुरी, मीना को महेंद्र की ग़लत बातों का विरोध करने के लिए समझाती भी थी।
महेंद्र और रजत सरकारी मकान में आमने-सामने रहते थे। उन मकानों में रहने वाले एक ही दफ्तर के कुछ लोग फैमिली किट्टी करते थे|
किट्टी में आने वाले सब परिवारों को खाने के लिए कुछ ना कुछ बना कर लाना होता था। जिसके घर में भी किट्टी होती थी उसके घर में सब मिलजुल कर काफी रात तक सब साथ आकर बातें करते और खाना खाते थे। इस तरह से उनका मेलजोल भी होता रहता था और किसी पर ज्यादा जोर भी नहीं पड़ता था।
रजत की पत्नी मीना बहुत अच्छा खाना बनाती थी। सब लोग उसके खाने की तारीफ करते थे। उसका व्यवहार भी सबको मोह लेता था। लेकिन रजत किसी ना किसी कारण से अपनी पत्नी को नीचा ही दिखाता था| घर में भी वह अपनी पत्नी से हमेशा सामने रहने वाली महेंद्र की पत्नी माधुरी भाभी की तारीफ ही करता रहता था
। घर से बाहर सब के साथ उसका व्यवहार ऐसा होता था मानो वह कितना सज्जन इंसान है। महेंद्र का घर उसके सामने वाला ही था इसलिए माधुरी मीना के हर दर्द को समझती थी। रजत का यह झूठा और दिखावटी व्यवहार उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था।
यदा-कदा रजत के चिल्लाने और मीना के रोने की उसे अक्सर आवाजें आया करती थी। किसी भी कारण से रजत को मीना पर जोर-जोर से चिल्लाते हुए बर्तन फेंकते हुए की आवाज माधुरी के घर में आती ही रहती थी।
माधुरी जब भी मीना को समझाने की कोशिश करती कि वह रजत की गलत बातों का विरोध क्यों नहीं करती तो मीना सिर्फ एक ही बात कहती थी आप तो नौकरी भी करती है इसलिए आपको तो भाई साहब की सुनने की कोई जरूरत नहीं है।
वह तो कमाते हैं इसलिए मुझे तो सुनना ही होगा ना। सारे पति तो ऐसे ही तो होते हैं। अपना दर्द छुपा कर मीना जाने कितने पतियों के किस्से सुनाना शुरू कर देती थी जो कि अपनी पत्नियों पर हद दर्जे का अत्याचार करते थे।
इसके विपरीत वह माधुरी को यही समझाने की कोशिश करती थी कि मेरे पति फिर भी बहुत अच्छे हैं जो मुझ पर इतना अत्याचार तो नहीं कर रहे। शायद ऐसी बातें करके वह खुद को ही सांत्वना देती थी।
अबकी बार जब रविवार को कॉलोनी की किट्टी पार्टी में मीना ने छोले बनाए थे। वहां पर सबने मीना के बनाए हुए छोलों की बहुत तारीफ करी तो रजत ने हंसते हुए कहा, घर में खाली बैठकर अगर औरतें छोले भी स्वाद ना बना सके तो और क्या करेंगी?
ऐसा कहकर रजत बेशर्मी से हंसते हुए सबके सामने मीना का मजाक बनाते हुए बोला, देखो इन्होंने जो छोले की पैकिंग करी है तो डोलची से सारा तेल अपने कपड़ों पर लगा लिया। अपनी चिकनी हुई साड़ी के जिस हिस्से को मीना
छिपाने की कोशिश कर रही थी वह सबकी नजर में आ गया। बातें करते हुए भी बिना यह सोचे कि मीना को भी कुछ महसूस होता होगा वह सिर्फ और सिर्फ उसका मजाक बना करके ही सबको हंसाने की कोशिश कर रहा था।
सकुचाई और डरी सी मीना बेहद असहज होकर अपने आपको सहज दिखाने की पूरी कोशिश कर रही थी। तंबोला खेलते समय मीना का फोन बजा तो जैसे ही उसने फोन उठाकर हैलो बोला ही था कि तभी रजत की आवाज आई , अपने घरवालों से तो बाद में भी बात कर लेना फिलहाल तो तंबोला के नंबर काट लो। अचानक से मीना का
फोन बंद हो गया, शायद दूसरी तरफ भी रजत की आवाज पहुंच चुकी थी। मीना की आंसुओं से भरी पनियाली आंखें माधुरी महसूस कर रही थी पर? औरों से बात करते हुए तो रजत इस बात का पूरा ख्याल रखता था कि वह बहुत सभ्य लगे परंतु अपनी पत्नी को वह केवल एक कठपुतली समझता था जो कि उसके
इशारों पर चलती रहे। उसके आत्म सम्मान की रजत ने कभी परवाह नहीं की।
खाने के बाद अगली किटी निकाली गई जो कि महेंद्र के नाम की थी। पार्टी का समापन होने को था और अब सब अपने अपने घर जाने की तैयारी में थे|किट्टी हर माह के दूसरे रविवार को होती थी। महेंद्र ने अपने घर में अगले माह किटी के लिए सबको याद दिलाया
आने का आमंत्रण दिया तभी रजत बोला हां भाई महेंद्र ,तुम्हारे घर तो किट्टी बहुत बढ़िया ही होती है। भाभी घर भी संभालती हैं और दफ्तर भी। वह कोई घरेलू गंवार औरत थोड़े ही है तुम्हारे घर की किट्टी बहुत शानदार और क्लासी तो होती है। शायद ऐसा बोलकर वह माधुरी भाभी की तारीफ करना चाहता था, लेकिन इस तरह से अपमान करके वह मीना का मन बिना वजह ही दुखा रहा था।
तभी माधुरी ने बात काटी और बोली भाई साहब सही कहते हैं आप! मेरे घर का किसी से भी कहां मुकाबला है? हमारे पतिदेव तो सिर्फ हमारी ही तारीफ करते हैं, हर तरह से घर संभालने में वह मेरा भी सहयोग करते हैं।
उन्हें मेरा सम्मान करना आता है। आप सबको एक राज की बात बताऊं , वह खुद तो कभी मेरी बुराई करते ही नहीं और कोई मेरी बुराई ना कर पाए इसलिए घर को भी सुंदर वह खुद ही छुट्टी लेकर बनाते हैं। किटी का सारा इंतजाम वह स्वयं ही करते हैं।
अपनी इज़्ज़त बढ़ाने के लिए वह अपनी पत्नी को कभी बेइज्जत नहीं करते? मैं उनके लिए कोई कठपुतली नहीं हूं, उन्हें मेरी भावनाओं का ख्याल है और वह मुझे सम्मान और सहयोग दोनों ही करते हैं।
माहौल को हल्का करने के उद्देश्य से सब हंस पड़े और रजत जी झेंप गए। उन्हें इस उत्तर की शायद उम्मीद नहीं थी कि कोई अपने उत्तर से उनै आईना भी दिखा सकता था। शायद इस वार्तालाप के बाद रजत को भी समझ आ रहा था की पत्नी का अपमान करके भी अपनी इज्जत नहीं बढ़ाई जा सकती।
तभी माधुरी ने मीना की ओर देखा तो मीना मुस्कुरा रही थी। पहली बार मीना के चेहरे पर आत्मविश्वास की चमक भी दिखी ।तभी रजत ने भी सबको अभिवादन किया और वह शायद मन ही मन अपने व्यवहार पर शर्मिंदा भी था। उसने सबके सामने शायद पहली बार बहुत प्यार से मीना को घर चलने के लिए कहा।
मधु वशिष्ठ, फरीदाबाद, हरियाणा।
कठपुतली प्रतियोगिता के अंतर्गत लिखी गई कहानी