क्योकि वो इंसान थी – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

जख्मी तन और मन के साथ पड़ी थी वो एक कोने मे , सुनसान जगह थी वो जहाँ दिन ढलने के बाद इक्का दुक्का लोग ही नज़र आते थे । रात धीरे धीरे गहराती जा रही थी पर वो वही पड़ी थी दीन दुनिया से बेखबर , उसकी हालत ऐसी थी ही नही कि वो खुद से उठकर जा सके या शायद बेहोश थी वो ।

धीरे धीरे रात का अंधेरा छंटने लगा और सूरज की किरणे बिखरने लगी । उसके आस पास से कुछ कठपुतलियाँ गुजरने लगी …जी हां कठपुतलियाँ ही तो थी वो क्योकि उन्हे मतलब ही नही था किसी से मानो कोई उनमे धागा बाँध बस एक दिशा मे चला रहा है उन्हे । ना दाएं देखना ना बाएं । 

वो शायद अब होश मे आने लगी थी क्योकि वहाँ उसकी हल्की हल्की कराहने की आवाज़े आ रही थी पर कठपुतलियाँ वो आवाजे भी नही सुन पा रही थी , सुनती भी कैसे कठपुतली जो थी … हम सभी आजकल मानो कठपुतली ही बन गये है ,

हमारे आस पास क्या सही क्या गलत हो रहा उससे हमें फर्क पड़ना ही मानो बंद हो गया है । किसी का खून हो जाये , किसी का बलात्कार हो रहा हो पर हम अपने काम करते रहेंगे कोई फर्क नही पड़ता किसी को किसी से जाने किस युग मे जी रहे है हम ।

अब पूरी तरह उजाला घिर आया था और कुछ कठपुतलियाँ हरकत मे आई । उसकी मदद करने के लिए नही अपने अपने फोन निकाल वीडियो बनाने के लिए । सबके हाथ मे फोन है पर कोई मदद करना तो दूर पुलिस को फोन भी नही कर रहा मानो सबमे होड़ लगी है

सबसे पहले वीडियो बना सोशल मीडिया पर पोस्ट करने की । जी हां हम लोग सोशल बहुत है सब कुछ शेयर करते है बस किसी के दुख को छोड़ ।

वो भी अब थोड़ी चेतन सी हो गई थी और सबको वीडियो बनाता देख कभी अपना चेहरा छिपा रही थी कभी अपने फटे कपड़ो से झाँकता अर्धनग्न बदन । उसकी आँख मे आंसू थे पर बोल कुछ नही पा रही थी वो । 

तभी मानो कठपुतलियों के बीच एक इंसान नज़र आया ।

” क्या हो रहा है यहाँ क्यो भीड़ लगाई है , तमाशा हो रहा है क्या यहाँ ।” एक इंसान की कड़क आवाज़ गूंजी और वो भाग कर उसकी तरफ आई और अपने सीने से दुपट्टा उतार उसके नग्न जिस्म को ढक दिया । हालाँकि उसका खुद का सीना आँचल विहीन हो गया था पर उसे इसकी परवाह नही थी ।

नग्न जिस्म ढक जाने पर उसने उस इंसान के आगे हाथ जोड़ दिये । कठपुतलियाँ तो इसे भी फोन मे कैद करने को बैचैन हो उठी । 

” शर्म नही आती तुम सबको उसकी मदद करने की जगह तुम लोग उसे रुसवा कर रहे हो छी.. कैसे मर्द हो तुम लोग … !” वो इंसान सबकी तरफ देख चिल्लाई । उसका चिल्लाना सुन सबके हाथ रुक गये।

” अरे इसकी मदद करके अगर हम पुलिस के लफड़े मे पड़ जाते तो ?” तभी एक कठपुतली के मुंह मे जबान आई और बाकी सब भी उसके समर्थन मे बोल उठी । 

” अगर ये तुम्हारी बहन होती तो भी यही बोलते तुम … इतने सारे लोग एक बच्ची की मदद करने मे ख़ौफ़ खा रहे है पर उसकी इज्जत का तमाशा बनाने मे इन्हे शर्म नही !” वो इंसान फिर चिल्लाई और किसी को फोन मिलाया । फोन मिलाकर उसने बच्ची को धीरे से बैठाया और अपने पर्स से बोतल निकाल पानी पिलाया । 

” हमारी बहन रात को घरो से बाहर नही घूमती । और तू होती कौन है हमें बोलने वाली …सा.. किन्नर !” तभी उनमे से एक कठपुतली गाली देकर बोली। 

” हां किन्नर हूँ मैं पर तुम्हारी तरह कठपुतली नही !” वो भी दुगनी तेजी से चिल्लाई तब तक एक पुलिस की गाडी और एक एम्बुलेंस आकर रुकी । पुलिस को देखकर सब कठपुतलियाँ वहाँ से खिसक ली । 

पुलिस ने बच्ची को अस्पताल भिजवाया और वहाँ की जाँच पड़ताल की । बच्ची की पहचान हो सके ऐसा कुछ पुलिस को नही मिला और बच्ची अब तक बेहोश हो चुकी थी तो उससे कुछ पूछा जा नही सकता था । उस किन्नर से कुछ सवाल किये बाकी वहाँ कोई भी किसी सवाल का जवाब नही दे पाया सब कठपुतली जो थे । 

” साब मैं भी चलूंगी आपके साथ अस्पताल .. पता नही बच्ची किस हाल मे होगी !” पुलिस जब जाने लगी तो वो इंसान बोली उसके चेहरे पर बच्ची के लिए दुख और चिंता देख इंस्पेक्टर ने उसे भी बैठा लिया । 

अस्पताल मे वो बेचैनी से चककर लगा रही थी तब तक उसने फोन कर अपनी साथी को बुला लिया था जो एक दुपट्टा ला उसका सीना ढक चुकी थी ।

” देखिये इंस्पेक्टर साहब बच्ची के साथ गैंग रेप हुआ है हम तो हैरान है वो इतने घंटे ये सब झेलने के बाद भी जिंदा कैसे है । हमने अपनी तरफ से इलाज कर दिया है बस उसे जल्दी होश आ जाये वरना तो उसके कोमा मे जाने के चांस ज्यादा है !” कुछ घंटे बाद डॉ ने आकर कहा। 

” ठीक है डॉ साहब जैसे ही उसे होश आ जाये हमें बुला लीजिये हम उसका ब्यान लेंगे !” इंस्पेक्टर ये बोल वहाँ से चला गया। 

डॉ की बात सुन किन्नर धक से रह गई वहाँ रखी भगवान की मूर्ति के आगे हाथ जोड़ किन्नर प्रार्थना करने लगी । कई घंटे बीत गये पर वो वहाँ से हिली भी नही क्योकि वो इंसान थी । 

” डॉ पेशेंट को होश आने लगा है !” कुछ घंटे बाद नर्स भागती हुई उसके कमरे से निकली । 

उस किन्नर के साथी ने जब ये सुना तो उसके पास आई ।

” बस कर देख ईश्वर ने तेरी प्रार्थना सुन ली !” 

” सच में !” और वो भागती हुई उसके कमरे की तरफ बढ़ी ।

” जब तक इंस्पेक्टर लड़की का ब्यान नही ले लेते तुम अंदर नही जा सकती !” वहाँ गेट पर खड़े एक सिपाही ने उसे रोका जिसे इंस्पेक्टर छोड़ गया था । डॉ ने आकर लड़की की जांच की और उसे खतरे से बाहर बताया इतने में इंस्पेक्टर आया और पूछताछ शुरु की । दोनो किन्नर दरवाजे पर खड़े सब देख सुन रहे थे । 

” मैं एक अनाथ लड़की हूँ माता पिता की मौत हो चुकी है भाई बहन है नही । जब तक माता पिता थे उन्होंने पढ़ाया उनके बाद कमाई का साधन ना रहने से पढ़ाई छूट गई । जो थोड़ी बचत थी वो भी खत्म होने लगी ।

मकान मालिक ने घर खाली करा लिया तो नौकरी की तलाश में निकली , कुछ रातें सहेली के घर काटी पर वहाँ उसके भाई की गंदी नज़र मुझ पर पड़ गई और मुझे दोषी ठहराते हुए उसके माँ बाप ने मुझे निकाल दिया !” इतना बोल लड़की चुप हो गई कमजोरी की वजह से हाँफने जो लगी थी साथ ही उसकी आँखे भी नम थी । पास खड़ी नर्स ने उसे पानी पिलाया ।

” मैने कितनी रातें कभी मंदिर के बाहर , कभी गुरूद्वारे में काटी । आज एक जगह से इंटरव्यू दे लौट रही थी कि कुछ लोगों ने जबरन मुझे गाडी में बिठा लिया और …..!” इतना बोल वो लड़की जोर जोर से रो दी ।

” कितने लोग थे ? जब आपको अग़वा किया गया वहाँ कोई था ?” इंस्पेक्टर ने अगला सवाल किया।

” वो चार लोग थे , और मुझे बस अड्डे से अग़वा किया गया वहाँ बहुत से लोग थे पर वो कठपुतली बने तमाशा देखते रहे बस !” लड़की बोली। वो अभी भी रो रही थी । इंस्पेक्टर ने कुछ सवाल और किये लड़की की हालत अब बिगड़ने लगी तो डॉ ने और सवाल करने को मना कर दिया । इंस्पेक्टर तहकीकात करने चला गया। 

 लड़की के बताये बस अड्डे पर लोगों से सवाल पूछे गये पर कोई कुछ नही बता पाया क्योकि किसी ने कुछ देखा ही नही ( कठपुतली जो थे )

धीरे धीरे लड़की ठीक होने लगी वो इंसान रोज उससे मिलने आती थी । इधर पुलिस भी अपराधियों को पकड़ने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही थी इधर लड़की के सही होने पर वो इंसान उसे अपने साथ ले जाना चाहती थी लड़की भी खुशी खुशी तैयार हो गई क्योकि उसे उनके साथ सुरक्षित महसूस हो रहा था । पुलिस ने जरूरी कार्यवाही करके उसे भेज दिया पर जब जरूरत होती वो उसे बुला लेती। 

इधर लड़की भी उस इंसान के प्यार दुलार की छाँव में अपने दुःखो से उबरने लगी । तन के निशान मिट रहे थे पर मन पर लगे नही । वो इंसान उसे इंसाफ दिलाने के लिए भी प्रयासरत थी और आखिरकार सबकी मेहनत रंग लाई और अपराधी पकड़े गये । लड़की ने उनकी पहचान भी कर ली थी । आज लड़की खुल कर मुस्कुराई थी क्योकि अब वक्त था

उसके मन पर लगे जख्मो के भरने का जिसमे उस इंसान की भूमिका भी थी । लड़की उस इंसान को दीदी बोलने लगी थी क्योकि दुनिया की भीड़ मे एक वही तो अपनी लगी या यूँ कहे कठपुतलियों के बीच एक वही तो इंसान मिली उसे । 

दोस्तों ये कहानी एक काल्पनिक कहानी है पर सच्चाई के करीब भी । क्या हम सब आज कठपुतली नही बन गये है ? किसी के साथ क्या हो रहा उससे हमें मतलब नही , कभी पुलिस के डर से , कभी समाज के डर से हम जो गलत देखते है उसे देखते हुए आगे बढ़ जाते है । गलत के खिलाफ आवाज़ उठाना तो दूर हम तो जरूरतमंद की मदद से भी कतराने लगे है हां हमें वीडियो बनाना याद रहता है  क्या यही है इंसानियत .. क्या सच में हम इंसान है ? या है महज एक कठपुतली ।

#कठपुतली

संगीता अग्रवाल 🙏🙏

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