“हमें दहेज वहेज कुछ नहीं चाहिए बहन जी!जिसने अपने जिगर का टुकड़ा अपनी बेटी दे दी बस यूं समझिये हमें तो जैसे सारे जहाँ की दौलत मिल गई और हमें क्या चाहिए?”
मुकुल जी ने हाथ जोड़कर शीला जी से कहा!
शीला जी की इकलौती बेटी मैना को मुकुल जी के बेटे मदन ने एक दोस्त के घर देखा था !वह मैना को पसंद करने लगा था!मदन एक कंपनी में जाॅब करता था!उसे कंपनी की तरफ से मकान मिला था!पर मुकुल जी के घर में सब ऐशो-आराम था इसलिए सब साथ रहते थे!
मैना देखने में सुन्दर थी मदन को पसंद थी इसलिए सीमा और मुकुलजी ने बेटे की पसंदका मान रखते हुए ब्याह में एतराज नहीं किया!उनके लिए बेटे की खुशी सर्वोपरि थी!
शीला जी के पति सुरेश जी का देहांत हो गया था!मरने से पहले सुरेश जी ने अपनी बेटी मैना के ब्याह के लिए अच्छी खासी रकम जोड़ रखी थी!शीला जी थोड़ी दबंग किस्म की चालाक महिला थीं!बेटी मैना भी काफ़ी कुछ मां पर ही गई थी!
दूसरों के सामने मां-बेटी सीधी सादी और भोली भाली होने का नाटक करतीं!शीला जी विधवा बनकर बेचारी दिखाने का प्रयास करतीं जिससे लोग उनकी बातों में आकर सहानुभूतिपूर्वक व्यवहार करते!
मुकुल जी का बड़ा सा घर,नौकर-चाकर और गाडिय़ां देख कर शीला जी की आँखें वैसे ही चौंधियाईं थी ऊपर से मुकुल जी की बात सुनते ही कि वे दहेज नहीं लेंगे शीला के मन में खुशी के लड्डू फूटने लगे!
वाह क्या किस्मत पाई है बेटी ने! “ना हींग लगे ना फिटकरी,रंग भी चोखे का चोखा”
बिना पैसा कौड़ी खर्च किये ऐसा लड़का फांसेगी मेरी मैना यह तो सपने में भी नहीं सोचा था!
शीला जी दयनीय सी सूरत बनाकर हाथ जोड़कर मुकुल जी से बोली”भाई साहब! मैं ठहरी लाचार विधवा!
हम मां बेटी मैना के पापा के जाने के बाद किसी तरह उनकी पेंशन में गुजारा कर रहे हैं!
इसके पिता तो एकाएक बिना किसी से कहे सुने इस दुनिया से चले गए! ये भी नहीं सोचा कि कल बिटिया का ब्याह होगा तो कहां से पैसा आऐगा!हमें किस के भरोसे छोड़ गए! यह कहकर मुंह पर पल्ला डालकर रोने का नाटक करने लगी!
मुकुल और उन की पत्नि सीमा जी ने उन्हें ढाढस बंधाते हुए कहा”बहन जी आप चिंता क्यों करती हैं!
अब तो हमारा आपका परिवार रिश्ते में बंध गया है !आपकी परेशानी हमारी परेशानी!हम ब्याह का पूरा खर्च उठाऐंगे आपको कुछ नहीं करना होगा!हमें तो बस एक सौम्य,सुशील और संस्कारी बहू चाहिए !भगवानका दिया सबकुछ है हमारे पास!”
हमारी तो बस एक ही इच्छा है मैना बिटिया हम सबको अपनाकर अपने नये घर में रच बस जाए और हम सब एक छत के नीचे मिल जुलकर चैन शांति से रहें!
जैसी हमारी बेटी रिया वैसी ही मैना भी होगी!
मैना को हम बहू नहीं बेटी बनाकर रखेंगे यह विश्वास दिलाते हैं!
शीला जी सीमा जी के हाथ पकड़कर बोली”बहन आपने मेरे मन का बोझ हल्का कर दिया!आज के कलयुग में आप जैसे लोग कहां मिलते हैं!कहां आप जैसे पैसे वाले कहां मैं गरीब विधवा!आपने बिन बाप की बेटी को अपनाकर बहुत पुण्य का काम किया है!भगवान आप को सुखी रखें!
घर आते ही शीला का शैतानी दिमाग फुल स्पीड पर दौड़ने लगा!
उसने मैना को पट्टी पढ़ानी शुरू की कि शादी के बाद सबसे पहले वह मदन को अपने प्यार के जाल में फंसाऐ कि उसे सिवाय मैना के कुछ दिखाई ही ना दे!
वह उठते बैठते मैना को समझाया करती कि मुकुल जी तो सीधे हैं चतुर तो सीमा हैं!मदन अपनी मां को बहुत प्यार करता है तो तू बस सीमा की लल्लो चप्पो करके उसे अपने कब्जे में कर!मदन इसी में खुश हो जाएगा! फिर तेरी गलत बात भी उसे हमेशा सही लगेगी!
वह पूरी तरह आंख बंद करके तेरी हर बात मानने लगेगा!
एक बार अपनी जड़ें उस घर में जमा ले तो देखना मेरी बेटी राज करेगी राज!गर्व से गर्दन तान कर सीमा बोली!
सीमा और मुकुल जी शादी की शाॅपिंग करने जाते तो वह मैना को भी संग ले जाते क्योंकि उनका मानना था कि पहनना मैना को है उसकी पसंद होना जरूरी है!
मैना शीला जी को भी साथ ले चलने का कहती !मुकुल जी और सीमा जी सीधे सादे साफ दिल के लोग थे!उनमें छल कपट नहीं आता था!उनको यह बात पसंद तो नहीं आती पर मैना को बुरा न लगे इस लिए चुप रहते!
दुकान पर जाकर शीला महंगे से महंगे कपड़े,जेवर पसंद करती!मैना के हां में हां मिलाने की वजह से मुकुल जी खरीदवा देते!
कई जगह तो शीला जी ने उनसे पैसे ले लिये यह कहकर कि उनके रिश्तेदार की दुकान है बढ़िया चीज सस्ते में मिल जाएगी!
उन पैसों से जोड़ तोड़ कर के शीला ने अपनी तरफ के रिश्तेदारों को देने का सामान खरीद लिया!
मदन जी ने बेटे का ब्याह खूब धूमधाम से किया!
मैना का सबने खुले दिल से स्वागत किया!सबको पता था मुकुल जी ने बिना दान दहेज लिए ब्याह किया था!लोग कुछ कहने भी लगते तो सीमा सबका मुंह बंद करा देती यह कहकर कि हमारी बहू संस्कारों का दहेज लाई है!रूप
या पैसा तो आनी जानी चीज है!
वे मैना को समझाती जब हम खुश हैं तो दूसरों की बातों पर ध्यान मत दो!बस खुश रहो!
ब्याह के अगले दिन सुबह के नाश्ते पर जब मैना काफी देर में नाईटी पहने कमरे से बाहर आई तो सीमा जी को बहुत अटपटा लगा!उन्होंने मैना को कमरे में ले जाकर कहा वह कपड़े बदल कर बाहर आऐ तो वह बोली”मैं नहाकर कपड़े बदलूंगी”
घर मेहमानों से भरा था!मैना के कपड़ों को लेकर कोई ऐसी वैसी टिप्पणी न कर दे इसलिए
सीमा जी ने कहा”मैं तुम्हारा नाश्ता कमरे में भिजवाती हूं सबके सामने ठीक से खा नहीं पाओगी “
मैना ने सीमा जी की बात को पकड़कर अगले दिन से खाने की मेज पर ऐसे खाना शुरू कर दिया जैसे सबके सामने खाने में उसे शर्म आ रही हो!तब से वह रोज नाश्ता कमरे में ही करने लगी!
शीला जी किसी न किसी बहाने से रोज एक चक्कर मैना की ससुराल का लगा लेती और मां बेटी घंटों मैना के कमरे में बैठी बतियातीं!सीमा जी समधन की खातिर में लगी रहती!ये सोचकर कि कहीं मैना को बुरा ना लग जाए!
खैर मेहमान चले गए!
मैना मदन को दिखाने के लिए शीला जी के साथ किचन में घुस जाती पर सीमा जी उसे कहतीं “अरे बेटा अभी तुम्हारे हाथों की मेहंदी भी नहीं उतरी अभी आराम करो”और सीमा जी की तरफ से क्लीन चिट मिलते ही वह अपने कमरे में पहुंच कर मां से फोन करने में व्यस्त हो जाती!
मदन ऑफिस को निकलता तो वह कमरे से उसके हाथों में हाथ डालकर निकलती और सबके सामने उससे लिपट कर बाय बाय करती!उसकी इस छिछोरी हरकत को देखकर घर के नौकर-चाकर मुंह में कपड़ा डालकर हंसते!
शाम को मदन के आने के टाइम मैना सजधजकर तैयार होती!
शुरू में तो सीमा जी खुद उन दोनों को बाहर घूमने भेज देती कि मैना दिन भर घर में बोर हो जाती है!
धीरे धीरे मैना रोज ही कहीं न कहीं का प्रोग्राम बनाकर बैठी होती!घर का खाना तो मैना को कम ही सुहाता था!इसीलिए वे अक्सर खाना खाकर ही आते!मैना से इतना भी नहीं होता कि पहले बता दे ताकि सीमा उनका इंतजार न करें!
मैना मदन के ऑफिस जाने के बाद दो घड़ी भी रिया और सीमा के पास नहीं बैठती अपनी मां या सहेलियों से बतियाती!
मैना घर के पुराने नौकरों से बहुत बदतमीज़ी और तू तड़ाग से बात करती जो परिवार को नागवार गुजरता!
वह घरवालों के प्रेम और लाड का फायदा उठा रही थी!
इतवार और छुट्टी के दिन तो मैना का शीला जी के घर जाना और उनको लेकर मूवी और डिनर पर लेकर जाना तय ही था!
वह मदन को ब्लैकमेल करती कि उसके ब्याह के बाद शीला जी बिलकुल अकेली हो गई हैं!
सीमा जी इसीलिए चुप रहती कि धीरे धीरे मैना को अपनी ज़िम्मेदारी का एहसास हो जाएगा!
ब्याह से पहले मदन अपनी बहन रिया को फिल्म दिखाने ले जाता था!एक दिन पिक्चर जाने का प्रोग्राम बना तो मदन ने रिया को भी साथ चलने को कह दिया!मैना ने इस पर खूब क्लेश किया और सर दर्द का बहाना बनाकर पिक्चर जाने का कैंसिल कर लिया!बिना खाना खाऐ आसन पाटी लेकर पड़ गई!
रात को मदन के बहुत चिरौरी करने पर मदन कमरे में खाना लाया और अपने हाथ से खिलाया तब मानी!
उसने मदन से वादा लिया कि भविष्य में वह अपने और मैना के बीच किसी तीसरे को नहीं आने देगा भले ही वह उसके मां-बाप हों या बहन!
पहले तुम अपने मां-बाप के बेटे थे,रिया के भाई थे!अब तुम सिर्फ मेरे पति हो!तुम पर और तुम्हारी हर चीज पर सिर्फ मेरा अधिकार है और किसी का नहीं!इस बात को अच्छी तरह समझ लो!
मैना के लिए मदन महज एक ऐ.टी.एम.था!
मैना धीरे धीरे अपने नाज नखरे दिखा अपनी अदाओं से मदन को रिझाने में सफल होती गई!
सुबह मैना सोती रहती मदन बताता देर रात तक टीवी पर मूवी देख रही थी,सो रही है!
खाने की टेबल पर बैठकर मदन को विवश करती कि वह उसे अपने हाथों से ही खाना खिलाए!
मुकुल जी का परिवार रूढिवादी नहीं था परन्तु ऐसी छिछोरी हरकतों से सीमा मुकुल जी को शर्म आती!
आऐ दिन मैना अपनी सहेलियों को घर आने का न्यौता देती!उनके आगे शो ऑफ करती कि देखो वह कितने बड़े घर ब्याह कर आई है!उनकी खातिरदारी करती!खाना बनाने को नौकर जो थे!
या फिर मुकुल जी की कार ड्राइवर लेकर शीला के साथ शापिंग करती फिरती!
एक दिन सीमा जी के सब्र का पैमाना छलक गया!
तब सीमा ने मैना को अलग बुलाकर बहुतप्यार से कहा”बेटा बुरा मत मानना पर तुम नई बहू हो कमरे से बाहर आया करो तो नाईटी बदल कर सूट पहन दुपट्टा डाल लिया करो मदन के पापा के साथ घर के नौकर भी होते हैं”
मैं बेटी मान कर ही समझा रही हूं मदन से प्यार करती हो हमें पता है पर सबके सामने खुलेआम दिखाना जरा ठीक नहीं लगता!हमारी तरफ से तुम्हारे ऊपर कोई बंधन नहीं !किचन में आने को मैने ही मना किया है पर सुबह मदन के नाश्ते को तो थोड़ा-बहुत देख लिया करो!करने के लिए तो नौकर हैं ही तुम ख्याल रखोगी तो उसेअच्छा लगेगा”!
मैना उस वक्त तो चुप रही!पर शाम को मदन के लौटने पर उसने रो रोकर सीमा जी की कही बातों को तोड़ मरोड़कर कर खूब नमक मिर्च लगाकर बताया!
उसने कहा मम्मी जी को मेरा तुमसे प्यार करना तुम्हारा ख्याल रखना नहीं सुहा रहा वे कह रही हैं मदन मेरा बेटा है उसपर पहला हक मेरा है!तुम झीनी नाईटी वाईटी पहन कर उसे रिझा रही हो!तुम हर वक्त कमरे में पड़ी रहती हो किचन में झांकती भी नहीं!क्या तुम्हारे मां-बाप ने यही सिखाया है!
और भी बहुत कुछ कि तुम छोटे घर से आई हो यहां के ठाठ-बाट से तुम्हारा दिमाग खराब हो गया मेरे मदन के तो एक से एक अमीर घरों से रिश्ते आ रहे थे हमारी मति मारी गई थी जो बिना दहेज के लड़की लाने को तैयार हो गए!
!याद रखना मदन से कहकर एक दिन तुम्हें वापस तुम्हारी मां के पास ना भिजवा दिया तो मेरा नाम सीमा नहीं!
मेरा मदन वही करेगा जो मैं कहूंगी!समझी?
और मैना मदन से चिपट कर अपने घड़ियाली आंसू बहा बहा कर मदन को विश्वास दिलाने में कामयाब हो गई!
मैना की रोज रोज की लगाई बुझाई से मदन वैसे ही तंग आ चुका था!
मैना की कही बातें सुनकर फौरन सीमा जी के कमरे में जाकर उन्हें कटघरे में खड़ा कर दिया!”मम्मी! आप सीमा को क्यों बुरा भला सुनाती रहती हो जो कुछ कहना है मेरे सामने या मुझे कहें!दहेज ना लेने का फैसला आप लोगों का था उस बेचारी की क्या गलती है!
वह तो आप लोगों के साथ घुलमिल कर रहना चाहती है!
आप उसे हर वक्त ताने देती रहती हैं!
मैं सोच रहा हूँ मैना को लेकर कंपनी के फ्लैट में शिफ्ट हो जाऊं!इस रोज-रोज की चिक-चिक से तो निजात मिलेगी!अलग रहेंगे तो शायद रिश्ते बने रहेंगे!
सीमा जी जो इतने दिन तक मैना की हरकतों को बर्दाश्त कर रहीं थी !तंग आकर मदन से बोली “अच्छा ही होगा जो तुम उसे लेकर अलग हो जाओ!घर की चैन शांति की वजह से हम सहन किये जा रहे थे पर उसकी झूठी बातों पर विश्वास करके हमारे ऊपर लांछन लगा रहे हो यह हमें गवारा नहीं है!अब पानी सर के ऊपर आ गया है!
हमारी तो तकदीर ही फूट गई जो ऐसी बहू हमारे पल्ले पड़ी!
शायद हमारा इतना लाड-प्यार उसे हजम नहीं हो रहा!
हम यह सोचकर चुप थे कि वह नादान है,बिन बाप की बेटी है अभी उसमें लड़कपन है!पर हमारी भूल थी!वह जहां खुश रहे वहीं तुम लोग रहो।
रात में मदन ने मैना को अपने दिल की बात बताई!और कहा कि हम दोनों अपने फ्लैट में चलते हैं तुम अपने हिसाब से कामवालीयां रखकर जैसे मन हो काम कराना कोई रोक टोक नहीं रहेगी!जब चाहे सोकर उठना!अपने मन से जहां चाहो आना जाना!ठीक है ना!
मैना ने फौरन शीला जी से सलाह ली!
वे बोली “बेवकूफ हो क्या?पता भी है अलग रहकर क्या क्या पापड़ बेलने पड़ेंगे! राशन पानी फल सब्जी सबका हिसाब रखना पड़ेगा! खाना बनवाना,कपड़े धुलवाना घर की साफ-सफाई प्रेस सबकुछ अकेले करना होगा!ये जो गर्मागर्म खाना पलंग पर बैठकर खा रही हो कुछ नहीं मिलेगा!
आज जो ड्राइवर लेकर कार में घूमती फिरती हो कल कैब या ऑटो में धक्के खाओगी तब पता चलेगा!
सुबह मैना ने मदन को समझाने की कोशिश की कि यहीं रहते हैं नही तो मम्मी पापा अकेले हो जाएंगे!
पर सीमा और मुकुल जी ने पुत्र मोह छोड़कर मदन को फ्लैट में शिफ्ट होने को कह दिया! ताकि मदन जो अपनी लैला का मजनू फिरा घूमता था उसे मैंने कई असलियत पता चले और जल्दी ही उसके सर से मैना के इश्क का भूत उतर जाए!
एकाध महीने में ही मैना और मदन को आटे दाल का भाव पता चल गया!मैना न तरीके से घर संभालती न टाइम से खाना बनाती,बेवजह के खर्चों से मदन की बंधी बंधाई तनख़्वाह कब आधे महीने में हवा हो जाती पता ही नहीं चलता!
मदन को अपनी भूल का एहसास होने लगा!मैना के झूठ पर विश्वास करके उसने अपनी मां को क्या कुछ नहीं सुना दिया था!वह बार-बार पछता रहा था!
मुकुल जी और सीमा जी को मदन के घर के हाल चाल पता होते रहते थे!इसीलिए जब मदन अपने किये की माफी मांगने आया तो मां-बाप थे ना अपने इकलौते बेटे को दुखी कैसे देख सकते थे!एक बार फिर खुले दिल से उनका स्वागत कर लिया!उन्होंने शर्त रखी कि वे एक मौका दे रहे हैं कि मैना सिर्फ मदन की बीवी नहीं बल्कि घर की बहू के रूप में मर्यादित होकर रहेगी!उसे अधिकार तभी मिलेंगे जब कर्त्तव्य निभाएगी!
सुधी पाठक कमेंट कर बताऐं क्या मुकुल जी और सीमा जी ने सही किया?
कुमुद मोहन
स्वरचित-मौलिक
#हाय राम! मेरी तो तकदीर ही फूट गई जो ऐसी बहू मिली