जो तुम्हारे साथ हुआ वहीं तो आज तुम कर रही हो !! – स्वाती जैंन : Moral Stories in Hindi

रश्मि आज फटाफट रसोई का काम निपटा रही थी और उसके चेहरे पर एक अलग ही खुशी चमक रही थी , खुशी छलके भी क्यों ना आज उसकी और राहुल की पाँचवी शादी की सालगिरह थी और राहुल सुबह ही यह कहकर ऑफिस गया था कि आज शाम वह रश्मि को कहीं बाहर घूमाने लेकर जाएगा और फिर वे लोग बाहर ही खाना खाकर आएंगे !! रश्मि को आज बहुत महिनों बाद घर से बाहर जाने का मौका मिल रहा था इसलिए वह बहुत खुश थी !!

दोपहर के तीन बज चुके थे , रश्मि ने फटाफट रसोई में चाय चढ़ा दी और उसकी सास सुधा जी को चाय उनके कमरे में देकर आ गई और चाय के बर्तन धोने लगी , वैसे रश्मि रोज दोपहर के चार बजे चाय बनाती थी मगर आज तीन बजे चाय मिलने पर सुधा जी सोचने लगी आज आखिर रश्मि ने इतनी जल्दी चाय क्यों बना दी , देखू तो जरा रश्मि रसोई में क्या कर रही हैं ??

सुधा जी रसोई में आई तो देखा रश्मि रसोई में नहीं थी !!

वे उसके कमरे की ओर बढ़ी तो देखा रश्मि के कमरे से कुछ गाना गुनगुनाने की आवाज आ रही थी और रश्मि बड़ी खुश लग रही थी !!

रश्मि अलमारी खोलकर कुछ कपड़े तहस नहस करते हुए कभी ब्लू तो कभी मरून ड्रेस निकाल रही थी !!

सुधा जी कमरे में आकर बोली – बहू कहीं जाने की तैयारी चल रही हैं क्या ??

रश्मि बोली हां मम्मीजी , आज हमारी शादी की पांचवी सालगिरह हैं , तो राहुल और मैं बाहर घूमने जाने वाले हैं !!

यह सुनते ही सुधा जी लाल पीली होकर बोली ओर मैंने जो तुम्हारी नंनद- ननदोई को यहां घर पर खाना खाने बुलाया हैं उसका क्या होगा ??

बाहर खाने जाने से पहले मुझसे एक बार पूछ तो लेती , मेरा बेटा तो सीधा है उसे दुनियादारी की समझ कहां हैं ?? जरूर तूने ही उसे पट्टी पढ़ाई होगी बाहर खाना खाने और घूमने जाने की !!

नहीं मम्मीजी , सुबह ऑफिस जाते वक्त राहुल खुद मुझसे कह कर गए हैं , मैंने उन्हें बाहर खाना खाने या घूमने जाने की जिद नहीं की थी रश्मि रुआंसी होकर बोली !!

सुधा जी बोली – मैं नहीं जानती बहू अब कुछ भी !! मैं तो बस इतना जानती हुं तेरी ननंद और ननदोई खाने पर आ रहे हैं तो तेरा फर्ज हैं घर पर खाना बनाना !!

वे लोग आएंगे तो क्या सोचेंगे हमारे बारे में ?? घर का खाना तो घर का खाना होता हैं !!

तू अभी की अभी राहूल को फोन कर और बाहर जाने से मना कर दे !!

आदमियों को कहां ज्यादा पता चलता हैं ?? गृहस्थी की गाड़ी तो औरत को ही चलानी होती हैं , बाहर खाने और घूमने पर जानती हो ना कितना खर्चा हो जाता हैं और वही घर पर खाना बना लोगी तो ज्यादा खर्चा भी नहीं होगा वैसे भी पैसे पेड पर तो उगते नहीं जो हाथ लंबा किया और तोड़ दिए , पैसे तो कमाने होते हैं इसलिए खर्चा भी सोच समझकर ही करना चाहिए !!

रश्मि धीमी आवाज में बोली – मम्मी जी हम कहां रोज रोज घूमने जाते हैं ?? वह तो शादी की सालगिरह थी इसलिए राहुल घूमाने ले जा रहे थे बाकी तो आपको पता ही हैं कि उनको ऑफिस का इतना काम होता हैं कि हम कहीं घूमने जा ही नहीं पाते !!

सुधा जी बोली – चल अब ज्यादा पटर पटर जबान ना चला और जल्दी से खाना बनाने की तैयारी में लग जा , मैं तो सोच रही हूं मेरी बहन उसके पति और मेरे भाई भाभी को भी खाने पर बुला लू , लगे हाथ इन लोगों को भी खाना खिला देंगे तो अच्छा होगा वैसे भी बहुत समय हो गया मेरे मायके वालों को खाना खिलाए !!

रश्मि रसोई में खाना बनाने की तैयारी करने चली गई !!

मम्मी जी बता दीजिए कितने लोगों का और क्या बनाना हैं खाने में ?? रश्मि को बाहर घूमने का आज बहुत मन था , मगर सुधा जी ने तो उसके सारे अरमानों को अपने पैरो तले रौंद कर रख दिया था !!

सुधा जी बोली हां दो मिनट रुक मैं जरा राहुल के मौसी – मौसा और मामा- मामी को फोन करके घर आकर खाना खाने के लिए न्यौता दे दूं !!

जैसे ही सुधा जी ने फोन करने के लिए मोबाईल उठाया उतने में राहुल ऑफिस से आ गया और बोला क्या हुआ मां ??

किसको फोन करके न्यौता देने की बात हो रही हैं ?? 

सुधा जी बोली – अरे राहुल , तू आज इतनी जल्दी कैसे आ गया ऑफिस से ??

चल आ ही गया है तो अच्छी बात हैं !!

आज तेरी बहन और जीजाजी को मैंने खाने पर बुलाया हैं , तो सोचा तेरे मौसा मौसी , मामा मामी को भी खाने पर बुला देती हुं !!

इसी बहाने सबका मिलना भी हो जाएगा और तेरी शादी की पांचवी सालगिरह भी मन जाएगी !!

राहुल बोला – मम्मी मगर मैंने तो रश्मि के साथ बाहर खाना खाने का प्रोग्राम बनाया हुआ हैं आज , रश्मि ने आपको बताया नहीं क्या ??

सुधा जी बोली – बताया बेटा सब बताया रश्मि ने !!

तुम आजकल के बच्चों को तो बस मनमानी करनी हैं , अकेले अकेले शादी की सालगिरह मनानी हैं , ऐसे नहीं कि परिवार को साथ लेकर चले !!

एक हम थे जो हमारे जमाने में हमारी शादी की सालगिरह पर पूरे परिवार को खाना खिलाते थे , सबको साथ लेकर चलते थे मगर तुम आजकल के बच्चे उन्हें तो बस अपना अपना ही देखना हैं !!

राहुल बोला – मम्मी आप जो समझ रही हो ऐसी बात नहीं हैं और आज भी मुझे याद हैं आप सबको खाना तो खिला देती थी फिर रात को पापा से कितना झगड़ती थी और कहती थी कि आपको अपनी शादी की सालगिरह पर भी पूरे दिन रसोई में पसीने में सबके लिए खाना बनाना पड़ता हैं जबकि पापा तो कहते भी थे कि आप भी अपनी सालगिरह पर बन संवर कर रहा करो मगर आप उनकी कभी नहीं सुनती थी !!

सुधा जी बोले हां तेरे पापा कहा करते थे मुझे बन संवर कर रहने को और शादी की सालगिरह पर भी कहते थे मगर उन्हें यह नहीं दिखता था कि शादी के सालगिरह पर कैसे तुम्हारी दादी उनकी तीनों बेटियों और जमाईयों को खाना बोल देती थी और फिर मेरी हालत खराब हो जाती थी !! तेरी दादी और बुआएं मुझसे कितना काम करवाती थी !!

रसोई में काम कर करके मेरा तो अस्तित्व ही खत्म हो गया था , सुधा जी रोते हुए बोली क्या तैयार होती मैं ?? क्या संजती संवरती मैं ??

तुम्हारे पिताजी का तो मन करता था कि मुझे बाहर घूमाने ले जाए मगर तेरी दादी ने तो मुझे कभी बाहर जाने ही नहीं दिया , उन्होंने तो मुझसे मेरे सारे शौक और मेरी इच्छाएं छिन ली थी और जब वे दुनिया से चली गई तो मैं और तुम्हारे पिताजी जिम्मेदारियों में ऐसे उलझे कि कभी घूमने या बाहर खाना खाने जा ही नहीं पाए !!

तुम बच्चों को बड़ा करने में मैं और तुम्हारे पिताजी अपना अस्तित्व ही भूल गए और फिर वे भी इस दुनिया से चले गए , मेरे तो सारे अरमान धरे के धरे रह गए !!

राहुल धीरे से बोला – मम्मी कभी आपका अस्तित्व दादी ने खत्म किया था , और आज आप रश्मि का अस्तित्व उससे छिन रही हैं , कभी सोचा आपने कि आप यह कितना गलत कर रही हैं रश्मि के साथ !!

मम्मी , जरूरी नहीं जो आपके साथ हुआ वहीं आप आपकी बहू के साथ भी करें !!

बल्कि आपको तो एक ऐसी सास बनना चाहिए था जो इस बात का प्रमाण देती कि जो मेरे साथ हुआ वह मैं कभी अपनी बहू के साथ नहीं होने दूंगी !!

सुधा जी एकदम चुप हो गई थी !!

राहुल बोला – मम्मी अपने दीदी जीजा जी को बुला ही लिया है तो अब हम सब साथ में घूमने चलेंगे और बाहर ही खाना खाकर आएंगे !!

सुधा जी ने रश्मि को बुलाया और बोली बेटा आज मेरे ही बेटे ने मेरी आंखें खोल दी , जाने अनजाने में मेरे ससुराल वालों ने मेरे अस्तित्व की धज्जियां उड़ा दी थी 

वही मैंने तुम्हारे साथ करने की कोशिश की

मुझे माफ कर देना बेटा !!

राहुल बोला अब यह सब छोड़ो और दीदी जीजा जी को फोन करो वह लोग कहां तक पहुंचे ताकि हम सब जल्दी बाहर जा सके !!

दोस्तों , आज भी बहुत सी सासु मांए ऐसी हैं जो अपने समय की बातें भूल नहीं पाती और अपनी बहू के साथ भी वैसा ही बर्ताव करती हैं जैसा उनके साथ हुआ था

मगर वे भूल जाती है कि वे भी कभी बहू थी और उन्हें तब कितना बुरा महसूस होता था जब उनके साथ ऐसा व्यवहार होता था , पुराने समय की विचारधाराओं को बदलने का समय आ चुका है और परिवर्तन ही संसार का नियम है इसलिए सास को बहू के प्रति अपने रवैए को बदलने की जरूरत हैं ताकि बहु का अस्तित्व ससुराल में जिंदा रह पाए !!

दोस्तों आपको यह कहानी कैसी लगी कृपया जरूर बताएं तथा ऐसी ही अन्य रचनाएं पढ़ने के लिए हमें फॉलो अवश्य करें !!

आपकी सहेली

स्वाती जैंन

#अस्तित्व

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