छत वाला प्यार – रीटा मक्कड़

आज भी वो दिन आंखों के सामने एक चलचित्र की भांति घूमते रहते हैं।जब लोगों का प्यार छत्तों पर परवान चढ़ा करता था। तब आज की तरह एक दूसरे से बात करने को फोन तो होते नही थे। कि जो अच्छा लगे जल्दी से उसको संदेश भेज दो या फिर फोन करके अपने दिल की बात बता दो।

तब तो बस आंखों की भाषा ही पढ़ लेते थे और आंखों में बात होने दो की तर्ज पर  ही प्रेम में पगे प्रेमी  प्यार की पहली सीढ़ी चढ़ लेते थे…

और फिर दिल की बात  बताने के लिए या तो  खत भेजे जाते वो भी पकड़े जाने का डर बना रहता या फिर कोई और जरिया ढूंढना पड़ता था..

छत पर ही तो देखा था उसने उसको पहली बार। उस लड़की के घर के पिछवाड़े उसका घर था और दोनो घरों की छतों के बीच मे बस एक छोटी सी दीवार ही तो थी।

जब वो  छत सेसूखे हुए कपड़े उतारने आया था। फिर नजरों से नजरें मिली। घर का इकलौता बेटा होने के कारण उसे अपनी मम्मी की मदद तो करनी ही पड़ती थी तो बस फिर ये छत से कपड़े उतारने का सिलसिला रोज़ का हो गया। फिर रोज़ रोज नजरें टकराने लगी। और आंखों आंखों में बिना कुछ कहे ही दिल की बात दिल तक पहुंचने लगी।

फिर एक दिन देखा तो उसके हाथ मे एक कैलेंडर था जो उसने फोल्ड करके पकड़ा हुआ था। उस दिन जब नजरें मिली तो उसने वो कैलेंडर अपनी छत से उसकी छत पर फेंक दिया।

और जब लड़की ने कैलेंडर खोल के देखा तो वो सोहणी महीवाल की फोटो छपा कैलेंडर था …

उसके पिछली तरफ उसने लिखा हुआ था….अंग्रेजी में कहते हैं कि…आई लव यू…गुजराती में बोलें तने प्रेम करो छू


बंगाली में कहते हैं कि आमी त्माके भालो बाछी

और पंजाबी में ……..इसके बाद उसने खाली स्थान छोड़ दिया था क्योंकि

शायद वो पंजाबी में प्यार का इजहार उसके मुँह से सुनना चाहता था। क्योंकि वो जानता था कि पंजाबी लड़की, प्यार का इजहार पंजाबी में ही अच्छे से कर पायेगी।

लेकिन उस लड़की ने उस कैलेंडर को अपनी अलमारी में छुपा दिया और उस लड़के को कोई जवाब नही दिया।

आज तक वो खुद ही समझ नही पायी कि वो घर वालों से डर गई थी या फिर उसकी नाक कुछ ज्यादा ही ऊंची थी कि वो उस कच्ची उम्र के प्यार को स्वीकार ही नही कर पाई।

फिर उसकी शादी हो गयी। बेटी से बहु बनी फिर माँ , माँ से सास और फिर दादी नानी भी बन गयी।

लेकिन आज भी वो छत वाला प्यार दिल से निकाल नही पायी।

और जब  भी वो सोहणी महीवाल का कैलेंडर याद आता है तो दिल मे  कुछ चुभता हुआ महसूस होता है और बरबस ही उसकी आंखें भीग जाती हैं।

मौलिक एवम स्वरचित

रीटा मक्कड़

 

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