घर की इज्जत – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

अरे साक्षी ये क्या हैं मैक्सी पहनकर आंटी के सामने आ गई घर की इज्जत का कुछ ख्याल है कि नहीं।अरे साक्षी छत पर क्यों उघाड़े सिर घूम रही हो इस पड़ोस के लोग देखेंगे तो क्या कहेंगे घर की कुछ इज्जत है कि नहीं।अरे साक्षी बाहर दूध लेने के लिए ऐसे ही खड़ी हो गई बिना सिर ढके ,पड़ोस वाले भाईसाहब भी खड़े हैं दूध लेने को क्या कहेंगे कि

कैसी घर की बहुएं है कोई तरीका नहीं है किसी का लिहाज नहीं करती चाहे जहां ऐसे ही खड़ी हो जाती है।तुम लोगों ने तो सारी घर की इज्जत मिट्टी में मिला दी है।ये जुमला कावेरी भाभी के मुंह पर धरा रहता था घर की इज्जत ,घर की इज्जत।बात बात में घर की इज्जत खराब होती है। कोई आस पड़ोस में भी गाउन पहन कर बाहर आ जाता था

तो घर की इज्जत खराब हो जाती है।सबसे कहती फिरती थी हमारे यहां तो कोई मैक्सी नहीं पहनता,वो तो बहू की डिलीवरी हुई थी तो साड़ी में उनको परेशानी हो रही थी तो इजाजत दे दी थी लेकिन ये भी हिदायत दी थी कि कमरें से बाहर नहीं निकलना।और तो और साड़ी पहनो तो ठीक से सिर ढको ऐसे नहीं कि जरा सा नाम भर का रख लिया

सिर पर पीछे से पूरी पीठ खुली है ।बहू बिटिया क़ायदा से अच्छी लगती है ।इस तरह के तमाम जुमले थे कावेरी भाभी के ।बहू पढ़ी लिखी थी और समझदार थी तो कुछ जवाब नहीं देती थी।थोड़े दिन को यहां आई है फिर तो चली ही जाएगी।

              कावेरी भाभी का अपने घर में परिवार में बड़ा रूतबा था ।दो बेटे और एक बेटी थी । बेटी और बड़े बेटे की शादी हो चुकी थी ।छोटा बेटा पंकज अभी कुंवारा था । बड़ी बहू साक्षी जब ब्याह कर घर आई तो कावेरी भाभी ने उसके साथ बड़ी सख्ती दिखाई थी।ये न करो वो न करों , सबेरे जल्दी उठों बिना नहाए रसोई में नहीं जाना वगैरह वगैरह सबमें उनके घर की इज्जत खराब होती है।

उनकी बातों से सब घबराते थे । जहां खड़ी हो जाती थी बस इज्जत की दुहाई देती रहती थी।बड़ा बेटा पियूष इंजीनियरिंग करकें बाम्बे में नौकरी कर रहा था ।और बहू साक्षी भी बी-टेक करें हुए थी । अभी तो नौकरी नहीं कर रही थी बच्चा हुआ था लेकिन आगे करने का इरादा था।

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             अब कावेरी भाभी ने छोटे बेटे पंकज की शादी करनी चाही। बहुत सी लड़कियों को देखा।एक लड़की पसंद आ गई थी और वो लड़की कावेरी भाभी के रिश्ते में थी और इसी शहर की थी । रिश्ते दारी में वो करना नहीं चाहती थी लेकिन बेटे को लड़की पसंद आ गई थी तो वहीं करने की  ज़िद कर रहा था ।बेटे की ज़िद के आगे कावेरी भाभी को हां करनी पड़ी।

       अब शादी हो गई बहू घर आ गई कावेरी भाभी ने घर की इज्जत का राग अलापना शुरू कर दिया कि हमारे घर में ऐसा नहीं होता वैसा नहीं होता। हमारे घर में बहू बिटिया क़ायदा से रहती है ये नहीं कि चाहे जहां चाहे जैसे घूमती रहे।हम लोगों की मुहल्ले में परिवार में रिश्ते दारी में बहुत इज्जत है । पापा की बड़ी इज्जत है ये नहीं । हां ये ठीक है कि सभी मां बाप चाहते हैं कि बहू बेटियां तरीके से रहे लेकिन कोई भी चीज जरूरत से ज्यादा करोगे तो उसका उल्टा ही होता है ।

                    छोटे बेटे पंकज की शादी के चार दिन बाद घर में सत्यनारायण की कथा रखी गई । कुछ आस-पड़ोस के और कुछ रिश्ते दारी थे ।जब छोटी बहू नैना को नीचे बुलाया गया तो धड़धड़ाती हुई बिना सिर पर पल्ला रखें नीचे आ गई। तभी कावेरी भाभी चीख पड़ी ये क्या नैना बहू इतने लोगों के बीच में तुम बिना सिर पर पल्ला रखें आ गई।घर की इज्जत का कुछ ख्याल है कि नहीं।उस समय तो नैना कुछ न बोली थोड़ा सा पल्ला सिर पर रख लिया।दूर खड़ी बड़ी बहू साक्षी मन ही मन मुस्कुरा रही थी कि अब मजा आएगा ।

           धीरे धीरे सभी रिश्ते दार चले गए ।आज नैना अपने मायके जा रही थी ।बस बिना सिर पर पल्ला रखें वो आ गई बाहर तो फिर कावेरी भाभी ने टोका तो नैना ने तड़ाक से जवाब दिया अब कौन पल्ला वल्ला करता है मम्मी जी अब पहले जैसा नहीं रह गया और वो चली गई। मायके से लौटते समय नैना दो चार सूट लेकर आ गई ससुराल आकर शादी के पंद्रह दिन बाद ही वो सूट पहनकर आ गई नीचे।

फिर क्या था आग बबूला हो गई कावेरी भाभी नैना तुमने तो सारी घर की इज्जत मिट्टी में मिला दी है । हमारे घर में शादी के बाद बहुएं सूट नहीं पहनती ।किस ज़माने की बात कर रही है मम्मी जी , मुझसे ंनहीं पहना जाता दिनभर साड़ी ।मैं तो सूट ही पहनूंगी मुझसे नहीं होता कोई काम साड़ी पहन कर। ऐसे जवाब की उम्मीद न थी भाभी को।अब तो नैना बेधड़क सूट पहनकर बिना सिर पर पल्लू रखें घर बाहर सब जगह घूमती रहती थी।न घर में पर्दा न बाहर भाभी कुछ बोलती तो तड़ाक से जवाब दे देती।

                पड़ोस में रहने वाली सुमन भाभी की बहू सूट पहनती थी तो कावेरी भाभी उसको भला बुरा कहती थी अब वो अपनी ही बहू पहनने लगी तो क्या करें । कुछ कर नहीं पा रही थी।आज सुमन भाभी ने कावेरी भाभी को टोंक दिया क्यों भाभी जी अब तो आपकी बहू भी सूट पहनकर घूम रही है अब नहीं मना कर रही है ,तो बोली क्या करूं मुझे और आपके भाई साहब को तो बिल्कुल भी पसंद नहीं है लेकिन कुछ कहो तो तड़ाक से जवाब दे देती है । रिश्ते दारी में शादी हुई है ज्यादा कुछ कह नहीं सकती नहीं तो जाकर चार जगह कहेगी और घर की बदनामी करेगी । इससे चुप रहो तो ही अच्छा है । बोलती बंद हो गई है कावेरी भाभी की ।

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          फिर दीवाली के त्योहार पर बड़ी बहू साक्षी जब घर आई तो देखा नैना सूट पहने बिना पल्लू किए घूम रही है तो फिर धीरे से कावेरी भाभी साक्षी से बोली अब तुम्हें भी सूट पहनना है तो पहन लो छोटी तो पहन ही रही है तो तुम्हें क्या मना करूं। तुमने तो मेरा मान रखा साक्षी कभी जवाब नहीं दिया हमने जो कहा तुमने किया लेकिन साक्षी मैं आज तुमसे भी कह रही हूं जब वो पहन रही है तो तुम भी पहनो । 

        पाठकों बात सूट और साड़ी की  नहीं है । पहले लोग शादी के बाद साड़ी ही पहनते थे सूट नहीं पहनते थे। लेकिन अब समय बदल गया है ।जो भी कपड़े पहने जाएं मर्यादा में रहकर और शालीनता से पहने जाएं । फ़ूहड़ और बल्गर और बेतूके कपड़े तो किसी पर भी अच्छे नहीं लगते ।आप सिर्फ कपड़ों से र्माडन नहीं बनते विचारों से बनते हैं ।

घर की इज्जत इसी में है ।और किसी किसी की कुछ ज्यादा आदत होती है अपने घर के इज्जत का रोना रोना और दूसरों के लिए बोलना ।सब लोग अपने-अपने तरीके से रहने के लिए स्वतंत्र हैं ।घर के बड़ों की इज्जत करें और मर्यादा का ध्यान रखें बस यही है हमारे घर की इज्जत।व्यर्थ का दिखावा नहीं करना चाहिए।ं नहीं तो फिर अपने मुंह की खानी पड़ती है ।व्यर्थ की छींटाकशी किसी पर भी न करें यही तो हमारे घर की इज्जत है । धन्यवाद

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

29 जनवरी

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