“ सुख सुविधा नहीं अपनापन चाहिए” – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

हेलो.. निक्की बेटा… सुन… कल तेरे दादा दादी चार धाम की यात्रा सकुशल पूरी करके वापस आ रहे हैं तो हम सभी ने सोचा है कि उनकी सकुशल वापस आने  की खुशी में हम धूमधाम से बैंड बाजे  के साथ उन्हें घर लेकर आए,

बेटा… इस उम्र में यह मौका बड़े नसीबों से मिलता है जो तेरे दादा-दादी को मिला है और हां कल तुम दामाद जी और अपने सास ससुर और दादी सास ससुर को भी जरूर से जरूर लेकर आना उन्हें देखकर तेरे दादा-दादी खुश हो जाएंगे,

रचना की बात सुनकर बेटी निक्की बोली…. मम्मी मैं इनको और सास ससुर को तो साथ में आने के लिए मना लूंगी किंतु दादा दादी का आना मुश्किल है आप तो जानती हैं मेरी सास उन्हें कहीं भी बाहर ले जाना पसंद नहीं करती

उन्हें उनके साथ जाने में हर जगह शर्म महसूस होती है अब आप बताइए मम्मी मैं क्या करूं.? कोई बात नहीं बेटा.. समधिन जी से मैं बात कर लूंगी और उन्हें इस बार तेरे दादा दादी को साथ लाने के लिए मना लूंगी! ठीक है मम्मी तो फिर कल मिलते हैं!

रचना की बेटी निक्की का ससुराल इसी  शहर में है तो रचना की जब इच्छा होती है अपनी बेटी को बुला लेती हैं या कभी वह खुद भी आ जाती है यूं तो निक्की के ससुराल वाले बहुत अच्छे हैं

निक्की को बहुत खुश रखते हैं पर निक्की की सास अपने सास ससुर को कम पसंद करती है, ऐसे तो उनके घर में दादी सास ससुर के लिए सुविधाओं की कोई कमी नहीं है किंतु बस बे बेचारे दोनों एक कमरे तक ही सीमित होकर रह गए हैं!

खैर… रचना जी ने निक्की की सास  सुमन को अपने सास ससुर को लाने के लिए मना लिया और अगले दिन निक्की अपने पूरे परिवार के साथ अपने मायके आ गई, बड़ी धूमधाम से निक्की के दादा दादी को घर लाया गया

निक्की के दादा दादी तो अपना भव्य स्वागत देखकर खुशी से फूले नहीं समा रहे थे उनकी आंखें बार-बार नम हो जाती थी निक्की के दादा अपनी पोती के दादा ससुर को देखकर उनसे बहुत गर्म जोशी से गले मिले और बोले..

आज आपको देखकर मुझे सबसे ज्यादा खुशी हुई है मैं और सबसे तो मिलता रहता हूं किंतु आपसे तो कभी-कभी ही मिलना हो पाता है काश.. आप आप भी  हमारे साथ चार धाम चलते, बड़ा सुकून मिलता है

ऐसी जगह जाकर और फिर दोनों ने काफी देर तक बातें की! निक्की के  दादा ससुर आज बहुत ज्यादा खुश लग रहे थे, रात को निक्की अपने परिवार के साथ वापस अपने घर लौट आई,

अगले दिन निक्की ने देखा उसकी सास थोड़ी गुमसुम सी और थोड़ी बेचैन सी है एक दो बार निक्की ने पूछा भी पर उन्होंने कहा नहीं ऐसी कोई बात नहीं है सुबह से शाम हो गई निक्की की सास को ना तो खाना खाने का मन किया

ना किसी भी काम में उनका मन लग रहा था, हार कर निक्की ने इस बार फिर पूछा… मां क्या बात है आप जब से मेरे मायके से आई हैं गुमसुम सी हैं क्या आपको वहां अच्छा नहीं लगा या मेरी मम्मी पापा से कोई गलती हो गई जो भी बात हो कृपया मुझे बताएं

क्योंकि आपको परेशान देखकर मैं भी बहुत परेशान हो रही हूं! निक्की की बातें सुनकर सुमन जी का धैर्य जवाब दे गया और वह बोली …..नहीं निक्की बेटा ,तुम्हारे यहां मान सम्मान में कोई कमी नहीं थी बल्कि मुझे तो तुम्हारी मम्मी को देखकर अपनी सोच पर

शर्म आ रही है तुम्हारी मम्मी कैसे अपने सास ससुर की सेवा करती है उनका ध्यान रखती है उनके साथ हस्ती बोलती है, तुम्हारे दादा दादी वहां कितने खुश रहते हैं पूरा परिवार तुम्हारा एक साथ उठता बैठता है, उन्हें किसी भी चीज की कोई मनाही नहीं है

किंतु मैंने अपने सास ससुर के साथ क्या किया..? जीवन की ढलती सांझ में जब उन दोनों को सुख सुविधाओं से ज्यादा अपनेपन और पूरे परिवार के साथ की जरूरत है मैंने उन्हें तो जैसे कोई जेल की सजा दे दी हो,

  क्या उनका मन अपने कमरे से बाहर आने के लिए नहीं छटपटा होगा? माना मैंने उनके लिए एक सहायिका रख रखी है ताकि उन्हें कोई परेशानी ना हो किंतु उन्हें भी तो अपने नाती पोतो के साथ खेलने का मन करता होगा,

अपने बेटे उसके बेटे के परिवार को साथ में देखने का मन करता  होगा, कहीं भी बाहर आना-जाना घूमना फिरना कितनी ही ऐसी बातें हैं जिनका उन्हें मन करता होगा? लेकिन मैं अपने झूठी उच्च समिति के घमंड में उनको कहीं भी साथ लेकर नहीं जाती

मुझे लगता था कि वह तो ढंग से चल फिर भी नहीं सकते तो मेरी इससे बदनामी होगी, किंतु नहीं…. बदनामी उन्हें साथलेकर जाने में नहीं घर में बंद करके रखने में है, वह दोनों बेचारे इस उम्र में भी जबकि वह किसी भी तरह से असमर्थ नहीं है

असहाय से और लाचार से हो गए हैं, सिर्फ मेरी वजह से,  कल को यह दिन हमारी जिंदगी में भी आएगा तब उस स्थिति  में अगर तुम बच्चों ने हमारे साथ भी ऐसा ही किया तो हमारा क्या होगा? मैं तो अपने पोते पोती के बिना जीने की कल्पना भी नहीं कर

सकती, कौन  बड़े  बुजुर्ग नहीं चाहेंगे कि वह परिवार का हिस्सा बने, हर चीज में उनसे सलाह ली जाए उनके अनुभवों का फायदा उठाएं पर मैंने तो यह सब बिल्कुल परे रख दिया, यहां तक कि तुम्हें और बच्चों को उनके पास भी नहीं जाने दिया

कि कहीं तुम्हें कोई बीमारियां न घेर ले, एक दिन का अकेलापन ही जब मुझे बहुत बेचैन कर देता है तो वह तो कितने समय से अकेले रह रहे हैं, आज जब मैं अपने आप को उस स्थिति में रहने की कल्पना करती हूं तो मैं अंदर से डर जाती हूं ,

क्या फायदा ऐसे परिवार का जहां  सुविधा  तो है पर सुख नहीं है, अपनों के साथ में ही सबसे बड़ी खुशी है और मैं यह समझ गई हूं! बेटा तू चल मेरे साथ मैं आज ही तेरे दादा दादी से माफी मांगूंगी और उन्हें अपने परिवार में शामिल करूंगी

बल्कि वह तो मेरा परिवार ही है, आज जब मैंने   उन्हें तुम्हारे मायके में इतना खुश देख तो मुझे लगा इनकी असली खुशी तो बाहर घूमने फिरने में सबके साथ उठने बैठने में है, बंद कमरे की सुख सुविधाओं में नहीं,

अब मैं उन्हें उनकी जिंदगी उनके हिसाब से जीने के लिए मना नहीं करूंगी मुझे अपनी गलती समझ आ गई है और ऐसा कहकर वह अपनी बहू के साथ अपने सास ससुर के कमरे में गई वहां जाकर सुमन जी ने उनसे माफी मांगी

और आदर के साथ बाहर लेकर आई और उनसे कहा… मां जी पिताजी यह घर आपका है और हमेशा आपका ही रहेगा आप इस घर के बड़े हैं आपको कहीं भी आने-जाने की किसी से मिलने जुलने की कोई मनाही नहीं है

आप जैसे चाहे अपनी जिंदगी जी सकते हैं और आज तक जो मैंने आपके साथ किया है हो सके तो मुझे माफ कर देना !सुमन की आंखों में पश्चाताप के आंसू देख कर उनके ससुर जी बोले…

नहीं बेटा तुमसे कोई गलती नहीं हुई है बस थोड़ी सी भूल हुई है कि तुमने बुजुर्गों को समय से पहले ही ऐसा  समझ लिया जबकि अभी तो हम हर कार्य में सक्षम हैं बस हमारा भी मन करता था कि हम भी अपने नाती पोतों बेटा बहू के साथ रहे

बाहर की दुनिया देखे घूमे फिरे अपने हम उम्र साथियों के साथ  घूमे कभी-कभी लगता था कि इस कमरे की जिंदगी से तो भगवान काश हमें उठा ले किंतु भगवान ने हमारी बहुत जल्दी सुन ली बेटा, आज तुमने यह सब कहकर तो बल्कि हमारे ऊपर एक

एहसान किया है जिसके लिए हम कब से तरस रहे थे और ऐसा कहकर सुमन के सास ससुर दोनों के चेहरे पर सबके साथ रहने के लिए एक चमक आ गई और उनकी चमक देखकर आज सुमन जी को सचमुच में खुशी हो रही थी,

अब वह समझ गई उम्र की ढलती सांझ  में सुख सुविधाओं से ज्यादा अपनेपन और प्यार सम्मान की आवश्यकता होती है!

       हेमलता गुप्ता स्वरचित 

     कहानी प्रतियोगिता #ढलती सांझ 

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