“ढलती सांझ” – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

बाल कनी मे बैठ कर रमा चिड़ियो को देख रही है ।जो इस ढलती सांझ को अपने बसेरे पर लौट रहे हैं ।सोच रही है वह ,उसकी जिंदगी की भी तो यह ढलती सांझ ही है, पता नहीं कब उड़ने को तैयार होना पड़े ।चाहे जीवन कितना भी आगे बढ़ जाये, अतीत कहाँ पीछा छोड़ता है ।वह भी जब अकेले होती है,

अतीत सामने खड़ा हो जाता है ।अभी राजीव नहीं लौटा है ।उसका अधिक समय एलीना के साथ बीतता है ।उम्र तो सबकी ही तीसरे पड़ाव पर है ।लेकिन एलीना का मोह उसका पीछा नहीं छोड़ता ।कितने पीछे लौटी है रमा ।कालेज से आते ही अम्मा ने फरमान सुना दिया था कि जल्दी से अच्छी तरह तैयार हो जाओ,

लड़का देखने के लिए आने वाला है ।”अभी इतनी जल्दी?”वह चौंक गयी।अभी तो मुझे आगे पढ़ाई करना है अम्मा ।”हाँ तो कर लेना पढ़ाई, इतना अच्छा लड़का देखने आ रहा है, मौका हाथ से नहीं जाना चाहिए ।विदेश में सेटल है अच्छी नौकरी कर रहा है ।परिवार भी बहुत छोटा सा है।माँ, पिता और वह खुद ।अरे तू तो राज करेगी,

वहां जाकर ।अम्मा ने खुश होकर कहा ।वह भी तो कल्पना में उड़ने लगी थी।सखी सहेली कितना जलेगी मुझसे ।खूब ढेर सारा पैसा, आधुनिक सुख सुविधा, परिवार का कोई बंधन नहीं ।सच मेरे  तो भाग्य ही बदल जायेंगे ।सोचती रमा तैयारी करने लगी ।शाम को वर के साथ माता पिता भी आ गये।उँचा पूरा कद,देखने में आकर्षक, गौर वर्ण ।यही तो चाहिए था

उसे ।ऐसी ही तो कल्पना किया करती थी वह ।दोनों की बातें हुई, एक दूसरे को पसंद कर लिया, सबने स्वीकृति दे दी।उसी शाम को थोड़ी सी कपड़े और जेवर ,मिठाई से शगुन की रस्म भी पूरी हो गई ।उनहोंने कहा, हमारे पास समय कम है ।पन्द्रह दिन में राजीव लौट जायेगा, इसलिए जल्दीही शादी हो जाने चाहिए ।रमा दिन रात सपने देखने लगी ।

जिंदगी में पहली बार वह हवाई जहाज में सफर करेगी, कितना अच्छा लगेगा ।नये नये  शहर, आधुनिक रख रखाव, घर भी तो विदेश में सारी सुख सुविधा से लैस रहता होगा ।वह रानी बन जायेगी ।पन्द्रह दिन में शादी हो गई ।उनहोंने कहा कि अधिक धूम धाम करने की जरूरत नहीं है ।

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सादा विवाह होगा ।फिर वैसा ही किया गया ।रमा इकलौती बेटी थी ।पिता साधारण नौकरी में थे।उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था ।इतना अच्छा घर वर ।कम खर्च में शादी ।अब तो बेटी विदेशी हो जायेगी ।मिलना जुलना मुश्किल हो जाएगा ।जाने दो बेटी तो सुख से रहेगी और क्या चाहिए हमें ।सामने वाले घर में आशा दीदी का भाई समीर रहता था ।

मन ही मन रमा को चाहने लगा था ।अच्छा तो रमा को भी वह लगता था ।शान्त और सीधा सादा समीर ।लेकिन रमा के सपनों को पंख लग गया था और उस पंख ने समीर को पीछे छोड़ दिया था ।रमा की विदाई हो गई ।परिवार के लोग जुट गये ।सबने कुछ कुछ फरमाइशी लिस्ट थमा दिया ।चचेरे भाई ने कहा–“दीदी, जीजा जी से कहकर मुझे भी वहां लगवा देना,

जिन्दगी भर एहसान मानूँगा “चाची ने भी कह दिया–“छोटी मोटी नौकरी मिल जाये तो ,या कोई बिजनेस ही चाचा जी कर लेंगे तो अच्छा रहता, तुम जरा कोशिश करती रहना बेटा “।सबकी दुआएं लेती रमा आकाश में उड़ने लगी थी ।अमेरिका पहुंचने पर कैसा लगेगा, कैसे लोग होंगे, मुझे तो अच्छी तरह इंगलिश बोलना भी नहीं आता ।

कोई बात नहीं है सीख लूंगी धीरे-धीरे ।ठीक समय पर पहुंच गयी रमा ।भारत में जो माता पिता बनकर आये थे वह वास्तव में किराए पर थे।राजीव ने पहुंचते ही बता दिया था ।छनाक से शीशा टूट पड़ा था उसके दिल का।इतना बड़ा धोखा ? ऐसे तो नहीं लगे थे राजीव ।कोई लेने नहीं आया था।टैक्सी करके घर पहुंच गयी । साधारण सा एक कमरे का मकान ।सामान के नाम पर थोड़ा सा बर्तन और कुछ कपड़े ।जो राजीव के थे।

बाहर से खाना पैक करके ले आया राजीव ।”आज आराम कर लो,कल से देखते हैं कुछ “। सपने धूल धुसरित होने लगे थे उसके ।खाकर राजीव बाहर चला गया ।कहकर कि तुम आराम कर लो, थक गई हो।दरवाजा ठीक से बंद कर देना ” ।”तो क्या राजीव रात को नहीं लौटेंगे “? उसे ठीक से नहीं नहीं आयी।

अकेले नये शहर में डर भी लग रहा था ।अब तो परिस्थिति का सामना करना ही होगा ।इतनी दूर विदेश में ।किससे अपने मन की बात कहे।माता पिता सात समंदर पार हैं ।नहीं नहीं उनकों यह सब बता कर दुख नहीं देना चाहती है वह।अकेले ही सामना करेगी ।दूसरे दिन सुबह राजीव आया ।साथ में गोरी मेम ।”यह एलीना है, मेरी पत्नी ” हमने बहुत पहले ही विवाह कर लिया था ।

तुम्हारे परिवार को बताया नहीं ।साॅरी”। हजार बिचछुओं का डंक लगा था तब।फिर मुझे क्यों लाये? क्यों धोखा दिया हमें? “असल में मै एक साधारण दूकान पर काम करता हूँ ।एलीना भी साथ ही करती है ।हमारी निकटता ने शादी करने पर मजबूर कर दिया ।हमारी आमदनी बहुत कम है ।घर के देखभाल और काम के लिए कोई चाहिए था

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तो तुम को ले आया ” यहाँ काम के लिए कोई नहीं मिलती है तो, अब तुम आ गयी ।सबकुछ ठीक हो जाएगा ।” पंख फड़फड़ाने लगा था उसका ।परकटे पंछी की तरह ।कही जा भी नहीं सकती थी।सपने चूर चूर हो गये थे ।भाई बहनों के लिए आश्वासन, चाचा चाची को कितना झूठ कहेगी? मन में उसने सोच लिया था कि वह भी कुछ कर लेगी,

कोई भी काम ।राजीव से कहा- मुझे भी कहीं लगवा दे,घर भी  संभाल लूंगी “। जिंदगी की गाड़ी सरपट दौड़ती रही ।एक दूकान पर उसे भी लगवा दिया ।सबकुछ ठीक चल रहा था ।लेकिन किसी को बांटना, बहुत तकलीफ दायक होता है ।इसे वह अच्छी तरह समझ गयी थी ।राजीव कभी घर आता,कभी नहीं आता ।

उसकी शाम एलीना के नाम हो गया था ।जिंदगी की सांझ ढलने लगी थी ।रमा अब अधिकतर बीमार रहने लगी थी ।फिर एक दिन राजीव आधी रात को आया ।”रमा मुझे माफ कर दो ,मैंने तुमको बहुत दुःख पहुंचाया है ।जिस एलीना के पीछे मै पागल था वह सबकुछ लेकर दूसरे के साथ चली गई “

।” नहीं राजीव,अब समय बहुत आगे बढ़ गया है ।पीछे लौटना मुश्किल है,कैसे भूल सकते हैं मेरी जिंदगी के वह पल,जहाँ तुमने मुझे छोड़ दिया था ” हो सके तो मुझे माफ ही कर दो।मैंने अकेले जीना सीख लिया है ।जिंदगी की सांझ ढलने लगी है ।लौटना मुश्किल है।राजीव की भी तबियत ठीक नहीं रहती ।एक ही छत के नीचे दोनों जी रहे हैं ।

उम्र का कोई बंधन नहीं है, यहाँ काम मिलता रहता है ।थक गए हैं लेकिन जिंदगी ढो रहे हैं ।आज भी राजीव को लौटने में देर होने लगी तो वह यहाँ आकर बैठ गयी है ।अतीत की परतें खोल ही रही थी कि खबर मिली राजीव एक गाड़ी के नीचे आ गए ।शायद सड़क पार कर रहे थे।दौड़ती हुई अस्पताल पहुँची ।तबतक सबकुछ खत्म हो गया ।राजीव चला गया ।

कभी न लौटने के लिए ।सारी प्रक्रिया पूरी हो गई ।वह भी अब अपने देश लौट जाना चाहती है ।लाख धोखा मिला था उसे ।पर विदेश में राजीव का साथ था तो हिम्मत थी।आज समीर की भी  बहुत याद आ रही है ।न जाने कैसा होगा, बहुत बूढ़ा हो गया होगा? शादी तो हो ही गई होगी उसकी।बच्चे भी होंगे ।

सबकी अपनी अपनी दुनिया है ।और मेरी दुनिया—-? रमा बेड पर आकर निढाल हो गई ।न जाने कयों बहुत नींद आ रही है ।शायद आखिरी नींद ।उसका सिर एक ओर ढुलक गया—-।

उमा वर्मा, नोएडा ।

स्वरचित ।मौलिक ।

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