धंधा – : Moral Stories in Hindi

रोज की तरह आज भी शाम का धुंधलका होते ही  बिन्नी रेड लाइट एरिया में ग्राहक के लिए खड़ी थी ।एक ग्राहक से सौदा हुआ ।

वह उसे  एक होटल में ले गया । वहां के बार में कई जोड़े बैठे थे , जो केवल अपनी रातें रंगीन करने आए थे । इनमें रईस घरों के बिगड़े बच्चे भी थे, जिनका मर्यादा से कोई वास्ता नहीं था ।

बहरहाल उस ग्राहक ने पहले शराब पी और बिन्नी से भी शराब के लिए पूछा , तो बिन्नी ने मना कर दिया ।  फिर वह उसे कमरे में ले गया और अपने पैसे वसूल किए । सुबह होते ही बिन्नी अपने घर के लिए निकल गई ।

घर पहुंच कर आंखों में दर्द लिए अपने शरीर को रगड़ रगड़ कर नहाई, मानों रात की गंदगी को खरोंच कर निकाल रही हो ।

वह जानती थी, यह धंधा करना उसकी मजबूरी है । बीमार मां और छोटे भाई बहन की जिम्मेदारी ने उसे इस दलदल में धकेला था ।

बचपन में पिता का साया उठ गया , तब मां ने मजदूरी कर पाला । पर भगवान को तो कुछ और ही मंजूर था ।

एक दिन इमारत बनाने के लिए मजदूरी कर रही मां दुर्घटना का शिकार हो गई और एक पैर और एक हाथ मलबे में दबने से बेकार हो गया ।

फिर शुरू हुआ ,पंद्रह वर्ष की बिन्नी का संघर्ष । जहां कहीं काम के लिए जाती, तो उसके काम से ज्यादा उसके जवान होते जिस्म पर सबकी नजर होती ।

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आखिरकार मां और भाईबहन की परवरिश के लिए जिस्म का सौदा करना पड़ा । हर रात के बाद उसे अपने जिस्म से नफरत होती और सारा दर्द आंखों से निकलता ।

और शाम होते ही चेहरे पर मुस्कान लिए ग्राहक लुभाने फिर खड़ी हो जाती रेड लाइट एरिया में । 

क्लबों ,होटलों में उसे कई रईस जोड़े दिखते ,जो आज किसी के साथ है ,तो कल किसी और के साथ ।

जिसे ये लोग प्यार और ब्रेकअप और फिर प्यार नाम देते थे । ऐसा प्यार जिसमें सारी सीमाएं पार की जा सकती हैं । लेकिन बिन्नी जैसी लड़कियों को घृणा से देखते ,क्योंकि ये तो  धंधा करती है ।

  आज फिर एक होटल में ऐसे ही एक जोड़े से टकरा गई बिन्नी ।

लड़की ने बिन्नी को एक चांटा लगा कर कहा , ए धंधा करने वाली , जरा देख कर चला कर । तुम लोग समाज पर धब्बा हो । समाज को खराब कर के रखा है तुम लोगों ने ।

बिन्नी की आंखों में आंसू आ गए । उसने  दर्दभरे स्वर में कहा , हां ! हम धंधा करती हैं । पर तुम भी तो वही करते हो । फर्क सिर्फ इतना है ,कि हम पेट की भूख के लिए करतीं हैं , और तुम लोग जिस्म की भूख के लिए ।

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