वाह मामी… आपके यहां तो अलमारी के जितना बड़ा फ्रिज और सिनेमा हॉल के जैसा टेलीविजन है, इसमें सब कुछ कितना बड़ा-बड़ा दिखाई देता है आपके यहां तो गद्दा और सोफा भी कितने गुदगुदे हैं यहां तक की आपके पास तो कितने सुंदर-सुंदर पिल्ले भी हैं,
हमारे गांव में तो ऐसा कुछ भी नहीं है! है ना मम्मी…. !13 साल के आदित्य ने अपनी मामी से कहा! आदित्य के मामा पुलिस इंस्पेक्टर थे और शहर में रहते हैं जबकि आदित्य के पापा एक ऑफिस में क्लर्क हैं और वह एक कस्बे में रहते हैं आदित्य के पापा को शहर के ऑफिस में कुछ काम था
इसलिए वह साथ में अपनी पत्नी और बेटे को भी ले आए ताकि वह भी अपने भाई और मामा से मिल सके, जब आदित्य यह सब अपनी मामी से कह रहा था तभी मामी का बेटा जो आदित्य के हम उम्र ही था बोला., हां हां तुम्हारे फटीचर गांव में रखा ही क्या है जैसे तुम लोग वैसे ही तुम्हारा गांव…
तुम्हें क्या पता शहर में लोग कैसे रहते हैं? मेरे पापा तो बहुत बड़े ऑफिसर हैं और तेरे पापा क्या है मामूली से क्लर्क, तुम तो कभी सपने में भी हमारे बराबर होने की सोच नहीं सकते यह सुनकर आदित्य के दिल को बहुत ठेस पहुंची और वह अपनी मम्मी से उसी दिन वापस अपने घर आने के लिए जोर देने लगा,
आदित्य अब बच्चा नहीं रहा था सब कुछ समझ में आने लगा था की मामा मामी के यहां पर उनका हमेशा से अनादर होता है आदित्य के मामा भी आदित्य के पापा को कम पसंद करते थे क्योंकि उनको लगता था कि उन दोनों के स्तर में जमीन आसमान का फर्क है, आदित्य के मामा को तो उन्हें अपना जीजा जी कहने में भी शर्म आती
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बस वह अपनी बहन की वजह से थोड़ा झुक जाते, आदित्य अपने घर तो आ गया किंतु उसे अपने मामा के बेटे की बात चुभ रही थी हालांकि मामी ने अपने बेटे को डांट दिया था लेकिन वह जानता था राघव जो कह रहा था वह सच ही तो था, क्या वह उनकी कभी बराबरी कर पाएंगे?
यह अपमान आदित्य भूल नहीं पा रहा था, धीरे-धीरे समय बितता गया, आदित्य जी जान लगाकर अपनी पढ़ाई की तैयारी करने लगा उसे भी अपना स्तर मामा से ऊंचा करना था, कई सालों की मेहनत के बाद और कई प्रयासों के बाद आज आदित्य जिलाधिकारी बन ही गया
और 2 साल के अंदर उनके घर में भी सारी सुख सुविधाएं मौजूद थी किंतु अब उसे इन सब बड़ी-बड़ी चीजों को देखकर आश्चर्य नहीं होता था, उधर मामा का बेटा राघव अपने पैसे के घमंड में चूर गलत संगत में पड़ गया, मामा का भ्रष्टाचार का पैसा उसे उन संगतो मैं घसीटाता चला गया,
आए दिन वह शराब के अड्डे पर मिलता! आदित्य को सरकार की तरफ से गाड़ी नौकर बंगला सब मिला था! एक दिन उसके मामा मामी अपने बेटे राघव के साथ वहां आए और मामा मामी अपने किए पर शर्मिंदा होते हुए बोले…, आदित्य बेटा हमें माफ कर दो..
हमने अपने बेटे को कुछ भी संस्कार नहीं दिए सिर्फ पैसे की चमक दिखाई, हमारा भ्रम टूट गया कि पैसे से सब कुछ मिल सकता है बल्कि पैसे की वजह से तो हमारा बेटा बिल्कुल बिगड़ गया, हमने तुम्हारा इतना अपमान किया तुम्हें हमने कुछ भी नहीं समझा हम अपने किए पर बहुत शर्मिंदा हैं?
तब आदित्य बोला…. नहीं मामा मामी आपको शर्मिंदा होने की कोई जरूरत नहीं है बल्कि मैं तो बहुत खुश हूं कि मेरा अपमान होने के कारण हि तों में यहां तक पहुंचा हूं, हां मुझे पल-पल राघव के ताने कचोटते रहे और मैं जब भी कमजोर पढ़ने लगता
उसके ताने सुनकर दुगने उत्साह से अपनी पढ़ाई में जुड़ जाता क्योंकि मुझे उसे नीचा दिखाना था, किंतु अब मेरे मन में ना कोई प्रतिस्पर्धा न हीं जलन और ना ही कोई भेदभाव रहा! मेरे लिए तो बल्कि अपमान वरदान बन गया और हां…बड़े अपने छोटों से माफी नहीं मांगते बल्कि गले मिलकर उसका अभिनंदन करते हैं आदित्य की बात सुनकर पूरा परिवार मुस्करा उठा !
हेमलता गुप्ता ( स्वरचित . )
कहानी प्रतियोगिता “अपमान बना वरदान”
. #अपमान बना वरदान