अहमियत रिश्तों की (भाग-13) – मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

अब आगे….

प्रथम के कमरे पर पुलिस आई है…

प्रथम और उसके बाऊजी आपस में बैठे बात ही कर रहे थे …

कि तभी पुलिस को देखकर दोनों घबरा जाते हैं …

जी क्या हुआ सर…??

देवेश का मर्डर हो गया है …

यह सुन प्रथम हक्का-बक्का  रह गया …

यह देवेश को है लला…??

प्रथम के बाऊजी  पूछते हैं…

 एक सर  है यहां के बाऊजी …

जिन्होंने हमारी मदद की थी …

हमें यह कमरा उन्होंने ही दिलवाया था …

लेकिन पुलिस तेरे पास काहे को आई है ….??

कातिल के पास ही जाया जाता है …

पुलिस का एक सिपाही बोला…

का  कातिल…??

कौन कातिल …??

यह लड़का प्रथम …

और कौन…??

का  तुम्हें कोई गलतफहमी हुई है थानेदार साहब…

मेरा छोरा  ऐसो  कोई काम नहीं कर सकतो …

ये  तो बड़ो  सीधो  सो बालक है …

यहां पढ़ने आया है…

तुम यहां अपनो बखत खराब करने आए हो …

चले जाओ यहां से …

दीनानाथ जी  सख्त लहजे में बोले…

प्रथम के चेहरे की हवाइयां उड़ गई थी…

तो प्रथम ….

आप देवेश  को जानते हैं…??

हां जी सर …

जानता हूं …

इंस्पेक्टर की बात पर प्रथम बोला…

उनका आज दोपहर को कत्ल हो गया…

और सुनने में आया है कि रात आप उनके घर में रुके थे…

क्या यह बात सही है…??

इंस्पेक्टर पूछता है…

प्रथम अपने बाऊजी  की तरफ देखता  है …

कुछ जवाब नहीं देता वो…

मैं आपसे ही पूछ रहा हूं प्रथम …??

क्या आप रात में देवेश के घर पर ही थे…??

छोरा तू बता  क्यों नहीं देता ,,तू तो अपने कमर पर यहां सो रहा था …

तू कहां था वो  देवेश के घर…

पर सुध आयी…..

हां जब मैं सवेरे आओ…

तो तू  घर पर ना हतो ….

दीनानाथ जी बोले …

यहां पर लाइट नहीं आ रही थी बाऊजी   तो मैं देवेश  सर  के घर चला गया था रात में…

उनके क्या पढ़ाई की थी …

तो का है गयो  पढ़ाई कर रहो छोरा  थानेदार साहब …

इसमें मेरे छोरे  ने उनको कत्ल करो…

यह बात कैसे साबित होती है …??

तब तक प्रथम के भाई साहब पिंटू भी आ गए ….

यह पुलिस यहां क्या कर रही है ….??

साहब माजरा आप सबको साफ-साफ पता चल जाएगा …

थोड़ी छानबीन कर लेने दीजिए…

तभी इंस्पेक्टर सभी सिपाहियों को इशारा करता है…

इसके कमरे की तलाशी ली जाए…

कुछ भी संदिग्ध दिखने  पर उसे निकाल कर लाया जाए….

चलिए प्रथम…

हमारे साथ पुलिस स्टेशन …

बाकी की पूछताछ आपसे वहीं  की जाएगी….

मेरे छोरा  को कहां लेकर जा रहे हो …??

आप सब चुप रहिए…

इसने ही कत्ल किया है..

इसका बयान देवेश ने अपने खून से दीवार पर लिख कर दिया है….

क्या …??

यह देखिए…

फोटो…

इंस्पेक्टर फोटो में दिखाता है..

देवेश के कमरे की दीवार पर  खून से लिखा हुआ था…

मेरा हत्यारा प्रथम …

उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जाए….

यह देख तो प्रथम के हाथ पांव फूल  चुके थे….

उसकी आंखों से आंसू आने लग जाते हैं …

बाऊजी मैंने कुछ नहीं किया…

मुझे बचा लो भईया …

मुझे बचा लो…

मुझे नहीं पढ़ना यहां…

मुझे ले चलो घर…

प्रथम बोलता जाता है ….

लेकिन पुलिस उसकी एक नहीं सुनती …

उसे अपने साथ ले जाती है …

प्रथम का दोस्त भी बेबस नज़रों से प्रथम को जाते देखता है ….

उसकी आंखें भी नम थी…

बाबा और पिंटू की  आंखों से भी आंसू बह निकले थे ….

पुलिस स्टेशन आ चुका था …

सभी अंदर बैठे हुए थे …

प्रथम से पूछताछ जारी थी ….

उसके सही से जवाब न देने पर उसे मारा भी जा रहा था …

मोये और पिंटू को भी लेकर चल पुलिस स्टेशन …

प्रथम के दोस्त से उसके बाऊजी  दीनानाथ जी बोले …

जी बाबा…

लेकिन बाबा आप जाकर करेंगे क्या …??

पुलिस को तो जो पूछताछ करनी होगी, करेगी …

तो का हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे …

मेरे छोरे पर खून को इल्जाम लगो  है …

मेरी तो तबीयत सी खराब है रही….

तोये ना  पतो  कितनी सजा होगी इस  बात की….

लेकिन बाबा आप मेरी बात सुनो….

बिना सुबूत  के ,,बिना किसी वकील के ,,आप उसकी जमानत भी नहीं करा सकते हैं …

हर चीज का एक नियम कानून होता है ….

पहले आप तसल्ली से बैठकर सोचिए ….

कि आपको प्रथम को कैसे बचाना है …

हां तो तू ही बता दे …

मेरो तो दिमाग काम ना कर रहो….

ऐसा करते हैं…

पहले आप दोनों निहारिका के घर पर जाइए…

जहां देवेश भी रहता था …

जे निहारिका कौन है…??

यह देवेश के साथ में ही रहती है…

तो तू हमारे संग  चल वहां पर….

नहीं नहीं ,,बाबा…

मुझे आज घर पर निकलना है….

आप चले जाइए…

पिंटू हंसता हुआ बोला…

समझ गया …

दुख में कोई भी साथ नहीं देता ….

तू भी कन्नी काट रहा है…

यहां से भागना चाहता है …

कि कहीं पुलिस तुझे भी इस मामले में घसीट ना ले…

प्रथम का दोस्त नीचे मुंह किये  खड़ा रहता है …

शायद पिंटू की बात में सच्चाई थी…

पिंटू असहाय से दीनानाथ जी को कंधे का सहारा देते हुए धीरे से ऑटो में बैठाता है ….

वह दोनों देवेश  के घर पहुंच चुके थे …

देवेश के  घर में पुलिस जमा थी ….

वह धीरे-धीरे कर आगे बढ़ रहे थे…

देवेश के अंतिम संस्कार की तैयारी हो रही थी …

घर वाले भी वहां पहुंच चुके थे …

वहीं पर निहारिका जमीन पर बैठी हुई सिसकियां ले रही थी …

ए रे पिंटू…

इनमें निहारिका  कौन है….

मोये  समझ ना आ रही…

बाऊजी प्रथम के दोस्त ने बताई कि वह पतली सी सुंदर सी, छोरी  है…

मोये तो वही लग रही है …

जो जमीन पर बैठी है …

चल वाके पास चलकर बात करते हैं…

दीनानाथ जी, पिंटू वहीं आकर के पास बैठ गए…

लाली…

तू प्रथम को जाने हैं…??

आप कौन …??

निहारिका दीनानाथ जी की तरफ अचंभित होकर बोली…

मैं वाको बाप  हूं…

पुलिस पकड़ के लै  गई है छोरा को…

वह निर्दोष है…

देवेश को कत्ल ना करो वाने…

उसके कत्ल के इल्जाम में पकड़ ले गई है …

मैं जानती हूं …

प्रथम ने कत्ल नहीं किया है देवेश का….

तो फिर वो  दीवार पर खून से किसने लिखो …

मेरे साथ चलिए…

मैं आपको सब बात बताती हूं…

निहारिका धीरे से पिंटू और देवेश जी को लेकर पता नहीं कहां आगे आगे चलती चली जा रही थी …

घर से भी बहुत दूर ले आई…

एक सुनसान जगह पर बैठ गई …

बैठो आप दोनों यहां …

जमीन पर मिट्टी थी …

मिट्टी में ही दीनानाथ जी और पिंटू जी बैठ गए …

हां तो सुनिये  अगर आप लोगों  को प्रथम को बचाना है…

तो बस आपको मेरी एक बात माननी होगी …

निहारिका बोली…

बोल का बात है…??

तभी चारों तरफ से जोर-जोर से हंसने की आवाज आने लगती  हैं….

ऐसे लगता है कि कई सारे लोग एक साथ हंस रहे हैं..

बाऊजी, पिंटू जी घबरा जाते हैं …

इधर पुलिस स्टेशन पर प्रथम की जमानत कराने एक लड़की आई हुई है…

अगला भाग

अहमियत रिश्तों की (भाग-14) – मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

तब तक के लिए जय श्री राधे

मीनाक्षी सिंह

आगरा

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!