रीमा एक साधारण गाँव की महिला थी, लेकिन उसके विचार और आत्मविश्वास असाधारण थे। वह पढ़ी-लिखी थी और महिलाओं को शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूक करने का प्रयास करती थी। गाँव के लोग रीमा की सराहना करते, लेकिन कुछ लोग उसकी तरक्की और सोच से ईर्ष्या भी रखते थे।
एक दिन, गाँव के पंचायत भवन में महिलाओं के सशक्तिकरण पर एक बैठक आयोजित की गई। रीमा को भी वहाँ अपने विचार साझा करने के लिए आमंत्रित किया गया। उसने पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा, “महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए और खुद को किसी से कम नहीं समझना चाहिए। शिक्षा ही हमारा सबसे बड़ा हथियार है।”
रीमा की बातें सुनकर गाँव के मुखिया के बेटे राजेश को गुस्सा आ गया। उसने भरी सभा में रीमा का मज़ाक उड़ाते हुए कहा, “तुम जैसी महिलाओं को घर के कामों में रहना चाहिए। ज्यादा पढ़ाई-लिखाई से क्या फायदा? आखिर चूल्हा-चौका ही तो करना है।”
रीमा का चेहरा थोड़ी देर के लिए उतर गया, लेकिन उसने तुरंत खुद को संभाला। उसने शांत स्वर में कहा, “राजेश जी, आपकी सोच ही हमारे समाज की सबसे बड़ी समस्या है। यदि महिलाएं शिक्षित और आत्मनिर्भर हो जाएं, तो परिवार और समाज दोनों ही बेहतर बन सकते हैं। आज आप मेरे विचारों का अपमान कर रहे हैं, लेकिन याद रखिए, आने वाला समय मेरी बात को सच साबित करेगा।” रीमा के इस उत्तर पर सभा में सन्नाटा छा गया।
रीमा के आत्मविश्वास और सामाजिक कार्यों ने गाँव में उसकी अलग पहचान बना दी थी। महिलाएं अब उसे आदर्श मानने लगी थीं। लेकिन राजेश, जो गाँव के मुखिया का बेटा था, रीमा से अपनी भरी सभा में हुई बेइज्जती को भूल नहीं पाया। उसने मन ही मन तय कर लिया कि वह रीमा से इसका बदला जरूर लेगा।
राजेश ने रीमा के खिलाफ गाँव में अफवाहें फैलानी शुरू कर दीं। उसने लोगों से कहा, “रीमा केवल दिखावे के लिए महिलाओं की भलाई का काम करती है। असल में, वह अपनी छवि चमकाने के लिए सब करती है।” धीरे-धीरे कुछ लोग इन बातों पर यकीन करने लगे और रीमा से दूरी बनाने लगे
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एक दिन, राजेश ने रीमा के सिलाई केंद्र पर छापा मरवाने के लिए गाँव के कुछ अधिकारियों को पैसे देकर झूठी शिकायत दर्ज करवाई। अधिकारियों ने आकर रीमा के केंद्र की जांच की और बिना वजह उसे बंद करवा दिया। यह घटना रीमा के लिए बहुत बड़ा झटका थी। वह निराश हो गई, लेकिन उसने हार नहीं मानी।
रीमा ने अपने खिलाफ फैलाई गई अफवाहों और झूठी कार्रवाई का सबूत जुटाने का फैसला किया। उसने गाँव की अन्य महिलाओं की मदद से राजेश की करतूतों की सच्चाई उजागर की। महिलाओं ने गवाही दी कि राजेश ने जानबूझकर रीमा को बदनाम करने की कोशिश की थी।
रीमा ने यह मामला सीधे जिला प्रशासन के सामने रखा। प्रशासन ने जांच के बाद राजेश पर कार्रवाई की और रीमा के सिलाई केंद्र को फिर से खोलने की अनुमति दी। इसके अलावा, राजेश को सार्वजनिक रूप से अपनी हरकतों के लिए माफी मांगने को कहा गया।
जब पंचायत में राजेश ने रीमा से माफी मांगी, तो रीमा ने कहा, “माफी मांगना आसान है, लेकिन विश्वास जीतना मुश्किल। मेरे लिए यह संघर्ष व्यक्तिगत नहीं था, यह उस हर महिला की लड़ाई थी जिसे दबाने की कोशिश की जाती है।”
धीरे-धीरे रीमा ने अपने काम को और बढ़ावा दिया। उसने महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई और छोटे-छोटे व्यवसाय शुरू करने की प्रेरणा दी। उनकी मेहनत रंग लाई, और गाँव की कई महिलाएं आत्मनिर्भर बन गईं।
कुछ समय बाद, रीमा की मेहनत को देखते हुए सरकार ने उसे “ग्राम विकास महिला पुरस्कार” से सम्मानित किया। वह सम्मान समारोह में मुखिया और राजेश भी मौजूद थे। राजेश ने शर्मिंदा होकर रीमा से माफी मांगी।
रीमा ने मुस्कुराते हुए कहा, “अपमान से घबराना नहीं चाहिए। यह हमें और मजबूत बनाता है। मैंने यह सब अपने लिए नहीं, बल्कि उन महिलाओं के लिए किया है जो अपनी पहचान बनाना चाहती हैं।”
#अपमान
लेखिका : दमयंती पाठक