सौभाग्यवती – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

सुमन दी नही रही.. ये मनहूस खबर पड़ोस में रहने वाली भाभी ने दी.. और साथ में ये भी कहा मृणाल कल आएगा मुखाग्नि देने ..इसलिए मृत शरीर को अस्पताल में हीं रखा गया है….. पति धर्म पूरा करने आएगा मृणाल…तथाकथित समाज की बुजुर्ग महिलाओं के अनुसार सुमन #सौभाग्यवती #है जो पति के कंधे पर चढ़ कर जाएगी.. सोलह श्रृंगार करके… भले हीं अभिशप्त जीवन की पीड़ा सही है…

बियालिस साल की उम्र भला दुनिया से जाने की होती है..

                     सुमन दी का परिवार गांव के समृद्ध परिवार में गिना जाता था.. सुमन दी से पांच साल बड़े थे मृणाल.. दोनो के दादाजी बहुत अच्छे लंगोटिया यार थे.. सुमन दी के जन्म के बाद हीं पहली बार गोद में लेते हुए मृणाल के दादाजी जमुना प्रसाद ने रिश्ता तय कर दिया.. सुमन दी अपने नाम के अनुसार हीं बहुत खूबसूरत और भोली भाली थी.. जैसे जैसे बड़ी हो रही थी खूबसूरती बढ़ती जा रही थी.. मृणाल की दादी अक्सर सुमन की नजर उतारती..

मृणाल की बुआ मुंबई में थी ..पायलट थे पति.. पर संतान सुख से वंचित थी..

बहुत आरजू मिन्नत के बाद मृणाल को पढ़ने के लिए मुंबई भेज दिया गया…सुमन की पढ़ाई गांव में हीं होने लगी.. सुमन के कोमल मन में ये बात बैठ गई थी कि उसकी शादी मृणाल से होगी.. मृणाल के दादाजी का पैर जब पर्व त्योहार पर सुमन दी छूती तो आशीर्वाद देते #सौभाग्यवती भव:#सखियां अक्सर उसे मृणाल के नाम से छेड़ जाती..

सुमन बहुत भोली भाली और दुनियादारी से दूर रहने वाली लड़की थी.. सत्रहवें साल में प्रवेश कर गई थी सुमन दी.. खूबसूरत और निखर गई थी..

सूतवां नाक बिल्कुल हीरे की कन्नी जैसी, तरासे हुए नैन नक्श, और तराशा हुआ बदन..

अचानक मृणाल के दादाजी को दिल का दौरा पड़ा पर बच गए.

उन्होंने मृणाल की शादी की जिद्द पकड़ ली..

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गांव का मृणाल अब माया नगरी के रंग में आकंठ डूब गया था.. मेरिन इंजीनियरिंग की पढ़ाई का अंतिम साल था और नौकरी भी लग गई थी..

मुंबई में रहने वाला मृणाल जीवनसाथी के लिए सुमन दी जैसी गांव की भोली भाली लड़की बिल्कुल भी नही चाहता था.. सुमन दी ना इंग्लिश बोल सकती थी ना आधुनिक परिधान और आधुनिक परिवेश में  शामिल हो सकती थी ..पर दादाजी की आज्ञा..

शादी हो गई.. #सौभाग्यवती भव:#के आशीर्वाद से ससुराल में सुमन दी का स्वागत हुआ..

सुमन दी बहु बन के मृणाल के घर आ गई..

मृणाल दूसरे दिन फाइनल एग्जाम का बहाना कर मुंबई चला गया..

मृणाल की नौकरी लगे तीन साल हो गए थे.. कोर्ट की तारीखों की तरह मृणाल के आने की तारीखें बढ़ रही थी.. सुमन दी धैर्य और भरोसे से इंतजार कर रही थी.. मुंबई पिया संग जाने को.. पर किस्मत उन्हे #सौभाग्यवती #कहां रहने दिया था..

अचानक एक दिन डाकिया तलाक के नोटिस थमा गया.. बेचारे दादाजी ये सदमा झेल नहीं पाए और हॉस्पिटल जाते जाते दुनिया से चले गए..  सुमन अंतिम शब्द उनके मुंह से यही निकला..

दादाजी की तेरहवीं पर भी मृणाल नही आया जहाज पर था..

कुछ दिन बाद सुमन दी मायके आ गई..

चुपचाप सब के मना करने के बाद भी तलाक के कागज पर दस्तखत कर दी..

और मृणाल अपने लायक जीवनसंगिनी पहले हीं ढूंढ लिया था.. बुआ के समझाने बुझाने से तंग आकर उसी के घर रहने लगा था..

सुमन दी को उनका छोटा भाई अपने साथ टाटा लेकर आया.. सुमन दी को गांव और उसकी दुखद यादों से दूर ले जाने के लिए..

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पर सुमन दी का कोमल मन दिल सब पर मृणाल अमिट निशानी बन गया था.. उससे बाहर कभी निकल ना सकी.. मृणाल बहुत सालों बाद पिताजी की तबियत बिगड़ने पर गांव आया.. सुमन दी जिंदा है या मर गई पूछा तक नहीं.. मृणाल  के साथ आए उसके बेटा बेटी और पत्नी को देखकर मृणाल के माता पिता सुमन दी की जिंदगी बर्बाद करने के अपराध को भूल से गए.. कितने वर्षों बाद पुत्र वापस जो आया था .

मां कहती सुमन तू सिंदूर मत लगा बेटा क्यों तू उस मनहूस के सलामती के लिए ये सब कुछ करती हो.. वो तुम्हारा सौभाग्य नही दुर्भाग्य है..सुमन दी कहती मां तुम्ही कहती थी पति पत्नी का रिश्ता सात जन्मों का होता है..

घर वालों ने सुमन की शादी करना चाहा तो सुमन दी ने चार दिन तक खुद को कमरे में बंद कर लिया अन्न जल त्याग दिया.. घरवालों को हथियार डालना पड़ा..

अंदर हीं अंदर सुमन दी को उनका दुःख घुन की तरह खाए जा रहा था..

थोड़ा चलने पर हांफने लगी थी सुमन दी..

Veena 

डॉक्टर को दिखाया गया तो दिल की बीमारी निकली.. बाई पास सर्जरी हुई.. पर जिसके अंदर जीने की चाह ना रही हो उस पर  दवाइयों का भी असर कहां होता है..

और फिर एक दिन सुमन दी ने अपने माता पिता और सास ससुर के सामने हाथ जोड़कर कहा मैंने आज तक आपलोगों से कुछ नही मांगा पर आज मुझे ये वचन दीजिए कि मेरी मृत्यु होने पर मुखाग्नि मेरे पति हीं दे.. आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा सुमन दी के आंखों से.. और फिर सास ससुर ने वचन दिया तू सुहागिन होते हुए भी जोगन की जिंदगी बिताई पर मृणाल को आना होगा इस वचन को पूरा करने के लिए ….

ये कलयुग है इस जन्म का किया इसी जनम में वापस मिलता है.. वो देखने के लिए सुमन दी इस दुनिया में नही रहेंगी..वक्त मृणाल के किए का हिसाब जरूर करेगा पर ना तो सुमन दी वापस आएंगी ना उनकी खुशियां…एक निर्दोष लड़की जो ना  ब्याहता थी ना विधवा ना कुंवारी… पर #सौभाग्यवती#रहो, इस आशीर्वाद को श्राप की तरह जी रही थी…कितना मुश्किल रहा होगा पल पल जीना…

🙏❤️✍️

Veena singh..

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