अरे , आज इस समय दीदी का फोन… वो तो कभी वक्त बेवक्त फोन करती नहीं है , फिर.. सब ठीक तो है ना …अनेक आशंकाओं के मध्य श्रुति ने धीरे से कहा… हां दीदी , बोलिए… क्या कर रही है श्रुति …?
आज मैंने इस समय फोन लगा लिया है …तू फ्री तो है ना….
हां दीदी आप बोलिए ना….!
माँ बाबूजी के जाने के बाद दीदी बिल्कुल माँ की भूमिका में आ गई थीं…. अच्छे बुरे , दुख सुख में हमेशा श्रुति के साथ रहतीं… श्रुति भी तो , एक दीदी ही तो थी जिनसे मन की बातें करती थी…।
वो क्या है ना श्रुति , माना तू साफ दिल की है , स्पष्ट वादी है मुँह के सामने अच्छे को अच्छा और बुरे को बुरा कहने की साहस भी रखती है …पर कभी-कभी ज्यादा स्पष्ट वादी रिश्तो में दरार पैदा कर देते हैं ….
हां दीदी मैं जानती हूं , पर बात क्या है आप साफ-साफ बताइए ना…
बताती हूं बहन… पर तू पूछा पाछी मत करना और मैंने तुझे कुछ भी बताया है ये किसी को भी पता नहीं चलना चाहिए ,खासकर भाभी को ….ठीक है दीदी , लेकिन बात तो बताइए ….श्रुति भी जानना चाहती थी आखिर मामला क्या है…।
आज भाभी का फोन आया था तेरी उनसे कुछ बात हो गई थी क्या…? दीदी ने श्रुति से ही जानना चाहा …हां दीदी बताती हूं पर उन्होंने आपसे क्या बोला ..? श्रुति पहले भाभी द्वारा कही बात को जानना चाहती थी…।
वो बोल रही थीं…. श्रुति बहुत खराब ढंग से बात करती हैं , उनका इस ढंग से बात करना मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है …अब तो मैं उनसे कभी फोन पर बात नहीं करूंगी…..
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मेरा मतलब …तेरे बारे में उनकी सोच अच्छी नहीं लग रही थी…!
तो देख बहन ….मैं तुझे समझा दे रही हूं , आजकल का जमाना वो नहीं है जो तू सोचती है ….कुछ बातों को जाने दिया कर ना… सबको आईना दिखाने की जरूरत नहीं होती है …
हां मैं हां मिला कर बात करने में बुराई क्या है… वो भी खुश और हम भी खुश …. मैंने तुझे समझा दिया…अब आगे तेरी मर्जी…।
ओह… तो ये बात है दीदी…
वो तो ठीक है , मैं आगे से आपकी बातों को ध्यान में रखूंगी ….!
पर वो आपसे ऐसा कैसे बोल सकती हैं ? क्या उन्हें डर नहीं लगा कि आप मेरी दीदी हैं और मुझे हर बात बताती हैं , श्रुति ने कहा …..जवाब में दीदी बोलीं… हो सकता है वो जानबूझकर मुझसे बोली हों ताकि तुझे पता चल जाए ….क्या है ना श्रुति कभी-कभी कुछ लोग अपनी बातें खुद ना बोलकर किसी माध्यम की तलाश करते हैं ….शायद भाभी ने भी वही किया है…।
पर दीदी , क्या उन्हें डर नहीं लगा… यदि मैंनै भी वो सारी बातें आपको बता दी तो ….जो उन्होंने आपके बारे में मुझसे की थीं…. इस बार श्रुति की आवाज थोड़ी सख्त थी ….और तो और ….मेरे बारे में आपसे सिर्फ मेरे व्यवहार को लेकर बातें कीं…. पर आपके बारे में तो कितनी पारिवारिक गंभीर बातें …..खैर जाने दीजिए ….मैं किसी का भरोसा नहीं टूटने दूंगी …..उन्होंने मुझे अपनी कसम देकर रखी है आपको ना बताने को….।
श्रुति की बातें सुनकर दीदी भी आश्चर्य में पड़ गईं… काफी मेहनत की उन्होंने, वो बात जानने की… जो भाभी ने उनके बारे में श्रुति से कही थी… पर श्रुति तो श्रुति है… वचन की पक्की , बताने वाली तो थी नहीं…।
इस बार दीदी के आवाज , स्वभाव में भी श्रुति के लिए थोड़ा सा बदलाव दिख रहा था …कहीं ना कहीं उन्हें लग रहा था मैंने तो श्रुति को सभी बातें बता दी पर श्रुति वो नहीं बताना चाहती जो भाभी ने मेरे विषय में बोला था..।
खैर… दीदी ने स्पष्ट बोला… तू नहीं बताना चाहती है तो ना बता श्रुति ….मैंने जो सही समझा वो किया…।
इस बार श्रुति ने अपनी बात बड़े दृढ़ता पूर्वक कहा ….दीदी कुछ मामले में मेरे उसूल पक्के हैं… जिन्हें मैं किसी भी कीमत पर नहीं तोड़ती… चाहे कैसी भी परिस्थिति क्यों ना हो… और फिर सामने वाला बड़े विश्वास से , भरोसा कर …सामने वाले को कुछ बताता है… यदि उसने किसी से ना बताने का वचन लिया है तो फिर कैसे मैं किसी के साथ उसकी भावनाओं का विश्वासघात कर सकती हूं…।
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उस दिन , बात आई गई और खत्म हो गई …..पर श्रुति ने भी अपने व्यवहार में थोड़ा बदलाव लाने की सोची ….उसे महसूस हुआ …. सत्य या स्पष्ट बोलना गलत नहीं है …
” बस बोलने का ढंग शैली मधुर होनी चाहिए ताकि सामने वाले को समझ में भी आ जाए और बातें बुरी भी ना लगे ” …।
कुछ दिनों के बाद भाभी का अचानक फोन आया ….श्रुति जानती थी , वो ज्यादा दिन दूर रह ही नहीं सकतीं…. यदि बात करना ही बंद कर देगीं , तो फिर आदतन बातें इधर-उधर कैसे करेंगी ….
हां भाभी ,बोलिए …..श्रुति ने फोन उठाते ही कहा ….क्या कर रही थी…? अभी मैंने दीदी को भी फोन लगाया था वो नहीं उठाई ….फिर बोलेगीं…. मैं फोन ही नहीं करती… मेरी ही गलती बताएंगी…!
जैसे ही भाभी ने भूमिका बांध आलोचना शुरू ही किया…. श्रुति ने तपाक से कहा….. भाभी आपको डर नहीं लगता , यदि मैंने सारी बातें दीदी को बता दी तो ….?
भाभी ने भी बड़े जल्दी और बड़ी दृढ़ता से जवाब दिया ….
” मुझे आप पर पूरा भरोसा है जब भी कोई आपको मना करता है , तो भले ही आपकी जुबान कट जाए पर वो बात कभी आपके जुबान पर नहीं आएगी…।
ओह…” आपने तो मेरे भरोसे का पोस्टमार्टम ही कर दिया ” !
दीदी और मेरे संबंध में भी सेंध लगाने की कोशिश की….. श्रुति के मुंह से अनायास ही निकल गए….।
क्या कहा …? भाभी ने पूछा…
कुछ नहीं भाभी …..आप भी मेरे सामान विश्वसनीय , बात की पक्की , भरोसेमंद क्यों नहीं बन जातीं…. इस बार भाभी को लगा शायद आपस में दोनों बहनों की बातें हुई हैं…।
अब भाभी के स्वर थोड़े धीमे हो गए थे… शायद उन्हें श्रुति की बातों ने सोचने पर मजबूर कर दिया था… वो सिर्फ इतना ही बोलीं… ठीक है श्रुति , अब मैं फोन रखती हूं …बाद में बात करूंगी ….और फिर ना जाने कितने दिनों तक उनका कोई फोन नहीं आया …।
श्रुति भी सोच रही थी अच्छा है अब …इधर की बातें उधर और उधर की बातें इधर नहीं होगीं… किसी भी रिश्ते में कोई खंरोच भी नहीं आएगी…।
तभी एक दिन भाभी का अचानक से फोन आया ….जैसे ही श्रुति ने हेलो कहा …उधर से भाभी ने बड़ी मधुरता और थोड़ी भावुक होती हुई बोली … इतने दिनों से मैंने फोन नहीं किया तो आपने भी मेरा हाल-चाल नहीं लिया ना श्रुति ….!
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वो… भाभी… मैं ….श्रुति आगे कुछ कहती , भाभी ने स्वयं ही कहा ….कैसे कहूं श्रुति… समझ में नहीं आ रहा है ….मुझे माफ कर दीजिए….।
मुझे आपसे बात करने के लिए… हिम्मत जुटाने और खुद को बदलने में इतने समय लग गए ….इस प्रसंग ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया…
” वो पल आपके लिए कितना संघर्ष भरा रहा होगा जब ..दीदी आपको … जो मैंने शिकायत की थी वो बातें बता रही होगीं…. फिर भी आप चुप थी “…
आपने एक भी बातें नहीं कहीं… जो मैंने आपको दीदी के बारे में बताई थी ….यदि आप वो सारी बातें उन तक पहुंचा देती तो …बाप रे , मेरे घर में तो बवाल ही हो जाता ….! जानती है श्रुति …मैंने दीदी से भी माफी मांग ली है…!
आज सच्चाई अच्छाई और भरोसे ने एक झूठ और इधर-उधर की बातें करने वाले को सही रास्ते पर ला ही दिया… आप उम्र में बहुत छोटी है पर आपने तो मेरी सोच ही बदल दी…।
अरे नहीं भाभी , मैंने ऐसा कुछ नहीं किया है…आपने अपनी कुछ आदतों का त्याग करने का निश्चय किया है…. ये बहुत खुशी की बात है …
और फिर ” घर वापसी ” देर से ही हुई पर दुरुस्त हुई …..भाभी दीदी का भी फोन आ रहा है एक मिनट रुकिए… उन्हें भी शामिल करते हैं …फिर हम तीनों फोन पर बातें करेंगे ….
आज एक बार पुनः थोड़े खंरोच लगे रिश्तों की पूरी स्वस्थता के साथ ” घर वापसी “जो हुई है…!
( स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित और अप्रकाशित रचना )
साप्ताहिक विषय : #घर वापसी
संध्या त्रिपाठी