प्रेमकड़ी – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

नीलू अपने पति शिशिर को खाना देकर तैयार ही हो रही थी कि उसके फोन पर   कॉल आया । नीलू ने  शिशिर को कहा..”शिशिर ! जरा देखिए  किसका फोन है, मैं तैयार हो रही हूँ । शिशिर ने खाना शुरू कर दिया था । फिर नीलू ने कॉल उठाया तो देखा, मम्मी का कॉल था । और वो मन ही मन सोच रही थी ..”मम्मी भी न ! इंतज़ार नहीं कर सकतीं । अब तो बस कुछ ही देर की बात है, मैं अपने मायके पहुँच जाऊँगी और सबके साथ मज़े से रहूँगी ।

अब नीलू ने फोन करके कान में लगाया तो सीधे एक स्वर में बोली..”हाँ मम्मी ! बस निकल रहे हैं खा के आधे घण्टे में । दूसरे ओर फोन पर सन्नाटा था । हेलो..हेलो  नीलू ने किया ।तब जाकर नीलू की मम्मी माधवी जी की करुणा भरी आवाज़ सुनाई दी । बेटा ! मिताली ने खुदकुशी की कोशिश की है, वो अस्पताल में भर्ती है और ज़ोर से रोने लगीं ।

नीलू की चीख अचानक इतनी जोर से निकली की दूसरे कमरे में बैठे उसके पति शिशिर हड़बड़ा कर बाहर निकले । नीलू के कमरे में जाकर देखा तो पाया कि नीलू निढाल, बेजान सी बिस्तर पर पड़ी हुई है और फोन के पुर्जे गिरकर ज़मीन पर बिखरे हुए हैं । 

शिशिर ने नीलू को हिलाते हुए सिर पर हाथ रखते हुए पूछा…क..क..क्या हुआ नीलू , तबियत कैसे बिगड़ी ? 

दो तीन बार हिलाने पर भी जब नीलू के शरीर मे हलचल नहीं हुई तो शिशिर रसोई में जाकर नल से पानी लेकर आने लगा ।

इतनी ही देर में बहुत तरह के विचार उसके अंदर उमड़- घुमड़ कर आ रहे थे । अभी तो नीलू के फोन में मम्मी जी का कॉल आ रहा था, अचानक फिर चीखी वो, कोई बात हुई या कमजोरी से चक्कर आया होगा । अब शिशिर नीलू के कमरे में आकर उसके ऊपर पानी छिड़का तब जाकर नीलू को होश आया और वो सामान्य हुई । शिशिर ने उसे गले लगाकर पूछा, तबियत ठीक नहीं

 है नीलू, क्या हुआ बताओ तो ?

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नीलू का गला रुंध सा गया था, आवाज़ ही नहीं निकल रही थी । वो शिशिर के गले लगकर खूब तेज़ी से रोने लगी । शिशिर घबरा गया उसे रोते देखकर । उसे पुचकारते हुए फिर से शिशिर ने कहा…”कुछ बोलोगी नहीं तो मैं कैसे समझूँगा  । चुप हो जाओ और क्या बात है बताओ ।

मन को थोड़ा कड़ा करते हुए नीलू ने खुद को शिशिर से अलग किया और बोलने लगी …”शिशिर ! मिताली भाभी बहुत सीरियस अस्पताल में भर्ती हैं । शिशिर को अपने कानों पर यकीन ही नहीं हो रहा था । अभी तो शादी हुई थी,। मम्मी जी बहु लायी  थीं ।छः महीने पहले की ही तो बात है । क्या हुआ होगा ? 

शिशिर ने झकझोर के नीलू को पूछा…”कैसे क्या हुआ है बताओ,कहाँ हैं भाभी? और जल्दी से सब बंद कर के निकलो ।

नीलू और नीलू के भैया राजू और मम्मी पापा  । परिवार में ये चार लोग ही थे ।  नीलू राजू से लगभग पाँच साल छोटी थी  ।  राजू के लिए बहुत अच्छा रिश्ता मिल गया था मिताली के रुप में । पर माधवी जी और उनकी बेटी नीलू मिताली को बहुत परेशान करती थीं । सिर्फ काम करने की मशीन उसे समझतीं और कभी कभी बेवजह अपशब्द भी उसे बोल देतीं । पर मिताली किसी बात का पलट कर जवाब नहीं देती थी । राजू भी अपनी पत्नी के लिए माँ से लड़ जाता था और नीलू अपने घमंड में चूर रहती थी । जैसे जैसे माँ उल्टा – सीधा सिखाती, वही करती थी । पर ये भी सच है कि कभी खीझ कर नीलू मना भी करती थी माँ को पर वो सुनती नहीं थी । 

सामान तो पैक था ही, जल्दी से शिशिर ने दरवाजे में ताला लगाया  और अपनी गाड़ी में सामान रख के गाड़ी स्टार्ट कर दी । नीलू की आँखों में पश्चाताप के आँसू भरे हुए थे । खिड़की की ओर देखते हुए न जाने कब उसके अंदर अतीत के चलचित्र घूमने लगे उसे पता ही नहीं चला ।

कितनी बार घर के बाहर गयी, कभी स्कूल ट्रिप कभी रिश्तेदारों के घर । पर कभी इतनी बेचैनी नहीं होती थी जितनी आज हो रही है भैया भाभी से मिलने की । हो भी क्यों न ? मैं उनकी प्यारी इकलौती # बहन जो हूँ । मेरे जाने के दो दिन बाद तो भैया अमेरिका से आ ही जाएँगे । तब तक भाभी के साथ अच्छा समय बिताउंगी और फिर उनकी # बहन एयर पोर्ट जाकर ठाट से उनका स्वागत करेगी ।

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अभी कुछ महीने पहले की ही तो बात है । जब तक मैं शादीशुदा नहीं थी , मिताली भाभी को किस कदर तंग किया करती थी । पर भाभी भी उफ्फ! मुझ पर कभी गुस्सा नहीं करती थी, कितना सताती थी मैं उन्हें , उनकी हर एक चीज़ पूछे बगैर लेकर इस्तेमाल कर लिया करती थी वो बस देखकर मुस्कुरा देती थी । शादी होने से पहले कितनी हिदायतें दे डालीं थी उन्होंने..”नीलू ! ऐसा करना ऐसा मत करना । क्या बुरा क्या अच्छा लगेगा ससुरालवालों को । खाना बनाने का ढंग, हर कुछ अच्छे से करने का तरीका, सब कुछ तो उन्हीं से सीखा था । कितने मज़े लेती थी मैं जब माँ भाभी को डाँटतीं थी तब । बहुत मज़ा आता था परेशान करने में ।इन सब बातों का दर्द मैंने अब जाना कि मेरी भाभी कितना झेलकर भी चुप रहती थीं । ससुराल में एक महीने रहने के बाद जब सासु माँ ने रिश्तेदारों के सामने कहा..”अच्छी बहू है, माँ ने खूब संस्कार दिए हैं ।

अब सासु माँ को क्या कहती कि ये संस्कार मेरी माँ के दिये हुए नहीं बल्कि भाभी से सीखकर आयी । ये सच भी है, भाभी की अच्छाई मैं स्वीकारना नहीं चाहती थी माँ के तानाशाही स्वभाव की वजह से । यही सब सोचते – सोचते आँखों से अथाह प्रेम और पश्चाताप के शैलाब फूट पड़े । उसने पर्स खोलकर रुमाल निकालना चाहा तो भाभी के हाथों का काढ़ा हुआ रुमाल फिर से उनकी याद दिला गया । कितने चीजों को बनाकर सजाकर उन्होंने मुझे दिया और सिखाया भी था । जी भर के गले लगूँगी भाभी से और अपने पुरानी बातों के लिए माफी भी माँगूंगी । आखिर ससुराल में मुझे जो भी तारीफें मिली सब मिताली भाभी की ही तो देन है ।

झटके से अचानक गाड़ी रुकी । नीलू की आँखें खुल गईं तो देखा ये वही अस्पताल है जहाँ मम्मी ने आने के लिए कहा था ।अन्य रिश्तेदारों का जमावड़ा लगा था । सबको देखकर नीलू की साँसें मानो अटक रही थीं । ठिठकते कदमों से धीरे – धीरे शिशिर के साथ नीलू आगे बढ़ रही थी तब तक उसकी नजरें मम्मी पर पड़ीं । सिसकते हुए मम्मी ने नीलू के पास आकर कहा…”मिताली नहीं रही नीलू । नीलू को मानो काटो तो खून नहीं वाली स्थिति हो गयी थी । अंदर से उसका दिल इस क़दर रो रहा था काश वो भाभी को देख पाती । स्ट्रेचर पर मिताली का बेजान शरीर पड़ा हुआ था । उसके नज़दीक जाकर वो बड़बड़ा रही थी । क्यों चली गई भाभी मुझे अकेले छोड़कर । अभी तो तुमसे जुड़ना शुरू किया था, मेरे दिल में तुम्हारे लिए प्यार पनपना शुरू हुआ था । एक मौका तो देती भाभी खुद से गले लगाकर मेरी गलती को प्रायश्चित करने का । नीलू के दुःख की कल्पना करना मुश्किल था । 

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थोड़ी देर में अपने पीठ पर नीलू को कुछ छुअन सा महसूस हुआ । नीलू की मम्मी माधवी जी थीं । ज़ोर से चीखी नीलू और मम्मी को बोलने लगी…’मम्मी ! तुमने नहीं ही छोड़ा भाभी को । माधवी जी बोलने ही वाली थीं कि..”छोटी बातों की कहा सुनी में उसने खुदकुशी कर ली तो नीलू ने आँसू पोछते हुए कहा..”तुम्हारे लिए तो हर बात छोटी है मम्मी ! क्या जवाब देगी ये # बहन अपने भाई को ? क्या सोच रही थी मैं और क्या से क्या हो गया । 

चीख कर चुप हुई मिताली तो मन में अंदर अंदर चलने लगा..”भैया होते तो शायद आज ऐसा न होता ।  अब ये # बहन अपने भैया को क्या जवाब देगी ?झगड़े तो पहले भी होते थे पर भाभी मम्मी को जोड़ने वाली प्रेमकड़ी भैया नहीं थे साथ में तो शायद भाभी ये दर्द झेल नहीं पाई और ये स्थिति कर ली । 

।करती भी क्या और? सास, ननद जब ऐसे हों और पति भी नज़दीक न हो तो औरतें कैसे किस हद तक हिम्मत से काम ले सकती हैं ?

नीलू के आँखों से अविरल आँसू बहते रहे और रिश्तेदार मूक दर्शक बने देखते रहे ।

#बहन

मौलिक, स्वरचित

अर्चना सिंह

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