पापी चुड़ैल (भाग -2)- शशिकान्त कुमार : Moral stories in hindi

नाम बता कर चंद्रिका विष्णु को कहती है…. चलो चलो तुम लोग जल्दी-जल्दी बेर चुनो मैं भी थोड़ी बहुत बेर चूनती हूं और आज मैं तुम्हारे गांव में ही रुकूंगी।

इस पर विष्णु पूछता है आप किन के यहां रुकोगी?

जो भी मुझे आज अपनी शरण में रहने देगा उसके यहां रुक जाऊंगी

क्या तुम मुझे अपने यहां नही ले चलोगे ?

मैं

नही नही मुझे तो अपने पापा मम्मी से पूछना पड़ेगा तभी नही तो मैं आपको कैसे ले जा सकता हूं…(विष्णु बोला)

हां हां पूछ लेना घर जाकर तब मैं तुम्हारे घर जाऊंगी ठीक है….

( हा हा हा ….और चंद्रिका हस पड़ती है)

शाम ढल रही थी इसलिए विष्णु ने सबको घर चलने के लिए कहा और फिर सभी घर लौटने लगे तथा साथ में चंद्रिका भी चलने लगी

चंद्रिका विष्णु के घर के बाहर रुक गई और विष्णु से बोली

विष्णु जा अपने मम्मी या पापा से मेरे रुकने के बारे में पूछ आ

ठीक है ….आप रुको मैं मम्मी से पूछ कर आता हूं

मम्मी …

मम्मी….

क्या हुआ विष्णु?

मम्मी वो बाहर कोई आई है जो आज रात यहां रुकना चाहती है

कौन है जरा देखूं तो…( कहकर विष्णु की मम्मी बाहर आती है )

आप कौन है?

जी ..जी मैं चंद्रिका हूं

मैं कहीं जा रही थी तो शाम ढल जाने के कारण इन बच्चों को बेर तोड़ते देखकर इनके ही साथ मैं इधर चली आई यह  सोचकर की आज रात इसी गांव में रुक जाती हूं ( चंद्रिका जो उमा के आने से पहले अपूर्वा के साथ खेल रही थी … उमा के पूछने पर कहती है)

आप अकेली हैं? ….(उमा ने पूछा)

जी मैं अकेली हूं (चंद्रिका)

हां हां कोई बात नही आप अतिथि के रूप में आई है और सबसे बड़ी बात आप एक स्त्री है इसलिए आपको इस समय अकेली कही जाना ठीक नही होगा इसलिए आप अंदर आइए…( कहकर उमा चंद्रिका का हाथ पकड़कर अंदर ले जाती है)

चंद्रिका भी उमा के साथ अपूर्वा का हाथ पकड़े अंदर जाने लगती है साथ में विष्णु भी हो लेता है

चंद्रिका ने जैसे ही उमा के घर में प्रवेश करने के लिए अंदर कदम बढ़ाना चाही उसके कदम वही ठिठक गए तथा चंद्रिका को ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई शक्ति उसको वही रोकना चाह रही है इसलिए चंद्रिका ने बाहर रुकना ही उचित समझा

क्या हुआ?

आप अंदर आइए…( उमा ने चंद्रिका से कहा)

हां हां आप अंदर आओ ना ( अपूर्वा ने चंद्रिका का हाथ खींचते हुए कहा)

जी.. वो.. मैं जब भी किसी ब्राह्मण घर में जाति हूं  तो अपना पैर धोकर ही उनके घर के अंदर प्रवेश करती हूं क्योंकि एक तो मैं बाहर से चली आ रही हूं और दूसरी आप अपने घर को पवित्र रखते होंगे इसलिए अगर मुझ पानी मिल जाता तो….

हां हां क्यों नहीं

कितने अच्छे संस्कार है आपके

मैं अभी विष्णु से पानी भिजवाती हूं..

( उमा विष्णु को लेकर अंदर जाति है साथ में अपूर्वा भी चली जाती )

इतनी देर अकेली पाकर चंद्रिका ने अपने सर से एक बाल और अपनी नाखून के कुछ टुकड़े जल्दी से एक छोटे से कपड़े में लपेटकर उसे उसी दरवाजे के नीचे की मिट्टी को हटाकर उसमे दबा देती है ..

तब तक विष्णु पानी लेकर आता है

चंद्रिका अपने हाथ पैर धो कर अंदर प्रवेश करती है लेकिन इस बार उसे किसी प्रकार की कोई अनुभूति नहीं होती

कुछ समय बाद गांव में घूम कर गौरीशंकर लौटते है तब तक थोड़ा अंधेरा घिर चुका था वो अपने दरवाजे के पास जैसे ही पहुंचते है ऐसा लगता है जैसे कोई उनके पीछे है  वो तुरंत पलटकर देखते है तो वहां अब कोई नही था…

गौरीशंकर इसे भ्रम मानकर घर में प्रवेश करते है और सामने बरामदे में एक अनजान महिला को देखकर वो उमा को देखते है तब उमा उन्हें सारी बात बताती है।

चंद्रिका भी गौरीशंकर को नमस्ते करती है

नमस्ते जी….(चंद्रिका)

नमस्ते नमस्ते …

आप यहां आराम से रुकिए

(ऐसा कहकर गौरीशंकर अपने कमरे में चले जाते है)

रात को सभी लोग खाना खा पीकर सोने जाने लगते है तो

उमा चंद्रिका को अपूर्वा तथा विष्णु के साथ ही सोने के लिए बिस्तर का इंतजाम कर देती है और चली जाती है।

अपूर्वा तुम्हे कहानी सुनना अच्छा लगता है

हां हां

अच्छा लगता है …(अपूर्वा के साथ विष्णु भी हंसते हुए कहता है)

चंद्रिका दोनो को कहानी सुनाते हुए सुला देती है।

रात के करीब 1 बजे चंद्रिका उठती है और अपनी पायल तथा चूड़ी खोल देती है और अपने सिर के दो चार बाल निकालती है उसके साथ ही अपूर्वा के भी बाल निकालती है तथा विष्णु के बाल छोटे होने के कारण उसने विष्णु के पहने हुए कमीज के छोटे हिस्से को फाड़कर उन तीनो को अलग अलग मिलाकर उसके चार गोले बनाकर पहला गोला गौरीशंकर के कमरे के दरवाजे के नीचे , दूसरा गोला आंगन में तीसरा गोला बच्चों के कमरे के आगे की मिट्टी को हटाकर अंदर दबा देती है और जब वो ये सब कर रही थी उसकी सुंदरता में भी एक कुरूपता की झलक आ रही थी। फिर आकर कमरे में अपनी पायल और चूड़ी पहनकर फिर से सो जाति है।

सुबह जब सबकी नींद खुलती है तो उमा बच्चों को उठाने जाति है तथा साथ में चंद्रिका को भी नींद से जगाती हैं फिर सभी सुबह के क्रिया कर्म करके चंद्रिका को भोजन कराके विदा कर देते है।

अब चंद्रिका वहां से चली जाती है…

उसी दिन अपूर्वा की तबियत खराब हो जाती है लेकिन गांव के वैध से गौरीशंकर ने अपूर्वा का इलाज करवाकर कुछ दवाइयां दिला दी जिससे अपूर्वा को राहत मिली।

उधर चंद्रिका वहीं पहुंची जहां वो अपूर्वा से पहली बार मिली थी वहां पहुंचकर उसने अपने तथा अपूर्वा के बाल तथा विष्णु के कपड़े से बने गोले को बेर की झाड़ियों के बीच दबा दी।……

शशिकान्त कुमार 

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