अशांति – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

 सुवर्णा मां बनने वाली है जब से टेस्ट रिपोर्ट देखने के बाद लेडी डॉक्टर  शुभ्रा बनर्जी  ने कन्फर्म किया, सुवर्णा अंदर से सिहर सी गई.. धीरे धीरे #अशांति #भय और घबराहट परछाई की तरह उसे घेरने लगी . सामान्य सी बात पर भी सुवर्णा अशांत हो जाती…

पति  सुजीत के साथ मात्र दो महीने रह पाई थी.. छुट्टियां खत्म हो गई थी इसलिए सुजीत जल्दी आने और साथ ले जाने का वादा कर दुबई चला गया…

सुवर्णा के अवचेतन मन में बैठे भय ने सर उठाना शुरू कर दिया.. सुजीत खुशखबरी सुनते हीं एक महीने बाद दो दिन के लिए आने का वादा किया..

        Veena singh 

 सुवर्णा में अजीब से परिवर्तन आने शुरू हो गए थे.. हमेशा उदास और डरी डरी सी रहती.. चौथा महीना लगते हीं सुजीत दो दिन के लिए आया.. अगले दिन  अल्ट्रा साउंड करवाना था, डॉक्टर बच्चे का ग्रोथ देखना चाहती थी… अचानक रात में सुवर्णा चीखने लगी मेरे बच्चे को मत मारो मैं अल्ट्रा साउंड नही करवाऊंगी.. सुजीत हड़बड़ा के उठ बैठा सारे घर वाले जमा हो गए. सुवर्णा रोए जा रही थी बस एक रट मेरे बच्चे को मत मारो.. घरवाले हैरान परेशान.. सुजीत सबको कमरे में भेज दिया.. सुवर्णा का सर गोद में रखे सहलाता हुआ  गंभीरचिंतन में रात गुजार दिया …अगले दिन डॉक्टर की सलाह से मनोचिकित्सक के पास सुजीत सुवर्णा को लेकर गया.. बहुत मुश्किल से तैयार हुई सुवर्णा…

तीन सिटिंग के बाद समस्या का समाधान हो पाया…

सुवर्णा जब मात्र पांच साल की थी उसकी मां प्रेगनेंट थी ..सुवर्णा अपने साथ खेलने वाले  छोटे भाई बहन के  आगमन पर बहुत खुश थी.. एक दिन दादी और पापा को देखा मम्मी को खूब भला बुरा कह रहें हैं मम्मी हाथ जोड़कर रोए जा रही है.. एक छोरी से मन नहीं भरा फिर छोरी पैदा करेगी..

तूने वादा किया था इसको मत गिराओ अगली बार छोरी होगी तो जैसा आप दोनो कहोगे वैसा हीं करेंगे.. बोल बोला था न दादी और पापा दोनो बेबस सी मम्मी पर चिल्ला रहे थे.. कल तुम बच्चे को गिराने चलोगी मेरे साथ मैने दस बजे का समय लिया है… और कुल मिलाकर मम्मी को तीन बार ऐसा करना पड़ा..

अपने घर की अपने रिश्ते की और अपने बच्चों के जीवन में #अशांति #के अभिशाप से मुक्त रखने के लिए…तीसरी बार में सेप्टिक हो जाने के कारण जहर फैल गया पूरे शरीर में और मम्मी नही रही.. सुवर्णा की उम्र उस समय नौ साल की थी.…नानी नाना अपने साथ लेते गए.. हमेशा के लिए, पापा को सुवर्णा की जरूरत भी नहीं थी..

उन्हे तो बेटा चाहिए था.. दूसरी शादी कर ली थी… सुवर्णा का बचपन खो गया था.. हमेशा गुमशुम रहती.. उसकी मम्मी के साथ जो हुआ वो भूल नहीं पा रही थी… अंतर्मुखी स्वभाव की सुवर्णा अकेले में अपनी मम्मी और उनकी बेबसी पर अक्सर आंसू बहाती.. नाना नानी मामा सब उसे बहुत प्यार करते पर…

पढ़ाई पूरी होते हीं उसकी शादी सुजीत से कर दी जो दुबई में इंजीनियर था…

सुजीत और उसके घरवाले सुवर्णा को विश्वाश दिलाया की हमे बेटा बेटी से मतलब नहीं है बस बच्चा स्वस्थ्य होना चाहिए… सुजीत को अपनी छुट्टी बढ़वानी पड़ी… अल्ट्रासाउंड करवाते समय सुजीत साथ रहा.. डॉक्टर बोली बच्चा बिल्कुल ठीक है… बेटा बेटी क्या है इसकी उत्सुकता या कोई चर्चा किसी ने नहीं की…

और समय पूरा होने पर सुवर्णा तंदरुस्त खूबसूरत प्यारी सी गुड़िया की मां बन गई… पूरा परिवार खुशी से झूम उठा.. सुवर्णा के आंखों से खुशी के आंसू गिरने लगे.. #अशांति #  की परछाई से वो सदा के लिए मुक्त हो गई थी…मन हीं मन कह उठी हर पुरुष मेरे पापा जैसा और हर सास मेरी दादी जैसी नहीं होती…

वीणा सिंह

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