चार बादाम – नीरजा कृष्णा

“मम्मी जी, मैं तो युवान से तंग आ गई हूँ। बहुत परेशान करने लगा है।”

एक घंटे से उसका होमवर्क लिए बैठी मनीषा परेशान होकर चिल्ला पड़ी थी। बात दरअसल ये थी कि लॉकडाउन के कारण वो उसे खेलने के लिए पार्क में नहीं जाने देती थी और ना ही उसके कोई बालसखा घर पर आ रहे थे। बच्चा एकदम बोर हो जाता था। मनीषा को भी घर के हजारों काम रहते थे। युवान को ज्यादा समय दे नहीं पाती थी …चिढ़ कर लप्पड़ खींच देती थी। आज भी वो खीज कर चिल्ला ही रही थी…तभी….

वो दौड़ कर कमरे में गईं और युवान को गोद में लेकर पूछने लगीं,”क्या हुआ बेटे! अपनी मम्मी को क्यों परेशान करते हो। पहले तो तुम ऐसे नहीं करते थे।”

पांच साल का बच्चा वास्तव में घर में रहते रहते ऊब गया था। कोविद ने स्कूल और सब दोस्तों से दूर कर दिया था। वो बहुत सुस्त रहने लगा था। उन्हें एक उपाय सूझा और बोल पड़ीं,”अभी बादाम भिगो देती हूँ। चार चार बादाम अमित और युवान को रोज नाश्ते में दो। दोनों को ही इस समय ऊर्जा की जरूरत है।”

थोड़ी देर में मनीषा ने आवाज़ लगाई,”मम्मी जी, आपने इस कटोरी में तो बारह बादाम भिगा दिए हैं।”

“हाँ भई, चार मेरी मनीषा के लिए हैं। दो दो शैतान बालकों से जूझने के लिए तुझे भी तो बादामों की जरूरत है।”

वो हैरानी से बोली,”दो दो बालक?”


वो उसे धौल जमा कर बोलीं,”और नहीं तो क्या…एक अमित और एक युवान।”

मतलब समझ कर वो मुस्कुराते हुए उठी और चार बादाम उस कटोरी में और  डाल दिए। वो सब देख कर पूछ बैठीं,”अब ये बादाम किसके लिए?”

वो उनके ऊपर लटकते हुए दुलार से बोली,”आपके लिए मम्मीजी। आप तो तीन तीन शैतानों को हैंडल करती हैं।”

मम्मी जी प्यार से पूछ बैठीं,”तीन तीन शैतान! मुझे तो यहाँ दो ही शैतान बालक दिखाई देते हैं।”

वो खूब इठलाती रही और झूठी नाराज़गी दिखाती रही। वो सब समझ कर भी नासमझ बनी हुई थीं और आनंद ले रही थी। 

अब मनीषा उनके गले में बाँहें डाल कल कर झूलती हुई बोली,

“और वो तीसरी नॉटी गर्ल तो मैं हूँ। आप मेरी गिनती करना क्यों भूल जाती हैं?”

उनकी आँखें भर आई थीं। बस उसको प्यार से गले लगा कर रुँधे कण्ठ से कह उठी,”जहाँ इतना प्यार हो…इतना आपसी सामंजस्य हो…वहाँ ईश्वर का वास होता है ना।”

नीरजा कृष्णा

पटना

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