मंजरी शहर नामी-गिरामी डॉ वेदप्रकाश शर्मा की बेटी थी डॉक्टर शर्मा से बड़े नाजो से पाला था ।
जिस चीज पर हाथ रख देती है उसकी हो जाती थी।
उम्र के सोलहवें बरस में कदम रखते ही अपने पापा के साथ काम करने वाले असिस्टेंट डा श्याम से प्यार हो गया।
लेकिन मंजरी का यह एकतरफा प्रेम था।
डॉक्टर श्याम इसके लिए तैयार न थे। पर डां शर्मा ने झूठे केस में फंसाने और पैसों का लालच देकर राजी कर लिया
पैसों के लालच में श्याम के मां बाप ने भी शादी लिए हां कर दी ,
मंजरी मनचाहा जीवनसाथी पाकर खुशी से फूली न समाती। धीरे-धीरे श्याम को मंजरी से भी प्यार हो गया
और उन दोनों के प्रेम की निशानी शंभू का जन्म हो चुका था। एक दिन अचानक मंजरी नहाते समय बेहोश हो गई।
सारे टेस्ट करने पर पता चला कि कि उसे कैंसर है।
श्याम का तो जीवन ही बदल गया हमेशा हंसता मुस्कुराता श्याम गुमसुम रहने लगा। वह जी जान से मंजरी के सेवा और शंभू की देखभाल में लगा रहता
कुछ महीनों बाद ही मंजरी ने श्याम की बाहों में दम तोड़ दिया ।
एक दिन अचानक अस्पताल पहुंचने पर उसने डॉक्टर साहब को फोन पर बात करते हुए सुना
कि उन्हें मंजरी की बीमारी के बारे में पहले से पता था । इसलिए मैं जल्दबाजी में श्याम से मंजरी की शादी करवा दी अब वह श्याम से शंभू को लेकर अपने पास रखेंगे ।
शंभू को गोद मे लिए सोच रहा था कि वह इसे अपने से किसी भी कीमत पर दूर नहीं करेगा। चाहे इसके लिए उसे कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े ?
और एक रात वह सपरिवार दूसरे शहर बस गया शंभू को उसने मां-बाप दोनों का प्यार देकर बड़ा किया।
बरसों बाद शंभू भी एक सफल डॉक्टर बन कर आज मंजरी मल्टीस्पेशलिटी हास्पिटल का उद्घाटन श्याम के हाथों से करा रहा है।
श्रद्धा खरे ललितपुर