अब तक आपने पढ़ा ..
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देवेंद्र जी आदित्य से शादी के लिए मना कर देते हैं और राधिका के कहने पर वो उसे सारी पुरानी बात बताते हैं …..आदित्य शादी के महूर्त वाले दिन राधिका के घर आता है और उसे तैयार होकर आने के लिए बोलता है
अब आगे….
आदित्य के जाने के बाद राधिका बुझे हुए मन से अपने कमरे में जाती है…. और नीचे बैठ कर रोने लगती है…. वो रोते – रोते बोलती है क्यों भगवन मेरे साथ ही क्यों? वो अपने कमरे में लगी हुयी राधा कृष्ण की तस्वीर को देखते हुए रोए जा रही थी… इस वक़्त उसके पास कोई नहीं था जो उसको दिलासा दे …..थोड़ी देर बाद उसे आदित्य कि बात याद आयी….राधिका उठी और वॉश रूम में गयी…. उसने अपना मुह धोया और बाहर आ गयी..,. जो शादी का सामान आदित्य अपने साथ ले कर आया था…. उसे पहन कर वो रेडी होने लगी,…राधिका तैयार हुयी और बाहर आ गयी….. आदित्य उसके लिए गुलाबी रंग का शादी का जोड़ा लाया था….. जिसमें राधिका बहुत प्यारी लगी रह थी लेकिन उसके चेहरे पर कोई खुशी नहीं थी….
राधिका ने घर का दरवाज़ा खोला तो देखा भुवन बाहर ही है
भुवन ने राधिका को पीछे घूम कर देखा…
तो राधिका तैयार खड़ी थी… भुवन ने आगे जाकर गाड़ी का दरवाज़ा खोला और राधिका को बैठने के लिए कहा
राधिका अपना लहंगा पकड़े हुए आगे बढ़ी और जा कर गाड़ी में बैठ गयी…. भुवन ने दरवाज़ा बन्द किया और आगे बैठ गया
कुछ देर में वो लोग मन्दिर पहुँच गए….. भुवन ने चारों तरफ एक बार देखा वो गाड़ी से उतरा और राधिका वाली तरफ का दरवाज़ा खोला….. राधिका बुझे मन से गाड़ी से उतरी और भुवन के साथ मन्दिर की सीढियाँ चढ़ने लग राधिका ने आखरी सीढ़ी पार कदम रखा तो आदित्य मुस्कुराते हुए खड़ा था….. उसने राधिका को ऊपर आने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया…. राधिका ने उसकी तरफ देखा एक हाथ से अपना लहंगा पकड़ा और दूसरी तरफ से ऊपर चढ़ गयी….. आदित्य हल्के से मुस्कुराया और उसके पीछे जाने लगा..
ये राधाकृष्ण का मन्दिर था…. मन्दिर के अंदर एक तरफ शादी की व्यवस्था की गयी थी… पंडित जी बैठे हुए थे और उनके सामने दो आसन लगे हुए थे .. आदित्य ने राधिका की तरफ देखा और वहाँ चलने के इशारा किया… राधिका मंडप में जाने लग और उसके पीछे आदित्य…… दोनों वहीं खड़े हो गए…
भुवन दोनों के लिए जयमाला ले आया… पंडित के कहने पर कि पहले वधु जयमाला पहनाए राधिका वैसे ही जयमाला लिए खड़ी रही पंडित जी ने दोबारा कहा जयमाला पहनाओ तो राधिका ने आदित्य को जयमाला पहनायी…..फिर आदित्य ने राधिका को जयमाला पहनायी… दोनों बैठ गए…
एक – एक करके शादी की रस्में होने लगी… गठबंधन हुआ सात फेरो के साथ ही आदित्य ने राधिका को मंगलसूत्र पहनाया और उसकी मांग भरी…. राधिका की आँखों से आँसू बहने लगे… पंडित जी ने कहा शादी संपन्न हुयी अब आप अपने बड़ों का आशीर्वाद लें
तभी किसी ने पुकारा.. लाडो
राधिका ने उस तरफ देखा तो देवेंद्र जी खड़े थे और साथ में शीतल भी…. राधिका अपने को रोक नहीं पायी और उठ कर उनकी तरफ भागी ….
देवेंद्र जी ने आगे बढ़कर उसको गले से लगा लिया राधिका रोए जा रही थी शीतल ने उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरा..
राधिका रोते हुए बोली… कुछ किया तो नहीं आपके साथ…. कुछ हुआ तो नहीं आप दोनों को
नहीं मेरी लाडो कुछ नहीं हुआ है हम बिलकुल ठीक है…. तब तक आदित्य भी वहाँ आ गया था उसने झुककर देवेंद्र जी के और फिट शीतल के पैर छुए …राधिका देवेंद्र जी से अलग हुयी और बोली इन्होंने आप दोनों को पकड़ कर मुझे जबरदस्ती शादी की… मैं नहीं मानती इस शादी को
देवेंद्र जी ने कहा यहाँ से चलें घर चल कर बात करते है …
सब वहाँ से घर आ गए…. शीतल राधिका को कमरे में ले आयी राधिका उसके गले से लगी हुयी रोए जा रही थी
बस मेरी बच्ची चुप हो जाओ कहते हुए वो राधिका का सिर सहलाये जा रही थी… थोड़ी देर में राधिका शांत हुयी…. शीतल ने उसे अपने से अलग किया और उसके माथे को चूमा
राधिका ने भरे हुए गले से कहा मैं नहीं मानती इस ज़बरदस्ती की शादी को….
शीतल ने कहा अच्छा ठीक है तुम से कोई ज़बरदस्ती नहीं कर रहा… तुम आराम करो
चलो लेट जाओ राधिका वहीं पलंग पर शीतल का हाथ पकड़ कर लेट गयी वो अभी भी सुबक रही थी शीतल उसका सिर सहला रही थी
थोड़ी देर में राधिका सो गयी…. शीतल ने देखा उसके चेहरे पर आँसुओ के दाग़ थे … शीतल की आँखों में भी आँसू आ गए
उसने धीरे, से राधिका के हाथ से अपना हाथ छुड़ाया उसे चादर उढ़ायी और कमरे का दरवाज़ा बंद कर के बाहर आ गयी जहाँ देवेंद्र जी, आदित्य और भुवन थे
देवेंद्र जी ने शीतल को देखा तो पूछा .. सो गयी क्या लाडो ?
जी… अभी तो सो गयी है
आदित्य ने कहा हमें माफ कर दीजिए हमारे पास और कोई रास्ता नहीं था…
देवेंद्र जी ने आदित्य की तरफ देखा और कहा… अब शादी हो गयी है और आप हमारे दामाद है… लेकिन राधिका इस शादी को मान नही रही है… और हम उसके साथ ज़बरदस्ती नहीं करेंगे इसके लिए आप हमें माफ़ करे .. वो आपके साथ जाना चाहती है या नहीं वो उसका फैसला होगा
आदित्य ने कहा जी बिलकुल इस बात की आप फिक्र ना करें हम उनके साथ अब कोई जबरदस्ती नही करेंगे…. उनका फैसला हमें मंजूर होगा
आप आइए कुंवर थोड़ा आराम कीजिए हम खाना बनवाते हैं भुवन आप भी थोड़ा आराम कीजिए देवेंद्र जी ने कहा और आदित्य को लेकर दूसरे कमरे में चले गए
रात के 11 बज गए थे…शीतल ने खाना बनाया सबने खाना खाया और कमरे में सोने चले गए … शीतल राधिका के कमरे में खाना ले कर गयी तो वो अभी भी सो रही थी… शीतल ने धीरे से खाना टेबल पर रखा और राधिका के पास आ कर लेट गयी…. राधिका ने नींद में ही शीतल को पकड़ा और सो गयी
शीतल और देवेंद्र जी को सुबह जल्दी उठने की आदत थी… वो लोग अपने समय से उठ गए…. थोड़ी देर में आदित्य और भुवन भी उठ गए और उनके साथ आ कर बैठ गए
सुरेंद्र जी ने शीतल से पूछा राधिका उठी नही… शीतल ने कहा अभी तो उठी नही ..मैं लेकर जा रहीं हूँ चाय देखती हूँ
आदित्य ने कहा… आप रहने दीजिए मैं ले कर जाता हूँ..
राधिका ने कहा.. लेकिन वो आपको कुछ
कुछ नहीं होगा आप निश्चिंत रहें .. आदित्य ने कहा
शीतल ने देवेंद्र जी की तरफ देखा तो उन्होंने भी हाँ में अपनी गर्दन हिलायी
शीतल ने चाय आदित्य को दी और वहीं बैठ गयी
आदित्य चाय लेकर राधिका के कमरे में गया जो दूसरी तरफ मुह कर के सो रही थी आदित्य ने उसे पुकारा …राधिका
अपना नाम सुनकर राधिका ने थोड़ी सी अपनी आँख खोली और वैसे ही घूम कर देखा…
आदित्य उसे मुस्कुराते हुए देख रहा था..
राधिका ने करवट ली और उसकी तरफ घूम गयी कुछ याद आते ही वो झटके से उठी उसने अपना दुपट्टा ठीक किया और बोली….. आप…?? आप मेरे कमरे में क्या कर रहे है???
“चाय ले कर आए थे आपके लिए…”
“नहीं पीनी हमको चाय आप जाइये यहाँ से…. “
माँ माँ उसने आवाज़ लगायी और कहते हुए अपने कमरे से बाहर निकल आयी आदित्य भी उसके पीछे पीछे चाय का कप हाथ में लिए उसके साथ बाहर आ गया
“माँ ये यहाँ क्यूँ है… और मेरे कमरे में क्या कर रहे थे? मैंने कहा ना मुझे ये शादी मंजूर नहीं तो फिर?”
शीतल कुछ बोलती उसे से पहले आदित्य बोला…शादी तो कल हो गयी
“मैं नहीं मानती ..आपने सुना नहीं “
आपके मानने ना मानने से क्या होगा हमने आपकी मांग में सिंदूर भरा आपकोमंगल सूत्र पहनाया पूरे विधि विधान से हमारी शादी हुयी है
“ताऊजी आप इनको बाहर जाने को बोलिए कोई शादी नहीं हुयी मेरी और मैं इनके साथ नहीं जाऊँगी…मैं एक मिनट भी इनको यहाँ सहन नहीं कर सकती…. “
देवेंद्र जी उठे और बोले – राधिका शांत हो जाओ…. रात को काफी देर हो गयी थी इसलिए हमने ही इनको रोक लिया था
और आपकी शादी हुयी है ये सच है… तो इस नाते ये आपके पति हैं … और ऐसे नहीं बोलते .. आप ये समझ लें कि ये मेहमान है… और रही बात आपके इनके साथ जाने की तो ये फैसला आपका है और हम सबको मंजूर है जो आप कहें….. लेकिन एक बार सोच लें शांति से,… आपसे कोई भी कुछ नही कहेगा …. और कुंवर थोड़ी देर में चले जायेंगे… आप अपने कमरे में जाए
देवेंद्र जी कि बात सुनकर राधिका थोड़ा शांत हुयी और अपने कमरे में जाकर उसने दरवाज़ा बंद कर लिया
देवेंद्र जी ने आदित्य की तरफ देखा और कहा – हम माफ़ी चाहते है राधिका की तरफ से ….दित्य ने उनके हाथों को अपने हाथों में लिया और बोला – क्या कर रहे है आप ताऊजी….आप बड़े हैं हमसे… ऐसा मत कीजिए राधिका की नाराज़गी हमसे होना बिलकुल सही है.. हमने उन्हें मजबूर किया तो उनको गुस्सा करने का पूरा हक़ है ….
देवेंद्र जी ने कहा – हमें नहीं पता आगे क्या होगा… राधिका कब तक मानेगी या नहीं मानेगी हम कुछ नही कह सकते
कोई बात नहीं हम इंतज़ार करेंगे राधिका के मानने का अभी हम चलते है… आदित्य ने हाथ जोड़े और भुवन के साथ गाड़ी में बैठ कर चला गया |
देवेंद्र जी और शीतल वहीं बैठ गए
शीतल ने कहा…अब क्या करें भाईसाहब ?
देवेंद्र जी ने कहा…वक़्त देना होगा लेकिन कितना ये हमें नहीं पता…. अब शादी जैसे भी हुयी लेकिन हुयी है और राधिका अब कुंवन की पत्नी हैं…..हम इस बात को झुठला तो नही सकते…. बाक़ी देखते हैं आगे क्या होगा…… आदित्य अच्छे हैं ये हम जानते है लेकिन उनके इस शादी करने वाले तरीके ने राधिका के मन में उनके लिए नफरत भर दी…..उनकी अच्छाइयाँ देखने से पहले ही ये सब हो गया…
सही कहा आपने …..
चलो फिल्हाल तो जो होना था हो गया आगे देखते है….
अगला भाग
दास्तान इश्क़ की (भाग – 5) – अनु माथुर : Moral stories in hindi
साथ ….
धन्यवाद🙏
स्वरचित
कल्पनिक कहानी
अनु माथुर