मीरा आज एयरपोर्ट पर अपने मंगेतर अंगद को रिसीव करने आई थी,उसे देख कर अंगद खुशी से उछल पड़ा।वाउ मीरा तुम तो ऐसे सज धज कर आई हो मानो आज ही शादी के मंडप में बैठने जारही हो।
कौन जाने हमारी आज ही शादी होजाय,और तुम्हारे लिए तो एक और भी सरप्राइज है ,जिसको सुन कर तो तुम दोबारा खुशी से उछल पड़ेंगे।यह तो तुमको घर पहुंचने पर ही मालूम पडेगा,मीरा ने कहा।
ओह ,मीरा अब वताभी दो क्या सरप्राइज है,मुझ सताने की आदत अभी तक गई नही है तुम्हारी,देखना शादी के बाद मैं इन सब शरारतों का गिन गिन कर बदले लूंगा।इसी तरह बातचीत करते अंगद का घर आगया।घर के अंदर घुसते ही सबने उसका स्वागत किया,परंतु मां को न देखकर उसका माथा ठनका।
भला मां मेरे स्वागत के लिए क्यों नहीं आई।तभी उसकी नजर घर के आंगन में बने दो मंडपों पर पड़ी,उसका मन असमंजस में था कि भला दो मंडप क्यों बनाए गए हैं।अगले ही क्षण उसने देखा कि उसकी मां भी दुल्हन के जोड़े में सजकर मंडप की तरफ आ रही हैं,साथ ही उनके घर में पी जी बन कर रह रहे शर्मा अंकल भी शेरवानी पहने वसिर पर सेहरा बांधा नजर आए।
अब अंगद के माइंड में सब कुछ क्लीयर हो चुका था,कियह सब उसकी मंगेतर मीरा का ही किया धरा है।क्योंकि मीराने हीअंगद को यकीन दिलाया था कि हम दोनों की शादी के साथ ही मां की भी शादी करवा देंगे। ताकि वे भी अपनीशेष जिंदगी खुशी से बिता सकें।अब अंगद के दिल में मीरा के लिए और अधिक प्यार उमड़ आया। वाकई मीरा ने अपने कहे को सच कर दिया था। क्योंकि विदेश जाने से पहले अंगद मां के अकेलेपन को लेकर को लेकर बहुत चिंतित था।
उस समय मीरा ने ही उसे यह सुझाव दिया था कि मां की भी दोबारा शादी करवा देते हैं ,इस बात को सुन कर अंगद मीरा से नाराज़ होकर कहने लगा था कि विना सोचे समझे कुछ भी ऊटपटांग बोलती रहती हो।भला इस उम्र में मां शादी के लिए क्यों व कैसे राजी हो सकती है।लेकिन आज अगंद इस निराले सच पर यकीन करकेबहुत खुश था , सिर्फ अपने लिए ही नही बल्कि अपनी मां केलिए भी।क्यों कि उ सके विदेश जाने की खबर सुन कर मां खुंश तो थी लेकिन अकेले रहने का सोचकर उदास भी थीं।अंगद के माइंड में पिछला सब कुछ किसी फिल्मी रील की तरह घूमने लगा था।
जैसे ही अंगद के बॉस चौहान सर ने उसके प्रमोशन की ख़बर अनाउंस की,सारा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा क्यों की प्रमोशन के साथ साथ उसे ऑफ़िस की तरफ़ से 1 प्रॉजेक्ट के सिलसिले में २ साल के लिए शिकागो भेजा जा रहा था अंगद की टीम वर्क की नेचर व जॉव के प्रति डैडीकेशन कीआदत ने ही सिर्फ़ २ साल मैं ही उसे इस प्रमोशन का हक़दार बनाया था।उसके प्रमोशन से सभी बहुत ख़ुश थे.
“ वाउ यू आर सो लकी अंगद “तेरी तो लॉटरी खुल गयी यार उसके ख़ास दोस्त नितिन ने उसके कंधे पर धोल जमाते हुए कहा उसके कहने पर अंगद थोड़ा सा मुस्कराया “ चल पार्टी दे बढ़िया सी “ नितिन फिर बोला
तभी चौहान सर अंगद की तरफ आए ,क्या हुआ यंग वॉय ,इतनी बड़ी ख़ुशख़बरी सुनकर तुम ख़ुश नहीं नज़र आ रहे “एनी प्रॉब्लम “ नो -नो सर नथिंग कहते हुए न चाहते हुए भी उसकी ज़बान लड़खड़ा गई .
नो एवरी थिंग इज़ नॉट ओके तुम्हारा चेहरा कुछ और कह रहा है और आँखें कुछ और ही बयां कर रही है तुम अपनी प्रोबलम शेयर कर सकते हो शायद मैं तुम्हारी कुछ मदद कर सकूँ
ओके सर थैंक्स सो नाइस ऑफ यू .
घर जाओ पार्टी करो और अपनी इस ख़ुशी को एंजॉय करो,चौहान सर ने कहा
चौहान सर के कहने पर अंगद मिठाई का डब्बा लेकर घर पहुँचा और माँ को गुड न्यूज़ सुनाई ,माँ तेरी बरसों की मेहनत ने रंग दिखा दिया है मुझे आज प्रमोशन मिला है और साथ ही 2 साल के लिए विदेश जाने का मौक़ा भी .
उसकी माँ मानसी के चेहरे पर प्रमोशन की बात सुनकर ख़ुशी की लहर दौड़ गई परंतु दूसरे ही क्षण दो साल के लिए शिकागो जाने की बात सुनकर चेहरे पर कई रंग आये और गए .
मानसी अपनी आँखों की नमी छुपाते हुए बोली इतने लंबे समय के लिए जा रहा है तो शादी करके मीरा को भी साथ लेकर जा ,वो बेचारी तो तेरे लौटने के इंतज़ार में 2 साल मै सूखकर आधी हो जायेगी,
और तुम्हारा क्या माँ तुम भी तो इतने बड़े घर में एक दम अकेली पड़ जाओगी .मॉ चुप लगा गई यह सुन कर। अंगद माँ के आँखों की नमी देख कर परेशान हो गया,उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि ऐसी
स्थिति में वह क्या निर्णय ले”उसने मीरा को फ़ोन मिलाया,उसे मालूम था कि मीरा बहुत प्रेक्टिकल
है वह इस परिस्थिति का कोई न कोई हल ज़रूर निकाल ही देगी।
मीरा अंगद की मंगेतर थी दरअसल अंगद और मीरा का रिश्ता अंगद के पिता रमाकांत ने अपने दोस्त विश्वनाथ से बात करके बचपन में ही पक्का कर दिया था
मीरा व अंगद भी युवावस्था तक आते -आते अपने इस रिश्ते को स्वीकार कर चुके थे .मीरा भी एम बी ए
करके एक मल्टी नेशनल कम्पनी मे मार्केटिंग हैड के पद पर कार्यरत थी .
अंगद के पिता का देहान्त,जब अंगद सिर्फ़ १५ साल का था, तभी हो गया था एक सड़क दुर्घटना
में ,मानसी के सुखी दाम्पत्य को दुख की काली छाया ने ढक लिया था.मानसी ने अंगद के सुनहरे
भविष्य की ख़ातिर इस दुर्घटना को विधि का विधान मानकर अपने मन को समझा लिया था, मानसी
अधिक शिक्षित नही थी ,लेकिन व्यवहारिकता व कर्मठता कूट-कूट कर भरी थीं.बचपन में सीखे
बुनाई के हुनर को तराशा मानसी के हाथ के बने स्वेटर मार्केट के रेडीमेड स्वेटर को भी मात करते । मानसी ने मीरा की मदद से अपने इस काम में बुनाई में रुचि रखने बाली कई महिलाओं को जोड़ लिया जिससे मार्केट से मिलने बाले आर्डर को सही समय पर पूरा किया जा सके. थोड़ा समय ज़रूर लगा,
लेकिन कुछ ही दिनों में काम काफ़ी बढ़ गया और सफलता मिलने लगी.
अपने व्यस्त कार्यकारी जीवन मे भी ,उसने अंगद की हर छोटी बड़ी ज़रूरत का ध्यान रखा और देखते
-देखते अंगद ने इन्जीनियरिंग पास करके एम वीए भी कर लिया ओर नामी गिरानी कम्पनी हिन्दुस्तान
लीवर मे जॉव भी मिल गया .
मीरा का अंगद के घर जब तब आना जाना लगा रहता था . दोनों ही अपनी -अपनी हर छोटी
बड़ी बात शेयर करते ,फ़ोन पर घंटो बात करते ओर फ्यूचर के रंगीन सपने बुनते .वीकेंड दोनों
साथ ही गुज़ारते ,कभी लम्बी ड्राइव पर जा कर तो कभी रोमांटिक फ़िल्म देख कर .
अंगद ने फ़ोन करके नीरा को अपने प्रमोशन व शिकागो जाने की बात शेयर की तो मीरा ख़ुशी से उछल पड़ी ओह ,व्हाट ए प्लेजंट सरप्राइज़ “ मुझसे तो रुका ही नहीं जा रहा मैं ऑफ़िस से सीधे तुम्हारे घर आ रही हूँ इस ख़ुशी को सेलिब्रेट करने के लिए
मीरा के आने पर अंगद ने बताया कि मॉ चाहती है, शिकागो जाने से पहले शादी करके तुम्हें भी साथ लेकर जाऊँ
वह सब तो ठीक है यदि मैं और तुम दोनों चले गए तो माँ बेचारी तो एकदम अकेली पड़ जाएंगी ना
हाँ मैं भी तो तब से यही सोच रहा था और प्रमोशन व शिकागो की ट्रिप पर जाने की न्यूज़ को एन्जॉय ही नहीं कर पा रहा था तो क्या फिर शिकागो जाने का ऑफ़र ठुकरा दूँ ,अंगद ने पूछा .
अरे नहीं नहीं क़िस्मत का दरवाज़ा सब समय सबके लिए नहीं खुलता तुम तो इस मौक़े को लपक लो दोनों हाथों से बाक़ी सब मुझ पर छोड़ दो
रही मेरी और तुम्हारी शादी के बात सो मेरी एक शर्त है ,मैं तुमसे शादी तभी करूँगी जब तुम माँ को भी सेटल कर दो ,मतलब अंगद ने चौंकाते हुए कहा मतलब सीधा सा है अपनी शादी करने से पहले माँ की भी शादी करा दो.
ये क्या अंट सेट बोल रही हो ,नाते रिश्तेदार सब क्या कहेंगे ये सब सुनकर, कुछ भी बोल देती हो बिना सोचे समझे ये कोई उनकी शादी करने की उम्र है क्या ?तुम भी कभी कभी सिरफिरों जैसी बातें करती हो माँ भला मानेगी शादी के लिए इस उम्र में .
आज कल यह सब कोई नई बात नहीं है , मीरा ने जवाब दिया हम तुम तो शादी करके उड़न छू हो जाएंगे परन्तु माँ का तो सोचो.
माँ इतनी आसानी से तो राज़ी नहीं होगी परंतु मैं उन्हें मना लूँगी ,और फिर मॉ की अभी उम्र ही क्या है मुश्किल से ५०-५५ के बीच की होगी ,सोचो कितना संघर्ष कर के मॉ ने तो तुमको इस मुक़ाम तक पहुँचाया है.
ज़िन्दगी में खुशियों की हक़दार तो वे भी है खुशियाँ और इच्छाये उम्र की मोहताज नहीं होती .हर उम्र के अपने अलग अलग एहसास होते हैं उन्हें वही समझ सकता है जो उम्र के उस दौर से गुज़र हो . ज़िंदगी में सुखद लम्हों को बार बार जीने की तमन्ना तो कोई हम उम्र ही समझ सकता है .लोग क्या कहेंगे जैसे पूर्वाग्रह से डरकर क्या हम मॉ की ज़िंदगी में आती खुशियों को नहीं रोक रहे. क्या फ़र्क पड़ेगा किसी को यदि माँ बाक़ी की अपनी ज़िंदगी हसकर गुजारे तो. ज़िन्दगी इतनी कठोर भी नहीं होती की उम्मीद की संभावनाओं को अनदेखा कर दिया जाए” मीरा की कही बातों का अंगद पर काफ़ी प्रभाव पड़ रहा था
तुम को मेरे पापा के दोस्त शर्मा अंकल याद है ना ,अचानक मीरा ने चहकते हुए कहा -आंटी के गुज़र जाने के बाद एकदम अकेले पड़ गये थे फिर बहू बेटे उन्हें अपने साथ ज़िद करके US ले गये ,जाने से पहले अंकल यहाँ की सारी प्रॉपर्टी बेच कर गये थे , .मन में था कि अब शेष लाइफ बच्चों के साथ उनके पास रह कर ही गुज़ारेंगे ,परंतु छह महीने में ही उनका मोहभंग हो गया ,अकेलेपन से तो यहाँ भी पीछा नहीं छूटा ,हालाँकि बेटा बहू अपनी तरफ़ से भरसक प्रयास करते ,परंतु जॉव की मजबूरियां उन्हें बाँधे रखती ,चाहते हुए भी वे दोनों शर्मा अंकल को उतना समय नहीं दे पाते.
शर्मा अंकल के लिए इस उम्र में वहाँ का लाइफ़ स्टाइल अपनाना मुसीबत सा लगता।काफ़ी सोच विचार के बाद
अपने देश इंडिया आने का निर्णय कर लिया,”पराधीन सपनेहु सुख नाहीं “ बाली कहावत उन्हें याद आई।
हाँ इंडिया वापस आकर अपने लिए एक लाइफ़ पार्टनर के साथ शेष लाइफ़ गुज़ारने का सपना ज़रूर साथ
लाए.
एक दिन पापा के पास आकर जब अपने लिए लाइफ़ पार्टनर तलाशने की बात की तो पहले तो पापा को उनकी बातों पर यक़ीन नहीं हुआ,पापा ने पूछा, क्या तू सच मे सीरियस है इस शादी की बात को लेकर।
हां भई हां ,मै यह सव बातें टाइम पास करने के लिए थोड़े ही कर रहा हूं
इससे पहले मुझे कुछ दिन कही पेइंग गेस्ट बन कर रहने का इंतज़ाम करना होगा,फिर आगे का प्लान पूरा करना है.
मैं पापा व अंकल की बातें सुन रही थी, तभी मेरे मन में आइडिया आया,सोचो तुम्हारे जाने के बाद तुम्हारा रूम तो ख़ाली हो ही जाएगा और माँ भी अकेली हो जाएंगी तो क्यों ना शर्मा अंकल को तुम्हारे घर में बतौर PG शिफ़्ट करवा दें ,घर में रौनक भी रहेगी और माँ का अकेलापन भी नहीं रहेगा
दोनों साथ रहेंगे तो मेल जोल भी बढ़ेगा और एक दूसरे की पसंद और नापसंद भी जान जाएंगे और फिर साथ रहते रहते कौन जाने इन दोनों का मन भी मिल जाए ,”अंगद को भी मीरा का आइडिया क्लिक कर गया”
अंगद के जाने के बाद मीरा ने उसकी मॉ मानसी से बात करके शर्मा अंकल को उसके घर में बतौर पी जी शिफ़्ट करवा दिया,कुछ दिनों तक तो शर्मा जी ,मानसी से सिर्फ जरूरत भर की ही बातचीत करते,जिसका
जवाब मानसी हां या हूं में ही देती.
मानसी सरल स्वभाव की महिला थी,उसे वेवजह किसी से बात करना पसंद नहीं था,शायद इसका कारण उसकी परिस्थितियां ही थी,उसका अधिकांश समय अपनी बुनाईके ऑर्डर पूरा करने में ही व्यतीत होता.
शर्मा जी को मानसी का ऐसा व्यवहार नागबार लगता.
शर्मा जी चाहते कि मानसी उनसे खुलकर बातचीत करे ,उनके साथ हंसे बोले,घूमने जाय,इसके लिए शर्मा जी मानसी को विदेश का उदाहरण देकर बताते कि वहां लोग लाइफ को कैसे ऐनजॉय करते हैं. तुमको भी
अपने आपको सिर्फ काम में ही नहीं मगन रहने देना चाहिए,यू ,नो ,मानसी लाइफ में ऐनजॉयमेंनट भी का भी होना जरूरी है।
शर्मा जी ने मानसी को अपनी यूएस की ट्रिप के बारे में बताया कि कैसे बहां लोग सप्ताह के पांच दिन जम कर काम करते हैं,फिर दो दिन मनोरंजन पर व्यतीत करते हैं,ऐसा करने से लाइफ में स्फूर्ति व ताजगी
बनी रहती है। साथ ही बहां लोग अपने खानपान के प्रति भी सजग हैं।
सैर करना व कुछेक हलके फुल्के व्यायाम करना उन लोगों की दिन चर्या में शामिल होता है।
धीरे धीरे मानसी शर्मा जी के साथ सुबह की सैर को निकलने लगी,सैर करते समय दोनों एक दूसरे की पसंद व नापसंद के बारे में भी बातचीत करलेते।मानसी अब शर्मा जी के साथ काफी खुल गई थी।
मानसी से बातचीत करके शर्मा जी को यह अंदाज तो हो गया था कि मानसी अपने अकेलेपन से कभी कभी घबराहट तो महसूस करती है लेकिन दोबारा नई जिंदगी शुरू करने से इस कारण कतराती है कि लोग क्या कहेंगे।
एक दिन सुबह जब मानसी काफी देर तक अपने कमरे से बाहर नहीं निकली तो शर्मा जी को कुछ खटका हुआ।कही मानसी बीमार तो नहीं हो गई,दरबाजा खटखटाते हुए शर्मा जी ने कमरे में जाकर देखा मानसी बुखार में बेसुध थी। शर्मा जी ने तुरंत दबा दी व मानसी के माथे पर ठंडे पानी की पट्टियां रखी जिससे मानसी का बुखार काफी हद तक कम हो गया।बुखार तो उतर गया था,लेकिन कमजोरी वाकी थी,ऐसे में शर्मा जी ने मानसी की काफी सेवी की,समय पर दबा देना सूप खिचड़ी आदि बनाकर खिलाने से मानसी एकदम ठीक महसूस करने लगी।
जब मीरा मानसी से मिलने आई तो मानसी ने शर्माजी की जी खोल कर तारीफ की ,सच में शर्मा जी बहुत अच्छे इन्सान हैं मैं नाहक ही उनसे बातचीत करने में संकोच करती रही।इतने नेकदिल लोग आजकल कम ही देखने को मिलते है। तो क्या आंटी आप शर्मा अंकल को परमानेंट अपने घर में रखने को तैयार हैं। आई मीन अपने लाइफ पार्टनर……,
धत पगली तेरी शरारतें करने की आदत गई नही अभी तक,यह मत भूल कि मैं तेरी होने वाली सास हूं।
अरे इसीलिए तो कह रही हूं जब अगले सप्ताह अंगद बापस आएगा तो उसे सरप्राइज दिया जायगा कि अबसे घर में एक निराला सच साबित होने बाला है। मीरा की बातें सुनकर मानसी के गाल सुर्ख हो गए।