Moral stories in hindi : “ तभी फिर से अनुज के मोबाइल पर उसी नम्बर से फ़ोन आया… अनुज जल्दी से कमरे से निकल कर बात करने लगा…तभी मनस्वी उठकर उसके पीछे पीछे गई और फोन छिन कर बोली ,” कौन हो तुम … मेरे पति से ऐसे चोरी छिपे बात क्यों करती हो… पता नहीं है वो अब शादीशुदा है… हमारी ज़िन्दगी से निकल जाओ नहीं तो अंजाम अच्छा नहीं होगा ।”
“ मनु तुम…!”उधर से घबराहट और परेशान सी जानी पहचानी आवाज़ सुन वो आपे से बाहर हो गई
“ भाभी आप ! आप मेरे पति से ऐसे चोरी छिपे बात करती है… मेरी ज़िंदगी बर्बाद कर रही है…आपको जरा भी शर्म नहीं आई ऐसा करते हुए ।” कहते हुए मनस्वी ने फ़ोन काट दिया अपनी भाभी की सुन तो …सुन तो … भी अनसुना कर दी
“ हो गई तसल्ली…पता चल ही गया है तो अभी के अभी अपने मायके चली जाओ… फिर यहाँ आने से पहले सौ बार सोच लेना।”अनुज ने भी ग़ुस्से में कह दिया
मनस्वी घर जाकर अपनी माँ को बताने को आतुर जल्दी से चार कपड़े ले बस पकड़ मायके पहुँच गई ।
मायके पहुँच कर माँ से सब कह बैठी ।
तभी अपनी भाभी का उतरा चेहरा देख वो बस गरजने को ही हुई थी कि माँ ने रोकते हुए कहा,” बेटा जिस पति पर शक कर तू उसे और अपनी भाभी को भला बुरा कह चुकी है वो सब मुझे पता चल गया है… पर सच कहने की हिम्मत किसी मैं नहीं है… फिर भी आज तुम्हें इस शक से निजात दिलाना ज़रूरी है… सुन अभी एक महीने पहले तेरे भाई मनन का तबीयत बिगड़ गई… अस्पताल में जाँच पड़ताल करवाया तो पता चला उसे कैंसर है…
उसके इलाज के लिए हम सास बहू कहाँ कहाँ अकेले दौड़ते तो तेरी भाभी से ही मैंने कहा अनुज जी से बात कर लो… अनुज जी सुनकर बोले मनु को कुछ मत बताना वो परेशान हो जाएगी… मैं सब इंतज़ाम करवाता हूँ उनका इलाज अच्छे से करवाएँगे बस आपको मनु से ये सब छिपाना होगा… बेटा तू तो मुझे ही फोन कर बात करती थी मैं सब ठीक है कहती रही पर तेरी माँ और भाभी जिस दर्द से गुजर रहे हैं वो तुम्हें बता कर परेशान नहीं करना चाहते थे।”
ये सब सुनते ही मनस्वी वही फ़र्श पर बैठ कर रोने लगी..
उसकी भाभी उसे गलें लगाकर चुप कराने की कोशिश की तो मनु हाथ जोड़कर माफ़ी माँगते हुए बोली,” भाभी मुझे माफ कर दो.. इधर अनुज जैसे किसी से धीरे-धीरे बीत कर रहे थे मुझे शक होने लगा कि उनकी ज़िन्दगी में कोई और है और आज जब आपकी आवाज़ सुनी तो मेरा दिमाग़ ही घूम गया।”
“ मनु कोई भी पत्नी पति के इस तरह के व्यवहार पर शक करेगी मैं समझ सकती हूँ पर हम सबको भी यही लगा तू भैया से इतना प्रेम करती है उनकी बीमारी सुन घबरा जाएगी बस हमने तुमसे छिपाया… अनुज जी बहुत अच्छे है मनु तुमसे बहुत प्यार करते हैं ।”भाभी भी रोते हुए बोली
अनुज भी मनस्वी के पीछे पीछे आ चुका था ।
“ मनु शक की वजह से तुमने कितना कुछ कह दिया… हमें तुम्हें पहले ही बता देना चाहिए था .. पर हम तुम्हारे भले का सोचकर छिपा रहे थे और तुम शक की बीमारी में घिर रही थी…अब सब जान चुकी हो तो मैं यही कहूँगा… यहाँ रह कर माँ और भाभी को सँभालो मैं भैया को देखता हूँ..,
उनका इलाज लंबा चलेगा और सब को धैर्य रखना होगा…और हिम्मत भी ।” अनुज के कहते मनस्वी दौड़ कर उसके सीने से लगते हुए माफ़ी माँगते हुए बोली ,” तुम तो मेरे ही परिवार का भला सोच रहे थे और मैं तुम पर शक कर रही थी…मुझे पहले क्यों नहीं बताया…सब कुछ अकेले सँभाल रहे थे?”
“ अब तो पता चल गया ना बेवजह शक करके सबको और दुःखी कर दी जो पहले से ही दुखी है ।” अनुज ने कहा और अपनी ज़िम्मेदारी निभाने अस्पताल की ओर चल दिया
दोस्तों बहुत बार हम किसी की बीमारी या मृत्यु की बात उन परिस्थितियों में उस शख़्स को नहीं बता पाते जिनका उससे ज़्यादा लगाव होता है,.. अनुज को भी यही डर था कि मनस्वी कही ये सुनकर ज़्यादा परेशान ना हो जाए इसलिए वो सही समय पर बताने का इंतज़ार कर रहा था इसलिए उसके सामने बात करने से बचता रहा जिसका परिणाम यह हुआ कि मनस्वी को अनुज पर ही शक होने लगा और फिर आपने कहानी में पढ़ ही लिया….
तो कई बार शक करने से पहले थोड़ी पड़ताल कर ले और नहीं तो जो आपका अपना है उसके कहने का इंतज़ार करें..क्या पता बात कुछभी नहीं हो और हम अर्थ का अनर्थ कर बैठे ।
कहानी पढ़ कर अपने विचार व्यक्त करें ।
धन्यवाद
रश्मि प्रकाश
मौलिक रचना ©️®️
#शक
first part show nhi ho rha plz first part bhi upload kijiye