कुछ कहते रहिए (भाग 2)- लतिका श्रीवास्तव 

मां खुश नहीं है मेरी इस बात से…! पर खुश क्यों नहीं हुई मैने तो सोचा था उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा खूब सारी बातें पूछेगी मेरे से….जैसे कि हमेशा करती आई है….अगर खुश होती तो हमेशा की तरह ये बात खुद ही पापा से बताती मुझे बताने के लिए नहीं कहती..!!आज पहली बार मेरे दिल की बात मां के दिल तक पहुंच नहीं पाई….!क्यों मैंने कुछ गलत सोच लिया!!कोई गलत बात कह दी..! वरुण अंतर्मन में व्यथित हो मंथन कर रहा था…!

पर पता नहीं क्यों हर बार की तरह वो इस बार मां से ज़िद नहीं कर पाया मनुहार नहीं कर पाया गुस्सा नहीं कर पाया…बस चुप सा रह गया…!

पापा की आवाज आ रही है लगता है घर में आ गए हैं….शायद मां अब मेरी बात पापा को बताएंगी उसका मासूम दिल आतुरता से मां और पापा की प्रतिक्रिया सुनने को बेताब हो उठा था….लेकिन वो प्रतीक्षित क्षण आया ही नहीं ….मां ने सच में इस बात का जरा भी जिक्र पापा से किया ही नहीं..! कितने संकोच से कितने दिनों से हिम्मत जुटा कर आज वो अपने दिल की ये बात मां से कह पाया था…!

आज पहली बार कोई निर्णय कोई पसंद खुद मैंने अपनी मर्जी से किया ….मां ने अचानक पराए सा व्यवहार क्यों कर दिया..!!मन दुखी दुखी हो गया था उसका…..कुछ भी नहीं कह पाया था फिर वो पापा से …!मां ने भी उस दिन के बाद इस बारे में कोई चर्चा ही नहीं की…!

तभी कम्पनी ने एक वर्ष के लिए प्रोजेक्ट पर  सिंगापुर भेज दिया था उसे….!लगा जैसे सब कुछ शांत हो गया पर वो तो सुप्त ज्वालामुखी सी शांति थी।




शैलजा अपने बेटे के दिल का हाल शिद्दत से महसूस कर रही थी …वास्तव में आजकल के हिसाब से उसका वरुण बहुत संकोची और शालीन है एक मां होने के नाते ये बात सुनते ही उसे खुश होना चाहिए था….पर पता नहीं क्यों उसे वरुण का खुद लड़की पसंद करना हजम ही नहीं हो रहा था…!अपनी बनियान भी मां से पूछ कर खरीदने वाला इतना आज्ञाकारी बेटा इतना बड़ा निर्णय मां के बिना कैसे ले सकता है!! अचानक उसे अपने और अपने बेटे के बीच अलगाव पैदा करने वाली ये लड़की कांटे की तरह चुभने लग गई थी….इसीलिए उसका सिंगापुर जाना उसे दिली तसल्ली दे गया कि स्थान परिवर्तन से लड़की के प्रति भी उसका हृदय परिवर्तन हो जायेगा ।

पर शायद कई बार चुप्पी मन में गांठों को बांध कर और मजबूत कर जाती है

खबर चौकाने वाली थी कि वरुण को कम्पनी ने जॉब से निकाल दिया है….वरुण के दोस्त मीत ने फोन पर बताया तो शैलजा घबरा ही गई…क्या हो गया वरुण को क्या किया उसने ऐसे कैसे अचानक जॉब से निकाल दिया…!पर मीत ने कुछ भी नहीं बताया बस इतना जरूर कहा वरुण बहुत निराश है बीमार हो गया है और घर नहीं आना चाहता है…ना ही इस विषय में किसी से बात ही करना चाहता है…!

इसीलिए शैलजा जी ने तुरंत वरुण को फोन लगाया था पर वो बात ही नहीं कर रहा था…मनोहर जी बहुत दुखी हो रहे थे बेटा इतना बड़ा हो गया है कि घर वालों से अपने मन के दुख बांटने में हिचकिचा रहा है या हमें उस लायक नहीं समझता….!परिवार से दूर पहली बार अकेला गया है इसीलिए रह नहीं पाया….अभी इतना बड़ा भी नहीं हुआ है कि अकेला रह सके….!

अचानक शैलजा जी फूट फूट कर रो पड़ीं…इतने दिनों से पुत्र से अबोला और पुत्र के दिल की बात पर अपनी रुखाई का रवैया उन्हें अपराध बोध से त्रस्त करता गया ….दिल की दबी व्यथा आंसुओं में उमड़ पड़ी थी…!




क्या हुआ शैलजा तुम्हें क्या हुआ अरे इतना दुख करने वाली कोई बात नहीं है तुम्हारी बात सुनेगा वो तुमसे ही तो अपने दिल की बात कह पता है …मनोहर जी के ढांढस बंधाते इन शब्दों ने मानो फिर से शैलजा के अपराधबोध को दूना कर दिया था…सब मेरे ही कारण हुआ है मेरा बेटा मुझे अपने दिल की बात कह रहा था मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया उसने मुझ पर विश्वास किया था पर मैं उसके इस विश्वास की आन नहीं संभाल पाई..!उसकी जिंदगी के कितने अहम फैसले को उसकी अपनी मां ने उपेक्षित कर दिया…..वो टूट गया …मां से गुस्सा भी नहीं कर पाया पिता से संकोच कर गया ….अंदर से वो अकेला हो गया…मेरे कारण सिर्फ मेरे कारण..!शैलजा रोती जा रही थी….मनोहर जी सब कुछ समझ गए थे।

शालू दुखी मत हो मैं समझ सकता हूं अपने बेटे का किसी लड़की के साथ जीवन भर का साथ निभाने का फैसला तुम्हें अनजाने ही अपने बेटे से अलगाव और उस अनदेखी लड़की के प्रति आक्रोश से ग्रस्त कर गया…एक मां की जिंदगी का ये महत्वपूर्ण मोड़ होता है जब बहू की कल्पना में उसे अपने बेटे पर से अपना अधिकार हटता हुआ प्रतीत होने लगता है…यही पूर्वाग्रह या आगामी जिंदगी का आभास तुम्हें आज अपने दुलारे बेटे के दिल की गहराई तक जाने से उसे समझने से रोक रहा है…अरे शालू कल क्या होगा किसने देखा है फिर आने वाले कल में सब बुरा ही होगा ये भी कोई सोचता है भला!!शादी तो उसकी होनी है….अभी अपने बेटे की खुशी में खुश हो लो उसके निर्णय का स्वागत करो उसे उत्साह दिलाओ…जैसा अभी तक तुम करती आई हो ….उसे तुम्हारे इसी स्नेह और विश्वास की जरूरत है ….परिवार के सपोर्ट के बिना वो निस्सहाय महसूस कर रहा है..!

उन्होंने तुरंत वरुण को मैसेज किया ….बेटा वरुण अपनी मां  से कही बात अपने पिता से कहने में कैसा संकोच ..!मां की बात का बुरा नहीं मान ….अभी तक तो मां की कोई बात बुरी लगने पर पिता से शिकायत कर देता था …लड़ाई कर लेता था …इस बार लगता है ज्यादा बड़ा हो गया है …अपने दुख अपने परिवार वालों से ही छुपाता फिर रहा है…. आजा बेटा वापिस अपने घर अपने परिवार के पास आजा..हम तीनों मिलकर लड़की के परिवार से मिलने चलेंगे…. जॉब की चिंता मत कर …. अनेकों कम्पनी तुझे लेने को आतुर हैं….!

थोड़ी ही देर में वरुण का फोन आ गया था..पापा मां से बात करा दीजिए…. मनोहर जी ने कहा कोई बात बात नहीं यहां आजा पहले फिर बातें होंगी…!ठीक है पापा कल सुबह पहुंच जाऊंगा…कह उसने फोन रख दिया।




रात भर किसी को नींद नहीं आई….सुबह से ही शैलजा ने पूरा घर धो पोंछ कर सजा दिया था …आरती की थाली लेकर दरवाजे पर अपने बेटे का स्वागत किया तो वरुण भाव विव्हल हो उठा…!आज अपने परिवार के साथ वो फिर से जीवंत हो उठा था ।

अरे बेटा परिवार होता ही इसलिए है कि हम अपने सुख दुख बांट लें  …. छोटी छोटी बातें दिल पर नहीं लेना चाहिए मिल बैठ कर सुलझा लेना चाहिए….चुप रहने से मन की गांठे नहीं खुल पातीं हैं… मनोहर जी ने कहा तो शैलजा ने भी मीठी सी डांट लगा दी …हां अरे मां से लड़ लेता ….मना लेता …गुस्सा हो लेता….चुप क्यों रह गया ….चल अब जल्दी तैयार हो जा पहले मुझे अपनी बहू के पास ले चल तेरी पसंद हम सबकी पसंद है पूरे परिवार की पसंद है…।

सच में परिवार के साथ ही राई सी खुशी आसमान सी लगने लगती है और आसमान सा दुख राई सा लगने लगता है….पारस्परिक संवाद करते रहें….संवाद हीनता ही अलगाव की वजह बन जाती है।

#परिवार 

लतिका श्रीवास्तव

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