मैं तुम्हारी खुशी के लिए अपनी मम्मी की खुशियां नहीं छीन सकता : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : सुमित्रा बड़े चाव से अपने बेटे शेखर के साथ अपने नए घर को विभिन्न प्रकार की कलात्मक पेंटिंग से सजा रही थी, क्योंकि कुछ दिन बाद ही शेखर का विवाह था जिसके लिए वह घर को अच्छे-अच्छे रंगों की कलात्मक पेंटिंग से सजा रही थीं ।यह घर सुमित्रा ने वर्षों की मेहनत से पाई पाई जोड़ कर बनाया था। उसके पति संदीप और वह दोनों सरकारी स्कूल में पढ़ाते थे। उनके दो ही बच्चे थे- बेटा शेखर और छोटी बेटी सुमन। अपने दोनों बच्चों को सुमित्रा ने सरकारी स्कूल में ही अच्छी शिक्षा दिलवाई थी।

        शिक्षा प्राप्त करने के बाद जब शेखर एक कंपनी में जॉब करने लगा तो उसके पास विवाह के लिए कई लड़कियों के रिश्ते आने लगे। शेखर उन लड़कियों के फोटो देखकर ही शादी करने से इंकार कर देता था। तब सुमित्रा  ने उसे प्यार से समझाया-‘बेटा सिर्फ रंग रूप देखकर ही शादी नहीं करनी चाहिए हमें इंसान के गुण भी देखने चाहिए।’ उन्हे शेखर के लिए पदमा नाम की एक लड़की पसंद भी आ गई थी। जो सांवले रंग की थी परंतु,वह बेहद गुणी थी। शेखर ने पदमा का सांवला रंग देखकर उससे शादी करने से इनकार कर दिया था। तब बेटे की खुशी की खातिर सुमित्रा चुप हो गई थी।

    1 दिन शेखर अपने दोस्त रवि की शादी में गया तो वहीं पर रवि की पत्नी मंजू की बहन मोनिका को देखकर वह उसे अपना दिल दे बैठा था। बला की खूबसूरत थी वो उसे देखकर शेखर उसका दीवाना हो गया था और उसी वक्त शेखर ने मोनिका को शादी के लिए प्रपोज भी कर दिया था जिसे मोनिका ने स्वीकार भी कर लिया था।

तब सुमित्रा ने शेखर को समझाया भी था कि-‘विवाह में इतनी जल्दबाजी करना उचित नहीं। पहले एक दूसरे से बातें कर एक दूसरे के बारे में कुछ जान तो लो बाद में शादी की बात करना परंतु,शेखर तो मोनिका की खूबसूरती पर ऐसा मर मिटा कि उसने अपनी मम्मी की बात पर ध्यान ही नहीं दिया और एक दिन अपने पापा के साथ पंडित के पास जाकर अपने विवाह की तारीख भी निकलवा ली थी। जिसकी वजह से उसकी मम्मी सुमित्रा अपने घर में विवाह की तैयारियां करने लगी थी वह अपने घर को शेखर के साथ मिलकर अच्छी तरह से सजा रही थी कि उसी दौरान शेखर के फोन की घंटी बजने लगी थी।

      जब शेखर ने फोन पर नंबर देखा तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई थी तब उसकी छोटी बहन सुमन उसे छेड़ते हुए बोली-‘लगता है भाभी का फोन आ गया तभी तो भैया के चेहरे पर मुस्कान आ गई” तब शेखर हंसते हुए फोन लेकर बाहर की तरफ चला गया था। थोड़ी देर बाद जब शेखर घर वापस आया तो उसकी मम्मी सुमित्रा ने देखा शेखर का चेहरा बेहद उदास था। जब सुमित्रा ने शेखर से उसकी उदासी का कारण पूछा तो शेखर दुखी स्वर में बोला-‘मम्मी अब मेरी शादी नहीं होगी। मैंने मोनिका से शादी करने से मना कर दिया।’यह सुनकर सुमित्रा आश्चर्य से बोली-‘तुमने मोनिका से शादी करने को मना क्यों कर दिया?’

      तब शेखर बोला-‘वह मुझसे कह रही थी कि मैं शादी से पहले  अपना घर उसके नाम कर दूं ‘ तब मैंने उससे कहा “यह मुमकिन नहीं है यह घर मेरी मां ने बहुत मेहनत से बनवाया है। इसे तुम्हारे नाम करके मैं उन्हें दुखी नहीं कर सकता मैं तुम्हारी खुशी के लिए अपनी मम्मी की खुशियां नहीं छीन सकता।

  ,    यह सुनकर वह मुझसे बोली-‘क्या मेरी खुशी की जगह तुम्हें मम्मी जी की खुशी प्यारी है यदि घर को मेरे नाम  नहीं करोगे तो मैं तुमसे विवाह नहीं करूंगी।’ मोनिका की ऐसी बात सुनकर मुझे बेहद दुख हुआ उसकी बातों से लगा कि उसे मुझसे ज्यादा घर से लगाव है। मैंने उसी वक्त उससे शादी करने से इनकार कर दिया। आपने मुझसे ठीक ही कहा था मुझे पहले उसके बारे में अच्छी तरह से जान लेना चाहिए था फिर शादी की बात करनी थी परंतु ,अच्छा ही हुआ जो उसने शादी से पहले ही अपनी इच्छा बता कर मुझे चौकन्ना कर दिया नहीं तो मैं शादी के बाद उसकी फरमाइश कैसे पूरी करता।

       जो लड़की शादी से पहले ही हमारे घर को अपने नाम करना चाहती है ऐसी लड़की का क्या भरोसा क्या पता शादी के बाद वह आपको पापा और सुमन को आपके मकान से ही बाहर निकाल देती? मम्मी जी मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं इसलिए मैंने मोनिका से विवाह करने से साफ इनकार कर दिया” शेखर  के मन में अपने प्रति इतना प्यार देखकर उसकी मम्मी को उस पर बेहद गर्व हो रहा था प्यार से जब उसने शेखर को गले लगाया तो शेखर मुस्कुराते हुए बोला” अब मैं उसी लड़की से विवाह करूंगा जो आपने मेरे लिए पसंद की थी। मुझे समझ में आ गया है शादी रंग रूप देखकर नहीं इंसान के गुण देखकर करनी चाहिए।’

    शेखर की बात सुनकर सुमित्रा उसे समझाते हुए बोली” मैंने तो तुमसे पहले ही कहा था की पदमा तुम्हारे लिए उपयुक्त लड़की है परंतु, तुमने मेरी बात मानने से इनकार कर दिया था उसके बाद जब तुमने मुझसे मोनिका से विवाह करने की इच्छा बताई तब भी मैंने तुम्हें समझाया था कि पहले एक दूसरे के बारे में अच्छी तरह से जान लो फिर शादी की बात करना परंतु, तुमने मेरी बातों पर कोई ध्यान ही नहीं दिया यदि तुम पहले से ही एक दूसरे की इच्छाओं के बारे में जान जाते तो आज यह नौबत नहीं आती चलो देर आयद दुरुस्त आयद मै आज ही पदमा से तुम्हारी शादी की बात करती हूं”मम्मी की बात सुनकर शेखर के चेहरे पर मुस्कान आ गई थी

  यह ब्लॉग एक सत्य घटना पर आधारित है मेरा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं है क्योंकि कभी-कभी कुछ लड़कियां लड़कों के सामने अनोखी मांग रख देती है जिन्हें पूरा करना उनके वश में नहीं होता । इसलिए जब भी कोई निर्णय ले पहले उस पर गहनता से सोच विचार करें एक दूसरे को समझे और परखे तभी कदम आगे बढ़ाएं अन्यथा जल्दबाजी में लिया निर्णय बेहद नुकसानदायक होता है।

बीना शर्मा

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