खानदान पर कलंक मैं नहीं आप हो भैया !! (भाग 4) : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :

रमेश की जिद के आगे हमने घुटने टेक दिए  और रीमा शादी करके यहां दुल्हन बनकर आ गई , उस दिन से यह घर हमारा कम और रीमा के माता पिता , भाई – बहन का ज्यादा हो गया , आए दिन वे लोग यहां रहने चले आते !! रीमा और रमेश को हम दोनों बुड्ढों का यहां रहना भी अखरने लगा , हमारे लिए इनके पास ना खाना होता था , ना कपड़े !!

घर का बिगडता हाल देखकर तेरे पापा ने अपनी सारी जमीन जायदाद तेरे नाम कर दी !!

एक दिन जब रीमा ने वह कागजात देख लिए तो रमेश से बोली अगर सारी जमीन जायदाद मेरे नाम नहीं की तो मैं तुम्हें छोड़कर हमेशा के लिए चली जाऊंगी !!

रमेश ने तेरे पापा से खुब लडाई की और बोला अगर आपने सारी जमीन जायदाद मेरी बीवी के नाम नहीं की तो मुझसे बुरा कोई ना होगा मगर तुम्हारे पापा टस से मस ना हुए !!

रमेश ने तेरे पापा को दो थप्पड लगा दी , यह देखकर मेरा खुन खोल उठा और मैंने रमेश पर हाथ उठा दिया !!

रीमा मेरा हाथ मरोड़कर बोली बुढ़िया तुने क्या समझा हैं ?? तु मेरे पति को मारेगी और मैं चुप रहुंगी !!

मैंने जैसे तैसे अपना हाथ छुड़वाया , उस रात मैं खुब रोई और तेरे पापा को दिल का दौरा पड गया , सुबह जब सबको पता चला तो घर में बेटे बहु को उनके मरने से ज्यादा जमीन जायदाद उनके नाम पर ना होने का मातम था !!

दोनों इस बात को सोच रहे थे कि जमीन जायदाद अपने नाम कैसे करवाई जाए ?? बस उसके बाद रमेश ने मुझसे तुझे फोन करवाया ताकि तेरे आने के बाद कैसे भी तुझसे सब कुछ हथिया सके !!

 मां मैं तुझे इस नर्क में ओर नहीं रहने दुंगी , मैं तुझे यहां से हमेशा के लिए अपने साथ ले जाऊंगी प्रिया रोते हुए बोली !!

रमेश अंदर आकर चिल्लाकर बोला रीमा , कहां हो तुम ?? तुमसे कहा था ना कि इन दोनों मां बेटी को अकेला मत छोड़ना , तुम्हारी इतनी बडी लापरवाही के कारण प्रिया को सुब कुछ पता चल गया और प्रिया मां को तो तुम तब ले जाओगी ना जब तुम यहां से वापस जा पाओगी !!

प्रिया के हाथ से मोबाईल छिनकर उसने दोनों मां बेटी को कमरे में बंद कर दिया !!

प्रिया ने भरसक कोशिश की मगर वह कुछ ना कर पाई , कमरे में ना कोई खिड़की थी जहां से वह आवाज दे पाए और ना अब फोन था कि वह किसी को फोन कर पाए !!

थोड़ी देर बाद डोर बेल की आवाज आई , रमेश ने दरवाजा खोला तो बनवारी काका के साथ पुलिस खड़ी थी !!

रमेश ने बहुत चाहा कि वे लोग अंदर ना आ पाए मगर पुलिस और बनवारी काका अंदर आ गए और कांताजी और प्रिया को कमरे से रिहा किया !!

प्रिया बाहर आकर बोली भाई , जाको राखे साईयां मार सके ना कोई !! मैं जब एयरपोर्ट से यहां पहुंची तो दरवाजा खुला होने की वजह से मैं सब कुछ समझ गई और फिर बनवारी काका ने भी मुझे बहुत सारे  हिंट दे दिए थे !!

मैं काका से बोलकर आई थी अगर एक घंटे तक मैं वापस आपसे मिलने ना आ पाई तो आप समझ लेना कि दाल में कुछ काला हैं और पुलिस लेकर यहां चले आना !!

बनवारी काका , अच्छा हुआ आप समय पर आ गए और रमेश भैया इस खानदान का कलंक मैं नहीं आप हो जिसने एक ऐसी लड़की से शादी की जिसे सिर्फ आपकी जमीन जायदाद से प्यार था आपसे नहीं , इसके बहकावे में आकर आपने अपने ही माता पिता को इतना कष्ट दिया , यहां तक कि आपके कारण ही पापा की भी जान चली गई , आप जैसे बेटे इस धरती पर बोझ हैं !!

इंस्पेक्टर साहब ले जाइए इन सभी को यहां से ताकि कोई ओर घर खराब ना हो !!

रमेश , रीमा और रीमा के घरवालों को पुलिस ने तुरंत अरेस्ट कर लिया !!

प्रिया भी अपनी मां को लेकर पहले अपने ससुराल वालों से मिलने गई और फिर अपनी मां को लेकर हमेशा के लिए विदेश आ गई !!

प्रिया के बच्चों ने पहली बार अपनी नानी को देखा था , दोनों बहुत खुश हुए और कांताजी जो ना जाने कितने समय से दुःख भोग रही थी , उन्हें अब सुख नसीब हुआ था !!

दोस्तों , अक्सर देखा जाता हैं कि जहां लड़कियां भागकर अपने प्रेमी से शादी कर लेती हैं उनके उपर खानदान पर कलंक पोतने का आरोप लगा दिया जाता हैं मगर उन बेटे बहु पर यह आरोप क्यूं नहीं लगता जो जीते जी अपने मां बाप को मरने पर मजबूर कर देते हैं !!

क्या वे खानदान पर कलंक नहीं ?? आपकी राय के इंतजार में !!

खानदान पर कलंक मैं नहीं आप हो भैया !! (भाग 3) : Moral Stories in Hindi

आपकी सखी

स्वाती जैन

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