ओ साथी रे… तेरे बिना भी क्या जीना –  हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : कितनी बार कहता हूं रीमा… यह सारे काम तुम्हें भी आना चाहिए, आजकल ऑनलाइन का जमाना है, चाहे बैंक हो या बीमा पॉलिसी या पैसों का लेनदेन हो या जरूरी दस्तावेजों का काम, सभी काम ऑनलाइन होते हैं ..पर तुम हो कि हर बार बहाना लगा देती हो! भगवान ना करें.. अगर मुझे कुछ हो गया तो तुम अपने आप को और बच्चों को कैसे संभालो गी? 

कैसी  बातें करते हो आप ?..खबरदार आज के बाद ऐसे अशुभ शब्द मुंह से  निकले तो…!… अरे अरे .. रीमा रोती क्यों हो ?मैं तो मजाक कर रहा था! रीमा और अमित ने घर वालों की मर्जी के खिलाफ लव मैरिज की थी! रीमा की सादगी और सीधेपन पर अमित का दिल आ  गया था, जबकि अमित स्मार्ट और आज के जमाने के साथ चलने वाला इंसान था! किंतु इनकी जोड़ी साक्षात भगवान ने ही बनाई थी!

दोनों एक दूसरे को पाकर बेहद खुश थे! दोनों एक दूसरे के बिल्कुल विपरीत थे ! अमित जैसे घर के कामों से दूर भागता था, वैसे ही रीमा ऑनलाइन  संबंधी कार्यों से दूर भागती थी! बिजली पानी का बिल जमा करवाना हो, या बच्चों की फीस जमा करवानी हो, सारे काम अमित ही  करता आ रहा था !रीमा को तो एटीएम से पैसे तक निकलना नहीं आता था! अमित कई बार कह कर थक चुके थे, किंतु रीमा का एक ही जवाब होता…

आप हो ..ना ,फिर मुझे क्या जरूरत है इन सबकी !यह सब याद आते ही दो बूंद आंसुओं की, आंखों से छलक कर बाहर आ ही गई, जिसे बैंक की स्टाफ गर्ल से ना  छुप सका !वह तुरंत आकर बोली… मैंम ..कोई दिक्कत हो तो हमें बताइए! हां ..यह चेक जमा करना है, किंतु मुझे तो इसे भरना ही नहीं आता! कोई बात नहीं.. मैं आपकी मदद करती हूं! रीमा चेक जमा करके घर आकर, फूट फूट कर रोई !

क्यों अमित.. मुझे बीच सफर में छोड़कर तुम ऐसे कैसे जा सकते हो ?तुम्हें पता था ना कि मुझे तुम्हारे बिना कुछ भी नहीं होता, फिर तुमने मुझे ऐसा धोखा क्यों दिया? अब मैं कैसे खुद को और बच्चों को संभालूंगी ?तुम कितना मुझे सीखने के लिए कहते थे, किंतु  में ही हर बार टल जाती थी !पर मुझे क्या पता था.. तुम अचानक ऐसे मुझे छोड़ कर चले जाओगे ?

2 महीने पहले ऑफिस से तेज गति से बाइक से आते समय, स्पीड ब्रेकर पर संतुलन बिगड़ने से अमित का एक्सीडेंट हो गया, अत्यधिक खून बह जाने के कारण उसे बचाया नहीं जा सका! रीमा की तो अमित के बिना दुनिया ही बेजान और वीरान हो गई! रिश्तेदारों ने भी सारा दोष उसके प्रेम विवाह करने को दिया और किसी ने भी कोई उसकी सहायता नहीं की!

काफी समय लगा उसे इस सब में से उबरने में, किंतु अपने मासूम बच्चों की वजह से उसने हिम्मत जुटाई , उसने सोच लिया. बच्चों और खुद के लिए उसे जीना होगा! आज उसने अमित की तस्वीर के आगे यह वादा किया कि अब वह हर वह चीज सीखेगी, जिसकी जरूरत उसकी और बच्चों की जिंदगी के लिए निहायत ही जरूरी है!

 हेमलता गुप्ता

स्वरचित

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