कहीं ये वो तो नहीं..!!!  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : अक्टूबर की सर्द हवा हड्डियां गलाने वाली भीषण ठंड के साथ मिलकर मानो सरगोशी सी कर रही थी कुछ षड्यंत्र रच रही थी ठंड की तानाशाही का वर्चस्व कायम रखने के लिए….बस्तर के सुदूर  आदिवासी बाहुल्य गांव के इस अधपक्के से मकान में मैं कैलाश बिचारा किस्मत का मारा .. नहीं नहीं किस्मत का मारा नहीं सरकारी नौकरी का मारा सिर तक रजाई ओढ़े गर्म हीटर में शेक्सपियर की  किताब मैकबेथ पढ़ने में तल्लीन था ….!!

किताब पढ़ना ही मेरे  मनोरंजन का या उस बियाबान जगह में समय बिताने का इकलौता साधन था..ऑफिस के सहकर्मियों के मकान अगल बगल ही थे हमारे बॉस भी मेरे घर से थोड़ी ही दूर पर रहते थे…उनका मकान सबसे बड़ा था जिसमे कुल पांच कमरे थे जो लाइन से बने थे है कक्ष का अलग दरवाजा था जो सामने की ओर खुलता था ….बहुत लंबा चौड़ा दालान फिर विशाल परिसर जिसमे एक तरफ मकान मालिक की चार गाय और दो बैल भी बंधे थे उनके चारा भूसा के लिए भी पर्याप्त जगह थी वहां ..!

दूध की तो गंगा बहती थी वहां वो भी ताजा खालिस दूध अब ये बात अलग है कि मेरी किस्मत में ये सुख भी नहीं था क्योंकि मुझे तो दूध की शकल से भी उतनी ही चिढ़ थी जितनी अपनी शादी की बात से।

मेरे बॉस सहित सभी सहकर्मी सपरिवार कई सालों से उस जंगल में मंगल कर रहे थे और मैं नया नवेला नितांत अकेला शेक्सपियर के मैकबेथ के परिवार के साथ मगन था…!

पुस्तकें अकेलेपन की ही नहीं जिंदगी के हर अंधेरे से जूझने में रोशनी दिखाने का काम करती हैं।

शेक्सपियर का सुपरनैचुरल वर्णन का एक एक शब्द मेरी आंखों के सामने सारे दृश्य सजीव कर रहा था मैं कभी मैकबेथ तो कभी लेडी मैकबेथ को देख रहा था महसूस कर रहा था….!सर्द माहौल को भूत प्रेत के वर्णन ने सुर्ख सर्द कर दिया था…मुझे भूत प्रेत चुडैलो को देखने की उनसे मिलने की दिली इच्छा रहती थी मुझे पूरा यकीन था कि सच में  भूत प्रेत होते हैं चुड़ैल होती है इनका अपना अलग संसार है ..ऐसा लगता था काश कभी तो कहीं पर एक अदद भूत या चुड़ैल से मुलाकात हो जाए!!

इस कहानी को भी पढ़ें:

 **….और वो मिल ही गए ** – डॉ उर्मिला शर्मा

मेरे दोस्त हमेशा मजाक करते थे अमां यार कैलाश तू भी अजब इंसान है एक अदद बीबी से नहीं एक अदद चुड़ैल से मुलाकात की ख्वाहिश करता रहता है इतना मत दिल लगा वरना किसी दिन सच में कोई भूत चुड़ैल तेरे दिल की बात पूरी करने आ जायेगी तेरे पास फिर तो तेरी गर्दन गई मियां भागते भी ना बनेगा समझे..!!

मैं उनके मुंह में रसगुल्ला खिला देता था अरे यार काश कोई मिल जाए !!

लो अब तुम्हारी तो पोस्टिंग ही भूतिया टोने टोटके वाले इलाके में हो गई  है जाओ वत्स तुम्हारी मन की मुराद पूरी होगी अतिशीघ्र!!हंसकर उनका दिया आशीर्वाद सिर माथे रख मैं यहां आ गया था।

बस्तर का इलाका उन दिनों काला जादू तंत्र मंत्र सबके लिए कुख्यात था मेरी अम्मा ने चलते समय दस प्रकार के ताबीज काला धागा काजल हनुमान चालीसा हनुमान जी की मूर्ति फोटो जाने क्या क्या मुझे दिया था कि बेटे की रक्षा इन सबसे होती रहे!!

उन्हें क्या पता था कि उनका बेटा इन्हीं से मुलाकात की प्रार्थना करता है ।

यहां आते ही मैंने ऐसी जगह मकान भी लिया जो थोड़ी सुनसान जगह पर था और लोगों के बीच “हांटेड एरिया “के नाम से प्रसिद्ध था क्योंकि वहां के रहवासियों को उस जगह एक साया  आधी रात के बाद अकेला घूमता दिखा था तब से सबको शक हो गया था उधर कहीं कोई चुड़ैल या भूत का डेरा है…!

बॉस ने मुझे उस मकान में ना रहने की सलाह दे डाली कि क्यों जान जोखिम में डाल रहे हो यहां नौकरी करने आए हो या भूत बाधा दूर करने उनसे मुलाकात करने!!

मैं उन्हे कैसे समझाता कि एक मुलाकात से मेरा जीवन सफल हो जायेगा पता नहीं बचपन से कई ऐसी जगहों पर मैं जरूर जाता था जहां भी लोगों को भूत या चुड़ैल का शक होता था …यहां आकर तो लगा कि बस यहीं आना था।

मैंने तत्काल उस मकान का एडवांस आश्चर्य चकित मकान मालिक को दिया और पूरे समान सहित डट गया.. और रात के ग्यारह बजे से चौकन्ना होकर बैठ जाता था मुलाकात की ख्वाहिश मुझे सोने ही नहीं देती थी… हर आने जाने वाले पर शक करता हर आहट पर मेरी आशंका सजीव होने लगती…कहीं ये वो तो नहीं मतलब चुड़ैल तो नहीं..!एक दो करते पूरा एक हफ्ता बीत गया था और कोई नहीं आया..!

इस कहानी को भी पढ़ें:

प्रेम का कोई मोल नही – ममता गुप्ता

आज ….अचानक लाइट गोल हो गई… ग्रामीण इलाका था हवा चली नहीं कि तार हिल गए और बिजली गायब!!

लाइट काफी देर तक नहीं आई और मुझे नींद भी नहीं आई तो मैंने सोचा मोमबत्ती या लालटेन जला कर किताब ही पूरी पढ़ी जाए …रजाई से निकलना इतना कठिन काम लग रहा था मानो कोई सूली पर चढ़ा रहा हो फिर भी आगे की कहानी जानने की उत्कंठा हिम्मत ले आई और मैं उठकर लालटेन जलाने का उपक्रम करने लग गया था।

मेरे कमरे की खिड़की बाहर सड़क की तरफ खुलती थी उसका पर्दा फंस गया था बंद करने में मैने उसे खींच कर ठीक करना चाहा तो अचानक पूरी खिड़की ही खुल गई झपाटे से तेज सर्द झोका अंदर आया खिड़की बंद करने गया तो एक नजर बाहर सड़क पर पड़ी …!नजर क्या पड़ी जम ही गई देख कर एक साए को!!

वो साया सड़क पर तेजी से चल रहा था मेरे बॉस के घर से मेरे घर तक आता था बॉस के घर के पास एक विशाल पीपल का पेड़ लगा था बस वो साया बार बार उस पीपल के पास जाकर रुकता फिर वहां से वापिस मुड़ कर मेरे घर तक आता….उसकी चाल एक महिला की चाल जैसी ही लग रही थी मैं कलेजा थाम कर देख रहा था औरअपने मन उभरते शक  को यकीन दिला रहा था कि यही चुड़ैल है और आज मेरी दिली इच्छा पूरी करने ये खुद चलकर मेरे घर आई है मुझसे मिलना चाहती है ।अगर ये नही भी चाहती तो आज मैं तो इस चुड़ैल से मिल ही लूंगा …!!

बस इस ऐतिहासिक पारलौकिक मुलाकात के ख्याल ने   ऐसी गर्माहट मुझमें भर दी कि मैं तत्काल धीरे से दरवाजा खोल कर बाहर आ गया और उस साए के पास आने का इंतजार करने लगा…! उफ्फ!!कैसी विचित्र सनसनाहट दिम्माग में हो रही थी शेक्सपियर की कहानी का असर भी था लगा मानो चुड़ैल साक्षात मेरे सामने है ..बस मैं पूरी तरह तैयार हो गया ….और जैसे ही वो साया मेरे नजदीक आया मैने बाज की तरह झपट्टा लगाकर उसे पकड़ लिया ….”पकड़ लिया पकड़ लिया आज तुझे पकड़ लिया  चुड़ैल मैने अति उत्तेजना में कहा और उसके मुंह से कपड़ा भी हटा दिया आखिर चुड़ैल का चेहरा मेरे लिए जिंदगी का सबसे बड़ा रहस्य था जो आज सुलझने वाला था!

जैसे ही मैंने चेहरे से कपड़ा छीनने की कोशिश की अचानक बहुत महीन सी आवाज आई..” कैलाश भैया आप ये क्या कर रहे हैं मैं सरला भाभी हूं आपकी!!

मैं हतप्रभ था वो साया मेरी पकड़ ढीली होते ही  तत्काल भागा और दौड़ते हुए मेरे बॉस के घर में प्रविष्ट हो गया।

मुझे तो काठ मार गया था…सरला भाभी!!इतनी रात में क्या कर रही थीं क्या ये कोई तंत्र मंत्र सिद्ध कर रहीं थीं!!क्या ये कोई टोनही है!! बॉस ने कभी बताया नहीं अपनी पत्नी की इस प्रवृत्ति के बारे में!!शर्मिंदगी और संदेह दोनों ने मुझे पागल कर दिया था।

इस कहानी को भी पढ़ें:

मंझले बेटे से कोई प्यार नहीं करता है। – सुषमा यादव

जैसे तैसे गिरते पड़ते अपने घर वापिस आया और बिस्तर पर निढाल हो गया  घड़ी में देखा तो सुबह के साढ़े चार बज रहे थे ।हिम्मत ही नहीं हुई उस दिन ऑफिस जाने और बॉस से मिलने की!

लगातार दो दिनों तक ऑफिस नहीं गया ऐसा लग रहा था नौकरी छोड़कर यहां से चला जाऊं ये क्या कर डाला था मैंने बॉस क्या सोच रहे होंगे मेरे बारे में!! आत्मग्लानी हावी होने लगी थी मुझ पर!!चुड़ैल के अस्तित्व पर खुद के इस उन्मादी यकीन पर पछतावा हो रहा था।

तीसरे दिन अपना बोरिया बिस्तर समेट विदाई की तैयारी कर ही रहा था कि दरवाजे पर खटखट हुई …देखा तो बॉस और साथ में उनकी धर्मपत्नी सरला भाभी!!लगा धरती फट जाए और मैं उसमे समा जाऊं!!

पर ये क्या बॉस तो ठटा के हंसने लग गए मुझे सहमा हुआ देख कर… अबे कैलाश उल्लू कहीं के इतनी जरा सी बात से घर में छुपा बैठा है !!अरे सुन आज जब घर में मैं ऑफिस में तीन दिनों से तेरे नहीं आने की बात कर रहा था तब सरला ने बहुत संकोच से मुझे तुम्हारी चुड़ैल से मुलाकात वाली बात बताई ..!कैलाश मेरी पत्नी ने मन्नत मानी है जिसे पूरा करने के लिए  वो पूरे सर्दी के मौसम में ब्रम्ह मुहूर्त में उठकर बाहर दस चक्कर लगाती है इसने ये राज मुझे भी नही बताया था इस डर से कि बताने से मन्नत का महत्व घट जायेगा !!इसीलिए ये बिचारी इतनी ठंड में गर्म कंबल लपेटे बाहर टहलने की हिम्मत कर रही थी इसे क्या पता तुम्हारे शेक्सपियर की किताब का जादू तुम्हारे सिर पर सवार था और तुम इसे चुड़ैल समझ अपनी मुलाकात की ख्वाहिश पूरी करने दौड़ते आ जाओगे!!

पूरी बात सुनने के बाद मुझे तुम्हारे ऑफिस  ना आने का कारण समझ में आ गया बॉस हंसते हंसते लोट पोट हो रहे थे ….

और मुझे पहली बार चुड़ैल होने के अपने यकीन पर शक होने लगा था..!!

#शक

लतिका श्रीवास्तव

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!