चरित्रहीन – हेमलता गुप्ता : Short Moral Stories in Hindi

आ गई .. बेहया.. घर का नाम डूबा के? हे राम.. इस जन्म में भी यह सब देखना बाकी रह गया था क्या? ऐसे दिन दिखाने से पहले मुझे उठा लेता भगवान!… ऐसी चरित्रहीन बहू पल्ले बांध दिए कि ना उगलते बन रहा है ना निगलते बन रहा है! मेरी तो किस्मत ही खराब है!!

रमा अपनी बहू स्वाति से कह रही थी! तभी ननंद भी बोल पड़ी.…. क्या भाभी आपको जरा भी शर्म नहीं आई यह  सब करते हुए! मेरी कॉलेज में दोस्तों के सामने क्या इज्जत रह जाएगी, जब उन्हें आपके बारे में यह सब पता चलेगा?

  अब पतिदेव की बारी थी ..  वाह स्वाति…. तुमने आज मेरी इज्जत मिट्टी में डुबो ही दी! तुम्हारे रंग ढंग से मुझे अंदाजा तो था ही! पता नहीं मैं ही कॉलेज में कैसे तुम्हारी खूबसूरती के चक्कर में आकर तुमसे प्रेम कर बैठा?

यह जानते हुए भी कि कितने लड़के तुम पर लाइन मारते हैं! फिर मैं कैसे फंस गया तुम्हारे जाल में? तुम्हारी वह समाज सेवा, अपने पति को ही अपना सब कुछ मानने वाली बातेंऔर भी ना जाने कौन-कौन सी अच्छी बातों को सुनकर, मैं ही पागल.. तुम्हें अपना बनाने के लिए व्याकुल हो गया था?

मुझे लगा था तुम्हारे आने से मेरा परिवार और मेरी जिंदगी दोनों संवर जाएंगे! तुम भी तो मुझसे प्रेम करती थी! और हमने अपने रिश्ते का मान रखते हुए शादी भी कर ली! मैं तुम्हें कितना चाहता था

स्वाति… किंतु आज तुमने सारी हदें पार कर दी! मैंने तुम्हें घर वालों के खिलाफ जाकर नौकरी करने की इजाजत दी थी.. ताकि तुम्हारी योग्यता सही दिशा में आगे बढ़ सके! किंतु तुमने क्या किया…

तुमने अपने ऑफिस के मैनेजर को भी नहीं छोड़ा?? हां बेचारा मैनेजर भी क्या करता… तुम्हारे रूप जाल में वह भी फंस गया होगा! ऑफिस में भी तुमने अपने ऊपर  होने वाले अत्याचारों का रोना रोया होगा! और सब की सहानुभूति प्राप्त कर ली होगी!

ऑफिस में तुम  सबसे इतना हस हस के बातें करती हो ,कि कोई भी तुम्हारे बारे में गलत राय तो बना ही नहीं सकता? किंतु आज तुम्हें अस्पताल के जच्चा बच्चा केंद्र में उस मैनेजर के साथ देखा तो मेरा खून खून खौल उठा;;

कई दिनों से मैं तुम पर नजर रख रहा था, और आज तुम्हें वहां देख कर मेरा शक यकीन में बदल गया! तुम्हारे पेट में यह उसी का पाप है ना…?

      आज सभी घरवाले स्वाति को मुजरिम की तरह कटघरे में खड़ा करके उसके ऊपर आरोप पर आरोप लगाए जा रहे थे;; किंतु अब स्वाति के सब्र का बांध टूट गया और वह चिल्ला चिल्ला कर बोलने लगी.. हां हां मैं हूं चरित्रहीन.. क्योंकि मैंने तुमसे प्रेम किया था!

एक बात बताओ मनीष… क्या तुम अपने ऑफिस में अपनी महिला सहकर्मियों से हंसकर बात नहीं करते, उन्हें कई बार जरूरत पड़ने पर घर नहीं छोड़ते, कई बार जरूरत पड़ने पर उन्हें अस्पताल लेकर नहीं जाते, तब तुम तो चरित्रहीन नहीं कहलाते..

बल्कि वह तो तुम्हारा महिलाओं के प्रति हमदर्दी वाला गुण कहलाता है? मेरा हंसना बोलना ही तुम्हें क्यों अखरता है? अरे जब एक साथ ऑफिस में काम करते हैं तो थोड़ा बहुत तो हंसी मजाक चलता ही है! तुम्हें याद है …

पिछले महीने तुम्हारी सहकर्मी जो कि गर्भवती थी, उसे लेकर तुम भी उसी अस्पताल में गए थे, और उसके बाद उसे घर तक छोड़ने भी गए थे? क्यों.. क्या वह तुम्हारे बच्चे की मां बनने वाली थी? तुम्हें उसकी इतनी चिंता क्यों थी? क्या उसका पति नहीं था?

      मनीष ..  क्योंकि उस वक्त उसकी तबीयत ज्यादा खराब हो रही थी, और मुझे अपनी गाड़ी से उसे तुरंत अस्पताल ले जाना पड़ा!

    वाह मनीष तुम जो करो वह सही और जो मैं करूं वह गलत है !मेरे चरित्र पर तुमने कितनी आसानी से दाग लगा दिया.. और तुम बेदाग बच गए !मेरे साथ भी वही सब हुआ था जो तुम्हारी सहकर्मी के साथ हुआ था!

मुझे भी मैनेजर साहब तुरंत अपनी गाड़ी से अपनी छोटी बहन समझकर ले गए थे! लेकिन यह सब तुम नहीं समझोगे? आज हमारा बच्चा उन्हीं की वजह से सही सलामत है! आज तुम सब घर वालों ने आधी अधूरी बातें जानकर मेरे चरित्र पर दाग लगा दिया?

तुम्हारी खुद की बहन कॉलेज में अपने दोस्तों के साथ हंस हंस के बात करती है, वह तुम्हें चरित्रहीन नहीं लगती? बताओ मनीष अब मैं कहां जाऊं… मैंने जिस पर विश्वास किया था उसने ही मेरे विश्वास को तोड़ दिया!

लेकिन मैं इतनी कमजोर नहीं हूं कि मैं आत्महत्या जैसा कदम उठा लूं ! आज मुझे अपने आप पर ही शर्म आ रही है कि मैंने तुम जैसे व्यक्ति से प्रेम किया था, जो मेरी भावनाओं को कभी नहीं समझ सकता?

    प्लीज स्वाति.. इस बार हमें माफ कर दो हमसे बहुत बड़ी गलती हो गई! आगे से किसी के बहकावे में आकर हम यह सब नहीं करेंगे! मैंने अपनी पत्नी पर ही शक किया! आइंदा अगर कभी मैं ऐसा करूं तो मुझे कसके दो थप्पड़ लगाकर मेरी गलती याद दिला देना!

आज सारे घर वाले पश्चाताप के आंसू बहा रहे थे! किंतु क्या स्वाति के दर्द को कोई समझ पाएगा! चरित्र पर दाग लगना एक बहुत बड़ा मामला है जिसे स्वाति चाह कर भी नहीं भुला सकती? क्या कलयुग में भी सीता माता की परीक्षा ली जाती रहेगी?

हेमलता गुप्ता

स्वरचित

#दाग

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