शादी के 15 साल बीत चुके थे लेकिन स्वाति अभी तक मां नहीं बन पाई थी। दिल्ली के हर बड़े हॉस्पिटल और डॉक्टर से इलाज करवाया लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला कई लोगों ने आईवीएफ के बारे में बताया वह भी कर के देख लिया उससे भी कुछ नहीं हुआ जब इंसान की किस्मत में संतान नहीं लिखा हो तो मनुष्य चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता वही स्वाति के साथ हो रहा था संतान के लिए उसने मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च ऐसा कोई धार्मिक जगह नहीं था जहां उसने अपना माथा नहीं टेका था लेकिन नतीजा शून्य ही निकला।
स्वाति के घर में सब नौकरी पेशे वाले लोग थे यहां तक कि छोटी देवरानी भी जिसकी शादी 5 साल पहले हुई थी वह भी एक स्कूल में टीचर थी।
घर का अकेलापन स्वाति को काटने को डरता था। आखिर में उसने फैसला किया कि वह भी जॉब करेगी। इसी बहाने उसका मन लग जाएगा। शाम को जब उसका पति रितेश नौकरी से घर आया तो उसने अपने पति से अपनी नौकरी के बारे में बात की। स्वाति एम कॉम कर रखी थी आसानी से किसी भी कंपनी में उसे अकाउंटेंट की जॉब मिल सकती थी।
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रितेश ने कहा,” मेरी तरफ से तो हां है एक बार मां बाबू जी से बात कर लेते हैं अगर उनकी इजाजत हो तो मुझे कोई परेशानी नहीं है।”
सुबह चाय पीते वक्त रितेश ने अपने मां बाबूजी से स्वाति की नौकरी के बारे में बात की। पहले तो रितेश की मां ना नूकुर कर रही थी लेकिन जब रितेश की बाबूजी बोले, “क्या हो जाएगा बहू नौकरी कर लेगी तो नौकरी करना कोई अपराध तो नहीं है आखिर उसने उच्च शिक्षा प्राप्त की है और फिर अकेला जीवन पहाड़ की तरह होता है जा बेटे स्वाति को बोल दे हमारी तरफ से इजाजत है उसे नौकरी करने की।”
सास ससुर की इजाजत मिलते ही स्वाति ने ऑनलाइन जॉब पोर्टल पर अपने रिज्यूम अपडेट कर दिया और एक-दो दिन में ही इंटरव्यू के लिए कॉल आया और एक कंपनी में अगले महीने की 1 तारीख से ज्वाइन कर ली।
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स्वाति की देवरानी निधि शादी के 2 साल बाद ही मां बन गई थी और उसके 2 साल बाद एक और बच्चे की मां बन गई थी। उसकी देवरानी निधि एक बेटे और एक बेटी की मां थी।
अब निधी शादी के सातवें साल में तीसरी बार मां बनने जा रही थी।
जब यह बात स्वाति को पता चला कि उसकी देवरानी निधि तीसरी बार मां बनने जा रही है तो यह खबर सुनकर वह अपने आप को रोक न सकी उसने मन ही मन सोच लिया कि वह अपनी देवरानी से बात करेगी और अगर उसकी इजाजत हो तो उसके तीसरे बच्चे को गोद ले लेगी इससे उसके अपने जीवन का अकेलापन और तन्हाई भी दूर हो जाएगी। उसे भी कोई मां कहने वाला होगा। लोग उसे बांझ नहीं कहेंगे।
स्वाति ने सबसे पहले सोचा कि इस बारे में अपने पति रितेश से बात करना उचित होगा शाम को उसने अपने पति रितेश से बात करी कि वह उनके छोटे भाई मनीष के होने वाले बच्चे को गोद लेना चाहती है।
रितेश अपनी पत्नी स्वाति के जज्बात को समझता था उसने कहा, “अगर निधि और मनीष दोनों को कोई एतराज नहीं है अपना बच्चा हमें सौंपने में तो मेरी तरफ से हां है।”
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अगले दिन संडे था और क्योंकि संडे छुट्टी का दिन होता है तो स्वाति और निधि दोनों किचन में एक साथ खाना बना रही थी बातों बातों में निधि ने अपनी जेठानी स्वाति से बोली, “दीदी पता नहीं कैसे हो गया हमने तो काफी सावधानी भी बरती थी फिर भी ना जाने कैसे मैं प्रेग्नेंट हो गई।”
स्वाति ने निधि से कहा, “मेरी बहन तू चिंता मत कर तुम्हारे ऊपर यह बच्चा भार बनकर नहीं आ रहा है इस बच्चे को तुम अपनी बड़ी बहन यानी मुझे दे देना इससे मेरे जीवन का तनहाई भी दूर हो जाएगी। मेरी छोटी बहन निधि अगर तुम ऐसा करोगी तो मेरे ऊपर इससे बड़ा कोई उपकार नहीं होगा मैं जन्मो जन्म तक तुम्हारी आभारी रहूंगी।
निधि ने स्वाति से कहा, “दीदी आप कैसी बात कर रही हैं मेरा बच्चा और आपका बच्चा दोनों अलग है क्या, मेरे दोनों बच्चे भी आप ही की संतान है और फिर मेरे आने वाला बच्चा भी आप ही का बच्चा है आपने तो मेरी टेंशन ही दूर कर दी मुझे कोई एतराज नहीं है दीदी मेरा बच्चा आपके पास रहे या मेरे पास क्या फर्क पड़ता है रहेगा तो इसी घर में ना। मैं आज आपके देवर से बात कर लूंगी अगर उनको कोई परेशानी नहीं है तो आप मेरे बच्चे को गोद ले लेना।
निधि ने अपने पति मनीष से बच्चे के बारे में बात की, स्वाति के देवर मनीष ने अपनी पत्नी निधि से कहा, “क्या फर्क पड़ता है बच्चा हमारे पास रहे या भाभी के पास रहेगा तो इसी घर में भाभी को कह दो हमारा बच्चा जैसे ही जन्म लेगा हम भाभी को दे देंगे।”
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स्वाति और उसके देवर मनीष घर में बहुत मिलजुल कर रहते थे वो अपनी भाभी को भी बहुत प्यार करता था अगर कोई चीज अपनी पत्नी निधि के लिए खरीद कर लाता था तो अपनी भाभी के लिए भी जरूर खरीद कर लाता था कई बार तो निधि जल भी जाती थी जरूरी थोड़ी है कि जो भी चीज में अपने लिए मांगू वह भाभी के लिए भी लेकर आओ। निधि कई बार मनीष और स्वाति के बारे में गलत सोचने लगती थी। लेकिन फिर उसका दिल कहता नहीं नहीं मेरा पति ऐसा नहीं है ऐसा नहीं हो सकता। भाभी देवर का तो रिश्ता ही ऐसा होता है मैं क्यों गलत सोच रही हूं।
निधि ने अपने घर में अपने पति और सास-ससुर की रजामंदी से अपने बच्चे को अपनी जेठानी को देने के बारे में अपनी इच्छा जाहिर कर दी थी। उस दिन के बाद से स्वाति फूले नहीं समा रही थी उसने तो उसी दिन के बाद से ही अपनी नौकरी भी छोड़ दी और निधि से भी कह दी तुम भी अब अपने नौकरी से छुट्टी ले लो।
स्वाति अपनी देवरानी की खूब सेवा करती क्योंकि उसकी देवरानी के गर्भ में जो बच्चा पल रहा था वह बच्चा अब स्वाति का होने वाला था इसीलिए वह अपनी देवरानी की बहुत ज्यादा ही केयर करती थी।
एक दिन स्वाति के पेट में अचानक से बहुत तेज दर्द होने लगा डॉक्टर के पास ले जाया गया डॉक्टर ने जांच करने के बाद स्वाति की सास से कहा कहा, “बहुत खुशी की बात है आपके घर में एक और खुशी आने वाली है। आपकी बड़ी बहू भी मां बनने वाली है।”
किसी को भी डॉक्टर की बात पर विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन डॉक्टर ने कहा यही सत्य है आपकी बहू मां बनने वाली है।
जब स्वाति और उसके पति रितेश को यह बात पता चला कि वह मां बनने वाली है वह भी बहुत खुश हुई इतना खुश कि उसने आज तक जीवन में इतना खुश कभी नहीं हुई होगी।
स्वाति जैसे ही हॉस्पिटल से घर आई सबसे पहले तो उसने अपनी देवरानी निधि को गले लगाया और उसको थैंक्यू बोला, “निधि तेरा यह बच्चा मेरे लिए बहुत ही लकी है अच्छा हुआ कि तुम्हारा बच्चा पैदा होने से पहले ही यह खबर मिली नहीं तो तुम्हारा बच्चा गोद लेने के बाद अगर मैं मां बनती तो शायद तुम्हारे बच्चे के साथ पूरा न्याय ना कर पाती।”
निधि ने भी अपनी जेठानी स्वाति से कहा, “दीदी मैं भी आज बहुत खुश हूं जैसे ही सासू मां ने फोन करके बताया कि आप मां बनने वाली है मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा मैं आपके लिए इतनी खुश हूं कि स्वयं मां बनने पर भी इतनी खुश नहीं हुई क्योंकि आप आज 17 सालों बाद मां जो बनने जा रही हैं।
समय के साथ स्वाति और निधि दोनों ने अपने अपने बच्चों को जन्म दिया।
स्वाति के बच्चे के जन्म के 1 महीने बाद घर में बहुत बड़ी पार्टी रखी गई दूर के भी रिश्तेदार नातेदार को बुलाया गया।
स्वाति की खुशियां ज्यादा दिन तक टिकने वाली नहीं थी.।
शाम का समय था स्वाति के बेटे के लिए केक काटा जा रहा था स्वाति अपने 1 महीने के बच्चे को अपनी गोद में ली हुई थी और उसके हाथ से चाकू पकड़ाकर केक काट रही थी तभी उसके पति रितेश की बुआ ने जोर से कहा, “अरे यह तो देखने में बिल्कुल मेरे छोटे भतीजे मनीष जैसा लग रहा है यह देखो इसकी नाक तो बिल्कुल मनीष से मिल रही है और आंखे भी भूरी भूरी मनीष जैसी है यह तो ऐसा लग रहा है जैसे मनीष का ही बेटा हो।”
बस उसकी बुआ का इतना कह पाना उसकी जिंदगी में चिंगारी का काम किया और उस दिन के बाद से उसकी जिंदगी में आग लग गई।
उसकी बुआ ने यह बात इतनी जोर जोर से बोली कि वहां पर जितने भी लोग थे सबने सुना और कई लोगों ने बुआ की बातों में सहमति भी जताई।
लेकिन यह बात सुनकर निधि को बहुत ही जलन हुई उसे खुशी नहीं हुई उसने गौर से स्वाति के बेटे को देखा उसने महसूस किया कि बुआ जो कह रही हैं सच कह रही हैं इसका चेहरा नाक आंखें सब कुछ उसके पति मनीष से मिल रहा है।
उसके मन में शक बैठ गया कि कहीं मनीष और स्वाती भाभी ने एक दूसरे के साथ फिर उसका मन नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता।
एक तरफ उसका मन कहता यह झूठ है लेकिन जब वह अपने जेठानी के बेटे को देखती तो उसे लगता कि सच में यह तो उसके पति मनीष की तरह ही लग रहा है।
धीरे धीरे निधि के दिल में शक का बीज पनपने लगा बुआ की कहीं हुई बात तीर की तरह चूभने लगी। वह बार-बार यही सोचती कि स्वाति दीदी को मैं अपनी सगी दीदी से कम नहीं समझती थी मैंने कभी उनको अपनी जेठानी नहीं समझा लेकिन उन्होंने मेरे साथ विश्वासघात किया है मेरे पति के साथ मिलकर मेरा विश्वास तोड़ा है। उसने ठान लिया कि आज की रात वह अपने पति मनीष से जरुर पूछेगी कि उसने उसके साथ ऐसा क्यों किया मेरे में ऐसी क्या कमी थी जिसके लिए उसे उसकी जेठानी स्वाति के पास जाना पड़ा।
एक रात निधि और मनीष जब सोए हुए थे तो निधि ने मनीष से अपनी जेठानी स्वाति के बच्चे के बारे में पुछी “मनीष ऐसा कैसे हो सकता है भाभी के बच्चे का तुम्हारे से शक्ल मिलना कोई इत्तेफाक नहीं हो सकता है जरूर तुम्हारी और भाभी में…” मनीष ने इतना सुनते ही निधि के गाल पर जोर से एक तमाचा जड़ दिया और उसने कहा, “निधि तुम पढ़ी लिखी होकर भी इस तरह की अनपढ़ों जैसा बात करोगी मुझे यह विश्वास नहीं था आखिर वह मेरी भाभी है और भाभी मां समान होती है मेरे साथ उनका रिश्ता तुम कैसे जोड़ सकती हो क्या मुझ पर तुम्हारा इतना ही भरोसा है।
निधि भी गुस्से में बोली इसमें विश्वास करने वाली क्या बात है मनीष, भाभी के बेटे वेद का हर अंग गवाही देता है कि तुम ही उसके बाप हो एक औरत अपनी सौत को अपने साथ कभी भी बर्दाश्त नहीं कर पाती है चाहे वह उसकी सगी बहन हो या फिर जेठानी।
मनीष ने निधि को प्यार से समझाया, “निधि तुम कैसी बात कर रही हो अगर किसी के रूप रंग का किसी से मिलना क्या किसी को दोषी मानने के लिए काफी है। आखिर हमारा परिवार तो एक है हमारा जीन एक है। इसीलिए भाभी के बेटे के साथ मेरे चेहरे का मिलना कोई आश्चर्य वाली बात नहीं है।”
निधि और मनीष की लड़ाई इतनी बढ़ गई कि कमरे से जोर-जोर की आवाज आने लगी उन दोनों की लड़ाई सुनकर घर के सभी सदस्य उनके कमरे में आ गए थे सास-ससुर स्वाति और उसका पति रितेश सभी निधि और मनीष के कमरे में आ चुके थे।
जब सब को यह पता चला कि निधि मनीष से इसलिए लड़ाई कर रही है कि उसे मनीष और स्वाति के रिश्ते पर शक था उसको लग रहा था स्वाति और मनीष के बीच अवैध संबंध है।
निधि की सास ने निधि को समझाया, “छोटी बहू तुम यह कैसे सोच सकती हो बड़ी बहू आज 17 साल बाद मां बनी है तो इसका अर्थ यह नहीं है कि तुम उस पर लांछन लगा दो तुम्हारा इस तरह का व्यवहार हमारे घर को बदनाम कर के रख देगा बहू अगर तुम चाहती हो अपनी जिंदगी में खुश होना और इस परिवार को भी खुश देखना तो विश्वास करना सीखो अविश्वास बसे बसाये घरों में आग लगा देता है। बहु कहीं ऐसा तो नहीं कि बड़ी बहू को इतने दिनों बाद खुश देखकर तुम्हारे मन में ईर्ष्या तो नहीं जाग उठी।
उस दिन तो बात वहीं खत्म हो गई लेकिन निधि को अभी भी विश्वास नहीं होता था जब भी वह अपनी जेठानी के बेटे वेद को देखती उसे अपने पति मनीष और स्वाति पर शक होने लगता।
उसने टेंशन में आकर अपनी नौकरी से रिजाइन दे दी अब हर समय तनाव में रहती धीरे-धीरे निधी चिड़चिड़ी हो गई थी।
कोई कितना भी समझाए निधि को फर्क नहीं पड़ता था वह हर दिन अपने पति मनीष से लड़ाई करती रहती थी।
मनीष यही सोचता काश उस दिन बुआ ने यह बात नहीं बोली होती उसी बात को लेकर निधि आज तक मुझसे लड़ाई करती रहती है।
स्वाति ने भी कई बार निधि को समझाने की कोशिश की निधि तुम मेरी बहन की तरह हो और तुम्हारा पति मनीष मेरा छोटे भाई की तरह तुम ऐसा कैसे सोच सकती हो। अगर मुझे यही सब करना था तो फिर मैं तुम्हारा बच्चा गोद क्यों लेती।
लाख समझाने के बाद भी निधि को कोई फर्क नहीं पड़ा वह शक के आधार पर अपनी बसी बसाई दुनिया को उजाड़ चुकी थी.।
दोस्तों शक ऐसा चीज है कि बनी बनाई दुनिया को भी उजाड़ देता है इसीलिए रिश्तो में प्यार और विश्वास का होना बहुत जरूरी है।